पौलुस ने एफेसुस के पुरोहितों से यह कहा, "आप लोग अपने लिए और अपने सारे झुण्ड के लिए सावधान रहिए। पवित्र आत्मा ने आप को झुण्ड की रखवाली का भार सौंपा है। आप प्रभु की कलीसिया के सच्चे चरवाहे बने रहें, जिसे उन्होंने अपना रक्त दे कर प्राप्त किया। मैं जानता हूँ कि मेरे चले जाने के बाद खूंखार भेड़िये आप लोगों के बीच घुस आयेंगे, जो झुण्ड पर दया नहीं करेंगे। आप लोगों में से भी ऐसे लोग निकल आयेंगे, जो शिष्यों को भटका कर अपने अनुयायी बनाने के लिए भ्रान्तिपूर्ण बातों का प्रचार करेंगे। इसलिए जागते रहिए और याद रखिए कि मैं आँसू बहा-बहा कर तीन वर्षों तक रात-दिन आप लोगों में हर एक को सावधान करता रहा। अब मैं आप लोगों को ईश्वर को सौंपता हूँ तथा उसकी अनुग्रहपूर्ण शिक्षा को, जो आपका निर्माण करने तथा सब सन्तों के साथ आप को विरासत दिलाने में समर्थ है।” "मैंने कभी किसी की चाँदी, सोना अथवा वस्त्र नहीं चाहा। आप लोग जानते हैं कि मैंने अपनी और अपने साथियों की आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए अपने इन हाथों से काम किया। मैंने आप को दिखाया कि इस प्रकार परिश्रम करते हुए हमें दुर्बलों की सहायता करनी और प्रभु येसु का कथन स्मरण रखना चाहिए कि लेने की अपेक्षा देना अधिक सुखद है।” इतना कह कर पौलुस ने घुटने टेक कर उन सबों के साथ प्रार्थना की। सब फूट-फूट कर रोने लगे और उन्होंने पौलुस को गले लगा कर उसका चुम्बन किया। उसने उन से यह कहा था कि वे फिर कभी उसे नहीं देखेंगे - इस से उन्हें सब से अधिक दुःख हुआ। इसके बाद वे उसे नाव तक छोड़ने आये।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : पृथ्वी के राज्यो! ईश्वर का भजन गाओ। (अथवा : अल्लेलूया!)
1. हे ईश्वर! अपना सामर्थ्य प्रदर्शित कर, वही सामर्थ्य, जिसे तूने पहले येरुसालेम के अपने ऊँचे मंदिर में से हमारे लिए प्रदर्शित किया है। सभी राजा उपहार लिए तेरे पास आयेंगे।
2. पृथ्वी के राज्यो! ईश्वर का भजन गाओ। उसी का स्तुतिगान करो, जो चिरन्तन आकाश के ऊपर विराजमान है और जिसकी वाणी मेघगर्जन में बोलती है। आओ! ईश्वर का सामर्थ्य स्वीकार करो।
3. उसकी महिमा इस्राएल पर छायी रहती है। उसका सामर्थ्य मेघों में व्याप्त है। वह ईश्वर धन्य है।
अल्लेलूया! तेरी शिक्षा ही सत्य है। तू सत्य की सेवा में हमें समर्पित कर। अल्लेलूया!
येसु ने अपनी आँखें ऊपर उठायीं और यह कहा, "हे परमपावन पिता! तूने जिन्हें मुझे सौंपा है, उन्हें अपने नाम के सामर्थ्य से सुरक्षित रख, जिससे वे हमारी ही तरह एक बने रहें। तूने जिन्हें मुझे सौंपा है, जब तक मैं उनके साथ रहा, मैंने उन्हें तेरे नाम के सामर्थ्य से सुरक्षित रखा है। मैंने उनकी रक्षा की है। उन में से किसी का भी सर्वनाश नहीं हुआ है विनाश का पुत्र इसका एक ही अपवाद है, क्योंकि धर्मग्रंथ का पूरा हो जाना अनिवार्य था। "अब मैं तेरे पास आ रहा हूँ। जब तक मैं संसार में हूँ, यह सब कह रहा हूँ, जिससे उन्हें मेरा आनन्द पूर्ण रूप से प्राप्त हो जाये। मैंने उन्हें तेरी शिक्षा प्रदान की है। संसार ने उन से बैर किया, क्योंकि जिस तरह मैं संसार का नहीं हूँ, उसी तरह वे भी संसार के नहीं हैं। मैं यह निवेदन नहीं करता कि तू उन्हें संसार से उठा ले, बल्कि यह कि तू उन्हें बुराई से बचा। वे संसार के नहीं हैं, जिस तरह मैं संसार का नहीं हूँ।” "तू सत्य की सेवा में उन्हें समर्पित कर। तेरी शिक्षा ही सत्य है। जिस तरह तूने मुझे संसार में भेजा है, उसी तरह मैंने भी उन्हें संसार में भेजा है। मैं उनके लिए अपने को समर्पित करता हूँ, जिससे वे भी सत्य की सेवा में समर्पित हो जायें।”
प्रभु का सुसमाचार।