पास्का का सातवाँ सत्पाह - मंगलवार

पहला पाठ

प्रेरित-चरित 20:17-27

"मैं अपनी दौड़ समाप्त करता और वह कार्य पूरा करता हूँ, जिसे येसु ने मुझे सौंपा है।”

पौलुस ने मिलेतुस से एफेसुस की कलीसिया के पुरोहितों को बुला भेजा और उनके पहुँचने पर उन से यह कहा, "आप लोग जानते हैं जब मैं पहले पहल एशिया पहुँचा, तो उस दिन से मेरा आचरण आपके बीच कैसा रहा। यहूदियों के षड्यंत्रों के कारण मुझ पर अनेक संकट आये, किन्तु मैं आँसू बहा-बहा कर बड़ी विनम्रता से प्रभु की सेवा करता रहा। जो बातें आप लोगों के लिए हितकर थीं, उन्हें बताने में मैंने कभी संकोच नहीं किया, बल्कि मैं सब के सामने और घर-घर जा कर उनके सम्बन्ध में शिक्षा देता रहा। मैं यहूदियों तथा युनानियों, दोनों से अनुरोध करता रहा कि वे हमारे प्रभु येसु में विश्वास कर ईश्वर के पास लौट आयें। “अब मैं आत्मा की प्रेरणा से विवश हो कर येरुसालेम जा रहा हूँ। वहाँ मुझ पर क्या बीतेगी, मैं नहीं जानता, किन्तु पवित्र आत्मा नगर-नगर में मुझे विश्वास दिलाता है कि वहाँ बेड़ियाँ और कष्ट मेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं। किन्तु मेरी दृष्टि में मेरे जीवन का कोई मूल्य नहीं। मैं तो केवल अपनी दौड़ समाप्त करना और ईश्वर की कृपा का सुसमाचार सुनाने का वह कार्य पूरा करना चाहता हूँ, जिसे प्रभु येसु ने मुझे सौंपा है।” "मैं आप लोगों के बीच राज्य का संदेश सुनाता रहा; अब, मैं जानता हूँ कि आप में से कोई भी मुझे फिर कभी नहीं देख पायेगा। इसलिए मैं आज आप लोगों को विश्वास दिलाता हूँ कि मैं किसी के दुर्भाग्य का उत्तरदायी नहीं हूँ; क्योंकि मैंने आप लोगों के लिए ईश्वर का विधान पूर्ण रूप से स्पष्ट कर देने में कुछ भी उठा नहीं रखा।”

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 67:10-11, 20-21

अनुवाक्य : पृथ्वी के राज्यो! ईश्वर का भजन गाओ। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. हे ईश्वर! तूने भरपूर पानी बरसा कर अपनी थकी-माँदी प्रजा को नवजीवन प्रदान किया। तेरी प्रजा ने वहाँ अपना घर बना लिया और तूने वहाँ दयापूर्वक दरिद्रों का भरण-पोषण किया।

2. हम प्रतिदिन प्रभु को धन्यवाद किया करें। वह हमारा भार हलका कर देता और हमारी रक्षा करता है। हमारा ईश्वर हमारा उद्धार करता रहेगा, हमारा प्रभु-ईश्वर हमें मृत्यु से बचायेगा।

जयघोष

अल्लेलूया! मैं पिता से निवेदन करूँगा और वह तुम्हें एक दूसरा सहायक प्रदान करेगा, जो सदा तुम्हारे साथ रहेगा। अल्लेलूया!

सुसमाचार

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 17:1-11

"हे पिता! अपने पुत्र को महिमान्वित कर।”

येसु ने अपनी आँखें ऊपर उठायीं और यह कहा, "हे पिता! वह घड़ी आ गयी है। अपने पुत्र को महिमान्वित कर, जिससे पुत्र तेरी महिमा प्रकट कर दे। तूने उसे समस्त मानव जाति पर अधिकार दिया है जिससे वह उन सबों को, जिन्हें तूने उसे सौंपा है, अनन्त जीवन प्रदान करे। वे तुझे, एक ही सच्चे ईश्वर को और येसु मसीह को, जिसे तूने भेजा है, जान लें यही अनन्त जीवन है।” "जो कार्य तूने मुझे करने को दिया था, वह मैंने पूरा किया है। इस तरह मैंने पृथ्वी पर तेरी महिमा प्रकट की है। हे पिता! मुझे तेरे यहाँ संसार की सृष्टि से पहले जो महिमा प्राप्त थी, अब मुझे उस से विभूषित कर।” "तूने जिन लोगों को संसार में से चुन कर मुझे सौंपा है, उन पर तेरा नाम प्रकट किया है। वे तेरे ही थे। तूने उन्हें मुझे सौंपा है और उन्होंने तेरी शिक्षा का पालन किया है। अब वे जान गये हैं कि तूने मुझे जो कुछ दिया है, वह सब तुझ से आता है। तूने जो संदेश मुझे दिया है, मैंने वह संदेश उन्हें दे दिया। उन्होंने उसे ग्रहण कर यह जान लिया कि मैं तेरे यहाँ से आया हूँ और उन्होंने यह विश्वास किया कि तूने मुझे भेजा है।” “मैं उनके लिए विनती करता हूँ। मैं संसार के लिए नहीं, बल्कि उनके लिए, जिन्हें तूने मुझे सौंपा है, विनती करता हूँ; क्योंकि वे तेरे ही हैं। जो कुछ मेरा है, वह तेरा है और जो तेरा, वह मेरा है। मैं उनके द्वारा महिमान्वित हुआ हूँ।” “अब मैं संसार में नहीं रहूँगा; परन्तु वे संसार में रहेंगे और मैं तेरे पास आ रहा हूँ।”

प्रभु का सुसमाचार।