प्रेरित जैतून नामक पहाड़ से येरुसालेम लौटे। यह पहाड़ येरुसालेम के निकट, विश्राम-दिवस की यात्रा की दूरी पर है। वहाँ पहुँच कर वे अटारी पर चढ़े जहाँ वे ठहरे हुए थे। वे थे पेत्रुस तथा योहन, याकूब तथा अंद्रेयस, फिलिप तथा थोमस, बरथोलोमी तथा मत्ती, अलफाई का पुत्र याकूब, तथा सिमोन जो उत्साही कहलाता था और याकूब का पुत्र यूदस। ये सब एकहृदय हो कर नारियों, येसु की माता तथा उनके भाइयों के साथ प्रार्थना में लगे रहते थे।
अनुवाक्य : मुझे विश्वास है कि मैं इस जीवन में प्रभु की भलाई को देख पाऊँगा। (अथवा : अल्लेलूया।)
1. प्रभु मेरी ज्योति और मेरी मुक्ति है, तो मैं किस से डरूँ? प्रभु मेरे जीवन का आधार है, तो मैं किस से भयभीत होऊँ?
2. मैं प्रभु से यही प्रार्थना करता रहा कि मैं जीवन भर प्रभु के घर में निवास करूँ और प्रभु की मधुर छत्रच्छाया में रह कर उसके मंदिर में मनन करूँ।
3. हे प्रभु! तू मेरी पुकार पर ध्यान दे, मुझ पर दया कर और मेरी सुन। प्रभु की शरण में जाना यही मेरे हृदय की अभिलाषा रही।
यदि आप लोगों पर अत्याचार किया जाये, तो मसीह के दुःखभोग के सहभागी बन जाने के कारण प्रसन्न हो जाइए। जिस दिन मसीह की महिमा प्रकट हो जायेगी, आप लोग अत्यधिक आनन्दित हो उठेंगे। यदि मसीह के नाम के कारण आप लोगों का अपमान किया जाये, तो अपने को धन्य समझिये, क्योंकि यह इसका प्रमाण है कि ईश्वर का महिमामय आत्मा आप पर छाया रहता है। सावधान रहिए कि हत्यारा, चोर, कुकर्मी अथवा चोर- हटिया होने के नाते आप लोगों में से कोई व्यक्ति दुःख न भोगे। परन्तु यदि किसी को मसीही होने के नाते दुःख भोगना पड़े, तो उसे लज्जित नहीं होना चाहिए, बल्कि ईश्वर की महिमा के लिए इस नाम को स्वीकार करे।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "मैं तुम लोगों को अनाथ छोड़ कर नहीं जाऊँगा। मैं तुम्हारे पास आऊँगा और तुम्हारे हृदय आनन्दित होंगे"।
येसु ने अपनी आँखें ऊपर उठायीं और यह कहा, "हे पिता! वह घड़ी आ गयी है। अपने पुत्र को महिमान्वित कर, जिससे पुत्र तेरी महिमा प्रकट कर दे। तूने उसे समस्त मानव जाति पर अधिकार दिया है जिससे वह उन सबों को, जिन्हें तूने सौंपा है, अनन्त जीवन प्रदान करे। वे तुझे, एक ही सच्चे ईश्वर को, और येसु मसीह को, जिसे तूने भेजा है, जान लें - यही अनन्त जीवन है।” "जो कार्य तूने मुझे करने को दिया था, वह मैंने पूरा किया है। इस तरह मैंने पृथ्वी पर तेरी महिमा प्रकट की है। हे पिता! मुझे तेरे यहाँ संसार की सृष्टि से पहले जो महिमा प्राप्त थी, अब मुझे उस से विभूषित कर। "तूने जिन लोगों को संसार में से चुन कर मुझे सौंपा है, उन पर मैंने तेरा नाम प्रकट किया है। वे तेरे ही थे। तूने उन्हें मुझे सौंपा है और उन्होंने तेरी शिक्षा का पालन किया है। अब वे जान गये हैं कि तूने मुझे जो कुछ दिया है, वह सब तुझ से आता है। तूने जो संदेश मुझे दिया है, मैंने वह संदेश उन्हें दे दिया। उन्होंने उसे ग्रहण कर यह जान लिया कि मैं तेरे यहाँ से आया हूँ। और उन्होंने यह विश्वास किया कि तूने मुझे भेजा है।” "मैं उनके लिए विनती करता हूँ। मैं संसार के लिए नहीं, बल्कि उनके लिए, जिन्हें तूने मुझे सौंपा है, विनती करता हूँ; क्योंकि वे तेरे ही हैं। जो कुछ मेरा है, वह तेरा है और जो तेरा, वह मेरा है। मैं उनके द्वारा महिमान्वित हुआ हूँ अब मैं संसार में नहीं रहूँगा; परन्तु वे संसार में रहेंगे और मैं तेरे पास आ रहा हूँ।”
प्रभु का सुसमाचार।