प्रभु का स्वर्गारोहण – वर्ष C

पहला पाठ - वर्ष A, B, C

प्रभु के स्वर्गारोहण के बाद प्रेरितों से कहा जाता है 'आप लोग आकाश की ओर क्यों देखते रहते हैं?' प्रेरितों को अब समस्त संसार में जा कर पुनर्जीवित मसीह का संदेश सुनाना है। हमें निष्क्रिय रह कर नहीं, बल्कि अपने विश्वास को अपने आचरण में दिखा कर प्रभु के पुनरागमन की राह देखनी चाहिए।

प्रेरित-चरित 1:1-11

"उनके देखते-देखते वह स्वर्ग में आरोहित कर लिये गये।”

हे थेओफिलुस! मैंने अपनी पहली पुस्तक में उन सब बातों का वर्णन किया है, जिन्हें येसु उस दिन तक करते और सिखाते रहे, जिस दिन वह स्वर्ग में आरोहित कर लिये गये। इस से पहले येसु ने अपने प्रेरितों को, जिन्हें उन्होंने स्वयं चुन लिया था, पवित्र आत्मा द्वारा अपना कार्य सौंप दिया। येसु ने अपने दुःखभोग के बाद चालीस दिन तक उन प्रेरितों को बहुत-से प्रमाण दिये कि वह जीवित थे। वह बार-बार उन्हें दिखाई पड़े और उनके साथ ईश्वर के राज्य के विषय में बात करते रहे। येसु ने प्रेरितों के साथ भोजन करते समय उन्हें आदेश दिया कि वे येरुसालेम से नहीं जायें, किन्तु पिता ने जिस वरदान की प्रतिज्ञा की थी, उसी की प्रतीक्षा करते रहें। उन्होंने कहा, "मैंने तुम लोगों को उस प्रतिज्ञा के विषय में बता दिया है। योहन जल का बपतिस्मा देता था, परन्तु थोड़े ही दिनों के बाद तुम लोगों को पवित्र आत्मा का बपतिस्मा दिया जायेगा।” जब वे येसु के साथ एकत्र थे, तो वे उन से पूछने लगे, "प्रभु! क्या आप इसी इस्राएल का राज्य पुनः स्थापित करेंगे? “

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 46:2-3,6-78-9

अनुवाक्य : ईश्वर जयकार के साथ आगे बढ़ता है। वह तुरही के घोष के साथ आगे बढ़ता है।

1. समस्त राष्ट्रो! तालियाँ बजाओ और उल्लसित हो कर ईश्वर का जयकार करो; क्योंकि वह प्रभु है, सर्वोच्च है, आराध्य है। वह समस्त पृथ्वी का महान् राजा है।

2. ईश्वर जयकार के साथ आगे बढ़ता है। वह तुरही के घोष के साथ आगे बढ़ता है। हमारे ईश्वर के आदर में भजन गाओ, हमारे राजा के आदर में भजन गाओ।

3. ईश्वर समस्त पृथ्वी का राजा है। उसके आदर में शिक्षा-गीत सुनाओ। ईश्वर सभी राष्ट्रों पर राज्य करता है। वह अपने सिंहासन पर विराजमान है।

दूसरा पाठ - वर्ष A, B, C

एफ़ेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:17-23

उसने मृतकों में से उन्हें पुनर्जीवित किया और स्वर्ग में अपने दाहिने बैठाया।

महिमामय पिता, हमारे प्रभु ईसा मसीह का ईश्वर, आप लोगों को प्रज्ञा तथा आध्यात्मिक दृष्टि प्रदान करे, जिससे आप उसे सचमुच जान जायें। वह आप लोगों के मन की आँखों को ज्योति प्रदान करे जिससे आप यह देख सकें कि उसके द्वारा बुलाये जाने के कारण आप लोगों की आशा कितनी महान् है और सन्तों के साथ आप लोगों को जो विरासत मिली है, वह कितनी वैभवपूर्ण तथा महिमामय है, और हम विश्वासियों के कल्याण के लिए सक्रिय रहने वाले ईश्वर का सामर्थ्य कितना अपार है। ईश्वर ने मसीह में वही सामर्थ्य प्रदर्शित किया, जब उसने मृतकों में से उन्हें पुनर्जीवित किया और स्वर्ग में अपने दाहिने बैठाया। स्वर्ग में कितने ही प्राणी क्यों न हों और उनका नाम कितना ही महान् क्यों न हो, उन सब के ऊपर ईश्वर ने, इस युग के लिए और आने वाले युग के लिए, मसीह को स्थान दिया। उसने सब कुछ मसीह के पैरों तले डाल दिया और उन को सब कुछ पर अधिकार दे कर कलीसिया का शीर्ष नियुक्त किया। कलीसिया मसीह का शरीर और उनकी परिपूर्णता है। मसीह सब कुछ, सब तरह से, पूर्णता तक पहुँचा देते हैं।

प्रभु की वाणी।

(वैकल्पिक) दूसरा पाठ

इब्रानियों के नाम पत्र 9:24-28; 10:19-23

"हमें एक महान् पुरोहित प्राप्त हैं, जो ईश्वर के घराने पर नियुक्त किये गये हैं।”

क्योंकि ईसा ने हाथ के बने हुए उस मन्दिर में प्रवेश नहीं किया, जो वास्तविक मन्दिर का प्रतीक मात्र है। उन्होंने स्वर्ग में प्रवेश किया है, जिससे वह हमारी ओर से ईश्वर के सामने उपस्थित हो सकें। प्रधानयाजक किसी दूसरे का रक्त ले कर प्रतिवर्ष परमपावन मन्दिर-गर्भ में प्रवेश करता है। ईसा को उसी तरह बार-बार अपने को अर्पित करने की ज़रूरत नहीं है। यदि ऐसा होता तो संसार के प्रारम्भ से उन्हें बार-बार दुःख भोगना पड़ता, किन्तु अब युग के अन्त में वह एक ही बार प्रकट हुए जिससे वह आत्मबलिदान द्वारा पाप को मिटा दें। जिस तरह मनुष्यों के लिए एक ही बार मरना और इसके बाद उनका न्याय होना निर्धारित है, उसी तरह मसीह बहुतों के पाप हरने के लिए एक ही बार अर्पित हुए। वह दूसरी बार प्रकट हो जायेंगे पाप के कारण नहीं, बल्कि उन लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए, जो उनकी प्रतीक्षा करते हैं। भाइयो! ईसा का रक्त हमें निर्भय हो कर परमपावन मन्दिर-गर्भ में प्रवेश करने का आश्वासन देता है। उन्होंने हमारे लिए एक नवीन तथा जीवन्त मार्ग खोल दिया, जो उनके शरीर रूपी परदे से हो कर जाता है। अब हमें एक महान् पुरोहित प्राप्त हैं, जो ईश्वर के घराने पर नियुक्त किये गये हैं। इसलिए हम अपने हृदय को पाप के दोष से मुक्त कर और अपने शरीर को स्वच्छ जल से धोकर निष्कपट हृदय से तथा परिपूर्ण विश्वास के साथ ईश्वर के पास चलें। हम अपने भरोसे का साक्ष्य देने में अटल एवं दृढ़ बने रहें, क्योंकि जिसने हमें वचन दिया है, वह सत्यप्रतिज्ञ है।

प्रभु की वाणी।

जयघोष - वर्ष A, B, C

अल्लेलूया, अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "तुम लोग जा कर सब राष्ट्रों को शिष्य बना लो। मैं संसार के अन्त तक सदा तुम्हारे साथ हूँ"। अल्लेलूया!

सुसमाचार – वर्ष C

यहूदी लोग अपने को ईश्वर की चुनी हुई प्रजा समझते थे। अब येसु यह स्पष्ट कर देते हैं कि इस पृथ्वी पर ईश्वर के राज्य की कोई सीमा नहीं है। शिष्यों को पवित्र आत्मा का वरदान मिलेगा और इसके बाद उन को "सभी राष्ट्रों को पापक्षमा के लिए पश्चात्ताप का उपदेश” देना होगा।

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 24:46-53

"आशिष देते-देते वह स्वर्ग में आरोहित कर लिये गये।”

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "ऐसा ही लिखा है कि मसीह दुःख भोगेंगे, तीसरे दिन मृतकों में से जी उठेंगे और उनके नाम पर येरुसालेम से ले कर सभी राष्ट्रों को पापक्षमा के लिए पश्चाताप का उपदेश दिया जायेगा। तुम इन बातों के साक्षी हो। देखो, मेरे पिता ने जिस वरदान की प्रतिज्ञा की है, उसे मैं तुम्हारे पास भेजूंगा। इसलिए तुम लोग तब तक शहर में ठहरे रहो, जब तक ऊपर की शक्ति से सम्पन्न न हो जाओ"। इसके बाद येसु उन्हें बेथानिया तक ले गये और उन्होंने अपने हाथ उठा कर उन्हें आशिष दी। आशिष देते-देते वह उनकी आँखों से ओझल हो गये और स्वर्ग में आरोहित कर लिये गये। वे उन्हें दण्डवत् कर बड़े आनन्द के साथ येरुसालेम लौटे और वहाँ हर समय मंदिर में रह कर ईश्वर की स्तुति करते रहे।

प्रभु का सुसमाचार।