पास्का का छठा सप्ताह - बृहस्पतिवार

पहला पाठ

प्रेरित-चरित 18:1-8

"पौलुस उनके यहाँ रहने तथा काम करने लगा। वह प्रत्येक विश्राम-दिवस सभागृह में बोलता था।”

पौलुस आथेंस छोड़ कर कुरिंथ आया, जहाँ आक्विला नामक यहूदी से उसकी भेंट हुई। आक्विला का जन्म पोंतुस में हुआ था। वह अपनी पत्नी प्रिसिल्ला के साथ इटली से आया था, क्योंकि क्लौदियुस ने यह आदेश निकाला था कि सब यहूदी रोम से निकल जायें। पौलुस उन से मिलने गया और उनके यहाँ रहने तथा काम करने लगा; क्योंकि वह एक ही व्यवसाय करता था - वे तम्बू बनाने वाले थे। पौलुस प्रत्येक विश्राम-दिवस को सभागृह में बोलता और यहूदियों तथा युनानियों को समझाने का प्रयत्न करता था। जब सीलस और तिमथी मकेदूनिया से पहुँचे, तो पौलुस वचन के प्रचार के लिए अपना पूरा समय देने लगा और यहूदियों को इसका प्रमाण देता रहा कि येसु ही मसीह हैं। किन्तु जब वे लोग पौलुस का विरोध और अपमान करने लगे, तो उसने अपने वस्त्र फाड़ कर उन से यह कहा, "तुम्हारा रक्त तुम्हारे सिर पड़े। मेरा अन्तःकरण शुद्ध है। मैं अब से गैरयहूदियों के पास जाऊँगा।” वह उन्हें छोड़ कर चला गया और तितियुस युस्तुस नामक ईश्वर-भक्त के यहाँ आया, जिसका घर सभागृह से लगा हुआ था। सभागृह के अध्यक्ष क्रिस्पुस ने अपने सारे परिवार के साथ प्रभु में विश्वास किया। बहुत-से कुरिंथी भी पौलुस की बातें सुन कर विश्वास करते और बपतिस्मा ग्रहण करते थे।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 97:1-4

अनुवाक्य : प्रभु ने सभी राष्ट्रों के लिए अपना मुक्ति-विधान प्रकट किया है। (अथवा अल्लेलूया!)

1. प्रभु के आदर में नया गीत गाओ; क्योंकि उसने अपूर्व कार्य किये हैं। उसके दाहिने हाथ और उसकी पवित्र भुजा ने हमारा उद्धार किया है।

2. प्रभु ने अपना मुक्ति-विधान प्रकट किया और सभी राष्ट्रों को अपना न्याय दिखाया है उसने अपनी प्रतिज्ञा का ध्यान रख कर इस्राएल के घराने की सुध ली है।

3. पृथ्वी के कोने-कोने में हमारे ईश्वर का मुक्ति-विधान प्रकट हुआ है। समस्त पृथ्वी आनन्द मनाये और ईश्वर की स्तुति करे।

जयघोष

अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "मैं तुम लोगों को अनाथ छोड़ कर नहीं जाऊँगा, मैं तुम्हारे पास आऊँगा और तुम आनन्द मनाओगे।” अल्लेलूया!

सुसमाचार

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 16:16-20

"तुम शोक करोगे, किन्तु तुम्हारा शोक आनन्द बन जायेगा।”

येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "थोड़े ही समय बाद तुम लोग मुझे नहीं देखोगे और फिर थोड़े ही समय बाद मुझे देखोगे"। इस पर उनके कुछ शिष्य आपस में यह कहने लगे, "वह हम से यह क्या कहते हैं- 'थोड़े ही समय बाद तुम मुझे नहीं देखोगे और फिर थोड़े ही समय बाद तुम मुझे देखोगे', और 'क्योंकि मैं पिता के पास जा रहा हूँ'? “ इसलिए उन्होंने कहा, "वह जो 'थोड़ा समय' कहते हैं, इसका अर्थ क्या है? हम उनकी बात नहीं समझ पा रहे हैं।” येसु ने, यह जान कर कि वे मुझ से प्रश्न पूछना चाहते हैं, उन से कहा, "तुम आपस में मेरे इस कथन के अर्थ पर विचार-विमर्श कर रहे हो कि 'थोड़े ही समय बाद तुम मुझे नहीं देखोगे और फिर थोड़े ही समय बाद मुझे देखोगे'। मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ - तुम रोओगे और विलाप करोगे, परन्तु संसार आनन्द मनायेगा। तुम शोक करोगे, किन्तु तुम्हारा शोक आनन्द बन जायेगा।”

प्रभु का सुसमाचार।