पास्का का छठा इतवार - वर्ष C

पहला पाठ

येसु के पहले शिष्य यहूदी थे और उन्हें उस बात को समझने में समय लगा कि मसीही धर्म किसी एक राष्ट्र तक सीमित नहीं है। पवित्र आत्मा की प्रेरणा से कलीसिया धीरे-धीरे यहूदी धर्म के बन्धनों से मुक्त हो गयी है।

प्रेरित-चरित 15:1-2,22-29

"पवित्र आत्मा को और हमें उचित जान पड़ा कि इन आवश्यक बातों के सिवा आप लोगों पर कोई और भार न लादा जाये।”

कुछ लोग यहूदिया से अंताखिया आये और भाइयों को यह शिक्षा देने लगे कि यदि मूसा से चली आयी हुई प्रथा के अनुसार आप लोगों का खतना नहीं होगा, तो आप को मुक्ति नहीं मिलेगी। इस विषय पर पौलुस तथा बरनाबस और उन लोगों के बीच तीव्र मतभेद और वाद-विवाद छिड़ गया, और यह निश्चय किया गया कि पौलुस तथा बरनाबस अंताखिया के कुछ लोगों के साथ येरुसालेम जायेंगे और इस समस्या के विषय में प्रेरितों तथा पुरोहितों से परामर्श करेंगे। तब सारी कलीसिया की सहमति से प्रेरितों तथा पुरोहितों ने निश्चय किया कि हम में से कुछ लोगों को चुन कर पौलुस तथा बरनाबस के साथ अंताखिया भेजा जाये। उन्होंने दो व्यक्तियों को चुन लिया, जो भाइयों में प्रमुख थे, अर्थात् यूदस को, जो बरसब्बा कहलाता था, तथा सीलस को, और उनके हाथ यह पत्र भेज दिया – “प्रेरित तथा पुरोहित, आप लोगों के भाई, अंताखिया, सिरिया तथा सिलीसिया के गैर-यहूदी भाइयों को नमस्कार करते हैं। हमने सुना है कि हमारे यहाँ के कुछ लोगों ने, जिन्हें हमने कोई अधिकार नहीं दिया था, अपनी बातों से आप को घबरा दिया और उलझन में डाला है। इसलिए हमने सर्वसम्मति से निर्णय किया कि हम प्रतिनिधियों को चुन लें और अपने प्रिय भाइयों बरनाबस और पौलुस के साथ, जिन्होंने हमारे प्रभु येसु मसीह के नाम पर अपना जीवन अर्पित किया है, आप लोगों के पास भेजें। हमने यूदस तथा सीलस को भेजा है; वे भी आप लोगों को यह सब मौखिक रूप से बता देंगे। पवित्र आत्मा को और हमें यह उचित जान पड़ा कि इन आवश्यक बातों के सिवा आप लोगों पर कोई और भार न लादा जाये - आप लोग देव-मूर्तियों को चढ़ाये हुए मांस से, रक्त से, गला घोंटे हुए पशुओं के मास से और व्यभिचार से परहेज करें। इन से अपने को बचाये रखने में आप लोगों का कल्याण है। अलविदा।”

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 66:2-3,5-6,8

अनुवाक्य : हे ईश्वर! राष्ट्र तेरी स्तुति करें, सभी राष्ट्र तुझे धन्य कहें। (अथवा : अल्लेलूया।)

1. हे ईश्वर! हम पर दया कर और हमें आशिष दे, हम पर प्रसन्न हो कर दयादृष्टि कर, जिससे पृथ्वी के निवासी तेरा मार्ग समझ लें, सभी राष्ट्र तेरा मुक्ति-विधान जान जायें।

2. सभी राष्ट्र उल्लसित हो कर आनन्द मनायें, क्योंकि तू न्यायपूर्वक संसार का शासन करता है। तू निष्पक्ष हो कर पृथ्वी के देशों का शासन करता और सभी राष्ट्रों का संचालन करता है।

3. हे ईश्वर! राष्ट्र तेरी स्तुति करें, सभी राष्ट्र तेरी महिमा गायें। ईश्वर हमें आशीर्वाद प्रदान करे और समस्त पृथ्वी उस पर श्रद्धा रखे।

दूसरा पाठ

सन्त योहन नये येरुसालेम का वर्णन करते हैं। यह येसु द्वारा स्थापित कलीसिया है, जहाँ कोई अन्धकार नहीं है, क्योंकि "ईश्वर की महिमा उसकी ज्योति और मेमना उसका प्रदीप है।”

प्रकाशना-ग्रंथ 21:10-14,22-23

"स्वर्गदूत ने मुझे आकाश में उतरता हुआ पवित्र नगर दिखाया।”

मैं आत्मा से आविष्ट हो गया और स्वर्गदूत ने मुझे एक विशाल तथा ऊँचे पर्वत पर ले जा कर पवित्र नगर येरुसालेम दिखाया। वह ईश्वर के यहाँ से आकाश में उतर रहा था। वह ईश्वर की महिमा से विभूषित था और बहुमूल्य रत्न तथा उज्जवल सूर्यकान्त-मणि की तरह चमकता था। उसके चारों ओर एक बड़ी और ऊँची दीवार थी, जिस में बारह फाटक थे और हर एक फाटक के सामने एक स्वर्गदूत खड़ा था। फाटकों पर इस्राएल के बारह वंशों के नाम अंकित थे। पूर्व की ओर तीन, उत्तर की ओर तीन, पश्चिम की ओर तीन और दक्षिण की ओर तीन फाटक थे। नगर की दीवार पर नींव के बारह पत्थरों पर खड़ी थी और उन पर मेमने के बारह प्रेरितों के नाम अंकित थे। मैंने उस में कोई मंदिर नहीं देखा, क्योंकि सर्वशक्तिमान् प्रभु-ईश्वर उसका मंदिर है, और मेमना भी। नगर को सूर्य अथवा चन्द्रमा के प्रकाश की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि ईश्वर की महिमा उसकी ज्योति और मेमना उसका प्रदीप है।

प्रभु की वाणी।

जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया! येसु ने कहा, "यदि कोई मुझे प्यार करेगा, तो वह मेरी शिक्षा पर चलेगा। मेरा पिता उसे प्यार करेगा और हम उसके पास आ कर उस में निवास करेंगे।” अल्लेलूया।

सुसमाचार

येसु चले गये हैं, किन्तु पवित्र आत्मा हमें उनकी शिक्षा का स्मरण दिलाता और उनकी शांति प्रदान करता है। वह शांति हमारे हृदय की सब आशाएँ पूरी करती है। दुनिया हमें इस प्रकार की शांति कभी नहीं दे सकती।

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 14:23-29

"मैंने तुम्हें जो कुछ बताया, पवित्रा आत्मा उसका स्मरण दिलायेगा।”

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "यदि कोई मुझे प्यार करेगा, तो वह मेरी शिक्षा पर चलेगा। मेरा पिता उसे प्यार करेगा और हम उसके पास आ कर उस में निवास करेंगे। जो मुझे प्यार नहीं करता, वह मेरी शिक्षा पर नहीं चलता। जो शिक्षा तुम सुनते हो, वह मेरी नहीं, बल्कि उस पिता की है, जिसने मुझे भेजा है। तुम्हारे साथ रहते समय मैंने तुम लोगों को इतना ही बताया है। परन्तु वह सहायक, वह पवित्र आत्मा, जिसे पिता मेरे नाम पर भेजेगा, तुम्हें यह सब समझा देगा। मैंने तुम्हें जो कुछ बताया, वह उसका स्मरण दिलायेगा। "मैं तुम्हारे लिए शांति छोड़ जाता हूँ। अपनी शांति तुम्हें प्रदान करता हूँ। वह संसार की शांति जैसी नहीं है। तुम्हारा जी घबराये नहीं। भीरु मत बनो। तुमने सुना है कि मैंने तुम से कहा - मैं जा रहा हूँ और फिर तुम्हारे पास आऊँगा। यद तुम मुझे प्यार करते, तो आनन्दित होते कि मैं पिता के पास जा रहा हूँ, क्योंकि पिता मुझ से महान् है। इस प्रकार मैंने पहले ही तुम लोगों को यह बतला दिया, जिससे वैसा हो जाने पर तुम विश्वास करो।”

प्रभु का सुसमाचार।