पास्का का पाँचवाँ सप्ताह – शुक्रवार

पहला पाठ

प्रेरित-चरित 15:22-31

"पवित्र आत्मा को और हमें यह उचित जान पड़ा कि इन आवश्यक बातों के सिवा आप लोगों पर कोई और भार न डाला जाये।”

सारी कलीसिया की सहमति से प्रेरितों तथा पुरोहितों ने निश्चय किया कि हम में से कुछ लोगों को चुन कर पौलुस तथा बरनाबस के साथ अंताखिया भेजा जाये। उन्होंने दो व्यक्तियों को चुन लिया, जो भाइयों में प्रमुख थे, अर्थात् यूदस को, जो बरसब्बा कहलाता था, तथा सीलस को, और उनके हाथ यह पत्र भेज दिया। “प्रेरित तथा पुरोहित, आप लोगों के भाई, अंताखिया, सीरिया तथा सिलीसिया के गैरयहूदी भाइयों को नमस्कार करते हैं। हमने सुना है कि हमारे यहाँ के कुछ लोगों ने, जिन्हें हमने कोई अधिकार नहीं दिया था, अपनी बातों से आप लोगों में घबराहट उत्पन्न की और आपके मन को उलझन में डाल दिया है। इसलिए हमने सर्वसम्मति से निर्णय किया कि हम प्रतिनिधियों को चुन लें और उन को अपने प्रिय भाई बरनाबस और पौलुस के साथ, जिन्होंने हमारे प्रभु येसु मसीह के नाम पर अपना जीवन अर्पित किया है, आप लोगों के पास भेजें। हमने यूदस तथा सीलस को भेजा है; वे भी आप लोगों को वह सब मौखिक रूप से बता देंगे। पवित्र आत्मा को और हमें यह उचित जान पड़ा कि इन आवश्यक बातों के सिवा आप लोगों पर कोई और भार न डाला जाये - आप लोग देवमूर्तियों पर चढ़ाये हुए मांस से, रक्त से, गला घोंटे हुए पशुओं के मांस से और व्यभिचार से परहेज करें। इन से अपने को बचाये रखने में आप लोगों का कल्याण है। अलविदा।” वे विदा हो कर अंताखिया चल दिये और वहाँ पहुँच कर उन्होंने भाइयों को एकत्र कर वह पत्र दिया। पत्र की सान्त्वनापूर्ण बातें पढ़ने के बाद लोगों को बड़ा आनन्द हुआ।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 56:8-12

अनुवाक्य : हे प्रभु! मैं राष्ट्रों के बीच तुझे धन्य कहूँगा। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. हे ईश्वर! मेरा हृदय प्रस्तुत है। प्रस्तुत है मेरा हृदय। मैं गाते हुए तेरी स्तुति करूँगा। सारंगी और सितार बोल उठें, मैं प्रभात से पहले ही प्रभु की स्तुति करूँगा।

2. हे प्रभु! मैं राष्ट्रों के बीच तुझे धन्य कहूँगा, मैं देश-विदेश में तेरा स्तुतिगान करूँगा। आकाश के सदृश ऊँचा है तेरा प्रेम और तारा-मंडल के सदृश तेरी सत्यप्रतिज्ञता। हे ईश्वर! तू स्वर्ग से भी महान् है तेरी महिमा समस्त पृथ्वी में व्याप्त है।

जयघोष

अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "मैंने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैंने अपने पिता से जो कुछ सुना है, वह सब तुम्हें बता दिया है।” अल्लेलूया।

सुसमाचार

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 15:12-17

"यह मेरी आज्ञा है - एक दूसरे को प्यार करो।”

येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "यह मेरी आज्ञा है मैंने जैसे तुम लोगों को प्यार किया है, वैसे तुम भी एक दूसरे को प्यार करो। अपने मित्रों के लिए अपने प्राण अर्पित करने से बड़ा किसी का प्रेम नहीं। यदि तुम लोग मेरी आज्ञाओं का पालन करते हो, तो तुम मेरे मित्र हो। अब से मैं तुम्हें सेवक नहीं कहूँगा। सेवक नहीं जानता कि उसको स्वामी क्या करने वाला है। मैंने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैंने अपने पिता से जो कुछ सुना है, वह सब तुम्हें बता दिया है। तुमने मुझे नहीं चुना है, बल्कि मैंने तुम्हें चुना और नियुक्त किया है, जिससे तुम जा कर फल उत्पन्न करो और तुम्हारा फल बना रहे। तब तुम मेरा नाम ले कर पिता से जो कुछ माँगोगे, वह तुम्हें वही प्रदान करेगा। मैं तुम लोगों को यह आज्ञा देता हूँ- एक दूसरे को प्यार करो।”

प्रभु का सुसमाचार।