पास्का का पाँचवाँ सप्ताह - सोमवार

पहला पाठ

प्रेरित-चरित 14:5-18

"हम यह शुभ संदेश देने आये हैं कि निःसार देवताओं को छोड़ कर आप लोगों को जीवन्त ईश्वर की ओर अभिमुख हो जाना चाहिए।”

इकोनिया के शासकों के सहयोग से गैरयहूदियों तथा यहूदियों ने प्रेरितों पर अत्याचार तथा पथराव के लिए आंदोलन आरम्भ किया। प्रेरितों को इसका पता चला और वे लिकोनिया के लिस्त्रा तथा देरबे नामक नगरों और उनके आसपास के प्रदेश में भाग निकले और वहाँ सुसमाचार का प्रचार करते रहे। लिस्त्रा में एक ऐसा व्यक्ति बैठा हुआ था, जिसके पैरों में शक्ति नहीं थी। वह जन्म से ही लँगड़ा था और कभी - चल-फिर नहीं सका था। वह पौलुस का प्रवचन सुन ही रहा था कि इसने उस पर दृष्टि गड़ायी और उस में स्वस्थ हो जाने योग्य विश्वास देख कर ऊँचे स्वर से कहा, "उठो और अपने पैरों पर खड़े हो जाओ।” वह उछल पड़ा और चलने-फिरने लगा। जब लोगों ने देखा कि पौलुस ने क्या किया है, तो वे लिकोनिया की भाषा में बोल उठे, “देवता मनुष्यों का रूप धारण कर हमारे पास उतरे हैं।” उन्होंने बरनाबस का नाम ज्यूस रखा और पौलुस का हेरमेस, क्योंकि यह प्रमुख वक्ता था। नगर के बाहर ज्यूस का मंदिर था। वहाँ का पुजारी माला पहने साँड़ों के साथ फाटक के पास आ पहुँचा और वह जनता के साथ प्रेरितों के आदर में बलि चढ़ाना चाहता था। जब बरनाबस और पौलुस ने यह सुना, तो वे अपने वस्त्र फाड़ कर भीड़ में कूद पड़े और पुकार-पुकार कर कहने लगे, "भाइयो! आप यह क्या कर रहे हैं? हम भी तो आपके समान सुख-दुखः भोगने वाले मनुष्य हैं। हम यह शुभ संदेश देने आये हैं कि इन निःसार देवताओं को छोड़ कर आप लोगों को उस जीवन्त ईश्वर की ओर अभिमुख हो जाना चाहिए, जिसने आकाश, पृथ्वी, समुद्र और उन में जो कुछ भी है, वह सब बनाया है। उसने बीते हुए युगों में सब राष्ट्रों को अपनी-अपनी राह चलने दिया। फिर भी वह अपने वरदानों द्वारा अपने विषय में साक्ष्य देता रहता है वह आकाश से पानी बरसाता और अच्छी फसलें उगाता है। वह भरपूर अन्न प्रदान कर हमारा मन आनन्द से भर देता है।” इन शब्दों द्वारा उन्होंने भीड़ को कठिनाई से रोका कि वह उनके आदर में बलि न चढाये।<.p>

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 113:1-4,15-16

अनुवाक्य : हे प्रभु! हम को नहीं, बल्कि अपना नाम महिमान्वित कर। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. हे प्रभु! तू प्रेममय और सत्यप्रतिज्ञ है। हम को नहीं, हम को नहीं, बल्कि अपना नाम महिमान्वित कर। अन्य राष्ट्र यह न कहें - उन लोगों का ईश्वर कहाँ हैं?

2. हमारा ईश्वर सर्वशक्तिमान् है, वह स्वर्ग में विराजमान है। उन लोगों की देवमूर्तियाँ चाँदी और सोने की हैं, वे मनुष्यों द्वारा बनायी गयी हैं।

3. जिसने पृथ्वी और स्वर्ग बनाया है, वही ईश्वर तुम्हें आशीर्वाद प्रदान करे। स्वर्ग प्रभु का अपना है, पृथ्वी को उसने मनुष्यों को दिया है।

सुसमाचार

जयघोष

अल्लेलूया! पवित्र आत्मा तुम्हें यह सब समझा देगा। मैंने तुम्हें जो कुछ बताया, वह उसका स्मरण दिलायेगा। अल्लेलूया!

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 14:21-26

"वह पवित्र आत्मा, जिसे पिता भेजेगा, तुम्हें सब समझा देगा।”

येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "जो मेरी आज्ञाएँ जानता और उनका पालन करता है, वही मुझे प्यार करता है और जो मुझे प्यार करता है, उसे मेरा पिता प्यार करेगा और उसे मैं भी प्यार करूँगा और उस पर अपने को प्रकट करूँगा।” यूदस ने, इसकारियोती ने नहीं, उन से कहा, "प्रभु! आप हम पर अपने को प्रकट करेंगे, संसार पर नहीं – इसका कारण क्या है? “ येसु ने उसे उत्तर दिया, "यदि कोई मुझे प्यार करेगा, तो वह मेरी शिक्षा पर चलेगा। मेरा पिता उसे प्यार करेगा और हम उसके पास आ कर उस में निवास करेंगे। जो मुझे प्यार नहीं करता, वह मेरी शिक्षा पर नहीं चलता। जो शिक्षा तुम सुनते हो, वह मेरी नहीं, बल्कि उस पिता की है, जिसने मुझे भेजा है।” “तुम्हारे साथ रहते समय मैंने तुम लोगों को इतना ही बताया है। परन्तु वह सहायक, वह पवित्र आत्मा, जिसे पिता मेरे नाम पर भेजेगा, तुम्हें यह सब समझा देगा। मैंने तुम्हें जो कुछ बताया, वह उसका स्मरण दिलायेगा।”

प्रभु का सुसमाचार।