पास्का का पाँचवाँ इतवार - वर्ष C

पहला पाठ

पौलुस और बरनाबस शिष्यों को ढारस देते थे और हर एक कलीसिया में पुरोहितों को नियुक्त करते थे। यहाँ इस बात पर बल दिया जाता है कि वे व्यस्त रहते हुए भी प्रार्थना और उपवास करते थे, क्योंकि धर्मप्रचार के कार्य में विनम्रता के साथ ईश्वर की सहायता माँगनी चाहिए।

प्रेरित-चरित 14:21-27

"वे कलीसिया को बतलाने लगे कि ईश्वर ने उनके द्वारा क्या-क्या किया है।”

पौलुस और बरनाबस लिस्त्रा और इकोनिया हो कर अंताखिया लौटे। वे शिष्यों को ढारस देते थे और यह कहते हुए विश्वास में दृढ़ रहने के लिए प्रोत्साहित करते थे कि बहुत-से कष्ट सह कर हमें ईश्वर के राज्य में प्रवेश करना है। उन्होंने हर एक कलीसिया में पुरोहितों को नियुक्त किया और प्रार्थना तथा उपवास करने के बाद उन लोगों को प्रभु के हाथों सौंप दिया, जिस में वे लोग विश्वास कर चुके थे। वे पिसिदिया पार कर पम्फिलिया पहुँचे और पेरजे में सुसमाचार का प्रचार करने के बाद अत्तालिया आये। वहाँ से वे नाव पर चढ़ कर अंताखिया चल दिये, जहाँ से वे चले गये थे और जहाँ लोगों ने उस कार्य के लिए, जिसे उन्होंने अब पूरा किया था, ईश्वर की कृपा माँगी थी। वहाँ पहुँच कर और कलीसिया की सभा बुला कर वे बताने लगे कि ईश्वर ने उनके द्वारा क्या-क्या किया और कैसे गैर-यहूदियों के लिए विश्वास का द्वार खोल दिया।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 144:8-13

अनुवाक्य : हे मेरे ईश्वर! मेरे राजा! मैं सदा सर्वदा तेरा नाम धन्य कहूँगा। (अथवा : अल्लेलूया।)

1. प्रभु दया और अनुकम्पा से परिपूर्ण है, वह सहनशील और अत्यन्त प्रेममय है। प्रभु सबों का कल्याण करता है, वह अपनी सारी सृष्टि पर दया करता है।

2. हे प्रभु! तेरी सारी सृष्टि तेरा धन्यवाद करे, तेरे भक्त तुझे धन्य कहें। वे तेरे राज्य की महिमा गायें वे तेरे सामर्थ्य का बखान करें, जिससे सभी मनुष्य तेरे महान् कार्य तथा तेरे राज्य की अपार महिमा जान जायें।

3. तेरे राज्य का कभी अन्त नहीं होगा। तेरा शासन पीढ़ी-दर-पीढ़ी बना रहेगा।

दूसरा पाठ

मसीह का पुनरुत्थान पाप, दुःख और मृत्यु का राज्य नष्ट कर देता है और हमें अनन्त जीवन की आशा दिलाता है। वहाँ धर्मग्रंथ के अनुसार ईश्वर हमारे बीच निवास करेगा और हमारी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा।

प्रकाशना-ग्रंथ 21:1-5

"ईश्वर उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा।”

योहन कहता है, "मैंने एक नया आकाश और एक नयी पृथ्वी देखी। पुराना आकाश तथा पुरानी पृथ्वी, दोनों लुप्त हो गये थे और समुद्र भी नहीं रह गया था। और मैंने पवित्र नगर, नवीन येरुसालेम को ईश्वर के यहाँ से आकाश में उतरते देखा। वह अपने दुलहे के लिए सजायी हुई दुलहिन की तरह अलंकृत था। तब मुझे सिंहासन से एक गंभीर वाणी यह कहते सुनाई पड़ी, 'देखो, यह है मनुष्यों के बीच ईश्वर का निवास। वह उनके बीच निवास करेगा; वे उसकी प्रजा होंगे और ईश्वर स्वयं उनके बीच रह कर उनका अपना ईश्वर होगा। वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा। इसके बाद न मृत्यु रहेगी, न शोक, न विलाप और न दुःख; क्योंकि पुरानी बातें बीत चुकी हैं'। तब सिंहासन पर बैठने वाले ने कहा, 'मैं सब कुछ नया कर देता हूँ।”

प्रभु की वाणी।

जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया! येसु ने कहा, 'मैं तुम लोगों को एक नयी आज्ञा देता हूँ- जैसे मैंने तुम्हें प्यार किया, वैसे ही तुम भी एक दूसरे को प्यार करो।” अल्लेलूया!

सुसमाचार

येसु ने हमें एक नयी आज्ञा दी है- हमें एक दूसरे को उस तरह प्यार करना चाहिए जिस तरह उन्होंने हमें प्यार किया। हमारे भातृप्रेम में कोई अपवाद नहीं होना चाहिए हमें अपने शत्रुओं को भी प्यार करना चाहिए।

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 13:31-35

"मैं तुम लोगों को एक नयी आज्ञा देता हूँ- एक दूसरे को प्यार करो।”

यूदस के चले जाने के बाद येसु ने कहा, "अब मानव पुत्र महिमान्वित हुआ। और उसके द्वारा ईश्वर की महिमा प्रकट हुई। यदि उसके द्वारा ईश्वर की महिमा प्रकट हुई, तो ईश्वर भी उसे अपने यहाँ महिमान्वित करेगा और वह शीघ्र ही उसे महिमान्वित करेगा। बच्चो! मैं और थोड़े ही समय तक तुम्हारे साथ हूँ तुम मुझे ढूँढ़ोगे, और मैंने यहूदियों से जो कहा था, अब तुम से भी वही कहता हूँ मैं जहाँ जा रहा हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते। "मैं तुम लोगों को एक नयी आज्ञा देता हूँ तुम एक दूसरे को प्यार करो। जैसे मैंने तुम्हें प्यार किया, वैसे ही तुम भी एक दूसरे को प्यार करो। यदि तुम एक दूसरे को प्यार करोगे, तो उसी से सब लोग यह जान जायेंगे कि तुम मेरे शिष्य हो।”

प्रभु का सुसमाचार।