पास्का का चौथा सप्ताह – शनिवार

पहला पाठ

प्रेरित-चरित 13:44-52

"हम अब गैरयहूदियों के पास जाते हैं।”

अगले विश्राम-दिवस नगर के प्रायः सब लोग ईश्वर का वचन सुनने के लिए इकट्ठे हो गये। यहूदी इतनी बड़ी भीड़ देख कर ईर्ष्या से जलने लगे और पौलुस की निन्दा करते हुए उसकी बातों का खंडन करते रहे। पौलुस और बरनाबस ने निडर हो कर कहा, "यह आवश्यक था कि पहले आप लोगों को ईश्वर का वचन सुनाया जाये, परन्तु आप लोग इसे अस्वीकार करते हैं और अपने को अनन्त जीवन के योग्य नहीं समझते, इसलिए हम अब गैरयहूदियों के पास जाते हैं। प्रभु ने हमें यह आदेश दिया है, मैंने तुम्हें राष्ट्रों की ज्योति बना दिया है, जिससे तुम्हारे द्वारा मुक्ति का संदेश पृथ्वी के सीमान्तों तक फैल जाये।” गैरयहूदी यह सुन कर आनन्दित हो गये और ईश्वर के वचन की स्तुति करते रहे। जितने लोग अनन्त जीवन के लिए चुने गये थे, उन्होंने विश्वास किया और सारे प्रदेश में प्रभु का वचन फैल गया। किन्तु यहूदियों ने प्रतिष्ठित भक्त महिलाओं तथा नगर के नेताओं को उभाड़ा, पौलुस तथा बरनाबस के विरुद्ध उपद्रव खड़ा कर दिया और उन्हें अपने इलाके से निकाल दिया। पौलुस और बरनाबस उन्हें चेतावनी देने के लिए अपने पैरों की धूल झाड़ कर इकोनिया चले गये। शिष्य आनन्द और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण थे।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 97:1-4

अनुवाक्य : पृथ्वी के कोने-कोने में हमारे ईश्वर का मुक्ति-विधान प्रकट हुआ है। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. प्रभु के आदर में नया गीत गाओ, क्योंकि उसने अपूर्व कार्य किये हैं। उसके दाहिने हाथ और उसकी पवित्र भुजा ने हमारा उद्धार किया है।

2. प्रभु ने अपना मुक्ति-विधान प्रकट किया और सभी राष्ट्रों को अपना न्याय दिखाया है। उसने अपनी प्रतिज्ञा का ध्यान रख कर इस्राएल के घराने की सुध ली है।

3. पृथ्वी के कोने-कोने में हमारे ईश्वर का मुक्ति-विधान प्रकट हुआ है। समस्त पृथ्वी आनन्द मनाये और ईश्वर की स्तुति करे।

जयघोष

अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "यदि तुम मेरी शिक्षा पर दृढ़ रहोगे, तो सचमुच मेरे शिष्य सिद्ध होगे। तुम सत्य को पहचान जाओगे।”अल्लेलूया!

सुसमाचार

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 14:7-14

"जिसने मुझे देखा है, उसने पिता को भी देखा है।”

येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "यदि तुम मुझे पहचानते हो, तो मेरे पिता को भी पहचानोगे। अब तो तुम लोगों ने उसे पहचाना भी है और देखा भी है।” फिलिप ने उन से कहा, "प्रभु! हमें पिता के दर्शन कराइए। हमारे लिए इतना ही बहुत है।” येसु ने कहा, फिलिप, मैं इतने समय तक तुम लोगों के साथ रहा, फिर भी तुमने मुझे नहीं पहचाना? जिसने मुझे देखा है, उसने पिता को भी देखा है। फिर तुम यह क्या कहते हो - हमें पिता के दर्शन कराइए? क्या तुम विश्वास नहीं करते कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है? मैं जो शिक्षा देता हूँ, वह मेरी अपनी शिक्षा नहीं है। मुझ में निवास करने वाला पिता मेरे द्वारा अपने महान् कार्य सम्पन्न करता है। मेरी इस बात पर विश्वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है, नहीं तो उन महान् कार्यों के कारण ही इस पर विश्वास करो। मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ जो मुझ में विश्वास करता है, वह स्वयं वे ही कार्य करेगा, जिन्हें मैं करता हूँ। वह उन से भी महान् कार्य करेगा, क्योंकि मैं पिता के पास जा रहा हूँ। तुम मेरा नाम ले कर कुछ माँगोगे, मैं तुम्हें वही प्रदान करूँगा, जिससे पुत्र के द्वारा पिता की महिमा प्रकट हो जाये। यदि तुम मेरा नाम ले कर मुझ से कुछ भी माँगोगे, मैं तुम्हें वही प्रदान करूंगा।”

प्रभु का सुसमाचार।