पास्का का चौथा सप्ताह – बृहस्पतिवार

पहला पाठ

प्रेरित-चरित 13:13-25

"ईश्वर ने दाऊद के वंश में मुक्तिदाता येसु को उत्पन्न किया है।”

पौलुस और उसके साथी नाव से चल कर पाफोस से पांफिलिया के पेरजे पहुँचे। वहाँ योहन ने उन्हें छोड़ दिया और वह येरुसालेम लौटा। पौलुस और बरनाबस पेरजे से आगे बढ़ कर पिसिदिया के अंताखिया पहुँचे। वे विश्राम के दिन सभागृह में जा कर बैठ गये। संहिता तथा नबियों का पाठ समाप्त हो जाने पर, सभागृह के अधिकारियों ने उन्हें यह कहला भेजा, “भाइयो! यदि आप प्रवचन के रूप में जनता से कुछ कहना चाहें, तो कहिये।” इस पर पौलुस खड़ा हो गया और हाथ से उन्हें चुप करने का संकेत कर बोला, "इस्राएली भाइयो और ईश्वर-भक्त सज्जनो! सुनिए। इस्राएली प्रजा के ईश्वर ने हमारे पूर्वजों को चुना, उन्हें मिस्र देश में प्रवास के समय महान् बनाया और वह अपने भुजबल से उन्हें वहाँ से निकाल लाया। उसने चालीस बरस तक मरुभूमि में उनकी देख-भाल की। तब उसने कनान देश में सात राष्ट्रों को नष्ट किया और उनकी भूमि हमारे पूर्वजों के अधिकार में दे दी। लगभग साढ़े चार सौ वर्ष बाद वह उनके लिए न्यायकर्ताओं को नियुक्त करने लगा और नबी समूएल के समय तक ऐसा करता रहा। तब उन्होंने अपने लिए एक राजा की माँग की और ईश्वर ने उन्हें बेनजामीन वंशी कीश के पुत्र साऊल को प्रदान किया जो चालीस वर्ष तक राज्य करता रहा। इसके बाद ईश्वर ने दाऊद को उनका राजा बनाया और उनके विषय में यह साक्ष्य दिया मुझे अपने मन के अनुकूल एक मनुष्य, येस्से का पुत्र दाऊद मिल गया है। वह मेरी सभी इच्छाएँ पूरी करेगा। ईश्वर ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार उन्हीं दाऊद के वंश में इस्राएल के लिए एक मुक्तिदाता अर्थात् येसु को उत्पन्न किया है। उनके आगमन से पहले अग्रदूत योहन ने इस्राएल की सारी प्रजा को पश्चात्ताप के बपतिस्मा का उपदेश दिया था। अपना जीवन-कार्य पूरा करते समय योहन ने कहा, 'तुम लोग मुझे जो समझते हो, मैं वह नहीं हूँ। किन्तु देखो - मेरे बाद वह आने वाले हैं, जिनके चरणों के जूते खोलने योग्य भी मैं नहीं हूँ।”

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 88:2-3,21-22,25,27

अनुवाक्य : हे प्रभु! मैं सदा ही तेरी कृपा का गीत गाता रहूँगा। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. हे प्रभु! मैं सदा ही तेरी कृपा का गीत गाता रहूँगा। मैं पीढ़ी-दर-पीढ़ी तेरी सत्यप्रतिज्ञता घोषित करता रहूँगा। तूने कहा - मेरी कृपा सदा ही बनी रहेगी। मेरी सत्यप्रतिज्ञता आकाश की तरह चिरस्थायी है।

2. मैंने अपने सेवक दाऊद को चुन कर अपने पवित्र तेल से उसका अभिषेक किया। मेरा हाथ उसे सँभालता रहेगा और मेरा बाहुबल उसे शक्ति प्रदान करेगा।

3. मेरी सत्यप्रतिज्ञता और मेरी कृपा उसका साथ देती रहेगी। मेरे नाम के कारण उसकी शक्ति बढ़ती जायेगी। वह मुझ से कहेगा, “तू ही मेरा पिता, मेरा ईश्वर और उद्धारक है।”

जयघोष

अल्लेलूया! हे येसु मसीह! आप विश्वासनीय साक्षी और मृतकों में से पहलौठे हैं। आपने हमें प्यार किया और अपने रक्त से हमें पाप से मुक्त किया है। अल्लेलूया!

सुसमाचार

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 13:16-20

"जो मेरे भेजे हुए का स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है।”

शिष्यों के पैर धोने के बाद येसु ने उन से यह कहा, "मैं तुम से कहे देता हूँ- सेवक अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता और न भेजा हुआ उस से, जिसने उसे भेजा है। यदि तुम ये बातें समझ कर इनके अनुसार आचरण करोगे, तो धन्य होगे। "यह मैं तुम सबों के विषय में नहीं कह रहा हूँ। मैं जानता हूँ कि मैंने किन-किन लोगों को चुना है; परन्तु यह इसलिए हुआ कि धर्मग्रन्थ का यह कथन पूरा हो जायेः जो मेरी रोटी खाता है, उसने मुझे लंगी मारी है। अब मैं तुम्हें पहले ही यह बताता हूँ, जिससे ऐसा हो जाने पर तुम विश्वास करो कि मैं वही हूँ। मैं तुम से कहे देता हूँ जो मेरे भेज़े हुए का स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है और जो मेरा स्वागत करता है, वह उसका स्वागत करता है, जिसने मुझे भेजा है।”

प्रभु का सुसमाचार।