पास्का का चौथा सप्ताह – बुधवार

पहला पाठ

प्रेरित-चरित 12:24-13:5

"साऊल और बरनाबस को मेरे लिए अलग कर दो।”

ईश्वर का वचन बढ़ता और फैलता गया। बरनाबस और साऊल अपना सेवा-कार्य पूरा कर येरुसालेम से लौटे और अपने साथ योहन को ले आये, जो मारकुस कहलाता था। अंताखिया की कलीसिया में कई नबी और शिक्षक थे जैसे बरनाबस, सिमोन, जो नीगेर कहलाता था, लुसियुस किरीनी, राजा हेरोद का दूध-भाई मनाहेन और साऊल। वे किसी दिन उपवास करते हुए प्रभु की उपासना कर रहे थे कि पवित्र आत्मा ने कहा, "मैंने बरनाबस तथा साऊल को एक विशेष कार्य के लिए निर्दिष्ट किया है। उन्हें मेरे लिए अलग कर दो।” इसलिए उपवास तथा प्रार्थना समाप्त करने के बाद उन्होंने बरनाबस तथा साऊल पर हाथ रखे और उन्हें जाने की अनुमति दे दी। पवित्र आत्मा द्वारा भेजे हुए बरनाबस और साऊल सिलूकिया गये और वहाँ से वे नाव पर कुप्रुस चले। सलामीना पहुँच कर वे यहूदियों के सभागृहों में ईश्वर के वचन का प्रचार करने लगे। योहन भी उनके साथ रह कर उनकी सहायता करता था।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 66:2-3,5-6,8

अनुवाक्य : हे ईश्वर! राष्ट्र तेरी स्तुति करें, सभी राष्ट्र तेरी महिमा गायें। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. हे ईश्वर! हम पर दया कर और हमें आशिष दे, हम से प्रसन्न हो कर, दयादृष्टि कर। पृथ्वी के निवासी तेरा मार्ग समझ लें, सभी राष्ट्र तेरा मुक्ति-विधान जान जायें।

2. सभी राष्ट्र उल्लसित हो कर आनन्द मनायें, क्योंकि तू न्यायपूर्वक संसार का शासन करता है। तू निष्पक्ष हो कर पृथ्वी के देशों का शासन करता और सभी राष्ट्रों का संचालन करता है।

3. हे ईश्वर! राष्ट्र तेरी स्तुति करें, सभी राष्ट्र तेरी महिमा गायें। ईश्वर हमें आशीर्वाद प्रदान करता रहे और समस्त पृथ्वी उस पर श्रद्धा रखे।

जयघोष

अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "संसार की ज्योति मैं हूँ। जो मेरा अनुसरण करता है, उसे जीवन की ज्योति प्राप्त होगी।” अल्लेलूया!

सुसमाचार

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 12:44-50

"मैं ज्योति बन कर संसार में आया हूँ।”

येसु ने पुकार कर कहा, "जो मुझमें विश्वास करता है, वह मुझ में ही नहीं, बल्कि जिसने मुझे भेजा है, उस में विश्वास करता है और जो मुझे देखता है, वह उस को देखता है, जिसने मुझे भेजा है। मैं ज्योति बन कर संसार में आया हूँ, जिससे जो कोई मुझ में विश्वास करे, वह अंधकार में नहीं रहे। यदि कोई मेरी शिक्षा सुन कर उस पर नहीं चलता, तो उसे मैं दोषी ठहराने नहीं, संसार का उद्धार करने आया हूँ। जो मेरा तिरस्कार करता है और मेरी शिक्षा ग्रहण करने से इनकार करता है, वह अवश्य ही दोषी ठहराया जायेगा। जो शिक्षा मैंने दी है, वही उसे अंतिम दिन दोषी ठहरा देगी। मैंने अपनी ओर से कुछ नहीं कहा। पिता ने, जिसने मुझे भेजा है, आदेश दिया कि मुझे क्या कहना और कैसे बोलना है। मैं जानता हूँ कि उसका आदेश अनन्त जीवन है। इसलिए मैं जो कुछ कहता हूँ, उसे वैसे ही कहता हूँ, जैसे पिता ने मुझ से कहा है।”

प्रभु का सुसमाचार।