स्तेफनुस को ले कर येरुसालेम में अत्याचार प्रारंभ हुआ था। जो लोग इस कारण बिखर गये थे, वे फेनिसिया, कुप्पुस तथा अंताखिया तक पहुँच गये। वे यहूदियों के अतिरिक्त किसी को सुसमाचार नहीं सुनाते थे। किन्तु उन में से कुछ कुप्रुस तथा किरीन के निवासी थे और वे अंताखिया पहुँच कर यूनानियों को भी प्रभु येसु का सुसमाचार सुनाने लगे। प्रभु इनकी सहायता करता था। बहुत से लोग विश्वासी बन कर प्रभु के पास लौट आये। येरुसालेम की कलीसिया ने उन बातों की चर्चा सुनी और उसने बरनाबस को अंताखिया भेजा। जब बरनाबस ने वहाँ पहुँच कर ईश्वरीय अनुग्रह का प्रभाव देखा, तो वह आनन्दित हो उठा। उसने सबों से अनुरोध किया कि वे सारे हृदय से प्रभु के प्रति ईमानदार बने रहें, क्योंकि वह भला मनुष्य था और पवित्र आत्मा तथा विश्वास से परिपूर्ण था। इस प्रकार बहुत-से लोग प्रभु के शिष्यों में सम्मिलित हो गये। इसके बाद बरनाबस पौलुस की खोज में तारसुस चला गया और उसका पता लगा कर उसे अंताखिया ले आया। दोनों एक पूरे वर्ष तक वहाँ की कलीसिया के यहाँ ठहर कर बहुत-से लोगों को शिक्षा देते रहे। अंताखिया में शिष्यों को पहले पहल 'मसीही' नाम मिला।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे समस्त जातियो! प्रभु की स्तुति करो। (अथवा : अल्लेलूया!)
1. प्रभु पवित्र पर्वत पर बसे हुए अपने नगर को प्यार करता है। याकूब के अन्य नगरों की अपेक्षा सियोन के फाटक प्रभु को अधिक प्रिय हैं। हे ईश्वर के नगर! वह तेरा गुणगान करता है।
2. "मिस्र और बाबुल के निवासी मेरी आराधना करेंगे। जो तीरुस, फिलिस्तिया तथा इथोपिया में उत्पन्न हुए हैं, वे सभी सियोन को अपनी माता कहेंगे। क्योंकि वे उसकी सन्तान बन जायेंगे।” सर्वोच्च प्रभु उसे सुदृढ़ बनाये रखेगा।
3. वह राष्ट्रों की सूची में उनके विषय में लिखेगा कि वे सियोन की सन्तान हैं। वे सब नृत्य करते हुए यह गायेंगे-सभी लोग तुझे अपनी मातृभूमि मानते हैं।
अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "मेरी भेड़ें मेरी आवाज पहचानती हैं। मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं।” अल्लेलूया!
उस समय येरुसालेम में प्रतिष्ठान-पर्व मनाया जा रहा था। जाड़े का समय था। येसु मंदिर में सुलेमान के मंडप में टहल रहे थे। यहूदियों ने उन्हें घेर लिया और कहा, “आप हमें कब तक असमंजस में रखे रहेंगे? यदि आप मसीह हों, तो हमें स्पष्ट शब्दों में बता दीजिए।” येसु ने उन्हें उत्तर दिया, "मैंने तुम लोगों को बताया और तुम विश्वास नहीं करते। जो कार्य मैं अपने पिता के नाम पर करता हूँ, वे ही मेरे विषय में साक्ष्य देते हैं। किन्तु तुम विश्वास नहीं करते, क्योंकि तुम मेरी भेड़ें नहीं हो। मेरी भेड़ें मेरी आवाज पहचानती हैं। मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं। मैं उन्हें अनन्त जीवन प्रदान करता हूँ। उनका कभी सर्वनाश नहीं होगा और कोई भी उन्हें मुझ से नहीं छीन सकेगा। मेरे पिता ने मुझे उन्हें दिया है; वह सब से महान् है। कोई भी उन्हें पिता से नहीं छीन सकता। मैं और पिता एक हैं।”
प्रभु का सुसमाचार।