पौलुस और बरनाबस पेरजे से आगे बढ़ कर पिसिदिया के अंताखिया पहुँचे। वे विश्राम के दिन सभागृह जा कर बैठ गये। सभा के विसर्जन के बाद बहुत-से यहूदी और भक्त नव-दीक्षित पौलुस और बरनाबस के पीछे हो लिए। पौलुस और बरनाबस ने उन से बात की और आग्रह किया कि वे ईश्वर की कृपा में दृढ़ बने रहें। अगले विश्राम-दिवस नगर के प्रायः सब लोग ईश्वर का वचन सुनने के लिए इकट्ठे हो गए। यहूदी इतनी बड़ी भीड़ देख कर ईर्ष्या से जलने लगे और पौलुस की निन्दा करते हुए उनकी बातों का खण्डन करते रहे। पौलुस और बरनाबस ने निडर हो कर कहा, "यह आवश्यक था कि पहले आप लोगों को ईश्वर का वचन सुनाया जाए, परन्तु आप लोग इसे अस्वीकार करते हैं और अपने को अनन्त जीवन के योग्य नहीं समझते; इसलिए हम अब गैर-यहूदियों के पास जाते हैं। प्रभु ने हमें यह आदेश दिया है, "मैंने तुम्हें राष्ट्रों की ज्योति बना दिया है, जिससे तुम्हारे द्वारा मुक्ति का संदेश पृथ्वी के सीमान्तों तक फैल जाए'।” गैर-यहूदी यह सुन कर आनन्दित हो गए और ईश्वर के वचन की स्तुति करते रहे। जितने लोग अनन्त जीवन के लिए चुने गए थे, उन्होंने विश्वास किया और सारे प्रदेश में प्रभु का वचन फैल गया। किन्तु यहूदियों ने प्रतिष्ठित भक्त महिलाओं तथा नगर के नेताओं 'को उभाड़ा, पौलुस तथा बरनाबस के विरुद्ध उपद्रव खड़ा कर दिया और उन्हें अपने इलाके से निकाल दिया। पौलुस और बरनाबस उन्हें चेतावनी देने के लिए अपने पैरों की धूल झाड़ कर इकोनिया चले गए। शिष्य आनन्द और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण थे।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हम उसकी प्रजा, उसके चरागाह की भेड़ें हैं!
1. हे समस्त पृथ्वी! प्रभु की स्तुति करो! आनन्द के साथ प्रभु की सेवा करो! उल्लास के गीत गाते हुए उसके सामने उपस्थित हो जाओ!
2. यह जान लो कि वही ईश्वर है। उसी ने हम को बनाया है हम उसी के हैं। हम उसकी प्रजा, उसके चरागाह की भेड़ें हैं।
3. उसका नाम धन्य कहो, क्योंकि वह भला है। उसका प्रेम चिरस्थायी है, उसकी सत्यप्रतिज्ञता युगानुयुग बनी रहती है।
मैं – योहन ने सभी प्रजातियों, वंशों, राष्ट्रों और भाषाओं का एक ऐसा विशाल जनसमूह देखा, जिसकी गिनती कोई भी नहीं कर सकता। वे उजले वस्त्र पहने तथा हाथ में खजूर की डालियाँ लिये सिंहासन तथा मेमने के सामने खड़े थे। वयोवृद्धों में से एक ने मुझ से कहा, "ये वे लोग हैं, जो महासंकट में से निकल कर आये हैं। इन्होंने मेमने के रक्त में अपने वस्त्र धो कर उजले कर लिये हैं। इसलिए ये ईश्वर के सिंहासन के सामने खड़े रहते और रात-दिन उसके मंदिर में उसकी सेवा करते हैं। वह, जो सिंहासन पर विराजमान है, इनके साथ निवास करेगा। इन्हें फिर कभी न तो भूख लगेगी और न प्यास, इन्हें न तो धूप से कष्ट होगा और न किसी प्रकार के ताप से; क्योंकि सिंहासन के सामने विद्यमान मेमना इनका चरवाहा होगा और इन्हें संजीवन जल के स्रोतों के पास ले चलेगा और ईश्वर इनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा।”
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "भला गड़ेरिया मैं हूँ। मैं अपनी भेड़ों को जानता हूँ और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं।” ल्लेलूया!
येसु ने कहा, "मेरी भेड़ें मेरी आवाज़ पहचानती हैं। मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं। मैं उन्हें अनन्त जीवन प्रदान करता हूँ। उनका कभी सर्वनाश नहीं होगा और कोई भी उन्हें मुझ से नहीं छीन सकेगा। मेरे पिता ने मुझे उन्हें दिया है; वह सब से महान् है। कोई भी उन्हें पिता से नहीं छीन सकता। मैं और पिता एक हैं।”
प्रभु का सुसमाचार।