पास्का का तीसरा सप्ताह, शुक्रवार

पहला पाठ

प्रेरित-चरित 9:1-20

"वह मेरा कृपापात्र है। वह राष्ट्रों में मेरे नाम का प्रचार करेगा।”

साऊल पर अब भी प्रभु के शिष्यों को धमकाने तथा मार डालने की धुन सवार थी। उसने प्रधानयाजक के पास जा कर दमिश्क के सभागृहों के नाम पत्र माँगे, जिन में उसे यह अधिकार दिया गया कि यदि वह वहाँ नवीन पन्थ के अनुयायियों का पता लगाये, तो वह उन्हें चाहे वे पुरुष हों या स्त्रियाँ बाँध कर येरुसालेम ले आये। जब वह यात्रा करते-करते दमिश्क के पास पहुँचा, तो एकाएक आकाश से एक ज्योति उसके चारों ओर चमक उठी। वह भूमि पर गिर पड़ा और उसे एक वाणी यह कहती हुई सुनाई दी, "साऊल! साऊल! तुम मुझ पर क्यों अत्याचार करते हो?” उसने कहा, "प्रभु! आप कौन हैं?” उत्तर मिला "मैं येसु हूँ, जिस पर तुम अत्याचार करते हो। अंकुश पर लात चलाना तुम्हारे लिए कठिन है।” उसने डर के मारे काँपते हुए कहा, "प्रभु! आप क्या चाहते हैं? मुझे क्या करना चाहिए? “ प्रभु ने उस से कहा, “उठो और शहर जाओ। तुम्हें जो करना है, वह तुम्हें बताया जायेगा।” उसके साथ यात्रा करने वाले दंग रह गये। वे वाणी तो सुन रहे थे, किन्तु किसी को नहीं देख पा रहे थे। साऊल भूमि से उठा, किन्तु आँखें खोलने पर वह कुछ नहीं देख सका। इसलिए वे हाथ पकड़ कर उसे दमिश्क ले चले। वह तीन दिनों तक अन्धा बना रहा और वह न तो खाता और न पीता था। दमिश्क में अनानीयस नामक एक शिष्य रहता था। प्रभु ने उसे दर्शन दे कर कहा, "अनानीयस!” उसने उत्तर दिया, "प्रभु! प्रस्तुत हूँ"। प्रभु ने उस से कहा, "तुरन्त 'सीधी' नामक गली जाओ और यूदस के घर में साऊल तारसी का पता लगाओ। वह प्रार्थना कर रहा है।” साऊल ने दर्शन में देखा कि अनानीयस नामक मनुष्य उसके पास आकर उस पर हाथ रख रहा है, जिससे उसे दृष्टि प्राप्त हो जाये। अनानीयस ने आपत्ति करते हुए कहा, "प्रभु! मैंने अनेक लोगों से सुना है कि इस व्यक्ति ने येरुसालेम में आपके सन्तों पर कितना अत्याचार किया। उसे महायाजकों से यह अधिकार मिला है कि वह यहाँ उन सबों को गिरफ्तार कर ले, जो आपके नाम की दुहाई देते हैं।” प्रभु ने अनानीयस से कहा, "जाओ। वह मेरा कृपापात्र है। वह गैरयहूदियों, राजाओं तथा इस्त्राएलियों में मेरे नाम का प्रचार करेगा। मैं स्वयं उसे बताऊँगा कि उसे मेरे नाम के कारण कितना कष्ट भोगना होगा।” तब अनानीयस चला गया और उस घर के अन्दर आया। उसने साऊल पर हाथ रख दिये और कहा, "भाई साऊल! प्रभु येसु आप को आते समय रास्ते में दिखाई दिये थे। उन्होंने मुझे भेजा है, जिससे आप को दृष्टि प्राप्त हो और आप पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जायें।” उस क्षण ऐसा लग रहा था कि उसकी आँखों से छिलके गिर रहे हैं। उसे दृष्टि प्राप्त हो गयी और उसने तुरन्त बपतिस्मा ग्रहण किया। उसने भोजन किया और उसके शरीर में बल आ गया। साऊल कुछ समय तक दमिश्क के शिष्यों के साथ रहा। वह शीघ्र ही सभागृहों में येसु के विषय में प्रचार करने लगा कि वह ईश्वर के पुत्र हैं।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 116:1-2

अनुवाक्य : संसार के कोने-कोने में जा कर सुसमाचार का प्रचार करो। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. हे समस्त जातियो! प्रभु की स्तुति करो। हे समस्त राष्ट्रो! उसकी महिमा गाओ।

2. क्योंकि हमारे प्रति उसका प्रेम समर्थ है; उसकी सत्यप्रतिज्ञता सदा-सर्वदा बनी रहती है।

सुसमाचार

जयघोष

अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "जो मेरा मांस खाता और मेरा रक्त पीता है, वह मुझ में निवास करता है और मैं उस में"। अल्लेलूया!

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 6:52-59

"मेरा मांस सच्चा भोजन है और मेरा रक्त सच्चा पेय।”

यहूदी आपस में यह कहते हुए वाद-विवाद कर रहे थे, "यह हमें खाने के लिए अपना मांस कैसे दे सकता है!” इसलिए येसु ने उन से कहा, "मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ यदि तुम मानव पुत्र का मांस नहीं खाओगे और उसका रक्त नहीं पियोगे, तो तुम्हें जीवन प्राप्त नहीं होगा। जो मेरा मांस खाता और मेरा रक्त पीता है, उसे अनन्त जीवन प्राप्त होता है और मैं उसे अंतिम दिन पुनर्जीवित कर दूंगा; क्योंकि मेरा मांस सच्चा भोजन है और मेरा रक्त सच्चा पेय। जो मेरा मांस खाता और मेरा रक्त पीता है, वह मुझ में निवास करता है और मैं उस में। जिस तरह जीवन्त पिता ने मुझे भेजा है और मुझे पिता से जीवन मिलता है, उसी तरह जो मुझे खाता है, उस को मुझ से जीवन मिलेगा। यही वह रोटी है, जो स्वर्ग से उतरी है। वह उस रोटी के सदृश नहीं है, जिसे तुम्हारे पूर्वजों ने खाया था। वे तो मर गये, किन्तु जो यह रोटी खायेगा, वह अनन्तकाल तक जीवित रहेगा।” येसु ने कफरनाहूम के सभागृह में शिक्षा देते समय यह सब कहा।

प्रभु का सुसमाचार।