पास्का का तीसरा सत्पाह - मंगलवार

पहला पाठ

प्रेरित-चरित 7:51-8:1

"हे प्रभु येसु, मेरी आत्मा को ग्रहण कर!"

स्तेफनुस ने जनता, नेताओं और शास्त्रियों से यह कहा, "हठधर्मियो! आप लोग न तो सुनना चाहते हैं और न समझना। आप सदा ही पवित्र आत्मा का विरोध करते हैं, जैसा कि आपके पूर्वज किया करते थे। आपके पूर्वजों ने किस नबी पर अत्याचार नहीं किया? उन्होंने उन लोगों का वध किया, जो धर्मात्मा के आगमन की भविष्यवाणी करते थे। आप लोगों को स्वर्गदूतों के माध्यम से संहिता प्राप्त हुई, किन्तु आपने इसका पालन नहीं किया और अब आप उस धर्मात्मा के विश्वासघाती तथा हत्यारे बन गये हैं।” वे स्तेफनुस की बातें सुन कर आगबबूला हो गये और दाँत पीसने लगे। स्तेफनुस ने, पवित्र आत्मा से पूर्ण हो कर, स्वर्ग की ओर दृष्टि की और ईश्वर की महिमा को तथा ईश्वर के दाहिने विराजमान येसु को देखा। वह बोल उठा, "मैं स्वर्ग को खुला और ईश्वर के दाहिने विराजमान येसु को देख रहा हूँ।” इस पर उन्होंने ऊँचे स्वर से चिल्ला कर अपने कान बंद कर लिये। वे सब मिलकर उस पर टूट पड़े और उसे शहर के बाहर निकाल कर उस पर पत्थर मारने लगे। गवाहों ने अपने कपड़े साऊल नामक नवयुवक के पैरों पर रख दिये। जब लोग स्तेफनुस पर पत्थर मारते थे, तो उसने यह प्रार्थना की, "हे प्रभु येसु! मेरी आत्मा को ग्रहण कर"। तब वह घुटने टेक कर ऊँचे स्वर से बोला, "हे प्रभु! यह पाप इन पर मत लगा।” और यह कह कर उसने प्राण त्याग दिये। साऊल इस हत्या का समर्थन करता था।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 30:3-4,6-8,17,21

अनुवाक्य : हे प्रभु! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंप देता हूँ। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. तू मेरे लिए आश्रय की चट्टान और रक्षा का शक्तिशाली गढ़ बन जा, क्योंकि तू ही मेरी चट्टान है और मेरा गढ़। अपने नाम के हेतु तू मेरा पथप्रदर्शन कर।

2. मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंप देता हूँ। हे प्रभु! तू ही मेरा उद्धार करेगा। प्रभु पर ही मेरा भरोसा है। तेरा प्रेम मुझे मिल जाये और मैं आनन्दित हो उठूंगा।

3. अपने सेवक पर दयादृष्टि कर। तू दयासागर है, मुझे बचाने की कृपा कर। जो तुझ पर भरोसा रखते हैं, तू उन्हें अपने साथ रख कर मनुष्यों के षड्यंत्रों से उनकी रक्षा करता है।

सुसमाचार

जयघोष

अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "जीवन की रोटी मैं हूँ। जो मेरे पास आता है, उसे कभी भूख नहीं लगेगी।” अल्लेलूया!

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 6:30-35

"मूसा नहीं, बल्कि मेरा पिता तुम्हें स्वर्ग की सच्ची रोटी देता है।”

लोगों ने येसु से कहा, "आप हमें कौन-सा चमत्कार दिखा सकते हैं, जिसे देख कर हम आप में विश्वास करें? आप क्या कर सकते हैं? हमारे पुरखों ने मरुभूमि में मन्ना खाया था, जैसा कि लिखा है - उसने खाने के लिए उन्हें स्वर्ग से रोटी दी।” येसु ने उत्तर दिया, "मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ - मूसा ने तुम्हें जो दिया था, वह स्वर्ग की रोटी नहीं थी। मेरा पिता तुम्हें स्वर्ग की सच्ची रोटी देता है। ईश्वर की रोटी तो वह है, जो स्वर्ग से उतर कर संसार को जीवन प्रदान करती है।” लोगों ने येसु से कहा, "प्रभु! आप हमें सदा वही रोटी दिया करें।” उन्होंने उत्तर दिया, "जीवन की रोटी मैं हूँ। जो मेरे पास आता है, उसे कभी भूख नहीं लगेगी और जो मुझ में विश्वास करता है, उसे कभी प्यास नहीं लगेगी।”

प्रभु का सुसमाचार।