पास्का का तीसरा इतवार - वर्ष C

पहला पाठ

धर्म के विरोधी कितना ही अत्याचार क्यों न करें, कलीसिया येसु के पुनरुत्थान का साक्ष्य देती रहेगी। यदि विश्वासियों को इस कारण दुःख उठाना पड़ता है, तो उनको आनन्द का अनुभव होता है; क्योंकि वे पेत्रुस और प्रेरितों की तरह 'येसु के नाम के कारण अपमानित हो जाने के योग्य समझे जाते हैं।'

प्रेरित-चरित 5:27-32,40-41

"हम और पवित्र आत्मा इन बातों के साक्षी हैं।"

प्रधानयाजक ने प्रेरितों से कहा, "हमने तुम लोगों को कड़ा आदेश दिया था कि वह नाम ले कर शिक्षा मत दिया करो और तुम लोगों ने येरुसालेम के कोने-कोने में अपनी शिक्षा का प्रचार किया और उस मनुष्य की हत्या की जिम्मेवारी हमारे सिर पर मढ़ना चाहते हो।" इस पर पेत्रुस और अन्य प्रेरितों ने यह उत्तर दिया, "मनुष्यों की अपेक्षा ईश्वर की आज्ञा का पालन करना अधिक उचित है। आप लोगों ने येसु को क्रूस पर लटका कर मार डाला था, किन्तु हमारे पूर्वजों के ईश्वर ने उन्हें जिलाया है। ईश्वर ने उन्हें शासक तथा मुक्तिदाता का उच्च पद दे कर अपने दाहिने बैठा दिया, जिससे वह उनके द्वारा इस्राएल को पश्चात्ताप तथा पापक्षमा प्रदान करे। इन बातों के साक्षी हम हैं और पवित्र आत्मा भी, जिसे ईश्वर ने उन लोगों को प्रदान किया है, जो उसकी आज्ञा का पालन करते हैं।" उन्होंने प्रेरितों को वह कड़ा आदेश दे कर छोड़ दिया। कि तुम लोग येसु का नाम ले कर उपदेश न दिया करो। प्रेरित इसलिए आनन्दित हो कर महासभा के भवन से निकले कि वे येसु के नाम के कारण अपमानित हो जाने के योग्य समझे गये।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 29:2,4,11-13

अनुवाक्य : हे प्रभु! मैं तेरी स्तुति करूँगा। तूने मेरा उद्धार किया है। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. हे प्रभु! मैं तेरी स्तुति करूँगा। तूने मेरा उद्धार किया है। तूने मेरे शत्रुओं को मुझ पर हँसने नहीं दिया। हे प्रभु! तूने मेरी आत्मा को अधोलोक से निकाला है, तूने मुझे मृत्यु से बचा लिया है।

2. जो प्रभु से प्रेम रखते हैं, वे प्रभु के आदर में गीत गायें, और उसके पवित्र नाम की महिमा करें। उसका क्रोध क्षण भर का है, किन्तु उसकी कृपा जीवन भर बनी रहती है। संध्या को भले ही रोना पड़े, किन्तु प्रातःकाल आनन्द ही आनन्द होता है।

3. हे प्रभु! मेरी सुन। मुझ पर दया कर। हे प्रभु! मेरी सहायता कर। तूने मेरा शोक आनन्द में बदल दिया है। हे प्रभु! मेरे ईश्वर! मैं अनन्तकाल तक तेरी स्तुति करूँगा।

दूसरा पाठ

येसु मसीह ही हम मसीही धर्म वालों की आशा के एकमात्र आधार हैं। हम विश्वास करते हैं कि धर्मग्रंथ में जो मेमना सम्मान, महिमा और स्तुति का अधिकारी बनाया जाता है, वही हमारा प्रभु येसु है। हम दुनिया की महिमा नहीं चाहते। हमें विश्वास है कि हम किसी दिन मसीह की महिमा के दर्शन करेंगे।

प्रकाशना-ग्रंथ 5:11-14

“बलि चढ़ाया हुआ मेमना वैभव तथा सामर्थ्य का अधिकारी है।"

मेरे सामने वह दर्शन चलता रहा और मैं योहन ने सिंहासन, प्राणियों और वयोवृद्धों के चारों ओर खड़े बहुत-से स्वर्गदूतों की आवाज सुनी उनकी संख्या लाखों और करोड़ों की थी। वे ऊँचे स्वर से कह रहे थे, "बलि चढ़ाया हुआ मेमना सामर्थ्य, वैभव, प्रज्ञा, शक्ति, सम्मान, महिमा तथा स्तुति का अधिकारी है।" तब मैंने यह कहते समस्त सृष्टि को आकाश और पृथ्वी के, पृथ्वी के नीचे और समुद्र के अन्दर के प्रत्येक जीव को सुना, "सिंहासन पर विराजमान को तथा मेमने को युगानुयुग स्तुति, सम्मान महिमा तथा सामर्थ्य!!" और चार प्राणी बोले, "आमेन" और वयोवृद्धों ने मुँह के बल गिर कर दण्डवत् किया।

प्रभु की वाणी।

जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया! हे प्रभु! हमारे लिए धर्मग्रंथ की व्याख्या कर। हम से बातें कर और हमारा हृदय उद्दीप्त कर दे। अल्लेलूया!

सुसमाचार

येसु अपनी मृत्यु के बाद अपने शिष्यों को बारम्बार अपने पुनरुत्थान का प्रमाण दे कर बड़े प्रेम से उन से मिले थे। वह हम को भी प्यार करते हैं और हमें भी उनके प्रेम के बदले उनको प्यार करना चाहिए।

सन्त योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 21:1-19

[ कोष्ठक में रखा अंश छोड़ दिया जा सकता है]
“येसु शिष्यों के पास आये और रोटी ले कर उन्हें देने लगे, और उसी तरह मछली भी।"

तिबेरियस के समुद्र के पास येसु अपने शिष्यों को फिर दिखाई पड़े। यह इस प्रकार हुआ। सिमोन पेत्रुस, थोमस जो यमल कहलाता था, नथानाएल जो गलीलिया के काना का निवासी था, ज़बेदी के पुत्र और येसु के दो अन्य शिष्य साथ थे। सिमोन पेत्रुस ने उन से कहा, "मैं मछली मारने जा रहा हूँ।" वे उस से बोले, "हम भी आपके साथ चलते हैं।" वे चल पड़े और नाव पर चढ़े, किन्तु उस रात उन्हें कुछ नहीं मिला। सबेरा हो ही रहा था कि येसु तट पर दिखाई दिए; शिष्य उन्हें नहीं पहचान सके। येसु ने उन से कहा, "बच्चो! खाने को कुछ मिला? " उन्होंने उत्तर दिया, "जी नहीं।" इस पर येसु ने उन से कहा, "नाव के दाहिने जाल डाल दो और तुम्हें मिलेगा।" उन्होंने जाल डाला और इतनी मछलियाँ फँस गयीं कि वे जाल नहीं निकाल सके। तब उस शिष्य ने जिसे येसु प्यार करते थे, पेत्रुस से कहा, "यह तो प्रभु ही हैं।" जब पेत्रुस ने सुना कि यह प्रभु हैं, तो वह अपना कपड़ा पहन कर क्योंकि वह नंगा था समुद्र में कूद पड़ा। दूसरे शिष्य मछलियों से भरा जाल खींचते हुए डोंगी पर आए; वे किनारे से केवल लगभग दो सौ हाथ दूर थे। उन्होंने तट पर उतर कर वहाँ कोयले की आग पर रखी हुई मछली देखी और रोटी भी। येसु ने उन से कहा, "तुमने अभी-अभी जो मछलियाँ पकड़ी हैं, उन में से कुछ ले आओ।" सिमोन पेत्रुस गया और जाल किनारे खींच लाया। उस में एक सौ तिरपन बड़ी-बड़ी मछलियाँ थीं। और इतनी मछलियाँ होने पर भी जाल नहीं फटा था। येसु ने उन से कहा, "आओ, जलपान कर लो।" शिष्यों में से किसी को येसु से यह पूछने का साहस नहीं हुआ कि आप कौन हैं। वे जानते थे कि वह प्रभु हैं। येसु अब पास आए और रोटी ले कर उन्हें देने लगे, और उसी तरह मछली भी। इस प्रकार येसु मृतकों में से जी उठने के बाद तीसरी बार अपने शिष्यों के सामने प्रकट हुए।

[ जलपान के बाद येसु ने सिमोन पेत्रुस से कहा, "सिमोन, योहन के पुत्र! क्या तुम इनकी अपेक्षा मुझे अधिक प्यार करते हो? ” उसने उन्हें उत्तर दिया, "जी हाँ प्रभु! आप जानते हैं कि मैं आप को प्यार करता हूँ।" उन्होंने पेत्रुस से कहा, "मेरे मेमनों को चराओ।" येसु ने दूसरी बार उस से कहा, "सिमोन, योहन के पुत्र! क्या तुम मुझे प्यार करते हो!" उसने उत्तर दिया, "जी हाँ, प्रभु! आप जानते हैं कि मैं आप को प्यार करता हूँ।" उन्होंने पेत्रुस से कहा, "मेरी भेड़ों को चराओ।" येसु ने तीसरी बार उस से कहा, "सिमोन, योहन के पुत्र! क्या तुम मुझे प्यार करते हो? " पेत्रुस को इस से दुःख हुआ कि उन्होंने तीसरी बार उस से यह पूछा, "क्या तुम मुझे प्यार करते हो? " और उसने येसु से कहा, "प्रभु! आप को तो सब कुछ मालूम है; आप जानते हैं कि मैं आप को प्यार करता हूँ।" येसु ने उस से कहा, "मेरे मेमनों को चराओ।" "मैं तुम से कहे देता हूँ जवानी में तुम स्वयं अपनी कमर कस कर जहाँ चाहते थे, वहाँ घूमते-फिरते थे; लेकिन बुढ़ापे में तुम अपने हाथ फैला दोगे और दूसरा व्यक्ति तुम्हारी कमर कस कर तुम्हें वहाँ ले जाएगा, जहाँ तुम जाना नहीं चाहते।" इन शब्दों से येसु ने संकेत किया कि किस प्रकार की मृत्यु से पेत्रुस द्वारा ईश्वर की महिमा का विस्तार होने वाला है। येसु ने अंत में पेत्रुस से कहा, "मेरा अनुसरण करो।"]

प्रभु का सुसमाचार।