पास्का का तीसरा इतवार - वर्ष A

पहला पाठ

सन्त पेत्रुस यहूदियों को बताते हैं कि यह अनादिकाल से निश्चित था कि मसीह दुःख भोगेंगे और इसके बाद जी उठेंगे। दाऊद ने उनके पुनरुत्थान के विषय में भविष्यवाणी भी की थी। प्रेरित लोग इस बात के साक्षी हैं कि यह सब नाजरेत के येसु में चरितार्थ हुआ है।

प्रेरित-चरित 2:14,22-33

"यह असंभव ही था कि वह मृत्यु के वश में रह जायें।"

पेंतेकोस्त के दिन पेत्रुस ने ग्यारहों के साथ खड़े हो कर लोगों को संबोधित करते हुए ऊँचे स्वर से कहा, "इस्स्राएली भाइयो! मेरी बातें ध्यान से सुनिए। आप लोग स्वयं जानते हैं कि ईश्वर ने येसु नाजरी द्वारा आप लोगों के बीच कितने महान् कार्य, चमत्कार एवं चिह्न दिखाये हैं- इस से यह प्रमाणित हुआ कि येसु ईश्वर की ओर से आप लोगों के पास भेजे गये थे। वह ईश्वर के विधान तथा पूर्वज्ञान के अनुसार पकड़वा दिये गये और आप लोगों ने विधर्मियों के हाथों उन्हें क्रूस पर चढ़वाया और मरवा डाला है। किन्तु ईश्वर ने मृत्यु के बन्धन खोल कर उन्हें पुनर्जीवित किया। यह असंभव ही था कि वह मृत्यु के वश में रह जायें, क्योंकि उनके विषय में दाऊद यह कहते हैं - प्रभु सदा मेरी आँखों के सामने रहता है। वह मेरे दाहिने विद्यमान है, इसलिए मैं दृढ़ बना रहता हूँ, मेरा हृदय आनन्दित है, मेरी आत्मा प्रफुल्लित है और मेरा शरीर भी सुरक्षित रहेगा। क्योंकि तू मेरी आत्मा को अधोलोक में नहीं छोड़ेगा, तू अपने भक्त को कब्र में गलने नहीं देगा। तूने मुझे जीवन का मार्ग सिखाया है। तेरे पास रह कर मुझे परिपूर्ण आनन्द प्राप्त होगा।

प्रभु की वाणी

भजन : स्तोत्र 15:1-2,5,7-11

अनुवाक्य : हे प्रभु! हमें जीवन का मार्ग दिखा। (अथवा : अल्लेलूया।)

1. हे प्रभु! तुझ पर ही भरोसा है। तू मेरी रक्षा कर। मैं प्रभु से कहता हूँ, "तू ही मेरा ईश्वर है। हे प्रभु! तू मेरा सर्वस्व और मेरा भाग्य है। तेरे ही हाथों में मेरा जीवन है।"

2. मैं अपने परामर्शदाता ईश्वर को धन्य कहूँगा। मेरा अन्तःकरण रात को भी मुझे मार्ग दिखाता है। प्रभु सदा ही मेरी आँखों के सामने रहता है। वह मेरे दाहिने विद्यमान है, इसलिए मैं दृढ़ बना रहता हूँ।

3. मोरा हृदय आनन्दित है, मेरी आत्मा प्रफुल्लित है और मेरा शरीर भी सुरक्षित रहेगा; क्योंकि तू मेरी आत्मा को अधोलोक में नहीं छोड़ेगा, तू अपने भक्त को कब्र में गलने नहीं देगा।

4 तू मुझे जीवन का मार्ग दिखायेगा। तेरे पास रह कर परिपूर्ण आनन्द प्राप्त होता है, तेरे दाहिने सदा के लिए सुख-शांति है।

दूसरा पाठ

मसीह ने अपने मूल्यवान् रक्त की कीमत पर मनुष्यों का उद्धार किया है। इस संसार में परदेशी की तरह जीवन बितायें और ईश्वर पर ही भरोसा रखें। और हमें भी अनन्त जीवन प्रदान करेगा।

सन्त पेत्रुस का पहला पत्र 1:17-21

"आप लोगों का उद्धार एक निर्दोष तथा निष्कलंक मेमने अर्थात् मसीह के मूल्यवान् रक्त की कीमत पर हुआ है।"

यदि आप उसे 'पिता' कह कर पुकारते हैं, जो पक्षपात किये बिना प्रत्येक मनुष्य का उसके कर्मों के अनुसार न्याय करता है, तो जब तक आप यहाँ परदेश में रहते हैं, तब तक उस पर श्रद्धा रखते हुए जीवन बितायें। आप लोग जानते हैं कि आपके पुरखों से चली आयी हुई निरर्थक जीवन-चर्या से आपका उद्धार सोने-चाँदी जैसी नश्वर चीजों की कीमत पर नहीं हुआ है, बल्कि एक निर्दोष तथा निष्कलंक मेमने अर्थात् मसीह के मूल्यवान् रक्त की कीमत पर। वह संसार की सृष्टि से पहले तो नियुक्त किये गये थे, किन्तु समय के अन्त में आपके हेतु प्रकट हुए। उन्हीं के द्वारा आप लोग अब ईश्वर में विश्वास करते हैं। ईश्वर ने उन्हें मृतकों में से इसलिए जिलाया और महिमान्वित किया है कि ईश्वर में आपका विश्वास, ईश्वर पर आपका भरोसा भी हो।

जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया! हे प्रभु येसु! हमारे लिए धर्मग्रंथ की व्याख्या कीजिए। हमारे हृदय उद्दीप्त कर दीजिए। अल्लेलूया!

सुसमाचार

एम्माउस जाने वाले शिष्य येसु की मृत्यु के कारण निराश थे। येसु स्वयं उनके साथ चल कर उन को धर्मग्रंथ का मर्म समझाते हैं, जिसके अनुसार मसीह को दुःख भोगने के बाद ही अपनी महिमा में प्रवेश करना था। जो इस बात पर विश्वास करता है, वह येसु की महिमा का सहभागी बन जायेगा।

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 24:13-35

"उन्होंने येसु को रोटी तोड़ते समय पहचान लिया।"

तब येसु ने उन से कहा, "रे निर्बुद्धियो! नबियों ने जो कुछ कहा है, उस पर विश्वास करने में तुम कितने मंदमति हो? क्या यह आवश्यक नहीं था कि मसीह वह सब सह लें और इस प्रकार अपनी महिमा में प्रवेश करें? " तब, मूसा से ले कर अन्य सब नबियों का हवाला देते हुए, जो कुछ, धर्मग्रंथ में अपने विषय में लिखा है, यह सब येसु ने उन्हें समझाया। इतने में वे उस गाँव के पास पहुँच गये, जहाँ वे जा रहे थे। लग रहा था, जैसे येसु आगे बढ़ना चाहते हैं। शिष्यों ने यह कह कर उन से आग्रह किया, "हमारे साथ रह जाइए। साँझ हो रही है और अब दिन ढल चुका है"। और वह उनके साथ रहने के लिए भीतर गये। येसु ने उनके साथ भोजन पर बैठ कर रोटी ली, आशिष की प्रार्थना पढ़ी और उसे तोड़ कर उन्हें दे दिया। इस पर शिष्यों की आँखें खुल गयीं और उन्होंने येसु को पहचान लिया ... किन्तु येसु उनकी दृष्टि से ओझल हो गये। तब शिष्यों ने एक दूसरे से यह कहा, "हमारा हृदय कितना उद्दीप्त हो रहा था, जब वह रास्ते में हम से बातें कर रहे थे, और हमारे लिए धर्मग्रंथ की व्याख्या कर रहे थे!" वे उसी घड़ी उठ कर येरुसालेम लौट गये। वहाँ उन्होंने ग्यारहों और उनके साथियों को एकत्र पाया, जो यह कह रहे थे, "प्रभु सचमुच जी उठे हैं और सिमोन को दिखाई दिये हैं"। तब उन्होंने भी बताया कि रास्ते में क्या-क्या हुआ और कैसे उन्होंने येसु को रोटी तोड़ते समय पहचान लिया था।

प्रभु का सुसमाचार।