उन दिनों जब शिष्यों की संख्या बढ़ती जा रही थी, तो यूनानी-भाषियों ने इब्रानी-भाषियों के विरुद्ध यह शिकायत की कि रसद के दैनिक वितरण में उनकी विधवाओं की उपेक्षा हो रही है। इसलिए बारहों ने शिष्यों की सभा बुला कर कहा, "यह उचित नहीं है कि हम भोजन परोसने के लिए ईश्वर का वचन छोड़ दें। आप लोग अपने बीच में से पवित्र आत्मा से परिपूर्ण सात बुद्धिमान तथा ईमानदार व्यक्तियों का चुनाव कर लीजिए। हम उन्हें इस कार्य के लिए नियुक्त करेंगे, और हम लोग प्रार्थना और वचन की सेवा में लगे रहेंगे।" यह बात सबों को अच्छी लगी। उन्होंने विश्वास तथा पवित्र आत्मा से परिपूर्ण स्तेफनुस के अतिरिक्त फिलिप्पुस, प्रोखोरुस, निकानोर, तिमोन, परमेनस और यहूदी धर्म में नवदीक्षित अंताखिया-निवासी निकोलस को चुन लिया और उन्हें प्रेरितों के सामने उपस्थित किया। प्रेरितों ने प्रार्थना करने के बाद उन पर अपने हाथ रखे। ईश्वर का वचन फैलता गया, येरुसालेम में शिष्यों की संख्या बहुत अधिक बढ़ने लगी और बहुत-से याजकों ने विश्वास की अधीनता स्वीकार की।
अनुवाक्य : हे प्रभु! तेरा प्रेम हम पर बना रहे। तुझ पर ही हमारा भरोसा है। (अथवा : अल्लेलूया!)
1. हे धर्मियो! प्रभु में आनन्द मनाओ। स्तुतिगान करना भक्तों के लिए उचित है। वीणा बजा कर प्रभु का धन्यवाद करो, सारंगी पर उसका स्तुतिगान करो।
2. प्रभु का वचन सच्चा है, उसके समस्त कार्य विश्वासनीय हैं। उसे धार्मिकता तथा न्याय प्रिय हैं। पृथ्वी उसके प्रेम से भरपूर है।
3. प्रभु की कृपादृष्टि अपने भक्तों पर बनी रहती है, उन पर जो उसके प्रेम से यह आशा करते हैं कि वह उन्हें मृत्यु से बचायेगा और अकाल के समय उनका पोषण करेगा।
अल्लेलूया! मसीह जी उठे हैं। उन्होंने सब कुछ की सृष्टि की और मनुष्यों पर दया की है। अल्लेलूया!
संध्या हो जाने पर शिष्य समुद्र के तट पर आये। वे नाव पर चढ़ कर कफरनाहूम की ओर समुद्र पार कर रहे थे। रात हो चली थी और येसु अब तक उनके पास नहीं आये थे। इस बीच समुद्र में लहरें उठने लगीं, क्योंकि हवा जोरों से चल रही थी। कोई तीन-चार मील तक नाव खेने के बाद शिष्यों ने देखा कि येसु, समुद्र पर चलते हुए, नाव की ओर आगे बढ़ रहे हैं। वे डर गये, किन्तु येसु ने उन से कहा, "मैं ही हूँ। डरो मत।" वे उन्हें चढ़ाना ही चाहते थे कि नाव तुरन्त उस किनारे, जहाँ वे जा रहे थे, लग गयी।
प्रभु का सुसमाचार।