प्यादों ने प्रेरितों को ले आ कर महासभा के सामने पेश किया। प्रधानयाजक ने उन से यह कहा, "हमने तुम लोगों को कड़ा आदेश दिया था कि वह नाम ले कर शिक्षा मत दिया करो, परन्तु तुम लोगों ने येरुसालेम के कोने-कोने में अपनी शिक्षा का प्रचार किया और तुम उस मनुष्य की हत्या की जिम्मेवारी हमारे सिर पर मढ़ना चाहते हो।" इस पर पेत्रुस और अन्य प्रेरितों ने यह उत्तर दिया, "मनुष्यों की अपेक्षा ईश्वर की आज्ञा का पालन करना कहीं अधिक उचित है। आप लोगों ने येसु को क्रूस पर लटका कर मार डाला था, किन्तु हमारे पूर्वजों के ईश्वर ने उन्हें पुनर्जीवित किया है। ईश्वर ने उन्हें शासक तथा मुक्तिदाता का उच्च पद दे कर अपने दाहिने बैठा दिया, जिससे वह उनके द्वारा इस्राएल को पश्चात्ताप तथा पापक्षमा प्रदान करे। इन बातों के साक्षी हम हैं और पवित्र आत्मा भी, जिसे ईश्वर ने उन लोगों को प्रदान किया है, जो उनकी आज्ञा पालन करते हैं।" यह सुन कर वे अत्यन्त क्रुद्ध हो उठे और उन्होंने प्रेरितों को मार डालने का निश्चय किया।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : दीन-हीन ने दुहाई दी और प्रभु ने उसकी सुनी। (अथवा : अल्लेलूया!)
1. मैं सदा ही प्रभु को धन्य कहूँगा, मेरा कंठ निरन्तर उसकी स्तुति करता रहेगा। परख कर देखो कि प्रभु कितना भला है। धन्य है वह, जो उसकी शरण में जाता है।
2. प्रभु की कृपादृष्टि धर्मियों पर बनी रहती है, वह उनकी पुकार पर कान देता है। धर्मी प्रभु की दुहाई देते हैं। वह उनकी सुनता और हर प्रकार की विपत्ति में उनकी रक्षा करता है।
3. प्रभु दुःखियों से दूर नहीं है। जिसका मन टूट गया, वह उन्हें सँभालता है। धर्मी विपत्तियों से घिरा रहता है, किन्तु उन सबों से प्रभु उसे छुड़ाता है।
अल्लेलूया! थोमस! क्या तुम इसलिए विश्वास करते हो कि तुमने मुझे देखा है? धन्य हैं वे, जो बिना देखे ही विश्वास करते हैं। अल्लेलूया!
"जो ऊपर से आता है वह सर्वोपरि है। जो पृथ्वी से आता है, वह पृथ्वी का है और पृथ्वी की बातें बोलता है। जो स्वर्ग से आता है, वह सर्वोपरि है। उसने जो कुछ देखा और सुना है, वह उसी का साक्ष्य देता है; किन्तु कोई भी उसका साक्ष्य स्वीकार नहीं करता। जो उसका साक्ष्य स्वीकार करता है, वह ईश्वर की सत्यता प्रमाणित करता है। जिसे ईश्वर ने भेजा है, वह ईश्वर के ही शब्द बोलता है, क्योंकि ईश्वर उसे प्रचुर मात्रा में पवित्र आत्मा प्रदान करता है। पिता पुत्र को प्यार करता है और उसी के हाथ उसने सब कुछ दे दिया है। जो पुत्र में विश्वास करता है, उसे अनन्त जीवन प्राप्त है। परन्तु जो पुत्र में विश्वास करने से इनकार करता है, उसे जीवन प्राप्त नहीं होगा। ईश्वर का क्रोध उस पर बना रहेगा।
प्रभु का सुसमाचार।