पास्का का दूसरा सप्ताह – बुधवार

पहला पाठ

प्रेरित-चरित 5:17-26

"आप लोगों ने जिन व्यक्तियों को बन्दीगृह में डाल दिया था, वे मंदिर में जनता को शिक्षा दे रहे हैं।"

प्रधानयाजक और उसके सब संगी-साथी, अर्थात् सदूकी सम्प्रदाय के सदस्य, ईर्ष्या से जलने लगे। उन्होंने प्रेरितों को गिरफ्तार कर सरकारी बन्दीगृह में डाल दिया। परन्तु ईश्वर के दूत ने रात को बन्दीगृह के द्वार खोल दिये और प्रेरितों को बाहर ले जा कर यह कहा, "जाइए और निडर हो कर मंदिर में जनता को इस नवजीवन की पूरी-पूरी शिक्षा सुनाइए।" उन्होंने यह बात मान ली और भोर होते ही वे मंदिर जा कर शिक्षा देने लगे। जब प्रधानयाजक और उसके संगी-साथी आये, तो उन्होंने महासभा अर्थात् इस्राएली नेताओं की सर्वोच्च परिषद् बुलायी और प्रेरितों को ले आने के लिए प्यादों को बन्दीगृह भेजा। जब प्यादे वहाँ पहुँचे, तो उन्होंने प्रेरितों को बन्दीगृह में नहीं पाया। उन्होंने लौट कर यह समाचार दिया, "हमने देखा कि बन्दीगृह बड़ी सावधानी से बन्द किया हुआ है और पहरेदार फाटकों पर तैनात हैं, किन्तु खोलने पर हमें भीतर कोई भी नहीं मिला।" यह सुन कर मंदिर-आरक्षी के नायक और महायाजक यह नहीं समझ पा रहे थे कि प्रेरितों का क्या हुआ है। इतने में किसी ने आ कर उन्हें यह समाचार दिया, “देखिए, आप लोगों ने जिन व्यक्तियों को बन्दीगृह में डाल दिया था, वे मंदिर में जनता को शिक्षा दे रहे हैं।" इस पर मंदिर का नायक अपने प्यादों के साथ जा कर प्रेरितों को ले आया। वे प्रेरितों को बलपूर्वक नहीं ले आये, क्योंकि वे लोगों से डरते थे कि कहीं हम पर पथराव न करें।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 33:2-9

अनुवाक्य : दीन-हीन ने दुहाई दी और प्रभु ने उसकी सुनी। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. मैं सदा ही प्रभु को धन्य कहूँगा, मेरा कंठ निरन्तर उसकी स्तुति करता रहेगा। मेरी आत्मा प्रभु पर गौरव करेगी। विनम्र, सुन कर, आनन्दित हो उठेंगे।

2. मेरे साथ प्रभु की महिमा का गीत गाओ, हम मिल कर उसके नाम की स्तुति करें। मैंने प्रभु को पुकारा। उसने मेरी सुनी। और मुझे हर प्रकार के भय से मुक्त कर दिया।

3. जो प्रभु की ओर दृष्टि लगाता है, वह आनन्दित होगा उसे कभी लज्जित नहीं होना पड़ेगा। दीन-हीन ने प्रभु की दुहाई दी। प्रभु ने उसकी सुनी और उसे हर प्रकार की विपत्ति से बचा लिया।

4. प्रभु का दूत उसके भक्तों के पास डेरा डाल कर उनकी रक्षा करता है। परख कर देखो कि प्रभु कितना भला है। धन्य है वह, जो उसकी शरण में जाता है।

सुसमाचार

जयघोष

अल्लेलूया! ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो कोई उस में विश्वास करे, वह अनन्त जीवन प्राप्त करे। अल्लेलूया!

सन्त योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 3:16-21

"ईश्वर ने अपने पुत्र को इसलिए भेजा है कि संसार उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करे।"

"ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो कोई उस में विश्वास करे, उसका सर्वनाश न हो, बल्कि वह अनन्त जीवन प्राप्त करे। ईश्वर ने अपने पुत्र को संसार में इसलिए नहीं भेजा है कि वह संसार को दोषी ठहराये। उसने उसे इसलिए भेजा है कि संसार उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करे। "जो पुत्र में विश्वास करता है, वह दोषी नहीं ठहराया जाता है। जो विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहराया जा चुका है, क्योंकि वह ईश्वर के एकलौते पुत्र के नाम में विश्वास नहीं करता। दण्डाज्ञा का कारण यह है कि ज्योति संसार में आयी है और मनुष्यों ने ज्योति की अपेक्षा अंधकार को अधिक पसंद किया, क्योंकि उनके कर्म बुरे थे। जो बुराई करता है, वह ज्योति से बैर रखता है और ज्योति के पास इसलिए नहीं आता कि कहीं उसके कर्म प्रकट न हो जायें। किन्तु जो सत्य पर चलता है, वह ज्योति के पास आता है जिससे यह प्रकट हो कि उसके कर्म ईश्वर की प्रेरणा से हुए हैं।"

प्रभु का सुसमाचार।