पास्का का दूसरा सप्ताह, इतवार - वर्ष C

पहला पाठ

शरीर की बीमारी के मुकाबले में आत्मा की बीमारी कहीं और खतरनाक हैं। येसु शरीर की बीमारों को इसलिए अच्छा कर देते थे कि लोग उन में विश्वास करें और इस प्रकार आत्मा की बीमारियों से मुक्त हो जायें। उन्होंने लोगों की बीमारियों को अच्छा करने की शक्ति को अपने शिष्यों को भी प्रदान किया है।

प्रेरित-चरित 5:12-16

“विश्वासी पुरुषों तथा स्त्रियों की संख्या बढ़ती जा रही थी।"

येरुसालेम में प्रेरितों द्वारा जनता के बीच बहुत-से चिह्न तथा चमत्कार हो रहे थे। सब विश्वासी एकहृदय हो कर सुलेमान के मंडप में एकत्र हो जाया करते थे। दूसरे लोगों में से किसी को उन में सम्मिलित होने का साहस नहीं होता था हालाँकि जनता उनकी बड़ी प्रशंसा करती थी। विश्वास करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही थी; पुरुषों तथा स्त्रियों का एक बड़ा समुदाय प्रभु की कलीसिया का सदस्य बन गया। प्रेरित जनता के बीच इतने चिह्न और चमत्कार दिखा रहे थे कि लोग रोगियों को सड़कों पर ले जा कर खटोलों तथा चारपाइयों पर लिटा देते थे ताकि जब पेत्रुस उधर गुजरे, तो उसकी छाया उन में से किसी पर पड़ जाये। येरुसालेम के आसपास के नगरों से भी लोग बड़ी संख्या में एकत्र हो जाया करते थे। वे अपने साथ रोगियों तथा अशुद्ध आत्माओं से पीड़ित व्यक्तियों को ले आते थे और ये सब चंगे कर दिये जाते थे।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 117:2,4,22,27

अनुवाक्य : प्रभु का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है। (अथवा अल्लेलूया।)

1. इस्राएल का घराना यह कहता जाये, "उसका प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है!" हारून का घराना यह कहता जाये, "उसका प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है!" प्रभु पर श्रद्धा रखने वाले यह कहते जायें, "उसका प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है!"

2. कारीगरों ने जिस पत्थर को निकाल दिया था, वहीं कोने का पत्थर बन गया। यह प्रभु का कार्य है, यह हमारी दृष्टि में अपूर्व है, वह ईश्वर का ठहराया हुआ दिन है, हम आज प्रफुल्लित हो कर आनन्द मनायें।

3. हे प्रभु! हमारा उद्धार कर। हे प्रभु! हमें सुख-शांति प्रदान कर। धन्य हैं वह, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। हम प्रभु के मंदिर से तुम्हें आशीर्वाद देते हैं। प्रभु-ईश्वर हमारी ज्योति है।

दूसरा पाठ

योहन ईश्वर के सुसमाचार के कारण पतमस नामक टापू में निर्वासित किये गये हैं। वह अपने मसीही भाइयों का साहस बँधाते हैं। येसु जीवन का स्रोत हैं और जो उन में विश्वास करते हैं, वे इस विश्वास के कारण धैर्य के साथ इस जीवन का दुःख सहते हैं।

प्रकाशना-ग्रंथ 1:9-13,17-19

"मैं मर गया था और देखो, मैं अनन्तकाल तक जीवित रहूँगा।"

मैं योहन हूँ, येसु में आप लोगों का भाई और संकट, सत्य तथा धीरज में आपका सहभागी। ईश्वर के सुसमाचार का प्रचार करने तथा येसु के विषय में साक्ष्य देने के कारण, मैं पतमस नामक टापू में पड़ा रहता था। मैं प्रभु के दिन आत्मा से आविष्ट हो गया और मैंने अपने पीछे तुरही जैसी वाणी को उच्च स्वर से यह कहते सुना, "जो कुछ तुम देख रहे हो, उसे पुस्तक में लिखो"। कौन मुझ से बोल रहा है उसे देखने के लिए मैं मुड़ गया और मुड़ कर मैंने सोने के सात दीपाधार देखे, और उनके बीच में मानव पुत्र जैसे एक व्यक्ति को। वह पैरों तक लम्बा वस्त्र पहने था, जो सोने के कमरबन्द से बँधा था। मैं उसे देखते ही मृतक की तरह उसके चरणों पर गिर पड़ा। उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रख कर कहा, "मत डरो। प्रथम और अंतिम मैं हूँ। जीवन का स्रोत मैं हूँ। मैं मर गया था और देखो, मैं अनन्तकाल तक जीवित रहूँगा। मृत्यु और अधोलोक की कुंजियाँ मेरे पास हैं। इसलिए तुमने जो कुछ देखा - जो अभी है और जो बाद में होने वाला है - वह सब लिखो।"

प्रभु की वाणी।

जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया! येसु ने कहा, "क्या तुम इसलिए विश्वास करते हो कि तुमने मुझे देखा है? धन्य हैं वे जो बिना देखे ही विश्वास करते हैं!" अल्लेलूया!

सुसमाचार (वर्ष A, B & C)

हम उन लोगों में से हैं जिन्हें सुसमाचार धन्य कहता है जो बिना देखे ही विश्वास करते हैं। हमने येसु को कभी देखा नहीं, सुना नहीं। तभी हम विश्वास करते हैं। हमें हर मनुष्य में येसु को देखने की कोशिश करनी चाहिए।

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 20:19-31

"आठ दिन बाद येसु आये।"

उसी दिन, अर्थात् सप्ताह के प्रथम दिन, सन्ध्या समय, जब शिष्य यहूदियों के भय से द्वार बन्द किये एकत्र थे, येसु उनके बीच में आ खड़े हो गये। उन्होंने शिष्यों से कहा, "तुम्हें शांति मिले!" और इसके बाद उन्हें अपने हाथ और अपनी बगल दिखायी। प्रभु को देख कर शिष्य आनन्दित हो उठे। येसु ने उन से फिर कहा, "तुम्हें शांति मिले! जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता हूँ।" यह कहने के बाद येसु ने उन पर फूंक कर कहा, "पवित्र आत्मा को ग्रहण करो। तुम जिन लोगों के पाप क्षमा करोगे, वे अपने पापों से मुक्त हो जायेंगे और जिन लोगों के पाप नहीं क्षमा करोगे, वे अपने पापों से बँधे रहेंगे"। येसु के आने के समय बारहों में से एक, थोमस जो यमल कहलाता था, उनके साथ नहीं था। दूसरे शिष्यों ने उनसे कहा, "हमने प्रभु को देखा है"। उसने उत्तर दिया, "जब तक मैं उसके हाथों में कीलों का निशान न देखूँ, कीलों की जगह पर अपनी उँगली न रख दूँ और उनकी बगल में अपना हाथ न डाल दूँ, मैं तब तक विश्वास नहीं करूँगा"। आठ दिन बाद उनके शिष्य फिर घर के भीतर थे और थोमस उनके साथ था। द्वार बन्द होने पर भी येसु उनके बीच आ खड़े हो गये और बोले, "तुम्हें शांति मिले!" तब उन्होंने थोमस से कहा, "अपनी उँगली यहाँ रख दो; देखो, ये मेरे हाथ हैं। अपना हाथ बढ़ा कर मेरी बगल में डालो; और अविश्वासी नहीं, बल्कि विश्वासी बनो।" थोमस ने उत्तर दिया, "मेरे प्रभु! मेरे ईश्वर!" येसु ने उस से कहा, "क्या तुम इसलिए विश्वास करते हो कि तुमने मुझे देखा है? धन्य हैं वे, जो बिना देखे ही विश्वास करते हैं!" येसु ने अपने शिष्यों के सामने और बहुत-से चमत्कार दिखाये, जिनका विवरण इस पुस्तक में नहीं दिया गया है। इनका ही विवरण दिया गया है, जिससे तुम विश्वास करो कि येसु ही मसीह, ईश्वर के पुत्र हैं, और विश्वास करते हुए उनके नाम द्वारा जीवन प्राप्त करो।

प्रभु का सुसमाचार।