पास्का का दूसरा सप्ताह, इतवार - वर्ष B

पहला पाठ

आरंभिक मसीही समुदाय जनता में लोकप्रिय था, क्योंकि वह एक दूसरे की सहायता करता था। सच्चा भ्रातृप्रेम आपस में सम्पत्ति बाँटने के लिए प्रेरित करता है।

प्रेरित-चरित 4:32-35

"एकहृदय और एकप्राण।"

विश्वासियों का समुदाय एकहृदय और एकप्राण था। कोई भी अपनी सम्पत्ति अपनी ही नहीं समझता था। जो कुछ उनके पास था, उस में सबों का साझा था। प्रेरित बड़े सामर्थ्य से प्रभु येसु के पुनरुत्थान का साक्ष्य देते रहते थे। जनता उन सबों को बहुत मानती थी। उनमें कोई कंगाल नहीं था, क्योंकि जिनके पास खेत या मकान थे, वे उन्हें बेच देते थे और कीमत ला कर प्रेरितों के चरणों में अर्पित करते थे। प्रत्येक को उसकी आवश्यकता के अनुसार बाँटा जाता था।

भजन : 117:2-4,16-18,22-24

अनुवाक्य : प्रभु का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है। उसका प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है। (अथवा : अल्लेलूया।)

1. इस्राएल का घराना यह कहता जाए उसका प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है। हारून का घराना कहता जाए - उसका प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है। प्रभु पर श्रद्धा रखने वाले यह कहते जाएँ- उसका प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है।

2. प्रभु के दाहिने हाथ ने अपना बल दिखाया है, उसके दाहिने हाथ ने मेरा उद्धार किया है। मैं नहीं मरूँगा, मैं जीवित रहूँगा और प्रभु के कार्यों का बखान करूँगा। उसने मुझे बार-बार दण्ड दिया है, किन्तु उसने मुझे सर्वनाश से बचा लिया है।

3. कारीगरों ने जिस पत्थर को निकाल दिया था, वही कोने का पत्थर बन गया है। यह प्रभु का कार्य है, यह हमारी दृष्टि में अपूर्व है। वह प्रभु का ठहराया हुआ दिन है, हम आज प्रफुल्लित हो कर आनन्द मनाएँ।

दूसरा पाठ

हमारा विश्वास भ्रातृप्रेम का स्रोत है। ईश्वर जब मनुष्यों को अपनी सन्तान समझ कर प्यार करता है। जो इस बात पर विश्वास करता है, वह दूसरों को अवश्य ही प्यार करेगा और उनके हित में त्याग करने के लिए तैयार हो जाएगा।

सन्त योहन का पहला पत्र 5:1-6

"ईश्वर की हर सन्तान संसार पर विजयी हो जाती है।"

जो यह विश्वास करता है कि येसु ही मसीह हैं, वह ईश्वर की सन्तान है और जो जन्मदाता को प्यार करता है, वह उसकी सन्तान को भी प्यार करता है। इसलिए यदि हम ईश्वर को प्यार करते हैं, और उसकी आज्ञाओं पालन करते हैं, तो हमें ईश्वर की सन्तान को भी प्यार करना चाहिए। ईश्वर की आज्ञाओं का पालन करना वही ईश्वर का प्रेम है। उसकी आज्ञाएँ भारी नहीं हैं, क्योंकि ईश्वर की हर सन्तान संसार पर विजयी हो जाती है। वह विजय, जो संसार को परास्त कर देती है, हमारा विश्वास ही है। कौन संसार पर विजयी है? केवल वही जो यह विश्वास करता है कि येसु ईश्वर के पुत्र हैं। येसु मसीह जल और रक्त से आए हैं न केवल जल से, बल्कि जल और रक्त से। आत्मा इसके विषय में साक्ष्य देता है, क्योंकि आत्मा सच्चाई है।

प्रभु की वाणी

जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया! प्रभु ने कहा, "थोमस, क्या तुम इसलिए विश्वास करते हो कि तुमने मुझे देखा है? धन्य हैं वे, जो बिना देखे ही विश्वास करते हैं!" अल्लेलूया!

सुसमाचार (वर्ष A, B & C)

हम उन लोगों में से हैं जिन्हें सुसमाचार धन्य कहता है जो बिना देखे ही विश्वास करते हैं। हमने येसु को कभी देखा नहीं, सुना नहीं। तभी हम विश्वास करते हैं। हमें हर मनुष्य में येसु को देखने की कोशिश करनी चाहिए।

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 20:19-31

"आठ दिन बाद येसु आये।"

उसी दिन, अर्थात् सप्ताह के प्रथम दिन, सन्ध्या समय, जब शिष्य यहूदियों के भय से द्वार बन्द किये एकत्र थे, येसु उनके बीच में आ खड़े हो गये। उन्होंने शिष्यों से कहा, "तुम्हें शांति मिले!" और इसके बाद उन्हें अपने हाथ और अपनी बगल दिखायी। प्रभु को देख कर शिष्य आनन्दित हो उठे। येसु ने उन से फिर कहा, "तुम्हें शांति मिले! जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता हूँ।" यह कहने के बाद येसु ने उन पर फूंक कर कहा, "पवित्र आत्मा को ग्रहण करो। तुम जिन लोगों के पाप क्षमा करोगे, वे अपने पापों से मुक्त हो जायेंगे और जिन लोगों के पाप नहीं क्षमा करोगे, वे अपने पापों से बँधे रहेंगे"। येसु के आने के समय बारहों में से एक, थोमस जो यमल कहलाता था, उनके साथ नहीं था। दूसरे शिष्यों ने उनसे कहा, "हमने प्रभु को देखा है"। उसने उत्तर दिया, "जब तक मैं उसके हाथों में कीलों का निशान न देखूँ, कीलों की जगह पर अपनी उँगली न रख दूँ और उनकी बगल में अपना हाथ न डाल दूँ, मैं तब तक विश्वास नहीं करूँगा"। आठ दिन बाद उनके शिष्य फिर घर के भीतर थे और थोमस उनके साथ था। द्वार बन्द होने पर भी येसु उनके बीच आ खड़े हो गये और बोले, "तुम्हें शांति मिले!" तब उन्होंने थोमस से कहा, "अपनी उँगली यहाँ रख दो; देखो, ये मेरे हाथ हैं। अपना हाथ बढ़ा कर मेरी बगल में डालो; और अविश्वासी नहीं, बल्कि विश्वासी बनो।" थोमस ने उत्तर दिया, "मेरे प्रभु! मेरे ईश्वर!" येसु ने उस से कहा, "क्या तुम इसलिए विश्वास करते हो कि तुमने मुझे देखा है? धन्य हैं वे, जो बिना देखे ही विश्वास करते हैं!" येसु ने अपने शिष्यों के सामने और बहुत-से चमत्कार दिखाये, जिनका विवरण इस पुस्तक में नहीं दिया गया है। इनका ही विवरण दिया गया है, जिससे तुम विश्वास करो कि येसु ही मसीह, ईश्वर के पुत्र हैं, और विश्वास करते हुए उनके नाम द्वारा जीवन प्राप्त करो।

प्रभु का सुसमाचार।