पास्का का दूसरा सप्ताह, इतवार - वर्ष A

पहला पाठ

मसीही समुदाय की संख्या बढ़ती जा रही थी। सब शिष्य मिल कर प्रार्थना करते थे, प्रसाद-वितरण में सम्मिलित होते थे और प्रेरितों की शिक्षा ध्यान से सुना करते थे। येसु का मनोभाव उन में विद्यमान था यह विशेष रूप से उनके सक्रिय भ्रातृ-प्रेम से स्पष्ट था।

प्रेरित-चरित 2:42-47

“विश्वासियों के पास जो कुछ था, उस में सबों का साझा था।"

नये विश्वासी दत्तचित्त हो कर प्रेरितों की शिक्षा सुना करते थे, भ्रातृत्व के निर्वाह में ईमानदार थे और प्रसाद-वितरण तथा सामूहिक प्रार्थनाओं में नियमित रूप से सम्मिलित हो जाया करते थे। सबों पर विस्मय छाया रहता था, क्योंकि प्रेरित बहुत-से चमत्कार एवं चिह्न दिखाते थे। सब विश्वासी एकहृदय थे, उनके पास जो कुछ था, उन में सबों का साझा था। वे अपनी चल-अचल सम्पत्ति बेचते थे और उसकी कीमत हर एक की जरूरत के अनुसार सबों में बाँटते थे। वे सब मिलकर प्रतिदिन मंदिर जाया करते थे और निजी घरों में प्रसाद वितरण में सम्मिलित हो कर निष्कपट हृदय से आनन्दपूर्वक एक साथ भोजन करते थे। वे ईश्वर की स्तुति किया करते थे और सारी जनता उन्हें बहुत मानती थी। प्रभु प्रतिदिन उनके समुदाय में ऐसे लोगों को मिला देता था, जो मुक्ति प्राप्त करने वाले थे।

भजन स्तोत्र 117:2-4,13-15,22-24

अनुवाक्य : प्रभु का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है उसका प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है। (अथवा : अल्लेलूया।)

1. इस्राएल का घराना यह कहता जाये, "उसका प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है"। हारून का घराना यह कहता जाये, "उसका प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है"। प्रभु पर श्रद्धा रखने वाले यह कहते जायें, "उसका प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है"।

2. वे मुझे धक्का दे कर गिराने चाहते थे, किन्तु प्रभु ने मेरी सहायता की। प्रभु ही मेरा बल है और मेरे गीत का विषय उसी ने मेरा उद्धार किया है। धर्मियों के शिविर में आनन्द और विजय के गीत गाये जाते हैं।

3. कारीगरों ने जिस पत्थर को निकाल दिया था, वही कोने का पत्थर बन गया। यह प्रभु का कार्य है, यह हमारी दृष्टि में अपूर्व है। यह प्रभु का ठहराया हुआ दिन है, हम आज प्रफुल्लित हो कर आनन्द मनायें।

दूसरा पाठ

सन्त पेत्रुस यह देखकर ईश्वर को धन्यवाद देते हैं कि येसु के गैर-यहूदी शिष्य विश्वास में दृढ़ बने रहते हैं। वह उन्हें आश्वासन देते हैं कि हालांकि अब थोड़े समय के लिए उन्हें कष्ट सहना पड़ रहा है, किन्तु वे किसी दिन येसु की महिमा के भागी होंगे। कलीसिया चाहती है कि हम भी अपने विश्वास में दृढ़ बने रहें।

सन्त पेत्रुस का पहला पत्र 1:3-9

"ईश्वर ने हमारे प्रभु येसु मसीह द्वारा अपनी महती दया से हमें एक नया जीवन प्रदान किया है।"

धन्य है ईश्वर, हमारे प्रभु येसु मसीह का पिता! मृतकों में से मसीह के पुनरुत्थान द्वारा उसने अपनी महती दया से हमें जीवन्त आशा से परिपूर्ण नवजीवन प्रदान किया। जो विरासत आप लोगों के लिए स्वर्ग में रखी हुई है, वह अक्षय, अदूषित तथा अविनाशी है। आपके विश्वास के कारण ईश्वर का सामर्थ्य आपको उस मुक्ति के लिए सुरक्षित रखता है जो अभी से प्रस्तुत है और समय के अंत में प्रकट होने वाली है। यह आप लोगों के लिए बड़े आनन्द का विषय है। हालाँकि अब, थोड़े समय के लिए, आप को अनेक प्रकार के कष्ट सहने पड़ते हैं। यह इसलिए होता है कि आपका विश्वास परीक्षा में खरा निकले - सोना भी तो आग में तपाया जाता है और आपका विश्वास नश्वर सोने से कहीं अधिक मूल्यवान है। इस प्रकार येसु के प्रकट होने के दिन, आप लोगों को प्रशंसा, सम्मान तथा महिमा प्राप्त होगी। आपने उन्हें कभी देखा नहीं, फिर भी आप उन्हें प्यार करते हैं और उन्हें देखे बिना आप अब उन में विश्वास करते हैं। जब आप लोग अपने विश्वास का प्रतिपल अर्थात् अपनी आत्मा की मुक्ति प्राप्त करेंगे, तो एक अकथनीय तथा दिव्य उल्लास से आनन्दित हो उठेंगे।

प्रभु की वाणी।

जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया! येसु ने कहा, "क्या तुम इसलिए विश्वास करते हो कि तुमने मुझे देखा है? धन्य हैं वे जो बिना देखे ही विश्वास करते हैं!" अल्लेलूया!

सुसमाचार (वर्ष A, B & C)

हम उन लोगों में से हैं जिन्हें सुसमाचार धन्य कहता है जो बिना देखे ही विश्वास करते हैं। हमने येसु को कभी देखा नहीं, सुना नहीं। तभी हम विश्वास करते हैं। हमें हर मनुष्य में येसु को देखने की कोशिश करनी चाहिए।

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 20:19-31

"आठ दिन बाद येसु आये।"

उसी दिन, अर्थात् सप्ताह के प्रथम दिन, सन्ध्या समय, जब शिष्य यहूदियों के भय से द्वार बन्द किये एकत्र थे, येसु उनके बीच में आ खड़े हो गये। उन्होंने शिष्यों से कहा, "तुम्हें शांति मिले!" और इसके बाद उन्हें अपने हाथ और अपनी बगल दिखायी। प्रभु को देख कर शिष्य आनन्दित हो उठे। येसु ने उन से फिर कहा, "तुम्हें शांति मिले! जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता हूँ।" यह कहने के बाद येसु ने उन पर फूंक कर कहा, "पवित्र आत्मा को ग्रहण करो। तुम जिन लोगों के पाप क्षमा करोगे, वे अपने पापों से मुक्त हो जायेंगे और जिन लोगों के पाप नहीं क्षमा करोगे, वे अपने पापों से बँधे रहेंगे"। येसु के आने के समय बारहों में से एक, थोमस जो यमल कहलाता था, उनके साथ नहीं था। दूसरे शिष्यों ने उनसे कहा, "हमने प्रभु को देखा है"। उसने उत्तर दिया, "जब तक मैं उसके हाथों में कीलों का निशान न देखूँ, कीलों की जगह पर अपनी उँगली न रख दूँ और उनकी बगल में अपना हाथ न डाल दूँ, मैं तब तक विश्वास नहीं करूँगा"। आठ दिन बाद उनके शिष्य फिर घर के भीतर थे और थोमस उनके साथ था। द्वार बन्द होने पर भी येसु उनके बीच आ खड़े हो गये और बोले, "तुम्हें शांति मिले!" तब उन्होंने थोमस से कहा, "अपनी उँगली यहाँ रख दो; देखो, ये मेरे हाथ हैं। अपना हाथ बढ़ा कर मेरी बगल में डालो; और अविश्वासी नहीं, बल्कि विश्वासी बनो।" थोमस ने उत्तर दिया, "मेरे प्रभु! मेरे ईश्वर!" येसु ने उस से कहा, "क्या तुम इसलिए विश्वास करते हो कि तुमने मुझे देखा है? धन्य हैं वे, जो बिना देखे ही विश्वास करते हैं!" येसु ने अपने शिष्यों के सामने और बहुत-से चमत्कार दिखाये, जिनका विवरण इस पुस्तक में नहीं दिया गया है। इनका ही विवरण दिया गया है, जिससे तुम विश्वास करो कि येसु ही मसीह, ईश्वर के पुत्र हैं, और विश्वास करते हुए उनके नाम द्वारा जीवन प्राप्त करो।

प्रभु का सुसमाचार।