पास्का अठवारे का बुधवार

पहला पाठ

प्रेरित-चरित 3:1-10

"मेरे पास जो है, वह तुम्हें देता हूँ।"

पेत्रुस और योहन तीसरे पहर प्रार्थना के लिए मंदिर जा रहे थे। लोग एक मनुष्य को ले जा रहे थे, जो जन्म से लँगड़ा था। वे उसे प्रतिदिन ला कर मंदिर के 'सुन्दर' नामक फाटक के पास रखा करते थे, जिससे वह मंदिर के अन्दर जाने वालों से भीख माँग सके। जब उसने पेत्रुस और योहन को मंदिर में प्रवेश करते देखा, तो उन से भीख माँगी। पेत्रुस और योहन ने उसे धयान से देखा। पेत्रुस ने कहा, "हमारी ओर देखो" और वह कुछ पाने की आशा से उनकी ओर देखने लगा, किन्तु पेत्रुस ने कहा, “मेरे पास न तो चाँदी है और न सोना, बल्कि मेरे पास जो है, वह तुम्हें देता हूँ: येसु मसीह नाजरी के नाम पर चलो।" और उसने उसका दाहिना हाथ पकड़ कर उसे उठाया। उसी क्षण लँगड़े के पैरों और टखनों में बल आ गया। वह उछल कर खड़ा हो गया और चलने-फिरने लगा। वह चलते, उछलते तथा ईश्वर की स्तुति करते हुए उनके साथ मंदिर आया। सारी जनता ने उसको चलते-फिरते तथा ईश्वर की स्तुति करते हुए देखा। लोग उसे पहचानते थे- यह वही था, जो मंदिर के 'सुन्दर' फाटक के पास बैठ कर भीख माँगा करता था। और यह देख कर कि उसे क्या हुआ है, वे अचम्भे में पड़ कर चकित रह गये।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 104:1-4,6-9

अनुवाक्य : प्रभु को खोजने वालों का हृदय आनन्दित हो। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. प्रभु को धन्यवाद दो, उसका नाम धन्य कहो, राष्ट्रों में उसके महान् कार्यों का बखान करो। उसके आदर में गीत गाओ, उसकी स्तुति करो, उसके अपूर्व कार्यों का बखान करो।

2. उसके पवित्र नाम पर गौरव करो। प्रभु को खोजने वालों का हृदय आनन्दित हो। प्रभु और उसके सामर्थ्य का मनन करो, उसके दर्शनों के लिए तरसते रहो।

3. हे प्रभु-भक्त इब्राहीम की सन्तति! हे प्रभु के कृपापात्र याकूब के पुत्रो! प्रभु ही हमारा ईश्वर है, उसके निर्णय समस्त पृथ्वी पर लागू हैं।

4. वह सदा अपना विधान याद करता है, हजारों पीढ़ियों के लिए अपनी प्रतिज्ञाएँ, इब्राहीम के लिए ठहराया हुआ विधान, इसहाक के सामने खायी हुई शपथ।

जयघोष

अल्लेलूया! यह प्रभु का ठहराया हुआ दिन है। हम आज प्रफुल्लित हो कर आनन्द मनायें। अल्लेलूया!

सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 24:13-35

"उन्होंने प्रभु को रोटी तोड़ते समय पहचान लिया।"

उसी दिन दो शिष्य इन सब घटनाओं पर बातें करते हुए एम्माउस नामक गाँव जा रहे थे। वह येरुसालेम से कोई चार कोस दूर है। वे आपस में बातचीत और विचार-विमर्श कर ही रहे थे कि येसु स्वयं आ कर उनके साथ हो लिये, परन्तु शिष्यों की आँखें उन्हें पहचानने में असमर्थ रहीं। येसु ने उन से कहा, "आप लोग राह चलते किस विषय पर बातचीत कर रहे हैं?" वे रुक गये। उनके मुख मलिन थे। उन में से एक क्लेओफस ने उत्तर दिया, "येरुसालेम में रहने वालों में से आप ही एक ऐसे हैं जो यह नहीं जानते कि इन दिनों वहाँ क्या-क्या हुआ है।" येसु ने उन से कहा, "क्या हुआ है?" उन्होंने उत्तर दिया, "बात येसु नाजरी की है। वह ईश्वर और समस्त जनता की दृष्टि में कर्म और वचन के शक्तिशाली नबी थे। हमारे महायाजकों और शासकों ने उन्हें प्राणदण्ड दिलाया और क्रूस पर चढ़वाया। हम तो आशा करते थे कि वही इस्स्राएल का उद्धार करने वाले थे। यह आज से तीन दिन पहले की बात है। यह सच है कि हम में से कुछ स्त्रियों ने हमें बड़े अचंभे में डाल दिया है। वे बड़े सबेरे कब्र के पास गयीं और उन्हें येसु का शव नहीं मिला। उन्होंने लौट कर कहा कि उन्हें स्वर्गदूत दिखाई दिये, जिन्होंने यह बताया कि येसु जीवित हैं। इस पर हमारे कुछ साथी कब्र के पास गये और उन्होंने सब कुछ वैसा ही पाया, जैसा स्त्रियों ने कहा था; परन्तु उन्होंने येसु को नहीं देखा।" तब येसु ने उन से कहा, "रे निर्बुद्धियो! नबियों ने जो कुछ कहा है, उस पर विश्वास करने में तुम कितने मंदमति हो! क्या यह आवश्यक नहीं था कि मसीह वह सब सह लें और इस प्रकार अपनी महिमा में प्रवेश करें?" तब, मूसा से ले कर अन्य सब नबियों का हवाला देते हुए, जो कुछ धर्मग्रंथ में अपने विषय में लिखा है, वह सब येसु ने उन्हें समझाया। इतने में वे उस गाँव के पास पहुँच गये, जहाँ वे जा रहे थे। लग रहा था, जैसे येसु आगे बढ़ना चाहते हैं। शिष्य ने यह कह कर उन से आग्रह किया, "हमारे साथ रह जाइए। साँझ हो रही है और अब दिन ढल चुका है" और वह उनके साथ रहने के लिए भीतर गये। येसु ने उनके साथ भोजन पर बैठ कर रोटी ली, आशिष की प्रार्थना पढ़ी और उसे तोड़ कर उन्हें दे दिया। इस पर शिष्यों की आँखें खुल गयीं और उन्होंने येसु को पहचान लिया... किन्तु येसु उनकी दृष्टि से ओझल हो गये। तब शिष्यों ने एक दूसरे से यह कहा, "हमारा हृदय कितना उद्दीप्त हो रहा था, जब वह रास्ते में हम से बातें कर रहे थे और हमारे लिए धर्मग्रन्थ की व्याख्या कर रहे थे!" वे उसी घड़ी उठ कर येरुसालेम लौट गये। वहाँ उन्होंने ग्यारहों और उनके साथियों को एकत्र पाया, जो यह कह रहे थे, "प्रभु सचमुच जी उठे हैं और सिमोन को दिखाई दिये हैं।" तब उन्होंने भी बताया कि रास्ते में क्या-क्या हुआ और कैसे उन्होंने येसु को रोटी तोड़ते समय पहचान लिया था।

प्रभु का सुसमाचार।