प्रारंभ में ईश्वर ने स्वर्ग और पृथ्वी की सृष्टि की।
[ पृथ्वी उजाड़ और सुनसान थी। अथाह गर्त्त पर अंधकार छाया हुआ था और ईश्वर का आत्मा सागर पर विचरता था। ईश्वर ने कहा, "प्रकाश हो जाये" और प्रकाश हो गया। ईश्वर को प्रकाश अच्छा लगा और उसने प्रकाश और अंधकार को अलग कर दिया। ईश्वर ने प्रकाश का नाम 'दिन' रखा और अंधकार का नाम 'रात'। संध्या हुई, और फिर भोर हुआ यह पहला दिन था। ईश्वर ने कहा, "पानी के बीच एक छत बन जाये, जो पानी को पानी से अलग कर दे", और ऐसा ही हुआ। ईश्वर ने एक छत बनायी। और नीचे का पानी और ऊपर का पानी अलग कर दिया। ईश्वर ने छत का नाम 'आकाश' रखा। संध्या हुई और फिर भोर हुआ यह दूसरा दिन था। ईश्वर ने कहा, "आकाश के नीचे का पानी एक ही जगह इकट्ठा हो जाये और थल दिखाई पड़े", और ऐसा ही हुआ। ईश्वर ने थल का नाम 'पृथ्वी' रखा और जल-समूह का नाम 'समुद्र'। और यह ईश्वर को अच्छा लगा। ईश्वर ने कहा, "पृथ्वी पर हरियाली लहलहाये, बीजदार पौधे और फलदार पेड़ उत्पन्न हो जायें, जो अपनी-अपनी जाति के अनुसार बीजदार फल लायें", और ऐसा ही हुआ। पृथ्वी पर हरियाली उगने लगी, अपनी-अपनी जाति के अनुसार बीज पैदा करने वाले पौधे और बीजदार फल देने वाले पेड़। और यह ईश्वर को अच्छा लगा। संध्या हुई और फिर भोर हुआ यह तीसरा दिन था। ईश्वर ने कहा, "दिन और रात को अलग कर देने के लिए आकाश में नक्षत्र हों। उनके सहारे पर्व निर्धारित किये जायें और दिनों तथा वर्षों की गिनती हो। वे पृथ्वी को प्रकाश देने के लिए आकाश में जगमगाते रहें"। और ऐसा ही हुआ। ईश्वर ने दो प्रधान नक्षत्र बनाये, दिन के लिए एक बड़ा और रात के लिए एक छोटा; साथ-साथ तारे भी। ईश्वर ने उनको आकाश में रख दिया जिससे वे पृथ्वी को प्रकाश दें, दिन और रात का नियंत्रण करें और प्रकाश तथा अंधकार को अलग कर दें। और यह ईश्वर को अच्छा लगा। संध्या हुई और फिर भोर हुआ यह चौथा दिन था। ईश्वर ने कहा, "पानी जीव-जन्तुओं से भर जाये और आकाश के नीचे पृथ्वी के पक्षी उड़ने लगें", और ऐसा ही हुआ। ईश्वर ने मकर और नाना प्रकार के जीव-जन्तुओं की सृष्टि की, जो पानी में भरे हुए हैं और उसने नाना प्रकार के पक्षियों की भी सृष्टि की। और यह ईश्वर को अच्छा लगा। ईश्वर ने यह कह कर उन्हें आशीर्वाद दिया, "फलो-फूलो। समुद्र के पानी में भर जाओ और पृथ्वी पर पक्षियों की संख्या बढ़ती जाये"। संध्या हुई और फिर भोर हुआ-यह पाँचवाँ दिन था। ईश्वर ने कहा – “पृथ्वी नाना प्रकार के घरेलू, जमीन पर रेंगने वाले और जंगली जीव-जन्तुओं को पैदा करें" और ऐसा ही हुआ। ईश्वर ने नाना प्रकार के जंगली, घरेलू और जमीन पर रेंगने वाले जीव-जन्तुओं को बनाया। और यह ईश्वर को अच्छा लगा।]
ईश्वर ने कहा, "हम मनुष्य को अपना प्रतिरूप बनायें; वह हमारे सदृश हो। वह समुद्र की मछलियों, आकाश के पक्षियों, घरेलू और जंगली जानवरों और जमीन पर रेंगने वाले सब जीव-जन्तुओं पर शासन करे।" ईश्वर ने मनुष्य को अपना प्रतिरूप बनाया; उसने उसे ईश्वर का प्रतिरूप बनाया; उसने नर और नारी के रूप में उनकी सृष्टि की। ईश्वर ने यह कह कर उन्हें आशीर्वाद दिया, "फलो-फूलो। पृथ्वी पर फैल जाओ और उसे अपने अधीन कर लो। समुद्र की मछलियों, आकाश के पक्षियों और पृथ्वी पर विचरने वाले सब जीव-जन्तुओं पर शासन करो"। ईश्वर ने कहा, "मैं तुमको पृथ्वी भर के बीज पैदा करने वाले सब पौधे, और बीजदार फल देने वाले सब पेड़ दे देता हूँ। यह तुम्हारा भोजन होगा। मैं सब जंगली जानवरों को, आकाश के सब पक्षियों को, पृथ्वी पर विचरने वाले जीव-जन्तुओं को उनके भोजन के लिए पौधों की हरियाली दे देता हूँ"। और ऐसा ही हुआ। ईश्वर ने अपने द्वारा बनाया हुआ सब कुछ देखा और यह उस को अच्छा लगा।
[ संध्या हुई और फिर भोर हुआ यह छठा दिन था। इस प्रकार आकाश तथा पृथ्वी, और जो कुछ इन में है, सब की सृष्टि पूरी हुई सातवें दिन ईश्वर का किया हुआ कार्य समाप्त हुआ। उसने अपना समस्त कार्य समाप्त कर, सातवें दिन विश्राम किया।]
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु! अपना आत्मा भेज कर, पृथ्वी का रूप नया कर देने की कृपा कर।
1. मेरी आत्मा प्रभु का स्तुतिगान करे। हे प्रभु! मेरे ईश्वर! तू कितना महान् है। तू महिमा तथा प्रताप से समन्वित है। तू प्रकाश को चादर की तरह ओढ़े है।
2. तूने पृथ्वी को नींव पर रख दिया है, और वह युगों तक स्थिर रहती है। तूने उसे वस्त्र की तरह महासागर से ढक दिया है। पहाड़ों के ऊपर तक पानी चढ़ा हुआ था।
3. तू घाटियों में से स्रोत फूट निकालता है और वे पहाड़ों के बीच से बहते जाते हैं। आकाश के पक्षी उनके पास बसेरा करते हैं। और डालियों में चहचहाते रहते हैं।
4. तू अपने ऊँचे निवास से पहाड़ों को सींचता और पृथ्वी को जल से तृप्त कर देता है। तू पशुओं के लिए घास उगाता है और मनुष्य के लिए पेड़-पौधे, जिससे वह भूमि से अपनी जीविका चला सके।
5. हे प्रभु! तेरे कार्य असंख्य हैं। तू सब कुछ अच्छा ही करता है। पृथ्वी तेरे वैभव से भरी पूरी रहती है। मेरी आत्मा प्रभु का स्तुतिगान करे।
अनुवाक्य : पृथ्वी प्रभु के प्रेम से भरपूर है।
1. प्रभु का वचन सच्चा है, उसके समस्त कार्य विश्वसनीय हैं। उसे धार्मिकता तथा न्याय प्रिय हैं। पृथ्वी उसके प्रेम से भरपूर है।
2. उसके शब्द मात्र से आकाश बन गया है और उसने श्वास मात्र से समस्त तारागण। वह समुद्र का पानी इकट्ठा करता और महासागर की गहराइयाँ संचित कर लेता है।
3. धन्य हैं वे लोग, जिनका ईश्वर प्रभु है, जिन्हें प्रभु ने अपनी प्रजा बना लिया है। प्रभु आकाश के ऊपर से दृष्टि डालता और सभी मनुष्यों को देखता रहता है।
4. हम प्रभु की राह देखते रहते हैं, वही हमारा सहायक और रक्षक है। हे प्रभु! तुझ पर ही हमारा भरोसा है, तेरा प्रेम हम पर बना रहे।
ईश्वर ने इब्राहीम की परीक्षा ली। उसने उस से कहा, "इब्राहीम! इब्राहीम!" इब्राहीम ने उत्तर दिया, "प्रस्तुत हूँ"। ईश्वर ने कहा, "अपने पुत्र को, अपने एकलौते को, परमप्रिय इसहाक को साथ ले जा कर मोरिया देश जाओ। वहाँ, जिस पहाड़ पर मैं तुम्हें बताऊँगा, उसे बलि चढ़ा देना"। इब्राहीम बड़े सबेरे उठा। उसने अपने गधे पर जीन बाँध कर दो नौकरों और अपने पुत्र इसहाक को बुला भेजा। उसने होम-बलि के लिए लकड़ी तैयार कर ली और उस जगह के लिए प्रस्थान किया, जिसे ईश्वर ने बताया था। तीसरे दिन, इब्राहीम ने आँखें ऊपर उठायीं और उस जगह को दूर से देखा। इब्राहीम ने अपने नौकरों से कहा, "तुम लोग गधे के साथ यहाँ ठहरो। मैं लड़के के साथ वहाँ जाऊँगा। आराधना करने के बाद हम तुम्हारे पास लौट आयेंगे"। इब्राहीम ने होम-बलि की लकड़ी अपने पुत्र इसहाक पर लाद दी। उसने स्वयं आग और छूरा हाथ में ले लिया और दोनों साथ-साथ चल दिये। इसहाक ने अपने पिता इब्राहीम से कहा, "पिता जी!” उसने उत्तर दिया, "बेटा! क्या बात है? " उसने उत्तर दिया, "देखिए, आग और लकड़ी तो हमारे पास है; किन्तु होम का मेमना कहाँ है? " इब्राहीम ने उत्तर दिया, "बेटा! ईश्वर होम के मेमने का प्रबंध कर देगा", और वे दोनों साथ-साथ आगे बढ़े। जब वे उस जगह पहुँचे जिसे ईश्वर ने बताया था, तो इब्राहीम ने वहाँ एक वेदी बना ली और उस पर लकड़ी सजायी। इसके बाद उसने अपने पुत्र इसहाक को बाँधा और उसे वेदी पर, लकड़ी के ऊपर रख दिया। तब इब्राहीम ने अपने पुत्र को बलि चढ़ाने के लिए हाथ बढ़ा कर छूरा उठा लिया। किन्तु प्रभु का दूत स्वर्ग से उसे पुकार कर बोला, "इब्राहीम! इब्राहीम!” उसने उत्तर दिया, "प्रस्तुत हूँ"। दूत ने कहा, "बालक पर हाथ नहीं उठाना; उसे कोई हानि नहीं पहुँचाना। अब मैं जान गया कि तुम ईश्वर पर श्रद्धा रखते हो तुमने मुझे अपने पुत्र, अपने एकलौते पुत्र को भी देने से इनकार नहीं किया"। इब्राहीम ने आँखें ऊपर उठायीं। और सींगों से झाड़ी में फँसे हुए एक मेढ़े को देखा। इब्राहीम ने जा कर मेढ़े को पकड़ लिया और उसे अपने पुत्र के बदले बलि चढ़ा दिया। इब्राहीम ने उस जगह का नाम 'प्रभु का प्रबंध' रखा; इसलिए लोग आजकल कहते हैं, "प्रभु पर्वत पर प्रबंध करता है"। ईश्वर का दूत इब्राहीम को दूसरी बार पुकार कर बोला, "यह प्रभु की वाणी है। मैं शपथ खा कर कहता हूँ - तुमने यह काम कियाः तुमने मुझे अपने पुत्र, अपने एकलौते पुत्र को भी देने से इनकार नहीं किया; इसलिए मैं तुम पर आशिष बरसाता रहूँगा। मैं आकाश के तारों और समुद्र के बालू की तरह तुम्हारे वंशजों को असंख्य बना दूँगा और वे अपने शत्रुओं के नगरों पर अधिकार कर लेंगे। तुमने मेरी आज्ञा का पालन किया है; इसलिए तुम्हारे वंश के द्वारा पृथ्वी के सभी राष्ट्रों का कल्याण होगा"।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु! तुझ पर ही भरोसा है। तू मेरी रक्षा कर।
1. हे प्रभु! तू मेरा सर्वस्व और मेरा भाग्य है। तेरे ही हाथों में मेरा जीवन है। प्रभु सदा मेरी आँखों के सामने रहता है। वह मेरे दाहिने विद्यमान है, इसलिए मैं दृढ़ बना रहता हूँ।
2. मेरा हृदय आनन्दित है, मेरी आत्मा प्रफुल्लित है और मेरा शरीर भी सुरक्षित रहेगा; क्योंकि तू मेरी आत्मा को अधोलोक में नहीं छोड़ेगा, तू अपने भक्त को कब्र में गलने नहीं देगा।
3. तू मुझे जीवन का मार्ग दिखायेगा। तेरे पास रह कर परिपूर्ण आनन्द प्राप्त होता है, तेरे दाहिने सदा के लिए सुख-शांति है।
प्रभु ने मूसा से कहा, "तुम मेरी दुहाई क्यों दे रहे हो? इस्राएलियों को आगे बढ़ने का आदेश दो। तुम अपना डंडा उठा कर अपना हाथ सागर के ऊपर बढ़ाओ। और उसे दो भागों में बाँट दो, जिससे इस्राएली सूखे पाँव समुद्र की तह पर चल सकें। मैं मिस्रियों का हृदय कड़ा बनाऊँगा और वे इस्राएलियों का पीछा करेंगे। तब मैं फिराऊँ, उसकी सेना, उसके रथ और घुड़सवार, सब को हरा कर अपना सामर्थ्य प्रदर्शित करूँगा। और जब मैं फिराऊँ, उसकी सेना, उसके रथ और उसके घुड़सवार, सब को हरा कर अपना सामर्थ्य प्रदर्शित कर चुका होऊँगा, तब मिस्री जान जायेंगे कि मैं प्रभु हूँ"। प्रभु का दूत, जो इस्राएली सेना के आगे-आगे चल रहा था, अपना स्थान बदल कर सेना के पीछे-पीछे चलने लगा। बादल का खंभा जो सामने था लोगों के पीछे आ गया और मिस्रियों तथा इस्त्राएलियों, दोनों सेनाओं के बीच खड़ा रहा। बादल एक तरफ अँधेरा था और दूसरी तरफ रात में प्रकाश दे रहा था। इसलिए उस रात को दोनों सेनाएँ एक दूसरे के पास नहीं आ सकीं। तब मूसा ने सागर के ऊपर हाथ बढ़ाया और प्रभु ने रात भर पूर्व की ओर जोरों की हवा भेज कर सागर को पीछे हटा दिया। सागर दो भागों में बँट कर बीच में सूख गया। इस्राएली सागर के बीच में सूखी भूमि पर आगे बढ़ने लगे; पानी उनके दायें और बायें दीवार बन कर ठहर गया। मिस्री उनका पीछा करते थे। फिराऊँ के सब घोड़े, उसके रथ और उसके घुड़सवार, सागर की तह पर उनके पीछे चलते थे। रात के पिछले पहर, प्रभु ने आग और बादल के खंभे में से मिस्रियों की सेना की ओर देखा और उसे तितर-बितर कर दिया। रथों के पहिये निकल कर अलग हो जाते थे और वे कठिनाई से आगे बढ़ पाते थे। तब मिस्री कहने लगे, "हम इस्राएलियों से भाग जायें, क्योंकि प्रभु उनकी ओर से मिस्रियों के विरुद्ध लड़ता है" उस समय प्रभु ने 'मूसा से कहा, “सांगर के ऊपर अपना हाथ बढ़ाओ, जिससे पानी लौट कर मिस्रियों, उनके रथों और उनके घुड़सवारों पर लहराये"। मूसा ने सागर के ऊपर हाथ बढ़ा दिया और भोर होते ही सागर फिर भर गया। मिस्री भागते हुए पानी में जा घुसे और प्रभु ने उन्हें सागर के बीच में ढकेल दिया। समुद्र की तह पर इस्त्राएलियों का पीछा करने वाली फिराऊँ की सारी सेना के रथ और घुड़सवार लौटने वाले पानी में डूब गये। उन में से एक भी नहीं बच गया। इस्राएली तो समुद्र की सूखी तह पार कर गये, पानी उनके दायें और बायें दीवार बन कर ठहर गया था। उस दिन प्रभु ने इस्राएलियों को मिस्रियों के हाथ से छुड़ा दिया। इस्राएलियों ने समुद्र के किनारे पर पड़े हुए मरे मिस्रियों को देखा। इस्राएली मिस्रियों के विरुद्ध किया हुआ प्रभु का यह महान् कार्य देख कर प्रभु से डरने लगे। उन्होंने प्रभु में और उसके सेवक मूसा में विश्वास किया। तब मूसा और इस्त्राएली प्रभु के आदर में यह भजन गाने लगे।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हम प्रभु का गुणगान करें। उसने अपनी महिमा प्रकट की है।
1. मैं प्रभु का गुणगान करता हूँ। उसने अपनी महिमा प्रकट की है। उसने घोड़े के साथ घुड़सवार को समुद्र में फेंक दिया है। प्रभु मेरा शक्तिशाली रक्षक है। उसने मुझे छुड़ा लिया है। मैं अपने ईश्वर की महिमा गाता हूँ; अपने पिता के ईश्वर का गुणगान करता हूँ। प्रभु महान् योद्धा है। उसका नाम प्रभु ही है। उसने फिराऊँ के रथ और उसकी सेना को सागर में फेंक दिया है। फिराऊँ के चुने हुए वीर योद्धा लाल समुद्र में डूब कर मर गये।
2. समुद्र की लहरें उन्हें ढक लेती हैं; वे पत्थर की तरह जलगर्त्त में डूब गये। हे प्रभु! तेरा दाहिना हाथ शक्तिशाली है, हे प्रभु! तेरा भुजबल शत्रु को कुचल देता है।
3. तू अपनी प्रजा को ले जा कर अपने पर्वत पर बसायेगा, उस स्थान पर-जिसे तूने अपने निवास के लिए चुना है, उस मंदिर के पास-जिसे तूने अपने हाथों से बनाया है। प्रभु अनन्तकाल तक राज्य करता रहेगा।
येरुसालेम! तेरा सृष्टिकर्त्ता ही तेरा पति है। उसका नाम है - विश्वमण्डल का परमेश्वर। इस्राएल का परमपावन ईश्वर तेरा उद्धार करेगा; वह समस्त पृथ्वी का ईश्वर कहलाता है। येरुसालेम! परित्यक्ता स्त्री की तरह दुःख की मारी! प्रभु तुझे वापस बुलाता है। क्या कोई अपनी तरुणाई की पत्नी को भुला सकता है? यह तेरे ईश्वर का कहना है। मैंने थोड़ी ही देर तक तुझे छोड़ दिया था; अब मैं, तरस खा कर, तुझे अपने यहाँ ले जाऊँगा। मैंने क्रोध के आवेश में क्षण भर तुझ से मुँह फेर लिया था; अब मैं अनन्त प्रेम से तुझ पर दया करता रहूँगा। यह तेरे उद्धारकर्त्ता ईश्वर का कहना है। नूह के समय मैंने शपथ खा कर कहा था, कि प्रलय की बाढ़ फिर पृथ्वी पर नहीं आयेगी; उसी तरह मैं शपथ खा कर कहता हूँ कि मैं फिर तुझ पर क्रोध नहीं करूँगा, और फिर तुझे धमकी नहीं दूँगा। चाहे पहाड़ टल जायें और पहाड़ियाँ डाँवा-डोल हो जायें; किन्तु तेरे प्रति मेरा प्रेम नहीं टल जायेगा और तेरे लिए मेरा शांति-विधान डाँवा-डोल नहीं हो जायेगा, यह तुझ पर तरस खाने वाले प्रभु का कहना है। हे येरुसालेम! दुर्भाग्यशालिनी! आँधी और दुःख की मारी! मैं तेरे पत्थर चुन चुन कर लगवा दूँगा और तेरी नींव नीलमणियों पर डालूँगा। मैं तेरे कंगूरे लालमणियों से, तेरे फाटक स्फूटिक से और तेरे परकोटे रत्नों से बनाऊँगा। तेरी प्रजा प्रभु से शिक्षा ग्रहण करेगी और उसकी सुख-शांति की सीमा नहीं रहेगी। तेरी नींव न्याय पर डाली जायेगी। कोई भी तुझे नहीं सतायेगा, तू कभी भयभीत नहीं होगी। आतंक तुझ से कोसों दूर रहेगा।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु, मैं तेरी स्तुति करूंगा; तूने मेरा उद्धार किया है।
1. हे प्रभु! मैं तेरी स्तुति करूंगा; तूने मेरा उद्धार किया है। तूने मेरे शत्रुओं को मुझ पर हँसने नहीं दिया। हे प्रभु! तूने मेरी आत्मा को अधोलोक से निकाला है, तूने मुझे मृत्यु से बचा लिया है।
2. प्रभु के भक्त उसके आदर में गीत गायें और उसके पवित्र नाम की महिमा करें। उसका क्रोध क्षण भर का है, किन्तु उसकी कृपा जीवन भर बनी रहती है। संध्या को भले ही रोना पड़े, किन्तु प्रातःकाल आनन्द ही आनन्द होता है।
3. हे प्रभु! मेरी सुन! मुझ पर दया कर। हे प्रभु! मेरी सहायता कर। तूने मेरा शोक आनन्द में बदल दिया है। हे प्रभु! मेरे ईश्वर! मैं अनन्तकाल तक तेरी स्तुति करूँगा।
प्रभु कहता है, "तुम सब, जो प्यासे हो, पानी के पास चले आओ। यदि तुम्हारे पास रुपया नहीं है, तभी आओ। मुफ्त में अन्न खरीद कर खाओ; दाम चुकाये बिना अंगूरी और दूध खरीद लो। जो भोजन नहीं है, उसके लिए तुम लोग अपना रुपया क्यों खर्च करते हो? जो तृप्ति दे ही नहीं सकता, उसके लिए परिश्रम क्यों करते हो? मेरी बात मान लो। तब खाने के लिए तुम्हें अच्छी चीजें मिलेंगी और तुम लोग पकवान खा कर प्रसन्न रहोगे। कान लगा कर सुनो और मेरे पास आ जाओ। मेरी बात पर ध्यान दो और तुम्हारी आत्मा को नवजीवन मिल जायेगा। "मैंने दाऊद से दया करते रहने की प्रतिज्ञा की थी, उसके अनुसार मैं तुम लोगों के लिए एक चिरस्थायी विधान ठहराऊँगा। मैंने राष्ट्रों को साक्ष्य देने के लिए दाऊद को चुन लिया, और उसे राष्ट्रों का पथप्रदर्शक तथा अधिपति बना दिया है। "येरुसालेम! तू भी उन राष्ट्रों को बुलायेगा, जिन्हें तू नहीं जानता था; और जो तुझे नहीं जानते थे, वे दौड़ते हुए तेरे पास जायेंगे। यह इसलिए होगा कि प्रभु, तेरा ईश्वर, इस्राएल का परमपावन ईश्वर, तुझे महिमान्वित करेगा। "जब तक प्रभु मिल सकता है, तब तक उसके पास चले जाओ। जब तक वह निकट है, तब तक उसकी दुहाई देते रहो। पापी अपना मार्ग छोड़ दे और दुष्ट अपने बुरे विचार त्याग दे। वह प्रभु के पास लौट आये और वह उस पर दया करेगा, क्योंकि हमारा ईश्वर दयासागर है। प्रभु यह कहता है-तुम लोगों के विचार मेरे विचार नहीं हैं और मेरे मार्ग तुम लोगों के मार्ग नहीं हैं। जिस तरह आकाश पृथ्वी के ऊपर बहुत ऊँचा है, उसी तरह मेरे मार्ग तुम्हारे मार्गों से और मेरे विचार तुम्हारे विचारों से ऊँचे हैं। जिस तरह पानी और बर्फ आकाश से उतर कर भूमि सींचे बिना, उसे उपजाऊ बनाये और हरियाली से ढके बिना, वहाँ नहीं लौटते हैं, जिससे भूमि बोने वाले को बीज और खाने वाले को अनाज दे सके, उसी तरह मेरी वाणी मेरे मुख से निकल कर व्यर्थ ही मेरे पास नहीं लौटती। जो मैं चाहता था, वह उसे कर डालती है और मेरा उद्देश्य पूरा करने के बाद ही वह मेरे पास लौट आती है।"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : तुम आनन्दित हो कर मुक्ति के स्त्रोत में से जल भरोगे।
1 ईश्वर मेरा उद्धार करेगा। वही मेरा भरोसा है। अब मैं नहीं डरूंगा, क्योंकि प्रभु मेरा बल है और मेरे गीत का विषय। वही मेरा उद्धार करेगा। तुम आनन्दित हो कर मुक्ति के स्रोत में से जल भरोगे।
2. प्रभु का धन्यवाद करो; उसके नाम की स्तुति करो। राष्ट्रों में उसके महान् कार्यों का बखान करो; उसके नाम की महिमा गाओ।
3. प्रभु की स्तुति करो; उसने चमत्कार दिखाये हैं। पृथ्वी भर उनका बखान करने जाओ। सियोन की प्रजा! प्रफुल्लित हो कर आनन्द के गीत गाओ। तुम्हारे बीच रहने वाला इस्राएल का परमपावन ईश्वर महान् है।
हे इस्राएल! जीवन देने वाली आज्ञाएँ सुन लो। कान लगा कर सच्चा ज्ञान प्राप्त करो। हे इस्स्राएल! तुम क्यों अपने शत्रुओं के देश में हो? तुम विदेश में दुःख के दिन काटते हो, तुम लाश की तरह अशुद्ध बन गये हो, अधोलोक जाने वालों में तुम्हारी गिनती हो गयी है। यह इसलिए हो रहा है कि तुमने प्रज्ञा का स्रोत त्याग दिया है। यदि तुम ईश्वर के मार्ग पर चले होते, तो तुम सदा के लिए शांति में जीवन बिताते। यह समझ लो कि ज्ञान कहाँ है, सामर्थ्य कहाँ है, बुद्धिमानी कहाँ है, जिससे तुम जान जाओ कि लम्बी आयु और जीवन कहाँ है, आँखों की ज्योति और शांति कहाँ है। कौन प्रज्ञा के निवासस्थान तक पहुँचा है? किसने उसके खजाने में प्रवेश किया है? सर्वज्ञ ही उसका मार्ग जानता है, उसने अपनी बुद्धि से उसका पता लगाया है। उसने सदा के लिए पृथ्वी की नींव डाली है और उसे जीव-जन्तुओं से भर दिया है। वह प्रकाश भेज देता है और वह फैल जाता है। वह उसे वापस बुलाता है और वह काँपते हुए उसकी आज्ञा मानता है। तारे अपने-अपने स्थान पर आनन्दपूर्वक जगमगाते रहते हैं; जब वह उन्हें बुलाता है, तो वे उत्तर देते, "हम प्रस्तुत हैं"; और वे अपने निर्माता के लिए आनन्दपूर्वक चमकते हैं। वही हमारा ईश्वर है। कोई भी उसकी बराबरी नहीं कर सकता। उसने ज्ञान के मार्ग का पता लगाया है। और उसे अपने सेवक याकूब को, अपने परमप्रिय इस्राएल को बता दिया है। इस प्रकार प्रज्ञा पृथ्वी पर प्रकट हुई और उसने मनुष्यों के बीच निवास किया। प्रज्ञा यह है - ईश्वर की आज्ञाओं का ग्रंथ, वह संहिता, जो सदा बनी रहेगी। जो उसका पालन करेगा, वह जीता रहेगा; जो उसे छोड़ देगा, वह मर जायेगा। हे याकूब की प्रजा! लौट कर उसे ग्रहण करो। उसके प्रकाश में महिमा की ओर आगे बढ़ो। न तो दूसरों को अपना गौरव दो और न विदेशियों को अपना विशेष अधिकार। हे इस्स्राएल! हम कितने सौभाग्यशाली हैं! ईश्वर की इच्छा हम पर प्रकट की गयी है।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु! आपके ही शब्दों में अनन्त जीवन का संदेश है।
1. प्रभु का नियम सर्वोत्तम है; वह आत्मा में नवजीवन का संचार करता है। प्रभु की शिक्षा विश्वसनीय है; वह अज्ञानियों को समझदार बना देती है।
2. प्रभु के उपदेश सीधे-सादे हैं; वे हृदय को आनन्दित कर देते हैं। प्रभु की आज्ञाएँ स्पष्ट हैं; वे आँखों को ज्योति प्रदान करती हैं।
3. प्रभु की वाणी परिशुद्ध है; वह अनन्तकाल तक बनी रहती है। प्रभु के निर्णय सच्चे हैं; वे सब के सब न्यायसंगत हैं।
4. वे सोने से अधिक वांछनीय हैं, परिष्कृत सोने से भी अधिक वांछनीय। वे मधु से भी अधिक मधुर हैं, छत्ते से टपकने वाले मधु से भी अधिक मधुर।
प्रभु की वाणी यह कहती हुई मुझे सुनाई पड़ी, "मानव पुत्र! इस्राएल के लोगों ने अपने निजी देश में रहते समय, उसे अपने आचरण और व्यवहार से अशुद्ध कर दिया। उन्होंने देश में रक्त बहा कर और देवमूर्तियों को स्थापित कर उसे अपवित्र कर दिया, इसलिए मैंने उन पर अपना क्रोध प्रदर्शित किया। मैंने उन्हें राष्ट्रों में तितर-बितर कर दिया और वे विदेशों में बिखेर गये। मैंने उसके आचरण और व्यवहार के अनुसार उनका न्याय किया है। उन्होंने दूसरे राष्ट्रों में पहुँच कर मेरे पवित्र नाम का अनादर कराया। लोग उनके विषय में कहते थे, 'यह प्रभु की प्रजा है, फिर भी इन्हें अपना देश छोड़ना पड़ा'। परन्तु मुझे अपने पवित्र नाम का ध्यान है, जिसका अनादर इस्राएलियों ने देश-विदेश में कराया है। इसलिए, इस्राएल की प्रजा से कहना "प्रभु-ईश्वर का कहना यह है इस्राएल की प्रजा! मैं जो करने जा रहा हूँ, वह तुम्हारे कारण नहीं करूँगा, बल्कि अपने पवित्र नाम के कारण, जिसका अनादर तुम लोगों ने देश-विदेश में कराया। मैं अपने महान् नाम की पवित्रता प्रमाणित करूँगा, जिस पर देश-विदेश में कलंक लग गया है और जिसका अनादर तुम लोगों ने वहाँ जा कर कराया है। जब मैं तुम लोगों के द्वारा राष्ट्रों के सामने अपने पवित्र नाम की महिमा प्रदर्शित करूँगा, तब वे जान जायेंगे कि मैं ही प्रभु हूँ। मैं तुम लोगों को राष्ट्रों में से निकाल कर और देश-विदेश से इकट्ठा कर तुम्हारे निजी देश वापस ले जाऊँगा। मैं तुम लोगों पर पवित्र जल छिड़का दूँगा और तुम शुद्ध हो जाओगे। मैं तुम लोगों को तुम्हारी सारी अपवित्रता से और तुम्हारी सब देवमूर्तियों के दूषण से शुद्ध कर दूँगा। मैं तुम लोगों को एक नया हृदय दूँगा। और तुम में एक नया आत्मा रख दूँगा। मैं तुम्हारे शरीर से पत्थर का हृदय निकाल कर तुम लोगों को रक्त-मांस का हृदय प्रदान करूँगा। मैं तुम लोगों में अपना आत्मा रख दूँगा, जिससे तुम मेरी संहिता पर चलोगे और ईमानदारी से मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे। तुम लोग उस देश में निवास करोगे, जिसे मैंने तुम्हारे पुरखों को दिया है। तुम मेरी प्रजा होगे और मैं तुम्हारा ईश्वर होऊँगा"।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे ईश्वर! हरिणी जैसे जलधारा के लिए तरसती है, मेरी आत्मा वैसे ही तेरे लिए तरसती है।
1. मेरी आत्मा ईश्वर की, जीवन्त ईश्वर की प्यासी है। मैं कब जा कर ईश्वर के दर्शन करूँगा?
2. मैं तीर्थयात्रियों के साथ-साथ आनन्द और स्तुति के गीत गाते हुए, अपने ईश्वर के भव्य निवास, उसके पवित्र मंदिर तक जाऊँगा।
3. अपनी ज्योति और अपना सत्य भेज दे। वे मुझे मार्ग दिखायें और मुझे तेरे पवित्र पर्वत तक, तेरे निवासस्थान तक पहुँचा दें।
4. मैं ईश्वर की वेदी के पास जाऊँगा, ईश्वर के पास, जो मेरा आनन्द है। मैं वीणा बजा कर अपने प्रभु-ईश्वर की स्तुति करूँगा।
अनुवाक्य : हे ईश्वर! मेरा हृदय फिर शुद्ध कर।
1. हे ईश्वर! मेरा हृदय फिर शुद्ध कर और मेरा मन सुदृढ़ बना। अपने सान्निध्य से मुझे दूर न कर और अपने पवित्र आत्मा को मुझ से न हटा।
2. मुक्ति का आनन्द मुझे फिर प्रदान कर और उदारता में मेरा मन सुदृढ़ बना। मैं विधर्मियों को तेरे मार्ग की शिक्षा दूँगा और पापी तेरे पास लौट आयेंगे।
3. तू बलिदान से प्रसन्न नहीं होता; यदि मैं होम चढ़ाता, तो तू उसे स्वीकार नहीं करता। मेरा पश्चात्ताप ही मेरा बलिदान होगा, तू पश्चात्तापी, दीन-हीन हृदय का तिरस्कार नहीं करेगा।
भाइयो! येसु मसीह का जो बपतिस्मा हम सबों को मिला है, वह उनकी मुत्यु का बपतिस्मा है। हम उनकी मृत्यु का बपतिस्मा ग्रहण कर उनके साथ इसलिए दफनाये गये हैं कि जिस तरह मसीह पिता के सामर्थ्य से मृतकों में से जी उठे हैं, उसी तरह हम भी एक नया जीवन जीयें। यदि हम इस प्रकार उनके साथ मर कर उनके साथ एक हो गये हैं, तो हमें भी उन्हीं की तरह जी उठना चाहिए। हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि हमारा पुराना स्वभाव उन्हीं के साथ क्रूस पर चढ़ाया जा चुका है, जिससे पाप का शरीर मर जाये और हम फिर पाप के दास न बनें; क्योंकि जो मर चुका है, वह पाप की गुलामी से मुक्त हो जाता है। हमें विश्वास है कि यदि हम मसीह के साथ मर गये हैं, तो हम उन्हीं के जीवन के भी भागी होंगे। क्योंकि हम जानते हैं कि मसीह मृतकों में से जी उठ कर फिर कभी नहीं मरेंगे। अब मृत्यु का उन पर कोई वश नहीं। वह पाप का हिसाब चुकाने के लिए एक बार मर गये और अब वह ईश्वर के लिए ही जीते हैं। आप लोग भी अपने को ऐसा ही समझिए - पाप के लिए मरा हुआ और येसु मसीह में ईश्वर के लिए जीवित।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : अल्लेलूया, अल्लेलूया, अल्लेलूया।
1. प्रभु का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है। "उसका प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है।" इस्राएल का घराना यह कहता जाये - "उसका प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है"।
2. प्रभु के दाहिने हाथ ने अपना बल दिखाया है; उसके दाहिने हाथ ने मेरा उद्धार किया है। मैं नहीं मरूंगा, मैं जीवित रहूँगा और प्रभु के कार्यों का बखान करूँगा।
3. कारीगरों ने जिस पत्थर को निकाल दिया था, वही कोने का पत्थर बन गया। यह प्रभु का कार्य है, यह हमारी दृष्टि में अपूर्व है।
विश्राम-दिवस के बाद, सप्ताह के प्रथम दिन, पौ फटते ही, मरियम मगदलेना और दूसरी मरियम कब्र देखने आयीं। एकाएक भारी भूकंप हुआ। प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा, कब्र के पास आया और पत्थर अलग लुढ़का कर उस पर बैठ गया। उसका मुखमण्डल बिजली की तरह चमक रहा था और उसके वस्त्र हिम के समान उज्जवल थे। दूत को देख कर पहरेदार थर-थर काँपने लगे और मृतक जैसे हो गये। स्वर्गदूत ने स्त्रियों से कहा, "डरिए नहीं। मैं जानता हूँ कि आप लोग येसु को ढूँढ़ रहीं हैं, जो क्रूस पर चढ़ाये गये थे। वह यहाँ नहीं हैं। वह जी उठे हैं, जैसा कि उन्होंने कहा था। आइए और उस जगह को देख लीजिए, जहाँ वह रखे गये थे। अब सीधे उनके शिष्यों के पास जा कर कहिए, 'वह मृतकों में से जी उठे हैं। वह आप लोगों से पहले गलीलिया जायेंगे, वहाँ आप लोग उनके दर्शन करेंगे।' यही आप लोगों के लिए मेरा संदेश है।" स्त्रियाँ शीघ्र ही कब्र के पास से चली गयीं और विस्मय तथा आनन्द के साथ उनके शिष्यों को यह समाचार सुनाने दौड़ीं। येसु एकाएक मार्ग में स्त्रियों के सामने आ खड़े हो गये और उन्हें नमस्कार किया। वे आगे बढ़ आयीं और उन्हें दण्डवत् कर उनके चरणों से लिपट गयीं। येसु ने उन से कहा, "डरो नहीं; जाओ और मेरे भाइयों को यह संदेश सुना दो कि वे गलीलिया चले जायें। वहाँ वे मेरे दर्शन करेंगे।"
प्रभु का सुसमाचार।
विश्राम-दिवस के बाद मरियम मगदलेना, याकूब की माता मरियम और सलोमी ने सुगंधित द्रव्य खरीदा, ताकि जा कर येसु के शरीर का विलेपन करें। वे सप्ताह के प्रथम दिन बहुत सबेरे, सुर्योदय होते ही, कब्र पर पहुँची। वे आपस में यह कह रही थीं, "कौन हमारे लिए कब्र के द्वार पर से पत्थर लुढ़का कर हटा देगा? " किन्तु जब उन्होंने आँखें ऊपर उठा कर देखा, तो पता चला कि वह पत्थर, जो बड़ा भारी था, अलग लुढ़काया हुआ है। वे कब्र के अन्दर गयीं और यह देख कर चकित-सी रह गयीं कि लम्बा श्वेत वस्त्र पहने एक नवयुवक दाहिने बैठा हुआ है। उसने उन से कहा, "डरिये नहीं। आप लोग येसु नाजरी को ढूँढ़ रही हैं, जो क्रूस पर चढ़ाये गये थे। वह जी उठे हैं वह यहाँ नहीं हैं। देखिए, यही जगह है, जहाँ उन्होंने उनको रखा था। जा कर उनके शिष्यों और पेत्रुस से कहिए कि वह आप लोगों से पहले गलीलिया जायेंगे। वहाँ आप लोग उनके दर्शन करेंगे, जैसा कि उन्होंने आप लोगों से कहा था"। वे आश्चर्यचकित हो कर काँपती हुई कब्र से निकल कर भाग गयीं और उन्होंने डर के मारे किसी से कुछ नहीं कहा।
प्रभु का सुसमाचार।
सप्ताह के प्रथम दिन, पौ फटते ही, नारियाँ तैयार किये हुए सुगंधित द्रव्यों को ले कर कब्र के पास गयीं। उन्होंने पत्थर को कब्र से अलग लुढ़काया हुआ पाया, किन्तु भीतर जाने पर उन्हें प्रभु येसु का शव नहीं मिला। वे इस पर आश्चर्य कर रही थीं कि उजले वस्त्र पहने दो पुरुष उनके पास आ कर खड़े हो गये। स्त्रियों ने भयभीत हो कर धरती की ओर सिर झुका लिया। उन पुरुषों ने उन से कहा, "आप लोग जीवित को मृतकों में क्यों ढूँढ़ती हैं? वह यहाँ नहीं है। वह जी उठे हैं। गलीलिया में रहते समय उन्होंने आप लोगों से जो कहा था, वह याद कीजिए। उन्होंने यह कहा था कि मानव पुत्र को पापियों के हवाले कर दिया जाना होगा, क्रूस पर चढ़ाया जाना और तीसरे दिन जी उठना होगा।" तब स्त्रियों को येसु का यह कथन याद आया। कब्र से लौट कर मरियम मगदलेना, योहन्ना और याकूब की माता मरियम ने यह सब ग्यारहों और दूसरे शिष्यों को भी बताया। जो अन्य नारियाँ उनके साथ थीं, उन्होंने भी प्रेरितों से यही कहा, परन्तु उन्होंने इन सब बातों को प्रलाप ही समझा और स्त्रियों पर विश्वास नहीं किया। फिर भी पेत्रुस उठ कर दौड़ते हुए कब्र के पास पहुँचा। उसने झुक कर देखा कि पट्टियों के अतिरिक्त वहाँ कुछ भी नहीं है और वह इस पर आश्चर्यचकित हो कर चला गया।
प्रभु का सुसमाचार।