अर्पण करने आये तुझे बलिदान, बच्चे हम तेरे बालक येसु समान
प्यार से हम आये तुम्हारी शरण, सर्वस्व हमारा ले लो हे भगवान।
स्वीकार कर तू इसे पिता, दान निर्मल हे दाता (2)
आये हम सब तेरे लाल, देने जीवन प्रेम दान (2)
अर्पित करते हैं परमेश्वर तुझ को बलिदान हम सादर
द्राक्षा रस जीवन है हमारा, रोटी काम हमारा है
रोटी काम हमारा है।
इनके साथ चढ़ाते हैं हम तन-मन-धन सुख रुंदन गम -2
ये उपहार प्रभु स्वीकारो वरदानों से दिल भर दो
वरदानों से दिल भर दो -2
जैसे पानी द्राक्षा रस में वैसे हम हो तुझ में लीन-2
ग्रहण करो प्रभु तुम इस बलि को
भेंटों सा बदलो हम को -2
अंजलि स्वीकारो प्रभु जी अंजलि स्वीकारो
मेरे सारे जीवन के यह अंजलि स्वीकारो, प्रभु जी ...
योग्य नहीं मैं देने तन-मन तुझको प्राणेश्वर,
अश्रुकण केवल तेरे सामने -2 अर्पण करने आया हूँ -2
दाग भरा है जीवन मेरा पाप किया है मैने,
तू ही सहारा मैं पुकारूँ - 2 आँसू की अंजलि लो -2
आज मिली है, खुशी पाकर नई ज़िन्दगी
आज मिली है, खुशी सेवा में मेरे मसीह
पर होगा मेरा न यह जीवन सुखी
कैसा अनोखा ये जीवन
बंधन ये कितना सुहावन
प्रभु तेरी सेवा में अर्पण तन मन
तुझ में ही जीवन समर्पण
मुझको बुलावा मिला मुझको चुना है तुम्हींने
बुलावा तेरा पाने को योग्य न पाया मैंने
पर तेरा आधार सुख-दुख में पाऊं
तो बन जाऊँ सेवक तुम्हारा सदा
-- कैसा अनोखा ....
झूठे संसार का मैंने तिरस्कार किया
पाने सच्ची ज़िन्दगी, सहारा जो तुमने दिया
प्रभु तेरी सेवा में अर्पित हो जाऊँ
तो बन जाए सार्थक मेरी ज़िन्दगी।
-- कैसा अनोखा ....
आज सभी उपहारों से मेरे हृदय को स्वीकार करो
हृदय को स्वीकार करो, प्रभु हृदय को स्वीकार करो ।
जीवन मेरा अर्पण तुझ पर टूटा हृदय टूटी वाणी,
आज अभी तेरी वेदी पर, आया हूँ तेरे दर्शन को,
देखने दो तुम मुझको मुखड़ा, शीश नवाऊँ वेदी पर ।
सोना चाँदी पास नहीं है, ना मुर्र मेरे साथ हूँ लाया,
प्यासी आत्मा, प्यासी दुनिया, दुर्बल एक इन्सान हूँ आया,
आज करो स्वीकार इसे तुम, बनकर मेरे दाता ॥
आते हैं हम सभी तेरे भवन, येसु के संग
लो ग्रहण करो - 2 हमारी भेंट परम पिता ।
फूल और फल दाखरस रोटी, है जतन का फल,
छूके इन्हें वो रोटी दो, जो दे जीवन का बल ।
ये तन और मन, सर्वस्व धन, तुझपे लुटायें हम,
हर भेंट जो, देते तुझे, तुझसे ही पाये हम ।
आया हूँ स्वामी तेरे चरणों पे, दाखरस रोटी हाथों में लेकर-2
आया हूँ तेरे चरणों पे ॥
देखा न तूने दागों को मेरे, अपना लिया, स्वीकार लिया -2
अब मैं आया हूँ मालिक मेरे -2
देने तुम्हें ये दान ओ ... ओ-देने तुम्हें ये दान ।
हाथ बढ़ाया तूने अपना-2 उठा लिया, थाम लिया -2
अब मैं पुकारूँ मालिक तुम्हें -2
ले लो मेरे ये दान ओ ... ओ .. ले लो मेरे ये दान ।
आये है तेरी शरण में,
लाये है तेरे लिए हम
सब कुछ हमारा प्रभु,
स्वीकार ले तू प्रभु
ये रोटी जिसको, हम तुझे चढ़ाते हैं
तेरी कृपा से हमको प्रभु मिली है
पृथ्वी से जन्मा है ये,
मानव के श्रम का फल
यह हमारे लिए जीवन की रोटी
बन जायेगी
धन्य है ईश्वर, धन्य है ईश्वर
अनंतकाल तक धन्य है ईश्वर (2)
आये हैं तेरी शरण में लाये हैं तेरे लिए हम
सब कुछ हमारा प्रभु स्वीकार ले तू प्रभु।
ये रोटी जिसको हम तुझे चढ़ाते है
तेरी कृपा से हमको प्रभु मिली है
पृथ्वी से जन्मा है ये मानव के श्रम का फल
यह हमारे लिए जीवन की रोटी बन जाये
धन्य है ईश्वर, धन्य है ईश्वर
अनंतकाल तक धन्य है ईश्वर -2
दाखरस जिसको हम तुझे चढ़ाते हैं
तेरी कृपा से हमको प्रभु मिला है
दाख से निकला है ये मानव के श्रम का फल
यह हमारे लिए जीवन सुधा बन जायेगी ।
धन्य है ईश्वर ... ।
इस संसार में ना कुछ मेरा, जग सारा है भगवन तेरा
सब कुछ मेरा लेकर आया, रखने चरणों मे तेरे
लीजिये प्रभु ग्रहण तुम कीजिये
तन-मन हृदय मेरा है ये जीवन सारा परिवर्तन कीजिये ।
फल-फूल के साथ और हाथों हाथ, लाये हैं यह दाखरस रोटी
मेहनत हमारी चढ़ाते हम, स्वीकार करो भेंट हमारी ।
कबूल करो तुम प्रभु हमारा यह बलिदान,
दया मिले नित हमें मिले तेरा वरदान ।
तेरा नाम बोले सदा रहें कहीं भी, दुनिया की चीजें मिले नहीं भी ।
जो भी मिले हमें प्रभु मिले तुझी से, जो भी दिया तू ने लिया खुशी से ।
तू ही संग चले प्रभु चले न कोई, तेरे जैसा दूजा मिले न कोई ।
तेरे चरणों में प्रभु झुके रहेंगे, चाहेगा तू जैसा वैसा करेंगे।
खुशी से आये प्रभु हम, मिला तेरा मधुर बुलावा
तेरा ही दान लाये हैं हम रोटी दाखरस का चढ़ावा
ग्रहण करो प्रभु ये चढ़ावा - 2
यह रोटी बने अमर भोजन, मिले हमें कृपा वरदान
चले आये तेरी शरण, गाते तेरा गुणणान।
यह दाखरस बने अमर लहू धूल जाये जग के सारे गुनाह
बने रहे तेरी प्रजा दे दे हमें कृपा ।
ग्रहण कर लो, हे प्रभुजी, भेंट दीनों की,
इन प्रतीकों में तुम्हें चढ़ाते हम अपनी जिंदगी ॥
रोटी और दाखरस तुमसे मिले वरदान,
दीन मानव के श्रम पसीने का फल,
बदल दो इन्हें अपने रूप में, दे दो हमें प्रभु जीवन का बल।
लेके आये हम सृष्टि के ये दान, तेरे चरणों में करते हैं अर्पण,
पाप क्षमा करो जीवन सफल करो, हमें मिली एक नई जिंदगी ।
जीवन मेरा तुझे बलिदान, इसे स्वीकारो भगवान,
मेरा तन-मन, मेरा सब कुछ -2 तुम स्वीकारो भगवान ।
इस पूजा आराधना में, इस बलिदान अर्चना में,
मेरे सारे अपराधों को, क्षमा करो दया निधानं।
पावन आत्मा के शक्ति से, रोटी दाखरस बदल जाये,
रक्त शरीर येसु का ले के, जीवन करूँ तुझे कुर्बान ।
जो मिला जीवन मुझे, अर्पण है तुझपे नाथ,
जो है मेरा सो है तेरा, दाखरस और रोटी के साथ ।
येजो है मेरा मन, कर दो इसे पावन,
इस पे पड़े तेरी छाया सुन्दर बने जीवन।
पास है जो भी मेरे तेरे दिये उपहार,
चरणों में रख दूँ तेरे सबको मिले तेरा प्यार।
लेके निर्बल आशा चरणों में आया भगवान,
पूरी हो तेरी अभिलाषा दे दे मुझे वरदान ।
तन, मन और धन उसे दो, अपने येसु को सब कुछ दो,
क्योंकि उसी के द्वारा उद्धार पाना है, जीती आत्मा का दान उसे दो ।
तुम येसु के बनना चाहो, कुछ करके दिखाना होगा,
खुद बचना काफी नहीं, औरों को बचाना होगा,
दिल में पहली जगंह उसे दो, अपने येसु को सब कुछ दो ।
गर येसु की सेवा करोगे, अपनी आशिष वह तुमको देगा ,
और पाप की सेवा करोगे, हरगिज नहीं माफ करेगा,
उसके लहू से दिल धो लो।
तन-मन-धन सब अर्पण है, तब चरणों में प्रभु,
जीवन अपना लाये हैं, ग्रहण करो हे प्रभु ॥
दाखरस रोटी की भेट चढ़ाते है, येसु मसीह के संग हर्षित आते हैं,
ग्रहण करो प्रभु हम सब जन को, इन उपहारों के संग।
रंग बिरंगे सुमन तुझको चढ़ाते हैं, स्वाद भरे फल ये अर्पण करते हैं,
कृतज्ञ हृदय से हम भेट चढ़ाते हैं, तेरे वरदान लिए धन्य कहते हैं।
तुझको आज मैं समर्पण करूँ, तुझसे मिला यह जीवन
समर्पण-2 समर्पण करूँ तुझको,
कुछ भी नहीं है अपना, क्या दूँ मैं तुझको -2
टूटा-फूटा जीवन मेरा -2 तुझको आज मैं समर्पण करूँ
गेहूँ दाखलता की, मुझे करो स्वीकार -2
तेरी ही सृष्टि हैं हम सब-2 तुझको ...
तुमको चढ़ाऊँ अब क्या नाथ, तुमको चढ़ाऊँ क्या,
पास मेरे तो कुछ भी नहीं, तुमको चढ़ाऊँ क्या।
दिल में ये जो आहट आती, तव प्रीति का साहस भरती,
काबिल नहीं मैं आऊँ क्या, आऊँ क्या।
मन ये दर्पण तुझको अर्पण, ढूँढ लो इसमें जो अपना धन,
शेष है क्या कुछ आऊँ क्या, आऊँ क्या।
तेरा अभिनन्दन शत् बार, तेरा पूजन बारम्बार
हम अपना जीवन उपहार, लेकर आये तेरे द्वार
पिता इसे कर ले स्वीकार, हम करते हैं तुझको प्यार
हम अपना जीवन उपहार, लेकर आये तेरे द्वार
येसु इसे कर ले.स्वीकार, हम करते हैं तुझको प्यार ...
तेरे चरणों में लाये प्रभु उपहार हमारे ये संग,
इसे स्वीकार कर तेरी कृपा से भर और बना दे इसे तू पावन।
गेहूँ के दान तेरा वरदान लाये, दाखरस भी लेकर हम आये,
पापी हम फिर भी भेंट चढ़ाते हैं, तू ग्रहण कर इसे हे प्रभु ।
सोना चाँदी या धन दौलत पास नहीं है, केवल प्यार से भरा दिल यही,
है, तेरी वेदी पे अब चढ़ाते है, तू ग्रहण कर इसे हे प्रभु।
थाली पर रोटी कटोरे में दाखरस ले, हम प्रभु के घर आये
ग्रहण करो प्रभुजी हमारे दान '
रोटी के रूप में प्यार लिये, द्राक्षा में आत्म- समर्पण लिये,
प्रभु को देने हम दिल आये । ग्रहण करो ...
अपने क्रूस उठा के लाये प्रभु में जीवन पाने आये,
प्रभु को देने हम दिल लाये ग्रहण करो ...
प्रभु को सारे जहाँ के लिये, निज पापों की क्षमा के लिये,
प्रभु को देने हम दिल लाये । ग्रहण करो ...
दिल को अर्पण कर दूँ
दिल को अर्पण कर दूँ, प्रभु मेरे प्रेम मसीहा,
भर दो मुझको हे प्रभु अब दर्शन दे दो दिल में।
दिल मेरा तेरे आँगन में, दीप जलाऊँ तेरे लिये,
बुझने न पावे दीप मेरे लाया हूँ अब मैं तेरे लिये ।
तुम ही मेरा जीवन हो जीवन मुक्ति की ज्योति है,
जीवन मैं ऐसा बिता सकूँ जैसा तू मुझसे चाहता है।
दीप आरती चरणों में लाये, रोटी दाखरस भक्ति साथ लिये,
प्रभु स्वीकारो ...4
लाये हम हमारा जीवन, दर्द दुःख और पाप भरा,
रख लो पिता तव चरणों में, हर्षित कर दो हर तन-मन।
दीप जलाया थाली सजाया, तेरे चरणों पर अर्पण को लाया
स्वीकार ले भगवन .
नव जीवन का पावन बलिदान, मेरे लिये तेरे प्रेम भरे दान,
तेरे प्रेम में मेरा जीवन, इस वेदी पर कुरबान ।
रोटी द्राक्षा करते अर्पण, जो होगे तेरे रक्त शरीर,
फूल और फल संग मेरा जीवन, इस वेदी पर कुरबान।
पावन बलि वेदी पर, तुझको चढ़ाने लाये हम,
स्वीकारो तुम मेरे पिता, ये रोटी और दाखरस ।
लेकर हम आये फल फूल दीप आरती,
सब कुछ तेरा दान है ग्रहण करो तुम हे पिता ।
पूजा अर्पण ये हमें याद दिलाता है,
कलवारी पर प्रभु तुमने, खुद को ही बलिदान किया।
पिता समर्पण करूँ तुझे समर्पण करूँ,
सम्पूर्ण जीवन मेरा सब कुछ अर्पण करूँ,
पिता तुम स्वीकार लो, मुझे तुम स्वीकार लो
सब कुछ तुम स्वीकार लो, याग सम स्वीकार लो ।
पुत्र समर्पण करूँ ...
आत्मा समर्पण करूँ ...
प्यार से लाये तुझको चढ़ाने, भेंट हमारी स्वीकार करो
मेरे पिता, मेरे पिता -2
तन-मन ये मेरा, सब कुछ है तेरा, तुझ बिन प्रभु कोई न मेरा -2
दिल तुझको चढ़ाने लाये -2
रोटी और दाखरस, हम चढ़ाते हैं, बदल दो अपने, शरीर रक्त में -2
जीवन नया हमें दे दो प्रभु -2
स्वीकार कर लो, दिल सबका, अपना बना लो, हे प्रभु -2
ज्योति हमें दे दो हे प्रभु -2
प्रभु को हम भेंट चढ़ाये, और गायें उसका नाम सदा -2
जो भी हमारा दान तुम्हारा, ग्रहण करो उपहार हमारा,
लाये चरणों में अर्पित करने -2, स्वीकारो हे भाग्य विधाता ।
मानव श्रम की रोटी जिनकी, रूप यही है ईश्वर तन का,
आये चरणों में भेंट चढ़ानें -2 अपनाओ हे मुक्ति विधाता।
प्रभु मेरी भेंट को ग्रहण करो, पावन मानो ॥।3॥
जो कुछ मैं हूँ, जो मैं करता, मेरा सब कुछ तेरा,
तुझे समर्पित करूँ ॥2॥।
सुन्दर सपना विनय प्रार्थना, मेरा कर्म सभी तेरा,
तुझे समर्पित करूँ ॥2॥।
प्रभु येसु के साथ मिलें हम एक देह में,
दाख रोटी भेंट लाये प्रभु चरणों में ।
यह तन मेरा गेहूँ मानो प्रभु खीस्त का
बन जाए यदि यह प्रसाद पावन रोटी का
प्रभु सेवा में नित तन मेरा घिसता जाये
तब यह जीवन सफल बने और मुक्ति पाये।
इस शरीर को मानो जैसे दाख खीस्त का
और दाखरस प्रसाद हो मेरे प्रभु का
पिस जाऊँ मैं जन सेवा हित कष्ट उठाऊँ
सफल जन्म हो जाए तब मैं धन्य कहलाऊँ।।
प्रभु येसु मसीह की शरण आ, हम तन मन धन बलिदान करें,
जय जय प्रभु येसु मसीहा की शरण आ।
हम शुद्ध भाव से भजन करें, हम भक्ति भाव से सृजन करें,
रति रह प्रभु सेवा में निश दिन, नित निर्मल अपने दान करें ...
प्रभु सेवा में नित प्रति आये, पूजा की भेंट चढ़ा जाये,
वेदी पर शीश झुका कर हम, नित प्रभुजी का सम्मान करें ।
प्रभु लाये चढ़ाने ये फल फूल मेहनत के फल कर लो कबूल ...
जीवन का यह सुख दुःख सारा ग्रहण करो प्रभु जीवन हमारा
लाये चढ़ाने ... प्रभु लाये।
गेहूँ की रोटी भेंट हमारी, येसु तन बने प्रेम स्वरूपी
लेकर आये यही है अर्पण । ग्रहण करो ...
दाख का रस है भेंट हमारी, आत्मिक पेय बने बलिहारी,
लेकर आये ...
प्रभु लाये चढ़ाने ये फल फूल मेहनत के फल कर लो कबूल ...
जीवन का यह सुख दुःख सारा ग्रहण करो प्रभु जीवन हमारा
लाये चढ़ाने ... प्रभु लाये।
गेहूँ की रोटी भेंट हमारी, येसु तन बने प्रेम स्वरूपी
लेकर आये यही है अर्पण । ग्रहण करो ...
दाख का रस है भेंट हमारी, आत्मिक पेय बने बलिहारी,
लेकर आये ...
मन की वेदी में दीप जलाकर, पुष्प फलों की नैवेध्य लेकर,
तेरे दर पर आये हैं हम, दर्शन दे दे प्रभु आशिष दे -2
करुणामय प्रभु तेरी बलि की, याद हम करते है,
इस वेदी पर तेरे प्रेम में, दृढ़ रहने की आशिष दे प्रभु ।
मालिक मेरे प्रभु, जीवन अर्पण करूँ,
निरखो प्रभु जी मुझे, आया हूँ तेरे द्वारे ।
काम धंधा सभी चढ़ाऊँ बलि तुझे,
हृदय मेरा पवित्र करो, ओ ... प्रभु ।
ईश्वर मेरे, तेरी याद आती मुझे, ह
अपना लो मुझे हे स्वामी, ओ ... प्रभु ।
पतित जीवन लाया आज स्वामी तुझे,
इससे बेहतर दान क्या दूँ, ओ ... प्रभु ।
मेरा जीवन तुझे अर्पण, मेरा तन-मन तुझे बलिदान,
स्वीकारो प्रभु पावन, कर दो जन मन कल्याण ।
आया हूँ प्रभु शरण तुम्हारी, लाया हूँ यह दाखरस रोटी-2
ग्रहण करो मेरा बलिदान-2, दे दे प्रभु तेरा वरदान -2
दीप जलाया तेरे श्री चरणों में, धूप चढ़ाया तेरा पूजन करने -2
ग्रहण करो मेरा बलिदान -2 दे दे प्रभु तेरा वरदान । - 2
मेरा जीवन तेरा दान, तुझे अर्पण भगवन,
अपना लो मेरा तन, मेरा मन भंगवन ।
सुख-दुःख की यह रोटी लाये हम वेदी पर-2
बदलो इसे अब अपने शरीर में प्रभु,
एक बने यह तेरे साथ-तेरे साथ ।
दाखरस का यह कटोरा, अर्पित हैं चरणों में -2
बदलो इसे अब अपने लहू में प्रभु,
ग्रहण करें हम सब के साथ-सब के साथ ।
मेरा सब कुछ तेरा दान, तुझे समर्पित है भगवन,
जो भी तुझसे मिला है मुझको, करूँ मैं अर्पण तन-मन से ।
मेरा दिल स्वीकार ले प्रभुवर, ज्योति से भर दे अब तू,
अपना ले मुझे, आशिष बरसा, कर दे पावन प्रभु मुझको ।
ये कठिन जीवन मेरा प्रभु, संकटों से घिरा हुआ,
दुःख हर ले तू, शांति दे प्रभु, कर दे पावन प्रभु मुझको ॥
मेरी अंजलि में लाये उपहार घृणा घमंड आदि भरपूर,
इन्हें ले लो प्रभु तू अपना मान, पास न ही अवगुण के सिवाय ।
कलुषित जीवन अपना लो, लायक तेरे मुझे कर दे,
रजनी गंधा सा महके, ऐसा करिश्मा तू कर दें।
धो दे मेरे दिल का अपमान, न होने दे मुझे बदनाम,
कर दे पूरे मेरे अरमान इसमें हो तेरा सम्मान ॥
भर दे मेरे दिल में वो प्रेम, जो है तेरा अमर वरदान,
अर्पित जीवन मेरा है, था चरणों में तेरे ॥
येसु मेरे ईसा प्रभुवर जीवन मेरा लेकर मैं आया हूँ,
अर्पण करने चरणों में, ग्रहण करो बलिदान मेरा ।
जीवन के सुख दुखों में मेरा हाथ थामें रखना,
मेरे जीवन में तू सदा तेरा प्यार बनाये रखना,
आस ले आया चरणों में, ग्रहण करो बलिदान मेरा ।
मेरी भक्ति को तेरी शक्ति से तू प्रबल सदा ही रखना,
ताकि मन ये प्यार तेरा सबको देता रहेगा,
भक्ति भरा दिल मैं लाया, ग्रहण करो बलिदान मेरा ।
मेरे दिल में तेरी बाती, तू सदा जलाये रखना,
ताकि बनंके दीपक मैं, रोशन सबको करूँगा,
जीवन मेरा अर्पण तुझे, ग्रहण करो बलिदान मेरा ।
रिक्त अंजलि आज मेरी, क्या तुझे उपहार दूँ मैं।
था मुझे जो सब लुटाया, भिक्षु अपने को बनाया,
वेदना के स्वर जगे हैं, अश्रु का उपहार दूँ मैं।
रोटी का यह थाल प्रभुवर, दाखरस का पात्र लाकर,
पुण्य कर ये भेंट भगवन, अब खड़ा हूँ तेरे द्वारे
मैं अकिंचन शून्य लोचन, शून्य सब अरमान मेरे,
शून्यता के इन क्षणों में, प्रेम शांति देने आये।
रोटी और दाखरस की भेंट हमारी, समर्पित तुम्हें प्रभो प्रीत दिलों की,
सुख-दुःख और मेहनत की जिंदगी
स्वीकार करो, पावन करो भेंट दीनों की ।
स्वीकारों अपना लो यह बलिदान, तुमको अर्पित यह प्रेम सुमन,
प्रेम से भर दो हमारा जीवन, मिल जाये हमें कृपा वरदान ॥
तुमने दिये हैं प्रभु कई वरदान, करते हम तुम को वन्दन-नमन।
आशिष पाये हम रात और दिन, जीवन बने एक मंगल गान ॥
रोटी के रूप में देते अपना प्रेम तुझे प्रभु,
अपना प्रेम हमें अपना बना।
दाखरस के रूप में देते अपना प्रेम तुझे प्रभु,
अपना प्रेम हमें अपना बना।
जिन्दगी तूने दी, तन, मन, धन भी ओ ... तुझ को
कौन सा दान चढ़ायें, ममताएँ तू ने ही दी
स्वजन के प्राण भी, लीजिए प्रभु आत्म समर्पण आज
सर्वस्व तू ने दिया घर, दरबार भी, ओ ... तुझ को
कौन सा दान चढ़ाये, सारे जहान की
विभूतियों को भी, लीजिए प्रभु आत्म समर्पण आज ।
रोटी ग्रहण करो प्रभु हमसे, हृदय आप स्वीकार करो
जीवन सुमन समर्पित तुम पर ।2। सदा रहे,
सदा रहें हम (2) बनें तुम्हारे, ग्रहण करो प्रभु
भोजन पावें प्रभु समीप हम, अन्नदान यह हृदय न भूले,
हममें ही तेरा जीवन है, सदा रहें, हम बनें तुम्हारे ।
खून से भरे निकट तेरे हम, भूखे प्यासे आशा लेकर,
दीन-दुःखी आये चरणों में, सदा रहें हम बनें तुम्हारे ।
लाये प्रभु ये उपहार, स्वीकार ले भगवन्
स्वीकार ले भगवन्
रोटी दाखरस लाये है, तेरे चरणों में
भर दे प्रभु इनमें जीवन रस
तेरी कृपा से प्रेमी प्रभु - 2
तन मन हमारा लाये, तेरे चरणों में
बन जाये जीवन हमारा सफल तेरी कृपा से प्रेमी प्रभु - 2
स्वीकार ......
लाये प्रभु हम ये उपहार, स्वीकार करो प्रभु सुजनहार
कबूल करो पावन करो, जीवन हमारा ग्रहण करो -2
रोटी प्रभु गेहूँ की, अंगूरी दाख फलों की -2
श्रम की ये निशानी, प्रेम की हो रोशनी ।
जीवन सुमन भर लो, अरमानों को भी लो -2
प्रेम हमें भर दो, प्यार से दिल भर दो ।
लाये हैं ये फल-फूल अर्पण को हम येसु,
स्वीकार करो इनको, ये मेरा सब कुछ है।
जो भेंट हम लाये, वह है तुम्हारा दान-2
इनको करो स्वीकार, दे दो हमें वरदान ।
करते हैं अर्पण हम, इस रोटी दाख के साथ,
दिल काम और विचार, स्वीकार करो सब दान ।
लाये हैं हम ये उपहार, बलि वेदी पर करने निसार
फल फूल श्रम फल सब कुछ मेरा, तुझ को देने आये प्रभु -2
जीवन मेरा दान तेरा, अर्पण करता हूँ तुझको -2
स्वीकारो प्रभु-2 स्वीकार लो । जीवन ...
तन मन धन का ले उपहार आते हैं प्रभु तेरे द्वार (2) हम ..
रोटी और दाखरस, बन जाए तेरा रक्त शरीर -2
आशीष देना, प्रभुजी निरंतर हैं, यही गुहार -2
सुख-दुःख और खुशी हर दिल की
बरसा दो प्रभु, प्रेम की फुहार-(2)
वेदी के पास हम पधारे, अर्पण करने को हमारे,
अपने स्वयं को हमारे, देने को हाथों तुम्हारे -2
इन भेंट वस्तु के साथ हम, कलमष बिन दिल हमारा -2
तुझ को चढ़ाने को आये, आते हैं दिल हम समाकर -2
गर कोई भाई हो तुझसे, दूर हो दिल में घृणा से - 2
करना है मेल मिलाप उन से, योग्य होगा याग तब से - 2
शरण तेरी आया नाथ-2, लेके अपने दिल के तार-2
जो है मेरा सो है तेरा, तूने मुझको दिया बसेरा, स्वीकारो -2
सुख और दुःख का हार प्रभु जी, वेदी पर अब मैं चढ़ाऊँ, स्वीकारो -2
समर्पण का समय है, समर्पित करो चरण में
जो भी चाहेंगे येसुजी भेंट में, हम निसारेंगे येसु चरण में ।-2
मर्जी प्रभु की ये समझ के जो भी किया
मर्जी प्रभु की नहीं थी, ये जान गया
पूँजी समझ तू ने जो भी है उपजाया
काम तेरे वो है नहीं अब कुछ आया
जान भी लो मान भी लो, स्वीकार करो प्रभु ये चढ़ावा
पावन बना लो ये उपहार । । समर्पण का ...
बलिवेदी पर भेंट हम सब चढ़ाते तब भी
दिल में भरा है घृणा भाव नफरत का
संतृप्त न होगे प्रभु तेरे सौगात से
स्वीकार करेगा नहीं प्रभु उपहार को
मानो सगा, सबको सगा, उपहार दे हम सब मिलकर
स्वीकारेगा प्रभु ईश्वर ॥ समर्पण का ...
स्वीकार करो प्रभु ये दान तुम, चरणों में तेरे आया हूँ,
स्वीकार करो, प्रभु स्वीकार करो ॥ 2
सोना नहीं है पास में, कुछ भी नहीं है हाथ में -2
देने को तुझको हे प्रभु-2 हृदय मैं अपना लाया हूँ। स्वीकार करो ...
निर्धन प्राणी हूँ प्रभु लाया हूँ ये रोटी दान -2
देने को तुझको हे प्रभु -2 बस यही लेकर आया हूँ, स्वीकार करो ...॥
स्वीकार कर लो हे प्रभु, अपने दानों को हे प्रभु,
अर्पण करता हूँ तुझको-2, ग्रहण करो इन दानों को मेरे प्रभु
रोटी दाखरस मैं लाता हूँ नाथ, कर्म और विचार चढ़ाता हूँ साथ
तन मन और धन तुझको -2 अर्पण करता हूँ प्रभु मैं ।
मेरी जिंदगी मेरी नहीं तेरी देन है यही तो सही , .
आशिष बरसा मुझ पर -2, ताकि तुझ संग जीऊँ मैं ॥
स्वीकार लो भगवान, उपहार है दिल की ममता
तव प्रेम की बहे सरिता, सदा मिले हमें प्रभुता,
ये दाखरस रोटी वर लो, विनती प्रभु सुन लो - स्वीकार ...
तुम हो पिता-प्रभु करतार, हमें तरो मिटे विपदा,
ये कामना पूरी कर लो, विनती प्रभु सुन लो - स्वीकार ...
स्वीकारो प्रभु स्वीकारो, स्वीकारो हमें स्वीकारो -2
दिल हम अपने चढ़ाते हैं तन हम अपने चढ़ाते है।
अन्तरतल से भेंट चढ़ाते - 3 प्रेम भरे दिल चढ़ाते हैं,
रोटी दाखरस जीवन सब कुछ -2 ग्रहण करो प्रभु मेरा ।
पाप तजकर प्रेम जगाने-3 दो वरदान हमको प्रभु,
निर्मल करो हमें नवजीवन दो -2 विनती हमारी सुन लो ।
स्वीकारो स्वामी भेंट मेरी, भक्ति भरी श्रद्धा भरी ।
रोटी दाखरस हम ले के आये हैं, तुझको चढ़ाने जीवन में,
आशा है तेरे प्यार की हमें, सुख आये तेरे दर्शन में ।
तूने हे पिता जग प्रेम से रचा, फिर जग को तूने येसु दिया,
स्वयं को चढ़ा के येसु के संग, हमने बलिदान में भाग लिया।
स्वीकारो स्वामी मेरा ये जीवन,
आया हूँ मैं तेरी शरण में स्वीकारो स्वामी...
तूने आस की ज्योति जलाकर
बदला हैं मेरा जीवन तूने थामा मुझको प्रभुवर
और सँवारा ये जीवन तू ही मेरे दिल में प्रभु
भर दे अपने प्यार से स्वामी स्वीकारो स्वामी ...
तेरे प्यार में चलता रहूँ मैं, तू ही सहारा तू ही आस
हर पापों को धोकर मुझमें, भर दे अपनी आत्मा की प्यास
तू ही मेरे दिल में प्रभु, भर दे अपने प्यार से स्वामी।
स्वीकारो हमें स्वीकारो, स्वीकारो प्रभु स्वीकारो
आये हैं हम लाये हैं हम, अपना जीवन अर्पण करने
स्वीकारो हमें स्वीकारो
आये हैं हम मंदिर तेरे, हमें अपना लो जैसे हैं हम
स्वीकारो हमें स्वीकारो
हमें वरदान ये दो भगवान, राह तुम्हारी चलें सदा
स्वीकारो हमें स्वीकारो ।
हमारे उपहारों को स्वीकारो भगवन,
जिसे हम तुम्हारे चरणों में अर्पित करते हैं।
गेहूँ से बनी रोटी के साथ जीवन भी लाते हैं,
अंगूर रस के प्याले के साथ प्यार भी लाते हैं,
हमारे जीवन को ले ले तू प्रभु जी नूतन तू कर दे,
आशिष दे दे, उपहार ले ले -3
भोग, स्वार्थ, वैभव प्रभु चढ़ाते तुझको हम,
कामना अपनी प्रभु अर्पित करते हम,
हमारे जीवन को ले ले तू प्रभुजी नूतन तू कर दे,
आशिष दे दे, उपहार ले ले -3
हे प्रभु तेरे सामने मैं आ गया ऐसे, सूने हाथों कोई चला आये जैसे
कोई तोहफा तेरे लिए लाऊँ मैं कैसे ।
मेरा ये जीवन मेरा ये तनमन, साँसे हैं मेरी तुझसे,
तूने किया जो मुझको दिया जो, बैसा न होगा मुझसे,
तेरा कहा न किया, जैसे तूने चाहा मैं न वैसे किया।
इतनी दया कर तू मेरे ऊपर, बन जाये रोटी तेरा तन
श्रद्धा से आया, दाखरस जो लाया, तेरा लहू ये जाये बन
देने जो तुझको पिता उन भेंटों के जरिये मुक्ति दिला ।