हे क्रूस-भक्त संत योहन आपने मानवीय त्रासदियों, दरिद्रता, अभाव, भूख, अन्याय, अत्याचार आदि को अपने व्यक्तिगत जीवन में जीया। जीवन के इन कटु अनुभवों के बावजूद भी आपने ’ईश्वरीय पूर्व-प्रबंध’ में अपना विश्वास कायम रखा तथा जीवन की कडवाहट को ईश्वरीय मधुरता के द्वारा विजय में बदला। हे अद्वितीय सहनशक्ति के धनी एवं विश्वासी संत योहन, मानवीय जीवन अभावों एवं कडवाहटों से भरा है। जीवन की कडवाहटें हमें निराशा के घनघोर जंगल में भटका देती है। आपने अपने साहसी एवं तपोमय जीवन द्वारा हमें सिखलाया कि ईश्वर हमें कभी भी नहीं त्यागते बल्कि जीवन के अभावों एवं परेशानियों द्वारा गहरे विश्वास की ओर ले जाते हैं।
हमें भी आपके समान ईश्वर की योजनाओं पर विश्वास करना तथा इन योजनाओं के फल का धैर्यपूर्वक इंतजार करना सिखलाइये। हमें भी प्रेरणा प्रदान कीजिए जिससे हम सांसारिक इच्छाओं को त्यागकर ईश्वरीय सुख की खोज में लगे रहें। यह आपका विश्वास था कि कोई भी मनुष्य कठोरता के मार्ग द्वारा ईश्वर को प्रेम करना नहीं सीख सकता इसलिये हमें भी हमारे भाई-बहनों से उदारता एवं स्नेह का व्यवहार करने का वरदान प्रदान कीजिए ताकि जहाँ प्रेम नहीं है वहाँ हम प्रेम दे सके। आपने अपने जीवन द्वारा अनेकों का उद्धार किया तथा उन्हें ईश्वरीय वरदान प्रदान किये मेरी इस जरूरत की घड़ी में मेरी सहायता कीजिए तथा इस निवेदन को मेरे लिये येसु से प्राप्त कीजिए (...............निजी निवेदन................) आमेन।
हे पिता हमारे....................प्रणाम मरिया........पिता और पुत्र और पवित्रात्मा की महिमा....
हे क्रूस-भक्त संत योहन, हमारे लिये प्रार्थना कीजिए।
कि हम ख्रीस्त की प्रतिज्ञाओं के योग्य बन जायें।
हम प्रार्थना करें
हे पिता परमेश्वर हमने संत योहन के जीवन एवं कार्यों द्वारा आपको और अधिक पहचाना तथा आपकी शिक्षाओं को जीवन की वास्तविकता बनते देखा है। हमारी आपसे प्रार्थना है कि संत योहन के जीवन के पुण्यफलों के द्वारा हम भी प्रभु येसु के जीवन, क्रूस एवं पुनरूत्थान में सहभागी बनकर उनकी प्रतिज्ञाओं के योग्य बन जाये। हम यह प्रार्थना करते हैं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त के द्वारा। आमेन।