हे ईश्वर, हमें तू इसलिए दुख-तकलीफ़ में पड़ने देता है कि हमें तेरे विषय सोचने को अधिक समय मिले; कि सांसारिक सुख-विलास से हमारा मन दूर रहे; कि अपने तथा अन्यों के पापों के लिए क्षमा माँग सकें और इन पापों के प्रायश्चित स्वरूप तुझे कुछ बलिदान चढा सकें। मुझे यह कृपा दे कि इस बीमारी को तेरे प्रिय हाथों द्वारा प्रदत्त वरदान के रूप में ग्रहण कर सकूँ। मैं अपने को तेरे हाथों समर्पित कर देता हूँ क्योंकि केवल तू जानता है कि मेरे लिए क्या अधिक उपयुक्त है। तेरी पवित्र इच्छा के अनुसार चलने के लिए मुझे धीरज तथा शांति प्रदान कर। आमेन।