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चक्र स - 35. प्रभु का स्वर्गारोहण

प्रेरित चरित 1:1-11; एफ़ेसियों 1:17-23; लूकस 24:46-53

(फादर रोनाल्ड करडोज़ा)


एक नास्तिक के लिये परिवार के किसी सदस्य या प्रिय मित्र की मौत सर्वाधिक दुख की घड़ी होती है। नास्तिक को पूरा यकीन होता है कि न ही ईश्वर है और न ही मृत्यु के बाद जीवन। इसलिये परिजन या मित्र की मृत्यु उसके लिये सब कुछ का अंत है। न तो वह उन्हें कभी देखेगा और न ही कभी मिलेगा। वे हमेशा-हमेशा के लिये धरती के गर्भ में दफन हो जाते हैं। यह विचार हर गुज़रते हुये दिन के साथ उसको और अधिक दुखी बनाता है क्योंकि उसका अंत भी निकट है जो उसकी सारी महत्वाकांक्षाओं, खुशी और वह सबकुछ जिसे उसने अपना समझा था, का भी अंत है।

हम खीस्तीयों का यह सत्य जानने का सौभाग्य है कि मृत्यु मनुष्य का विनाश नहीं, वास्तव में विकास है, जिसकी पुष्टि बुद्धि एवं विश्वास भी करते हैं। यह वास्तविक शुरूआत है। आज का स्वर्गारोहण का पर्व हमें उस घटना की याद दिलाता है जब येसु खीस्त अपने मानव शरीर के साथ अपने एवं हमारे पिता के यहाँ चले जाते हैं। हमारा विश्वास इस तथ्य की पृष्टि करता है। हम सब एक नयी एवं महिमान्वित काया के साथ अपनी कब्रों में से जी उठेंगे एवं स्वर्ग में उठा लिये जायेंगे जहाँ हम अपना अनंत शांति का वास्तविक जीवन शुरू करेंगे।

प्रभु येसु खीस्त का स्वर्गारोहण या अपने महिमांन्वित शरीर के साथ स्वर्ग में जाना इस बात का सूचक एवं चिन्ह है कि पृथ्वी पर उनके द्वारा मुक्ति का कार्य पूरा हो गया है। वह, ईश्वर के पुत्र, पवित्र त्रित्व के दूसरे जन, मनुष्य बने, इस धरती पर जीये तथा मर गये ताकि मनुष्य स्वर्ग में ईश्वर के साथ अंनत काल तक जी सके। क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा उन्होंने पापी मनुष्य को उसके दिव्य सृष्टिकर्त्ता के साथ जोड़ दिया है। उनकी मृत्यु ने हमें दिव्य जीवन का सहभागी बनाया। उनका पुनरुत्थान यह ईश्वरीय आश्वासन है कि हम पुनः जी उठेंगे तथा उनका पिता के पास स्वर्गारोहण हमारे स्वयं के ईश्वर के राज्य में प्रवेश की पूर्वसूचना है।

येसु परम पिता के प्रिय पुत्र हैं और वे सचमुच में कितने योग्य पुत्र साबित हुये। हम उनके भाई-बहन हैं और उनमें हमें कितना अद्भुत भाई मिला है। वे हम थे जिन्होंने उनके साथ विश्वासघात किया और क्रूस पर चढ़ाते हुए उनको त्याग दिया। लेकिन उनके दुखभोग एवं मरण के कारण पिता ने उन्हें पुनर्जीवित कर अपने दाहिने ओर बैठाकर महिमान्वित किया, जैसा कि हम प्रेरित चरित में पढ़ते हैं कि सारी पृथ्वी एवं आकाश में येसु के नाम के सिवा कोई अन्य नाम नहीं दिया गया है जिससे मुक्ति मिल सके (प्रेरित चरित 4:12)। अपने इस महिमामय स्थान से वह हमें हर पाप एवं बुराई से बचाते हैं, यहाँ तक कि मृत्यु से भी। वह पिता की बिखरे हुए पुत्र-पुत्रियों को एक महान परिवार के रूप में एकत्र करना चाहते है।

आज वह दिन है जब कलीसिया हमें येसु के स्वर्गारोहण को मनाने के लिये आंमत्रित करती है। यह वह दिन है जब शिष्यगण यह जानकर कि येसु के साथ क्या हुआ है आन्नद से भर गये थे। लेकिन हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिये कि येसु हमें छोड़कर वहाँ चले गये हैं जो उनका वास्तविक स्थान है। अगर ऐसा होता तो खीस्तीय धर्म एक यादगारी का धर्म मात्र रह जाता। येसु जी उठे तथा पिता के दाहिने ओर विराजमान है, लेकिन वह हमारे बीच अब भी जीवित है। वह लगातार हममें जो उनके अनुयायी है, पुनः जन्म लेते, जीते एवं मरते हैं।

इसलिये हमें यह नहीं सोचना चाहिये कि येसु हमसे बहुत दूर हैं। जो लोग हमारे विश्वास के नहीं हैं हमें उनको अपने जीवन द्वारा प्रभु की उपस्थिति की गवाही देना है। ये लोग अविश्वासी थॉंमस की तरह जबतक येसु को हममें नहीं देखते एवं छूते तब तक विश्वास नहीं करेगें। येसु कहते है ’तुम मेरे गवाह बनोगे’। जब हम पुराने व्यवस्थान के यूसुफ़ की तरह जिसने अपने भाईयों को माफ किया था, उन लोगों को माफ करते हैं जो हमारे विरूद्ध कार्य करते हैं तो हम येसु की गवाही देते हैं। हम येसु के गवाह तब बन जाते हैं जब हम प्रतिकूल परिस्थितियों में जीने के बावजूद भी ईश्वर पर विश्वास करते हैं तथा उनकी इच्छानुसार जीवन बिताते हैं।

पुनरुत्थान के बाद प्रभु अपने शिष्यों को अपना मिशन कार्य सौंप देते है। लेकिन उस मिशन को पूरा करने के लिये उन्हें ऊपर की शक्ति से सुसज्जित होना चाहिये, पवित्र आत्मा जिसकी प्रतिज्ञा प्रभु येसु ने की थी, का इंतजार करना चाहिये। यह आत्मा पिता का वादा है। आत्मा पिता तथा येसु द्वारा कलीसिया को दिया गया वरदान है जिससे कलीसिया येसु की मृत्यु एवं पुनरुत्थान को घोषित करती रहें एवं मानव को पश्चात्ताप और विश्वास की ओर बुलाती रहे। जिस तरह येसु अपने बपतिस्मा के दौरान आत्मा से परिपूर्ण थे और आत्मा की शक्ति से अपना कार्य प्रारंभ करते हैं उसी तरह कलीसिया भी जन्मती है और पवित्र आत्मा की शक्ति से इस मुक्ति के कार्य को जारी रखती है।

प्रभु द्वारा वादा किया हुआ वरदान कलीसिया को दिया जा चुका है एवं लगातार दिया जा रहा है। हम पवित्र आत्मा के कलीसिया में निरतंर आगमन तथा उसके अनुभव के लिये प्रार्थना करें।


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