मीकाह 5:1-4अ; इब्रानियों 10:5-10; लूकस 1:39-45
ख्रीस्त में प्यारे भाईयो और बहनों आज आगमन काल का चैथा रविवार है और माता कलीसिया प्रभु येसु के जन्मदिवस के निकटतम पडाव में पहूँच चुकी है। हम प्रभु येसु के आने की इंतजार में लगे हुए है। हम बालक येसु को अपने दिलो में जगह देने के लिए पवित्र एवं आध्यात्मिक रूप से तैयारी कर, प्रभु येसु के जन्म के बारे में गहराई से मनन चिंतन कर रहे है। प्रभु येसु के आगमन पर हम उनका स्वागत कैसे करेंगे इस पर मनन चिंतन करने का हमारे लिए यह सुअवसर है। हम बाहरी रूप से तरह-तरह की सजावटें करते हैं और सोचते भी होंगे कि इस बार चरनी को किस प्रकार से बनाना है? उसको किस प्रकार से तैयार करना है ताकि दिखने में वह पिछले वर्षों की अपेक्षा अधिक सुन्दर एवं मनमोहक हो? इसके साथ-साथ यदि हम दूसरी तरफ यानि आंतरिक रूप से बालक येसु को अपने दिलो में जगह देने के लिए समुचित तैयारी करते हैं तो हमें कृपाओं का भण्डार प्राप्त हो सकता है।
पुराने विधान में नबी मीकाह के ग्रंथ में हम पढ़ते हैं कि नबी मीकाह प्रभु येसु के आगमन की पूर्व-उद्घोषणा करते हुए कहते है कि आने वाला मसीह हमारे समान एक साधारण मानव होंगे जो चरवाहे बनकर हमारी अगुवाई करेंगे। वे हमारा मार्ग दर्शन करेंगे और हमारी ज़रूरतों की पूर्ति करेंगे। इस प्रकार माता कलीसिया हमें अपने हृदयों को स्वच्छ, निर्मल एवं विनम्र बनाये रखने का आग्रह करती है। हृदय की शुद्धता से हमें ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव होता है और हममें आत्मा का आंतरिक प्रेम एवं आनन्द प्रवाहित होती है। आज के पवित्र सुसमाचार में भी प्रभु येसु ख्रीस्त के जन्म संदेश का जिक्र करके एलीज़बेथ और कुवाँरी मरियम के आंतरिक आनन्द को प्रकट किया गया है। एलीज़बेथ का गर्भवती होना एवं मरियम को प्रभु की माँ बनने के लिए चुना जाना वास्तव में मानवीय समझ से परे है लेकिन यह ईश्वर के लिए असम्भव नहीं हैं। आप लोग सोचते होगें कि माँ मरियम उस पहाड़ी प्रदेश को पार करके कैसे एलीज़बेथ के पास पहुँची होगी? लेकिन प्रभु के विचार और मनुष्य की विचारधारा भिन्न है। प्रभु के लिए चुने जाने के लिए सुंदर एवं बुद्धिमान होना अनिवार्य नही है, बल्कि ईश्वर के समक्ष पूर्ण रूप से स्वच्छ एवं आज्ञापालन होना अनिवार्य है। तभी हम ईश्वर के सच्चे वाहक बन सकते है।
आज के पाठ हमें पूर्वाभास कराना चाहते है कि आने वाले मसीह को हमारे दिलो में बसाने के लिए हमें सुंदर एवं स्वच्छ सरायों का निर्माण करना चाहिए है। जब हम पूर्ण रूप से स्वच्छ रहेंगे तो हम आने वाले बालक येसु को महसूस कर पायेंगे। प्रभु के समक्ष अपने आप को दीन-हीन एवं विनम्र बनाये रखें और उसके भावी पुरस्कार एवं संदेश को स्वीकार कर भावी जीवन में आगे बढ़ते रहे क्योंकि हमारी माँ मरियम और एलीजबेथ भी ने भी अपने जीवन द्वारा हमें यदि सिखलाया है। सर्वप्रथम हम माँ मरियम के समान प्रभु येसु को अपने हृदयो में स्थान दे, हमारे हृदयों को बुराईयों एवं भोगविलास की गंदगी से दूर रखें तथा इससे प्राप्त शुद्धता के द्वारा आध्यात्मिक नवनीकरण का कार्य करें ताकि हम प्रभु के योग्य बन सके। दूसरी बात यह है जिस प्रकार माँ मरियम ने प्रभु को ग्रहण किया, उनको वहन किया तथा उनको दूसरो के साथ बाँटने का प्रयत्न किया क्योंकि वे सबके मसीह है। हम स्वयं को प्रभु के अनुभव तक ही सीमित न रखें बल्कि उन्हें अपने प्रवचनों, कर्मों, बातों, अनुकूल व्यवहारो के आदन प्रदान से प्रभु को प्रकट करें। आइये हम पूर्ण रूप से सरल, विनम्र तथा दूसरो के लिए प्रेरणादायक बन सकें तथा येसु को ग्रहण करे। आमेन।