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चक्र स - 04. आगमन का चैथा इतवार

मीकाह 5:1-4अ; इब्रानियों 10:5-10; लूकस 1:39-45

(फादर हैरिसन मार्कोस)


आज का शब्द-समारोह हमें तीन बातों पर ध्यान देने के लिये प्रेरित करता है। पहला, मुक्ति के इतिहास में बेथलेहेम का योगदान। दूसरा, मुक्ति के इतिहास में मरियम का योगदान। तीसरा, मुक्ति के इतिहास में हमारा योगदान। पहले पाठ में नबी मीकाह कहते हैं कि हालाँकि बेथलेहेम यूदा के वंशों में सबसे छोटा है, फिर भी वह पूरे इस्राएल के घराने पर राज करेगा। कहने का तात्पर्य है कि बेथलेहेम एक नगण्य नगर था। इतिहास में उसका कोई महत्व नहीं था। बहुत कम जाने माने लोगों का इस शहर से सम्बन्ध था, फिर भी नबी मीकाह के अनुसार मुक्तिदाता का जन्म इसी नगर में होना है। वास्तव में बेथलेहेम शब्द का अर्थ है ‘रोटी का घर’। येसु का जन्म बेथलेहेम में होने से यह तात्पर्य है कि जिन लोगों को मुक्ति की भूख थी उन्हें येसु सम्पूर्ण तृप्ति प्रदान करते हैं। क्योंकि येसु स्वयं ही अनन्त जीवन की रोटी है। वे हमारी हर भूख मिटाते हैं। लोगों ने ईसा से कहा, ‘‘प्रभु! आप हमें सदा वही रोटी दिया करें’’। उन्होंने उत्तर दिया, ‘‘जीवन की रोटी मैं हूँ। जो मेरे पास आता है, उसे कभी भूख नहीं लगेगी और जो मुझ में विश्वास करता है, उसे कभी प्यास नहीं लगेगी’’ (योहन 6:34-35)। नबी मीकाह की भविष्यवाणी के अनुसार जो मुक्तिदाता बेथलेहेम में उत्पन्न होगा ‘‘वह प्रभु के सामथ्र्य से तथा अपने ईश्वर के नाम के प्रताप से अपना झुण्ड चरायेगा’’। प्रभु येसु ही वह चरवाहा है। सुसमाचार में हम देखते हैं कि प्रभु येसु किस प्रकार चरवाहे के रूप में लोगों की देखभाल करते हैं।

दो साल पहले वैज्ञानिक डीन केमन ने दावा किया था कि उनके नये आविष्कार से यातायात में क्रान्ति आयेगी। उनका आविष्कार था ‘सेगवे’, जो कि एक व्यक्ति को एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकता है। उस पर उसने 10 करोड़ रूपये खर्च किये थे। किन्तु जब सेगवे बाज़ार में आया, तो लोगों के मुख से निकला ‘‘बस इतना ही’’! लोगों में जो आशा थी उसे सेगवे ने पूरा नहीं किया । लोग निराश हो गये।

इसी प्रकार येसु के जन्म के पूर्व लोगों की यह धारणा थी कि मसीह अद्भुत व्यक्ति होगें, वे इस्राएल को अपने दुश्मनों से आज़ाद करायेंगे आदि। किन्तु जब लोगों ने बेथलेहेम में बालक को देखा तो उनके मुँह से निकला होगा, ‘‘क्या यही वह बालक है’’! मरियम को भी शायद पूरा अन्दाज़ा नहीं था कि जिस बालक को उसने अपने गर्भ धारण किया हैं वो कितना महान है! येसु की महानता को हम जानते हैं। वे लोगों की आशा से भी बढ़कर हैं। उन्होंने सारे संसार को मुक्ति प्रदान की है।

पवित्र बाइबिल में लिखा है कि छठे महीने गब्रिएल दूत मरियम को सन्देश देता है। दूत ने मरियम से कहा- ‘‘प्रणाम, प्रभु की कृपा पात्री! प्रभु आपके साथ हैं’’। मरियम एक विशेष व्यक्ति थी। उन्हें ईश्वर का विशेष वरदान प्राप्त था। कलीसिया हमें मरियम के निष्कलंक गर्भागमन के बारे में सिखाती है। अर्थात मरियम अपनी माता के गर्भ से ही आदिपाप रहित थी। वे कहती हैं, ‘‘मेरी आत्मा मेरे मुक्तिदाता में आनन्द मनाती है।’’ मरियम पाप रहित थी। फिर भी उसने मुक्तिदाता की आवश्यकता को समझा। क्योंकि वे विनम्र थी। मरियम विश्वासी थी, ईश वचनों पर भरोसा रखती थी। वे पूर्ण रूप से आज्ञाकारी थी। ईश्वर ने मरियम को विशेष कार्य के लिए चुना, वह है मुक्तिदाता की माँ बनने का। इस प्रकार मुक्ति के इतिहास में मरियम का योगदान अतिविशेष है। मरियम सुसमाचार की प्रथम सन्देश वाहक थी। उसने वचन को धारण किया था, वही वचन जिसके द्वारा संसार की सृष्टि एवं मुक्ति हुई।

मुक्ति के इतिहास में हमारा क्या योगदान है? येसु इस संसार में सब लोगों के लिए आये। अमीर, गरीब, मालिक, नौकर, या किसी भी ओहदे के व्यक्ति क्यों न हो, सब की मुक्ति के लिए येसु आये। एक फौजी विमान चालक, विमान से करतब दिखाया करता था। एक बार करतब दिखाते समय उसका विमान सीधे पहाड़ी में घुस गया। क्योंकि विमान उलटा उड़ रहा था। चालक को इसका ध्यान नहीं था। हम भी जीवन की भाग दौड़ में कभी-कभी उलटा जीवन जीते हैं। इसी कारण हम भी दुर्घटनाओं के शिकार हो जाते हैं। हमें मालूम नहीं पड़ता हमारे जीवन की असफलता का कारण क्या है। कभी-कभी हम ईश्वर से दूर हो जाते हैं, ईश्वर के विरूद्ध काम करते हैं। लेकिन फिर भी प्रभु हमारे जीवन में आते हैं, हमें आशा दिलाते हैं, हमारे पाप क्षमा करते हैं। ईश्वर ने मनुष्य के साथ जो करार किया था- संसार को मुक्ति देने का- पूरा करते हैं। मेरा ईश्वर के वादे के प्रति क्या जबाव है? क्या मैं ईश्वर के प्रति उनकी महती दया के लिए आभार प्रकट करता हूँ? क्या मैं ईश्वर की सही रूप से आराधना करता हूँ? क्या मैं ईश्वर को दिये वचन को पूरा करता हूँ? क्या मैं लोगों को दिये गये वादों, वचनों आदि को पूरा करता हूँ? ईश्वर के मुक्ति विधान में मेरा क्या सहयोग है? क्या मैं पूर्ण रूप से प्रायश्चित करता हूँ? क्या मैं मरियम के समान सदा ही ईशगुणगान करता हूँ। आईये, यह आगमन काल का अंतिम समय है, हम इन सवालों के जवाब ढूँढते हुए अपने आपको तैयार करें और बालक येसु का हमारे जीवन में स्वागत करें।


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