सुलेमान 1:13:15, 2:23-24; 2 कुरिन्थियों 8:7-9, 13-15; मारकुस 5:21-43
आज के सुसमाचार को सैंडविच सुसमाचार भी कहते है। क्योंकि येसु जैरूस की मृत पुत्री को जिलाने जाने के रास्ते में ही बारह साल से रक्तस्राव से पीडित महिला को चंगाई प्रदान करते हैं। इन दोनों चमत्कारों को देखते हुए हमें दो बिन्दुओं पर नज़र डालना चाहिए।
1. दुःख तकलीफ में प्रभु पर विश्वास रखना है।
2. प्रभु छोटे विश्वास को भी बढावा देते है।
रक्तस्राव से पीडित महिला बारह साल से परेशान थी। लेवी ग्रंथ 15:19 में लिखा है ‘‘यदि किसी स्त्री का मासिक स्राव हो, तो वह सात दिन तक अशुद्ध रहेगी और जो उसका स्पर्श करेगा, वह शाम तक अशुद्ध रहेगा।’’ आगे लेवी 15:25 में लिखा है ‘‘यदि किसी स्त्री को उसके मासिक धर्म के दिनों के सिवा अन्य दिनों में अथवा मासिक धर्म पूरा होने के बाद रक्तस्राव होता रहे, तो वह उस समय ऋतुकाल की तरह अशुद्ध है।’’ इससे हम अंदाजा लगा सकते है कि बारह साल की इस बीमारी से वह कितनी परेशान हो गयी होगी। बारह साल तक किसी ने उसको स्पर्श नहीं किया होगा। लोगों को या किसी वस्तु को स्पर्श करने से वह डरती थी। उसे येसु को स्पर्श करने की हिम्मत नहीं थी। इसलिए उसने पीछे से जाकर उनका कपडा छू लिया। इसके पूर्व उसने बहुत से वेदयों के पास इलाज करवाया और बहुत पैसा भी खर्च किया लेकिन बावजूद भी उसे कोई राहत नहीं मिली। तब वह प्रभु पर आखरी भरोसा रखते हुए उनके पास आती है। उसका विश्वास था कि प्रभु उसे ठीक कर सकते है।
जैरूस सभागृह का अधिकारी था उसके पास पैसे की कोई कमी नहीं थी। शायद उसने बहुत लोगों की मदद भी की होगी। अपनी बेटी को अच्छा से अच्छा इलाज दिया होगा इसके बावजूद भी जब बीमारी में कोई फर्क नहीं दिखा तो वह प्रभु के पास जाता है। उसकी निस्सहाय अवस्था को दर्शाते हुए बाइबिल में लिखा है कि वह प्रभु से अनुनय विनय करने लगा। एक अधिकारी प्रभु के सामने अपने आपको दीन हीन बनाता है। उसको प्रभु पर भरोसा था। प्रभु पर आसरा और भरोसा रखने वालों को प्रभु कभी नहीं छोडते।
2. प्रभु छोटे विश्वास को भी बढ़ावा देते हैः
रक्तस्राव से पीडित स्त्री के मन में यह विचार था कि वह प्रभु के वस्त्र के पल्ले को छू भी ले तो वह ठीक हो जायेगी। और जैसे ही वह ठीक हुई वह संतुष्ट थी और वहॉं से चुपचाप निकलने का इरादा थी। लेकिन प्रभु ने उसके इस विश्वास को लोगों के सामने प्रस्तुत किया। वे उसको सबके सामने लाये और अपने विश्वास का साक्ष्य करवाया। उस स्त्री के विश्वास के कारण वहॉं पर प्रभु ने एक विश्वास भरे जन समूह की स्थापना की।
जैरूस जब प्रभु से मिलने आये तब उनके मन में केवल एक ही चिन्ता थी कि उसकी बेटी ठीक हो जाये। वह प्रभु के पास इसलिए आया कि उसको प्रभु पर विश्वास था। प्रभु ने उनके विश्वास को बनाये रखते हुए बेटी की मृत्यु होने पर भी उसको जिलाया। प्रभु द्वारा अपने बेटी को चंगाई दिलाने का जैरूस का विश्वास बडी मात्रा में वहॉं पर उपस्थित लोगों के विश्वास में परिवर्तन होता है।
हरेक व्यक्ति का ईश्वर पर विश्वास करने और उस विश्वास को प्रकट करने का अपना अलग अलग तरीका है। कुछ लोग ऊॅंची आवाज से प्रार्थना करते हुए प्रभु की स्तुति करते है इसी प्रकार कुछ लोग मौन रुप से प्राथना करना पसंद करते है और कुछ लोगों को लगातार बाईबिल या कोई आध्यात्मिक किताब पढ़ना अच्छा लगता है। हम जैसे भी अपने विश्वास की साधना करते है या प्रकट करते है उन सब को प्रभु देखते है। हमारा छोटा विश्वास भी बडा काम कर सकते है इसलिए प्रभु ने कहा ‘‘यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर भी हो और तुम इस पहाड से यह कहो यहॉं से वहॉं तक हट जा, तो यह हट जायोगा; और तुम्हारे लिए कुछ भी असंभव नहीं होगा (मती 17:20).
अब हमे मनन चिंतन करना चाहिए कि हमारा विश्वास कितना मजबूत है? क्या हम अपनी दुःख तकलीफ में प्रभु के पास जाने की हिम्मत रखते हैं? प्रभु को हमारा इंतज़ार है। वे हमारा विश्वास मजबूत करना और बढ़ाना चाहते है। हम प्रभु में भरोसा रखना सीखे वह हमें संभालेगे। हमारा विश्वास कुछ एैसा रहे वैसे कोलोन शहर की एक दीवार पर लिखा है, ’’सूरज की किरण नहीं देखने पर भी मैं सूरज पर विश्वास करता हूँ। प्यार का एहसास नहीं होने पर भी मुझे प्यार में विश्वास है। ईश्वर को नहीं देखने से भी मैं उन पर विश्वास करता हूँ।’’