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32. पास्का का चैथा इतवार

प्रेरित चरित 4:8-12; 1 योहन 3:1-2; योहन 10:11-18

(फादर सुसई पी.)


इस दुनिया के लेखक प्रभु येसु ख्रीस्त के व्यक्तित्व को विभिन्न रीति से प्रस्तुत करते हैं। कोई उन्हें महान कहता है तो कोई क्रान्तिकारी। कोई उन्हें परिमोचक कहता है तो कोई धर्म सुधारक। सभी लोग अपने-अपने दृष्टिकोण से प्रभु येसु की जीवनी को पढ़ते हैं और अपने-अपने विचार प्रकट करते हैं। विश्वासी लोग बाइबिल के पन्ने पलट कर प्रभु येसु ख्रीस्त के व्यक्तित्व को गहराई से समझने की कोशिश करते हैं। बाइबिल में प्रभु येसु ख्रीस्त को विभिन्न शीर्षक दिये गये हैं- जैसे इस्राएल का राजा, मसीह, मुक्तिदाता, दाऊद का पुत्र, नाज़री, बढ़ई का पुत्र, गुरू, मानव पुत्र, ईश्वर का पुत्र, यहूदियों का राजा, भला गड़ेरिया आदि। इनमें से कुछ शीर्षकों का उपयोग प्रभु के ही मुँह में पाते हैं और इसी कारण यह शीर्षक अन्य की अपेक्षा अधिक महत्व रखते हैं। इनमें से प्रमुख है- भला गड़ेरिया।

आज का सुसमाचार प्रभु येसु को भले गड़ेरिये के रूप में प्रस्तुत करता है। प्रभु येसु इसका विवरण भी देते हुए भले गड़ेरिये होने की सार्थकता प्रस्तुत करते हैं। इस समझने के लिए हमें पुराने विधान में गड़ेरिये के रूप को पहचानना होगा। पुराने विधान में लोगों के नेताओं को गडे़रिया माना जाता था। नबी एजे़किएल के ग्रंथ अध्याय 34 में प्रभु ईश्वर नबी एज़ेकिएल को इस्राएल के झूठे-चरवाहों के विरुद्ध भविष्यवाणी करने को कहते हैं। प्रभु का कहना था कि इस्राएल के चरवाहे अपने झुण्ड की देखभाल के बजाय अपनी ही देखभाल कर रहे थे। वे भेड़ो का दूध पी रहे थे। उनका ऊन पहनते और मोटे पशुओं के वध कर रहे थे। वे भेड़ों को नहीं चराते, कमज़ोर भेड़ों को पौष्टिक भोजन नहीं देते, बीमारों को चंगा नहीं करते, घायलों के घाव पर पट्टी नहीं बांधते, भूली-भटकी भेड़ों को नहीं लौटा लाते तथा कोई खोयी हुई का पता नहीं लगाते थे। इस प्रकार के कठोर व्यवहार की निंदा करते हुए प्रभु ईश्वर ने नबी एजे़किएल के द्वारा इस्राएल के नेताओं को फटकार लगायी। यहूदी नेताओं की लापहवाही के कारण लोग भटकते रहते थे। लोगों की आपस में भी परेशानियाँ तथा समस्याएं बढ़ती गयी। इस विषय में प्रभु ईश्वर मोटी और दुबली भेड़ों का न्याय करने की बात करते हैं। उसी अध्याय के अंत में प्रभु कहते हैं, ’’मैं स्वयं अपनी भेड़े चराऊँगा और उन्हें विश्राम करने की जगह दिखाऊँगा। जो भेड़े खो गयी हैं मैं उन्हें खोज निकालूँगा; जो भटक गयी है मैं उन्हें लौटा लाऊँगा; जो घायल हो गयी हैं उनके घावों पर पट्टी बाँधूँगा, जो बीमार है, उन्हें चंगा करूँगा; जो मोटी और भली चंगी है, उनकी देखरेख करूँगा। मैं उनका सच्चा चरवाहा होऊँगा’’। (एज़ेकिएल 34:15-16) नबी इसायाह के ग्रंथ (अध्याय 40) में भी सामथ्र्य के साथ आने वाले प्रभु ईश्वर के बारे में यह कहा गया है कि वह गड़ेरिये की तरह अपनी रेवड़ चरायेगा, मेमने को उठाकर अपनी छाती से लगा लेगा तथा दूध पिलाने वाली भेड़े धीरे-धीरे ले चलेगा। इस प्रकार की कई भविष्यवाणियाँ हमें पुराने विधान में देखने को मिलती है।

ये भविष्यवाणियाँ प्रभु येसु ख्रीस्त में पूरी होती है। आज के सुसमाचार में प्रभु अपने को भले गड़ेरिये के रूप के प्रस्तुत करते हैं जो अपनी भेड़ों के लिए अपने प्राण दे देता है। मज़दूर मज़दूरी के लिए काम करता है। और मालिक अपनी सम्पत्ति का अपनी तरक्की के लिए इस्तेमाल करता है। एक मज़दूर के लिए भेड़ों की देखरेख करना ’काम’ मात्र रह जाता है। मालिक के लिए भेड़ सम्पत्ति मात्र है। प्रभु येसु सभी के मालिक होते हुए भी अपनी भेड़ों की देखरेख खुद करते हैं। वे हमारे साथ मालिक-सेवक के रिष्ते से ऊपर उठकर भले गड़ेरिये की भूमिका निभाते हैं। प्रभु पिता की भेड़ों की रक्षा करते हैं और पिता इसलिए उन्हें प्यार करते हैं क्योंकि वे स्वयं अपनी भेड़ों के लिए अपना जीवन अर्पित करते हैं। संत मारकुस के सुसमाचार अध्याय 6:34 में हम पढ़ते हैं कि विशाल जनसमूह को देखकर प्रभु येसु को उनपर तरस आया, ’’क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों की तरह थे’’। लोगों की निस्सहायता भली-भांति जानकर प्रभु उन्हें शिक्षा देते हैं जिसके ज़रिए भेड़े अपनी गड़ेरिये की आवाज़ सुनती है तत्पश्चात उन्हें हरी घास पर बैठाकर पाँच रोटियों तथा दो मछलियों के चमत्कार द्वारा खिलाते हैं। यहाँ पर ’हरी घास’ का तात्पर्य भेड़ों को हरेभरे मैदानों में चराने से हैं।

प्रभु मेरा और आपका चरवाहा हैं। पवित्र वचन के द्वारा हम उस चरवाहे की वाणी सुनते हैं। उनके वचनों पर चलने से हम विपत्तियों से बचे रहते हैं। उनके मार्ग पर चलने से हमारा कल्याण होता है। स्तोत्र 23 हमें याद दिलाता है कि प्रभु हमारा चरवाहा है और जब तक हम उन्हें चरवाहा मानेंगे तब तक हमें किसी बात की कमी महसूस नहीं होगी, उनकी छत्रछाया में हम सुरक्षित रहेंगे, संकट के समय वे हमारी रक्षा करेंगे, विपत्तियों से हमें बचायेंगे, वे हमारे घावों पर पट्टी बाँधेंगे तथा जब हम भटक जाते हैं तब वे हमें भेड़शाला में वापस ले आयेंगे। कलीसिया के संस्कारों के द्वारा हमारी आध्यात्मिक देखरेख होती है। आइए हम हमारे चरवाहे की आवाज़ सुनकर उनकी देखरेख में आगे बढ़ने की कृपा परमपिता परमेश्वर से प्राप्त करें।


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