इसायाह 61:1-2अ, 10-11; 1 थेसलनीकियों 5:16-24; योहन 1:6-8,19-28
जयंती नामक एक अनाथ बालिका धर्म बहनों के कांवेंट में उनकी रेख-रेख में रहती थी। एक दिन वह सिस्टरों के साथ मिस्सा बलिदान की तैयार कर रही थी। उसने एक होस्तिया अपने हाथ में लेकर बारबार उसका चुंबन किया। तब जो सिस्टर होस्तिया बना रही थी उसने जयंती से कहा, ’’देखो बेटी इस होस्तिया में प्रभु येसु नहीं है। मिस्सा बलिदान के समय जब पुरोहित इसके ऊपर आशिष की प्रार्थना पढे़ंगे तब ही प्रभु इसमें उपस्थित होने आयेंगे।’’ यह सुनकर जयंती ने जवाब दिया, ’’सिस्टरजी मुझे यह मालूम है कि इस रोटी में अभी ख्रीस्त उपस्थित नहीं है, परन्तु जब प्रभु मिस्सा बलिदान के समय इस रोटी में रहने आयेंगे तब तक मेरा यह चुंबन उनका इंतजार करेगा।’’
निष्कलंता बच्चों की पहचान है। कलीसिया शायद आगमन के इस तीसरे इतवार में हमें इसी प्रकार की निष्कलंता के साथ येसु के आगमन की प्रतीक्षा करना सिखाती है। आज का सुसमाचार योहन बपतिस्ता को हमारे सामने प्रस्तुत करता है। योहन बपतिस्ता पुराने विधान की प्रतीक्षा पर विराम लगाते हैं। जब यहूदी नेताओं ने सुना की लोग योहन बपतिस्ता का उपदेष सुनने और उनसे बपतिस्मा ग्रहण करने के लिए बड़ी संख्या में जाने लगे हैं तो उन्होंने येरुसालेम से याजकों तथा लेवियों को योहन के पास यह पूछने भेजा की वे कौन है। इस अवसर पर योहन को अपना परिचय देना पड़ता है। योहन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे न तो मसीह है और न ही एलियस। जब उन्होंने यह भी कहा कि वे कोई नबी भी नहीं है तो उन्होंने उन्हें अपना परिचय स्पष्ट करने को कहा। तब योहन ने अपना परिचय देते हुए कहा, ’’निर्जन प्रदेष में पुकारने वाले की आवाज़: प्रभु का मार्ग सीधा करो।’’
यहूदी लोग सदियों से प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे। योहन समय की पूर्णता पर इस प्रतीक्षा को अपनी चरम सीमा पर पहुँचाते हैं। ’वे प्रभु का मार्ग सीधा करना’ अपना कर्त्ताव्य मानते हैं। यह कर्त्तव्य वे लोगों को पश्चात्ताप की ओर निमंत्रण देते हुए निभाते हैं। आज जब हम इस आगमन काल में प्रभु येसु की प्रतीक्षा कर रहे है तो हमें भी पश्चात्ताप के साथ प्रभु का मार्ग सीधा करना है। संत योहन का आह्वान है कि हम अपने कुकर्मों तथा पापों के रास्तों को छोड़कर उन्हें सुधारे। हमारे जीवन के सभी ऊबड़खाबड़ रास्तों को सुधारकर प्रभु का मार्ग तैयार करे। हम में से हरेक व्यक्ति को इस अवसर पर अपने आप से यह पूछना चाहिए कि हमारे जीवन के रास्ते कहाँ-कहाँ ऊबड़खाबड़ हैं। हो सकता है कि हमारे पारिवारिक जीवन में हमें परिवर्तन लाना है! शायद हमारी कोई दोस्ती ठीक नहीं है! हमारी कोई आदत बुराई की ओर झुकी हुई है! शायद हम जिस प्रकार से पैसा कमा रहें है वह भ्रष्ट हो! परीक्षा में पास होने के, नौकरी पाने के, नाम कमाने के, दोस्ती बढ़ाने के, व्यापार आगे बढ़ाने के, तरक्की पाने के हमारे कुछ रास्ते ऊबड़खाबड हो सकते हैं। आज का सुसमाचार संत योहन बपतिस्ता के द्वारा हमारे सामने यह चुनौती पेष करता है कि हम इस पर विचार करें तथा आज के सुसमाचार की शिक्षा को क्रिर्यांवित करे।
संत योहन बपतिस्ता की यह भी एक खूबी है कि उन्होंने अपनी पहचान को प्रभु येसु से संबंधित प्रस्तुत किया। जब हम अपना परिचय देते हैं तो हम स्वयं को किसी व्यक्ति के बेटे, भाई या दोस्त के रूप में प्रस्तुत करते हैं। या फिर हम किस समाज के सदस्य है या किस संस्था से संबंध रखते हैं, ऐसी बातों को बताते हैं। संत योहन बपतिस्ता ने अपने आप को प्रभु येसु के लिए, आने वाले मसीह के लिए मार्ग तैयार करने वाले के रूप में प्रस्तुत किया। अपना परिचय दूसरे के साथ संबंध में प्रस्तुत करने के लिए हमें बड़ी विनम्रता की ज़रूरत होती है। जब हम अपना परिचय किसी दूसरे व्यक्ति से संबंधित करते हैं तो हम उस व्यक्ति को आदर सम्मान देते हैं। योहन 3:30 में इस भावना को व्यक्त करते हुए संत योहन बपतिस्ता कहते हैं, ’’यह उचित कि वह बढ़ते जाएं और मैं घटता जाऊँ।’’ प्रभु के साथ रिष्ते में अपनी पहचान एवं परिचय ढूंढ़ना ख्रीस्तीयों का कर्त्तव्य है। जब मदर तेरेसा को नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था उस अवसर पर मदर ने अपनी पहचान इनों शब्दों में व्यक्त की, ’’जन्म से मैं अल्बानिया की रहने वाली हूँ। मेरी नागरिकता भारतीय है। मैं एक काथलिक धर्मसंघनी हूँ। मेरी बुलाहट के मुताबिक मैं सारी दुनिया की हूँ। लेकिन जहाँ तक मेरे हृदय का सवाल है मैं पूरी तरह से प्रभु येसु के हृदय की हूँ।’’ इस प्रकार हर एक ख्रीस्त विश्वासी को अपनी पहचान प्रभु येसु के साथ अपने संबंध में व्यक्त करना चाहिए।
आगमन काल में हम ख्रीस्तीय ज्यादातर बाहरी तैयारियों में ध्यान देते हैं। जैसे क्रिसमस कार्ड भेजना, घरों का साफ-सफाई करना आदि। परन्तु आज के पाठ हमें आंतरिक तथा आध्यात्मिक तैयारी को प्रथम स्थान देने के लिए निमंत्रण देते हैं। आने वाले मसीह से मैं क्या संबंध रखना चाहता हूँ? मैं अपनी पहचान किस प्रकार व्यक्त करना चाहता हूँ? मेरे जीवन के रास्ते के किन-किन जगहों पर ऊबड़खाबड है? आइए हम ईमानदारी के साथ इस सवालों के सही जवाब खोजें।