पु. - प्रभु आप लोगों के साथ हो।
सब - और आपकी आत्मा के साथ।
पु. - प्रभु में मन लगाइए।
सब - हम प्रभु में मन लगाए हुए हैं।
पु. - हम अपने प्रभु ईश्वर को धन्यवाद दें।
सब - यह उचित और न्यायसंगत है।
पु. - हे पिता, तुझे धन्यवाद। तूने हमें बुलाया है कि हम तेरे लिए जीवन बिताएँ। तेरी ही कृपा से हम मिल-जुलकर रहते और सुख-दु:ख में एक दूसरे का साथ देते हैं।
(पास्का काल में पुरोहित बोलते हैं : )
पु. - तू जीवितों का ईश्वर है, इसलिए तूने हमें जीवित रहने के लिए बनाया और स्वर्ग का अनंत सुख प्रदान करना चाहता है। तूने येसु खीस्त को मृतकों में से सर्वप्रथम जिलाकर उन्हें नया जीवन प्रदान किया। तू हमें भी पुन्नीवित करके अनंत जीवन प्रदान करना चाहता है, जहाँ किसी प्रकार का दु:ख-संकट नहीं होगा।
पु. - इसलिए, हे पिता, हम सब बड़े आनंद के साथ तेरा धन्यवाद करते हैं और सभी विश्वासियों, दूतों और संतों के साथ मिलकर तेरा स्तुतिगान करते हैं :
सब: पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर ! स्वर्ग और पृथ्वी तेरी महिमा से परिपूर्ण हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना ! धन्य हैं वे, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना !
(पुरोहित अपने हाथों को फैलाए हुए बोलते हैं : )
पु. - हे प्रभु, तू वास्तव में पवित्र और अत्यंत भला ईश्वर है। तू सभी मनुष्यों की भलाई करता है। हम तुझे धन्यवाद देते हैं, क्योंकि जब हम तुझसे दूर भटक गये थे और हमारे बीच बैर-भाव तथा फूट उत्पन्न हो गई थी, तब तूने अपने पुत्र येसु खीस्त को हमारे बीच भेजा। + उन्होंने पवित्र आत्मा के प्रभाव से हमारे मन की आँखें और कान खोल दिये और हमारा दिल बदल डाला, ताकि हम तुझे अपना पिता और स्वयं को तेरी संतान समझकर आपस में प्रेम-भाव बनाये रखें।
(पास्का काल में पुरोहित बोलते हैं : )
पु. - येसु ने हमें अनंत जीवन का संदेश सुनाया और उसे प्राप्त करने के लिए प्रेम का मार्ग दिखाया। इस मार्ग पर स्वयं सबसे आगे चलकर उन्होंने हमें उदाहरण दिया है।
पु. - खीस्त ने हमें वेदी के पास एकत्र किया है कि जिस संस्कार का समारोह उन्होंने मनाया था, उसे आज हम भी मनाएँ।
(वे करबद्ध होते हैं और भेंट के ऊपर अपने हाथों को फैलाए हुए बोलते हैं : )
पु. - इसलिए, हे अत्यंत भले पिता, पवित्र आत्मा की शक्ति से इस रोटी और दाखरस पर कृपापूर्वक आशिष प्रदान कर
(वे करबद्ध होते हैं और रोटी तथा कटोरे पर एक साथ एक बार क्रूस का चिह्न बनाते हुए बोलते हैं : )
पु. - कि ये हमारे लिए प्रभु येसु के शरीर + और रक्त बन जाएँ।
(वे करबद्ध होते हैं। निम्नलिखित प्रार्थनाओं में प्रभु के शब्दों का स्पष्ट और अक्षरश: उच्चारण किया जाना चाहिए, क्योंकि यह इन शब्दों की प्रकृति द्वारा अपेक्षित है।)
पु. - अपने दुःखभोग के एक दिन पहले संध्या की बेला में अपने शिष्यों के साथ भोजन करते समय
(वे रोटी लेते हैं और उसे वेदी के थोड़ा-सा ऊपर उठाकर जारी रखते हैं : )
पु. - येसु ने रोटी ली, तुझे धन्यवाद दिया और रोटी तोड़कर उसे अपने शिष्यों को देते हुए कहा :
(वे थोड़ा नतमस्तक होते हैं : )
पु. - तुम सब इसे लो और इसमें से खाओ, क्योंकि यह मेरा शरीर है, जो तुम्हारे लिए बलि चढ़ाया जाएगा।
(वे लोगों को प्रतिष्ठित होस्तिया दिखाते हैं; और उसे पुन: थालिका पर रखकर आराधना में नतजानु होते हैं। इसके बाद वे जारी रखते हैं : )
पु. - इसी भाँति
(वे कटोरा लेते हैं और उसे वेदी के थोड़ा-सा ऊपर उठाकर जारी रखते हैं : )
पु. - येसु ने दाखरस भरा कटोरा लिया, तुझे धन्यवाद दिया और उसे अपने शिष्यों को देते हुए कहा:
(वे थोड़ा नतमस्तक होते हैं : )
पु. - तुम सब इसे लो और इसमें से पिओ, क्योंकि यह मेरे रक्त का कटोरा है, नवीन और अनंत व्यवस्थान का रक्त, जो तुम्हारे और बहुतों के पापों की क्षमा के लिए बहाया जाएगा। तुम मेरी स्मृति में यह करो।
पु. - विश्वास का रहस्य।
सब: ख्रीस्त हमारे लिए मर गये और फिर जी उठे; हम उनके महिमामय आगमन की बाट जोहते हैं।
अथवा
हे प्रभु, हम तेरी मृत्यु और पुनरुत्थान की घोषणा तेरे पुनगागमन तक करते रहेंगे।
अथवा
हे प्रभु, जब हम यह रोटी खाते और यह कटोरा पीते हैं, तेरे पुनगगमन तक तेरी मृत्यु की घोषणा करते हैं।
अथवा
हे विश्व के उद्धाकर्त्ता, हमारा उद्धार कर। तूने अपने क्रूस तथा पुनरुत्थान द्वारा हमें मुक्त किया है।
(इसके बाद पुरोहित अपने हाथों को फैलाए हुए जारी रखते हैं )
पु. - इसलिए, हे पवित्र पिता, येसु खीस्त ने हमारी मुक्ति के लिए जो कुछ किया, हम उसे बड़े आनंद के साथ याद कर रहे हैं। उन्होंने यह पावन बलिदान, जो उनकी मृत्यु तथा पुनरुत्थान का स्मारक है, अपनी कलीसिया को सौंप दिया। हे स्वर्ग में विराजमान पवित्र पिता, हमारा निवेदन है : तू हम सबको अपने प्रिय पुत्र येसु के साथ, पुत्र-पुत्रियों के रूप में ग्रहण कर। वे स्वेच्छा से हमारे लिए क्रूस पर मर गये और तूने उनको मृतकों में से जिला दिया। इसलिए हम तेरा गुणगान करते हैं :
सब: धन्यवाद, हे भले ईश्वर ! तेरी जय हो सदा-सदा।
पु. - हमारे प्रभु येसु सदा जीवित हैं और स्वर्ग में तेरे संग विराजमान होकर हमारे बीच सदा उपस्थित रहते हैं।
सब: धन्यवाद, हे भले ईश्वर ! तेरी जय हो सदा-सदा।
पु. - प्रभु येसु इस संसार के अंत में महिमा के साथ पधारेंगे। तब उनके राज्य में कहीं भी दु:ख या शोक नहीं होगा।
सब: धन्यवाद, हे भले ईश्वर ! तेरी जय हो सदा-सदा।
पु. - हे पवित्र पिता, तूने हमें यहाँ बुलाया है कि हमारा हृदय पवित्र आत्मा के आनंद से भर जाए और हम इस वेदी से खीस्त का शरीर तथा रक्त ग्रहण करें। हमें कृपा दे कि इस संस्कार के प्रभाव से हम प्रभु येसु के समान जिएँ और सदा तुझे प्रसन्न करें।
पु. - हे प्रभु, हमारे संत पिता (नाम), हमारे धर्माध्यक्ष (नाम) और सभी धर्माध्यक्षों की सहायता करने की कृपा कर। + हम सबकी तथा खीस्त के सभी भक्तों की भी सहायता कर कि हम खीस्त की शांति, मेल-मिलाप और आनंद सर्वत्र फैलाएँ।
(पास्का काल में पुरोहित बोलते हैं)
पु. - विश्वासियों के हृदय में पास्का का आनंद भर दे। उन पर ऐसी कृपा कर कि वे उन हृदयों में इस आनंद का संचार कर सकें, जो शोक से भरे हैं।
पु. - हम सबको ऐसी कृपा दे कि हम एक दिन तेरे पास स्वर्ग पहुँच सके। वहाँ हम ईश्वर की माता धन्य कुँवारी मरियम, उनके वर धन्य योसेफ, संत (नाम) तथा सब संतों के साथ अपने प्रभु येसु के साथ सदा संयुक्त रहेंगे।
(वे कटोरा, तथा थालिका में होस्तिया लेते हैं और दोनों को ऊपर उठाते हुए बोलते हैं : )
पु. - इन्हीं प्रभु खीस्त के द्वारा, इन्हीं के साथ और इन्हीं में, हे सर्वशक्तिमान् पिता ईश्वर, पवित्र आत्मा के साथ, सारा गौरव तथा सम्मान युगानुयुग तेरा ही है।
सब - आमेन।