(इस तरह की यूखरिस्तीय प्रार्थनाओं का उपयोग मुख्यत: उन बच्चों के लिए किया जाता है, जो बौद्धिक आयु तक नहीं पहुँचे हैं, अर्थात् अभी किशोरावस्था में हैं। अत: इसमें भाग लेने वाले लोगों का एक बड़ा समूह बच्चों द्वारा गठित होना चाहिए प्रत्येक प्रार्थना की विशेषता को ध्यान में रखकर यूखरिस्तीय प्रार्थना की निजी अवतरणिका दी गयी है। इसे अन्य अवतरणिकाओं के साथ अदला-बदला जा सकता है। इसकी अपनी प्रकृति के अनुसार यह अवतरण पूजन-विधि में उपयोग के लिए दिया गया है। यह प्रारूपिक अवतरण प्रदर्शन मात्र के लिए नहीं, बल्कि उदाहरण स्वरूप हमें प्रस्तुत किया गया है।)
पु. - प्रभु आप लोगों के साथ हो।
सब - और आपकी आत्मा के साथ।
पु. - प्रभु में मन लगाइए।
सब - हम प्रभु में मन लगाए हुए हैं।
पु. - हम अपने प्रभु ईश्वर को धन्यवाद दें।
सब - यह उचित और न्यायसंगत है।
पु. - हे प्रभु, भले पिता तूने हमें एक साथ बुलाया है। हम तेरा यश गाने, तेरी प्रशंसा करने और अपनी कृतज्ञता प्रकट करने तेरे पास आये हैं। तूने सारे संसार को सौन्दर्य से और हमारे हृदय को आनंद से भर दिया है, इसलिए हम तेरी प्रशंसा करते हैं :
सब - तू हम सबको करता प्यार, होवे तेरा जय-जयकार।
पु. - दिन की रोशनी और मन की ज्योति के लिए हम तेरी प्रशंसा करते हैं। तूने पृथ्वी बनायी, उस पर मनुष्य को बसाया और हमें जीवन का वरदान दिया है, इसलिए हम तेरी प्रशंसा करते हैं :
सब - तू हम सबको करता प्यार, होवे तेरा जय-जयकार।
पु. - तू वास्तव में भला है, तू हमें प्यार करता और हमारे लिए अद्भुत कार्य करता है, न् इसलिए हम तेरी प्रशंसा करते हैं :
सब - तू हम सबको करता प्यार, होवे तेरा जय-जयकार।
(पुरोहित अपने हाथों को फैलाए हुए बोलते हैं : )
पु. - हे पिता, तू सदा अपनी प्रजा की चिंता करता है; तू हमें कभी भूल नहीं जाता है; तूने हमारे पास अपने पुत्र येसु को भेजा, वे हमें बचाने आये; उन्होंने रोगियों को चंगा किया, पापियों को क्षमादान दिया और सबको तेरा प्रेम दिखाया। उन्होंने बच्चों को गोद में लेकर उन्हें आशिष दी, इसलिए हम तुझे सारे हृदय से धन्यवाद देते हैं
सब : तू हम सबको करता प्यार, होवे तेरा जय-जयकार।
(पुरोहित अपने हाथों को फैलाए हुए जारी रखते हैं : )
पु. - हे परम दयालु पिता, तेरे प्रशंसागान के लिए हम अकेले नहीं हैं : बल्कि पृथ्वी के कोने-कोने में तेरी प्रजा तेरी महिमा गाती है। इसलिए हम सारी कलीसिया, विशेष करके अपने संत पिता (नाम) और अपने धर्माध्यक्ष (नाम) के लिए तुझसे प्रार्थना करते हैं। स्वर्ग में धन्य कुँवारी मरियम, उनके वर धन्य योसेफ, प्रेरितमण और सब संतजन सदा-सर्वदा तेरा गुणगान करते हैं। इन्हीं के साथ तथा सब स्वर्गदूतों के स्वर में स्वर मिलाकर हम भी तेरी आराधना करते हुए गाते हैं :
सब: पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर ! स्वर्ग और पृथ्वी तेरी महिमा से परिपूर्ण हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना ! धन्य हैं वे, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना !
(पुरोहित अपने हाथों को फैलाए हुए बोलते हैं : )
पु. - हे पवित्र पिता, तुझे धन्यवाद देने के लिए हम रोटी और दाखरस लाते हैं।
(वे करबद्ध होते हैं और भेंट के ऊपर अपने हाथों को फैलाए हुए बोलते हैं : )
पु. - इन्हें पवित्र आत्मा के सामर्थ्य से अपने परम प्रिय पुत्र येसु खीस्त का
(वे करबद्ध होते हैं और रोटी तथा कटोरे पर एक साथ एक बार क्रूस का चिह्न बनाते हुए बोलते हैं : )
पु. - शरीर और + रक्त बना दे; इस तरह हम तेरा ही उपहार तुझे अर्पित कर सकेंगे।
(वे करबद्ध होते हैं। निम्नलिखित प्रार्थनाओं में प्रभु के शब्दों का स्पष्ट और अक्षरश: उच्चारण किया जाना चाहिए, क्योंकि यह इन शब्दों की प्रकृति द्वारा अपेक्षित है।)
पु. - अपने दुःखभोग के पहले, प्रेरितों के साथ भोजन करते समय
(वे रोटी लेते हैं और उसे वेदी के थोड़ा-सा ऊपर उठाकर जारी रखते हैं : )
पु. - येसु ने मेज़ पर से रोटी ली, तुझे धन्यवाद दिया और रोटी तोड़कर उसे अपने शिष्यों को देते हुए कहा :
(वे थोड़ा नतमस्तक होते हैं : )
पु. - तुम सब इसे लो और इसमें से खाओ, क्योंकि यह मेरा शरीर है, जो तुम्हारे लिए बलि चढ़ाया जाएगा।
(वे लोगों को प्रतिष्ठित होस्तिया दिखाते हैं; और उसे पुन: थालिका पर रखकर आराधना में नतजानु होते हैं। इसके बाद वे जारी रखते हैं : )
पु. - इसी भाँति भोजन के अंत में
(वे कटोरा लेते हैं और उसे वेदी के थोड़ा-सा ऊपर उठाकर जारी रखते हैं : )
पु. - उन्होंने दाखरस-भरा कटोरा लिया, तुझे धन्यवाद दिया और उसे अपने शिष्यों को देते हुए कहा :
(वे थोड़ा नतमस्तक होते हैं : )
पु. - तुम सब इसे लो और इसमें से पिओ, क्योंकि यह मेरे रक्त का कटोरा है, नवीन और अनंत व्यवस्थान का रक्त, जो तुम्हारे और बहुतों के पापों की क्षमा के लिए बहाया जाएगा। तुम मेरी स्मृति में यह करो।
(वे लोगों को कटोरा दिखाते हैं; और उसे पुन: दिव्यान्नपट पर रखकर आराधना में नतजानु होते हैं। तब वे बोलते हैं : )
पु. - इसलिए, येसु खीस्त ने हमें जैसा करने की आज्ञा दी, हम अभी वैसा ही करते हैं। तुझे जीवन की रोटी और मुक्ति का कटोरा चढ़ाकर हम खीस्त की मृत्यु और पुनरुत्थान की घोषणा करते हैं :
सब:ख्रीस्त हमारे लिए मर गये और फिर जी उठे; हम उनके महिमामय आगमन की बाट जोहते हैं।
अथवा
हे प्रभु, हम तेरी मृत्यु और पुनरुत्थान की घोषणा तेरे पुनगागमन तक करते रहेंगे।
अथवा
हे प्रभु, जब हम यह रोटी खाते और यह कटोरा पीते हैं, तेरे पुनगगमन तक तेरी मृत्यु की घोषणा करते हैं।
अथवा
हे विश्व के उद्धाकर्त्ता, हमारा उद्धार कर। तूने अपने क्रूस तथा पुनरुत्थान द्वारा हमें मुक्त किया है।
(इसके बाद पुरोहित अपने हाथों को फैलाए हुए जारी रखते हैं )
पु. - हे पिता, तू हमें बहुत प्यार करता है, इसलिए हमें अपने इस भोज में भाग लेने देता है, ताकि हम पवित्र आत्मा के प्रेम से एक शरीर और एक मन होकर तेरे पुत्र का शरीर तथा रक्त ग्रहण करें।
पु.1 - हे प्रभु, तू कभी किसी को भूल नहीं जाता है। हम अपने संत पिता (नाम), अपने धर्माध्यक्ष (नाम) और अपने प्रियजनों (नाम) के लिए तुझसे प्रार्थना करते हैं। हम उनके लिए भी प्रार्थना करते हैं, जो शांतिपूर्वक इस संसार से सिधार चुके हैं।
पु. 2 - उन सबकी सुधि ले, जो कष्ट से पीड़ित और मन से उदास हैं। पृथ्वी के कोने-कोने में बिखरे सब मनुष्यों को अपने परिवार में एकत्र कर। हम तेरे पुत्र येसु खीस्त के महान् कार्यों को देखकर आश्चर्यचकित हो जाते और तेरी प्रशंसा करने लगते हैं।
(वे करबद्ध होते हैं। )
(वे कटोरा, तथा थालिका में होस्तिया लेते हैं और दोनों को ऊपर उठाते हुए बोलते हैं : )
पु. - इन्हीं प्रभु खीस्त के द्वारा, इन्हीं के साथ और इन्हीं में, हे सर्वशक्तिमान् पिता ईश्वर, पवित्र आत्मा के साथ, सारा गौरव तथा सम्मान युगानुयुग तेरा ही है।
सब - आमेन।