तुम्हारा जी घबराये नहीं।

अंग्रेजी में हम अकसर कहते हैं, “Don’t trouble the trouble until the trouble troubles you”. परेशानी के आने से पहले ही हम में से ज़्यादात्तर लोग भयभीत हो जाते हैं। हम विभिन्न प्रकार के डर के शिकार बनते हैं। अंधेरे से डर, पानी से डर, भविष्य से डर, अज्ञात व्यक्तियों से डर – इस प्रकार हमारे ड़र की सूचि बहुत लंबी है। कभी-कभी हम ऐसे लोगों से भी मिलते हैं जो प्रकाश और सच्चाई से भी डरते हैं। वास्तव में उन्हें उस बात का डर है कि उनके गुप्त और बुरे कार्य प्रकाश में प्रकट हो जायेंगे।

सभी प्रकार के डर के संदर्भ में प्रभु येसु कहते हैं, “तुम्हारा जी घबराये नहीं। ईश्वर में विश्वास करो और मुझ में भी विश्वास करो!” कितना आशावान सन्देश है! जिस प्रकार एक बच्चे के डर को दूर करने के लिए उसका पिता उसके साथ रहता है, उसी प्रकार ईश्वर हमसे कहते रहते हैं कि मैं तुम्हारे साथ हूँ। शिष्य अवश्य ही डरे सहमे थे। इस डर का कारण क्या था? येसु उनके साथ थे, फिर भी वे डर रहे थे। इसका कारण यह है कि येसु को साथ पाने पर भी उन्होंने येसु को नहीं पहचाना था। इसलिए प्रभु फिलिप से पूछते हैं, ’’फिलिप! मैं इतने समय तक तुम लोगों के साथ रहा, फिर भी तुमने मुझे नहीं पहचाना?” (योहन 14:9) येसु मुझसे भी ज़्यादा मेरे करीब है। क्या मैं इस सत्य को समझता हूँ? समझने की कोशिश करता हूँ?

येसु न केवल हमारे साथ रहते हैं, बल्कि हमारे अन्दर भी वे उपस्थित रहते हैं। इसलिए संत योहन हम से कहते हैं, “जो तुम में हैं, वह उस से महान् हैं, जो संसार में है।”<1योहन 4:1>

प्रज्ञा 17:11-12 “भय इसके सिवा और कुछ नहीं कि मनुष्य विवेक द्वारा प्रस्तुत उपायों का परित्याग करता है। (12) मन में सहायता की जितनी कम आशा है, यन्त्रणा के कारण का अज्ञान उतना ही दुःखदायी है।“

स्तोत्र 34:5 “मैंने प्रभु को पुकारा। उसने मेरी सुनी और मुझे हर प्रकार के भय से मुक्त कर दिया।“

-फ़ादर फ़्रांसिस स्करिया


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