आध्यात्मिक मन्ना

प्रार्थना: अर्थपूर्ण जीवन की कुंजी

फ़ादर बी.जॉनसन मरिया


Johnson Maria हमारी धर्मशिक्षा हमें सिखाती है कि प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर ने एक विशेष उद्देश्य एवं अपनी योजना पूरी करने के लिये इस दुनिया में भेजा है. अगर ईश्वर ने हमें भेजा है, तो जिस मकसद से हमें भेजा है उसे सफलतापूर्वक पूरा करने के लिये शक्ति और सामर्थ्य भी ईश्वर ने हमें प्रदान किया है. वह सदा हमारे साथ है. लेकिन अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में हम देखते और अनुभव करते हैं कि मनुष्यों को अपने जीवन में अनेक परेशानियों और कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. लोग बीमारी, दुर्घटना आदि का शिकार होते हैं. अनेक कारणों से शारीरिक कष्ट झेलते हैं. जैसे ही मनुष्य इस दुनिया में आता है वैसे ही उसका सामना कष्ट और परेशानियों से होने लगता है. सारी जिंदगी वह अपने जीवन में कुछ बनने और कुछ प्राप्त करने में बिता देता है.

बचपन से ही बच्चे के मन में अनेक विचार डाले जाते हैं. उसके पैदा होने से पहले ही उसके माँ-बाप उसके भविष्य का फैसला कर देते हैं, ‘हमारा बेटा या बेटी तो डाक्टर, इन्जीनियर आदि बनेगा या बनेगी. बच्चे को इस बात पर थोडा भी विचार करने का मौका नहीं मिलता कि ईश्वर ने उसे इस दुनिया में क्यों भेजा है, और वह जी-जान से अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने में लग जाता है. जबकि उसका असली जन्मदाता और पालनकर्ता खुद ईश्वर है और उसी के सपनों को भूलकर बच्चा अपने सांसारिक माता-पिता के सपनों को पूरा करने में लग जाता है. कभी-कभी जब इस दुनिया में उसकी यात्रा पूरी होती है तो कई बार उसे यह भी नहीं पता चलता कि वह इस दुनिया में क्यों आया था और जिस कारण से वह आया था क्या वह पूरा हुआ ? जब वह ईश्वर के इसी उद्देश्य से भटक जाता है तभी उसे जीवन में विभिन्न कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि ईश्वर ही उन सभी कठिनाईयों और परेशानियों को हमारे जीवन में भेजते हैं. दरअसल ईश्वर तो हमेशा हमें हमारा मकसद याद दिलाने की कोशिश करते रहते हैं. अब सवाल यह उठता है कि कैसे हम अपने जीवन के लिये ईश्वर के उस मकसद के बारे में जाने ?

जीवन की सारी कठिनाईयों और परेशानियों का निश्चित और सर्वोत्तम उपाय है विनम्र ह्रदय से ईश्वर की शरण में जाएँ. जब हमारे जीवन में कोई कठिनाई आती है तो उसे ईश्वर को बताएं, जब खुशी के क्षण आते हैं तो उन्हें ईश्वर के साथ बाँटें. ईश्वर के साथ सतत संवाद ही प्रार्थना कहलाता है. कई बार जब हमारे जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, तभी हम ईश्वर को याद करते हैं. इतना ही नहीं कुछ लोग तो इस हद तक पहुँच जाते हैं कि सब कुछ के लिये ईश्वर को ही जिम्मेदार ठहराते हैं. लेकिन क्या कभी आपने ध्यान दिया है कि किसी के जीवन में अनेक वरदान मिले हों, सारी सफलताएं मिलीं हों, सब कुछ अच्छा हुआ हो, और उसका श्रेय हमने ईश्वर को दिया हो? जी नहीं ऐसा शायद ही कभी होता हो.

प्रार्थना ही ईश्वर की इच्छा को जानने और अपने जीवन में उसकी योजना को पूरी करने का सहज और सबसे सरल माध्यम है. इसके लिये हमें किसी जटिल प्रक्रिया या प्रशिक्षण से नहीं गुजरना पड़ेगा. बस आप जैसे हैं जहाँ हैं, ईश्वर से बात-चीत करना प्रारम्भ कर दीजिए. अपने जीवन में ईश्वर की उपस्थिति के लिये धन्यवाद दीजिए, उससे पाए हुए अनेक वरदानों के लिये धन्यवाद दीजिए. आने वाले समय एवं निश्चितताओं का दृढतापूर्वक सामना करने की शक्ति मांगिये. प्रार्थना करने का कोई एक कारण नहीं हैं, उसके अनगिनत कारण और अनगिनत तरीके हैं. आईये हम इसी क्षण प्रार्थना द्वारा ईश्वर से सदा जुड़े रहने और लगातार संवाद करते रहने का प्रण लें.


Copyright © www.jayesu.com
Praise the Lord!