2) ''याकूब के पुत्रो! एकत्र हो जाओ और सुनो। अपने पिता इस्राएल की बातों पर ध्यान दो।
8) यूदा! तुम्हारे भाई, तुम्हारी प्रशंसा करेंगे। तुम्हारा हाथ शत्रुओं की गरदन दबोच देगा और तुम्हारे पिता के पुत्र तुम्हें दण्डवत् करेंगे।
9) यूदा युवा सिंह के सदृश है। पुत्र! तुम शिकार कर लौटते हो। वह पशुराज सिंह की तरह, सिंहनी की तरह, झुक कर बैठा है; उसे उत्तेजित करने का साहस कौन करेगा?
10) राज्याधिकार यूदा के पास से तब तक नहीं जायेगा, राजदण्ड उसके वंश के पास तब तक रहेगा, जब तक उस पर अधिकार रखने वाला न आयें। सभी राष्ट्र उसकी अधीनता स्वीकार करेंगे।
(1) इब्राहीम की सन्तान, दाऊद के पुत्र, ईसा मसीह की वंशावली।
(2) इब्राहीम से इसहाक उत्पन्न हुआ, इसहाक से याकूब, याकूब से यूदस और उसके भाई,
(3) यूदस और थामर से फ़़ारेस और ज़़ारा उत्पन्न हुए। फ़़ारेस से एस्रोम, एस्रोम से अराम,
(4) अराम से अमीनदाब, अमीनदाब से नास्सोन, नास्सोन से सलमोन,
(5) सलमोन और रखाब से बोज़़, बोज़ और रूथ से ओबेद, ओबेद से येस्से,
(6) येस्से से राजा दाऊद उत्पन्न हुआ। दाऊद और उरियस की विधवा से सुलेमान उत्पन्न हुआ।
(7) सुलेमान से रोबोआम, रोबोआम से अबीया, अबीया से आसफ़़,
(8) आसफ़़ से योसफ़़ात, योसफ़़ात से योराम, योराम से ओजि़यस,
(9) ओज़ियस से योअथाम, योअथाम से अख़़ाज़़, अख़़ाज़़ से एजि़कीअस,
(10) एजि़कीअस, से मनस्सेस, मनस्सेस से आमोस, आमोस से योसियस
(11) और बाबुल - निर्वासन के समय योसिअस से येख़़ोनिअस और उसके भाई उत्पन्न हुए।
(12) बाबुल - निर्वासन के बाद येख़़ोनिअस से सलाथिएल उत्पन्न हुआ। सलाथिएल से ज़़ोरोबबेल,
(13) ज़ोरोबबेल से अबियुद, अबियुद से एलियाकिम, एलियाकिम से आज़़ोर,
(14) आज़़ोर से सादोक, सादोक से आखि़म, आखि़म से एलियुद,
(15) एलियुद से एलियाज़़ार, एलियाज़़ार से मत्थान, मत्थान से याकूब,
(16) याकूब से मरियम का पति यूसुफ़़, और मरियम से ईसा उत्पन्न हुए, जो मसीह कहलाते हैं।
(17) इस प्रकार इब्राहीम से दाऊद तक कुल चैदह पीढि़याँ हैं, दाउद से बाबुल- निर्वाचन तक चैदह पीढि़याँ और बाबुल -निर्वासन से मसीह तक चैदह पीढि़याँ।
आज से हम आगमनकाल की विशेष तैयारी के समय में प्रवेश कर रहे हैं। आने वाले ये नौ दिन हमारे आध्यात्मिक उत्थान और मनन-चिंतन के बहुत महत्वपूर्ण दिन हैं। इन दिनों आम तौर पर हम विभिन्न आध्यात्मिक साधनाओं (रिट्रीट) में भाग लेते हैं, पापस्वीकार संस्कार ग्रहण करते हैं, और गहन तैयारी के लिए क्रिसमस नोवीन और पारिवारिक प्रार्थना का आयोजन करते हैं। आज के पाठों में हम मुक्ति के इतिहास में मनुष्यों की भूमिका के बारे में मनन चिंतन करते हैं। मानवजाति अपने मुक्तिदाता की राह सदियों से देख रही थी। यूदा के राज्य को मुक्तिदाता के आगमन में सहयोग करने का विशेष सौभाग्य मिल था।
आज के सुसमाचार में वर्णित पीढ़ियों का विवरण यह दर्शाता है कि मुक्ति के इतिहास को पूर्ण होने में तरह-तरह के अनेक लोगों की भूमिका रही है। हालांकि ईश्वर अपने दम पर अकेले ही इस दुनिया को मुक्ति प्रदान कर सकते थे, इस काम के लिए उन्हें मनुष्यों की मदद की जरूरत नहीं है। लेकिन मानवजाति की मुक्ति ईश्वर की आवश्यकता नहीं बल्कि हम मनुष्यों की आवश्यकता है। इसलिए ईश्वर चाहते हैं कि हम मनुष्य उनके मुक्ति विधान में सहयोगी बनें। आज भी ईश्वर इस मुक्ति को संसार के कौने-कौने में पहुँचाने के लिए हमारा सहयोग चाहते हैं। क्या हम ईश्वर के मुक्ति विधान में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं?
✍ -फ़ादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर धर्मप्रान्त)
Today onwards we enter into a very special phase of Advent season. These nine days are very crucial for our spiritual reflection and conversion. In these coming days we usually attend special retreats, confessions, special family prayers and novenas for intense preparation. In the readings today we reflect about the contribution of human history in the fulfillment of salvation history. The wait for the saviour of the world has been long. The tribe of Judah was privileged to be associated with the coming of the saviour for the world.
The genealogy that is mentioned in the gospel of today, shows that there were so many people who contributed in the fulfillment of the promise of God for a saviour. Even though God could save the world on his own, without the help of any human support. But human salvation is not just the responsibility of God alone, but he wants us, human beings to be partners in his plan. Even today, God waits for our co-operation to take this salvation to the corners of the world. Are we ready to be the part of God’s saving plan?
✍ -Fr. Johnson B. Maria (Gwalior Diocese)
हम ख्रीस्त-जयन्ती के त्यौहार से एक ही सप्ताह दूर है और आज आगमन के दूसरे चरण में प्रवेश कर रहे हैं। संत मत्ती का सुसमाचार प्रभु येसु की वंशावली के द्वारा यह साबित करना चाहता है कि येसु इब्राहीम तथा दाऊद की सन्तान है। इस प्रस्तुति के माध्यम से सुसमाचार का लेखक यह स्पष्ट करना चाहता है कि मानव इतिहास में प्रभु येसु का एक विशेष स्थान है और वे हमारी ही तरह मनुष्य थे। प्रभु येसु पवित्र त्रित्व का दूसरा व्यक्ति होने के साथ-साथ मानव सन्तान भी है। संत मत्ती यहूदियों के लिए अपना सुसमाचार लिखते हुए उन्हें यह बताना चाहते हैं कि प्रभु येसु जो दाऊद का पुत्र है मसीह है जिनका इंतज़ार वे सदियों से करते आ रहे थे। प्रभु येसु मानवों के बीच मानव बन कर आने वाला एक सच्चा मानव है। आइए हम जीवित ईश्वर के पवित्र आत्मा से कृपा माँगे कि वचन के मांस बनने के रहस्य को समझ सकें।
✍ - फादर फ्रांसिस स्करिया
Today with just a week to go before Christmas, we enter into the peak season of Advent. From today we have the immediate and intense preparation for Christmas. The Gospel presents us with the Matthean genealogy of Jesus which goes back to Abraham presenting Jesus as descending from Abraham and from David. This presentation is also expected to emphasise the fact of the human birth of Jesus. Jesus is the second person of the Holy Trinity, eternally begotten Son of the Father. In his temporal birth he was born to Mary who was married to Joseph who descended from David and further from Abraham. St. Matthew the evangelist wants to stress that while Jesus is the true Son of God, he is a true human being in our human history. Let us ask the Spirit of the Living God to enlighten our hearts to understand the mystery of Word made Flesh.
✍ -Fr. Francis Scaria
नए विधान में, हम येसु की दो वंशावली पाते हैं - एक मत्ती 1: 1-17 में और दूसरा लूकस 3: 23-38 में। मत्ती इब्राहीम से शुरू करते हैं जबकि लूकस आदम से शुरू करते हैं। इब्राहीम से लेकर दाऊद तक की दोनों की सूची एक समान हैं, लेकिन उस बिंदु से वे मौलिक रूप से अलग हैं, क्योंकि मत्ती यूसुफ के वंश को दिखाते हैं जबकि लूकस मरियम का वंश प्रस्तुत करते हैं। अन्य अंतर भी हैं। उदाहरण के लिए, मत्ती याकूब को यूसुफ के पिता के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जबकि लूकस यूसुफ को एली का पुत्र मानते हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि ये वंशावली ऐतिहासिक रूप से सटीक होने का दावा नहीं कर सकती हैं। वे अधिक धार्मिक और ईशशास्त्रीय हैं। पवित्र बाइबल कालानुक्रमिक इतिहास नहीं है, बल्कि मुक्ति का इतिहास है। बाइबल में हम व्यक्तियों या समुदायों द्वारा ईश्वर के अनुभवों का लेखा-जोखा पाते हैं। इन वंशावलियों में सभी प्रकार के लोग होते हैं – न्यायपूर्ण और अन्यायपूर्ण व्यवहार करने वाले, अमीर और गरीब, छोटे और बड़े। येसु की सार्वभौमिकता को प्रकट करना सुसमाचार के लेखक की लक्ष्यों में से एक है। येसु सभी मनुष्यों के उद्धारकर्ता हैं। उनका एक सार्वभौमिक नियोग और एक सार्वभौमिक मिशन है। कोई उनकी कृपा से वंचित नहीं है। वे ईश्वर के सार्वभौमिक प्रेम की अभिव्यक्ति है, जो "भले और बुरे, दोनों पर अपना सूर्य उगाता तथा धर्मी और अधर्मी, दोनों पर पानी बरसाता है" (मत्ती 5:45)। एक ख्रीस्तीय विश्वासी वह है जो दुनिया की सभी अच्छाईयों के लिए खुला रहना सीखता है और सभी के प्रति हमेशा सकारात्मक व्यवहार करता है।
✍ -फादर फ्रांसिस स्करिया
In the New Testament, we find two genealogies of Jesus – one in Mt 1:1-17 and the other in Lk 3:23-38. Matthew begins with Abraham while Luke begins with Adam. The lists are identical from Abraham to David, but they radically differ from that point onwards, as Matthews shows the lineage of Joseph while Luke presents the lineage of Mary. There are also other differences. For instance, Matthew names Jacob as the father of Joseph, the husband of Mary while Luke names Heli as Joseph’s father. However, it is clear that these genealogies cannot claim to be historically accurate. They are more theological and kerygmatic. For that matter the Bible is not chronological history, but salvation history. The Bible contains the accounts of God-experiences of individuals or communities. The genealogies contain all sorts of people – just and unjust, rich and poor alike. The Universality of Jesus is one of the concerns of the writer of the Gospel. Jesus is the Saviour for all human beings. He has a universal appeal and a universal mission. No one is left out. He is the manifestation of the universal love of God who “makes his sun rise on the evil and on the good, and sends rain on the righteous and on the unrighteous” (Mt 5:45). A Christian is one who learns to be open to all goodness in the world and is proactive towards everyone, always./p>
✍ -Fr. Francis Scaria