25) परमपावन ईश्वर कहता है, “तुम मेरी तुलना किस से करना चाहते हो? मेरी बराबरी कौन कर सकता है?“
26) आकाश की ओर दृष्टि लगाओ। किसने यह सब बनाया है? उसी ने, जो नक्षत्रों का समूह फैलाता और एक-एक का नाम ले कर पुकारता है। उसका सामर्थ्य इतना महान् है और उसका तेज इतना अदम्य कि एक भी नक्षत्र अविद्यमान नहीं रहता।
27) याकूब! तुम यह क्यों कहते हो, इस्राएल! तुम यह क्यों बोलते होः “प्रभु मेरी दुर्दशा पर ध्यान नहीं देता, मेरा ईश्वर मुझे न्याय नहीं दिलाता“?
28) क्या तुम यह नहीं जानते, क्या तुमने यह नहीं सुना कि प्रभु अनादि-अनन्त ईश्वर है, वह समस्त पृथ्वी का सृष्टिकर्ता है? वह कभी क्लान्त अथवा परिश्रन्त नहीं होता। कोई भी उसकी प्रज्ञा की थाह नहीं ले सकता।
29) वह थके-माँदे को बल देता और अशक्त को सँभालता है।
30) जवान भले ही थक कर चूर हो जायें और फिसल कर गिर पड़ें,
31) किन्तु प्रभु पर भरोसा रखने वालों को नयी स्फूर्ति मिलती रहती है। वे गरुड़ की तरह अपने पंख फैलाते हैं; वे दौड़ते रहते हैं, किन्तु थकते नहीं, वे आगे बढ़ते हैं, पर शिथिल नहीं होते।
28) ’’थके-माँदे और बोझ से दबे हुए लोगो! तुम सभी मेरे पास आओ। मैं तुम्हें विश्राम दूँगा।
29) मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझ से सीखो। मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूँ। इस तरह तुम अपनी आत्मा के लिए शान्ति पाओगे,
30) क्योंकि मेरा जूआ सहज है और मेरा बोझ हल्का।’’
आज येसु उन सभी को अपने पास आने के लिए आमंत्रित करता है जो थके हुए और बोझ से दबे हुए हैं। येसु ने वादा किया है कि अगर हम उसके पास आएंगे, तो वह हमें आराम देगा। और जो विश्राम वह देगा वह हमें नवीनीकृत और पुनर्स्थापित करेगा। यह अद्भुत होगा यदि हम अपनी चिंताओं और थकान को तुरंत येसु के पास ले जाएं और जादुई तरीके से सब कुछ फिर से ठीक कर दें। हालाँकि, हम अनुभव से जानते हैं कि आमतौर पर ऐसा नहीं होता है। हमारी चिंताएँ अभी भी हमारे साथ हो सकती हैं। हालाँकि, अगर हम उन्हें येसु के पास लाते हैं, तो वह हमें आगे बढ़ने और आशा बनाए रखने के लिए आवश्यक शक्ति प्रदान करेंगे। सवाल यह हो सकता हैः क्या हम सचमुच येसु पर भरोसा करते हैं? येसु पहले से ही जानता है कि आप क्या सोच रहे हैं और महसूस कर रहे हैं। अपनी चिंताओं, भय या परेशानियों को उसके हाथों में सौंपने का प्रयास करें। उनके साथ समय बिताने से आपको आराम मिलेगा और आपका बोझ भी हल्का हो जाएगा। उस पर विश्वास करो! येसु आपका इंतज़ार कर रहा है!
✍फादर अल्फ्रेड डिसूजा (भोपाल महाधर्मप्रांत)Today Jesus invites all who are weary and burdened to come to Him. Jesus promises that if we come to Him, He will give us rest. And the rest He gives will renew and restore us. It would be wonderful if simply taking our worries and weariness to Jesus immediately and magically made everything right again. However, we know from experience that this typically doesn’t happen. Our concerns or worries may still be with us. However, if we bring them to Jesus, He will grace us with the strength we need to keep going and also to keep hoping. The question may be: do we truly trust Jesus? Jesus already knows what you are thinking and feeling. Try to place your anxieties, fears or worries in His hands. Simply spending time with Him will give you rest and it also lighten your burden. Trust Him! Jesus is waiting for you!
✍ -Fr. Alfred D’Souza (Bhopal Archdiocese)
आज हम नये व्यवस्थान के सबसे सांत्वनदायक शब्दों को सुनते हैं। प्रभु कहते हैं, “थके-माँदे और बोझ से दबे हुए लोगों, तुम सब के सब मेरे पास आओ, मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।” हम सभी किस तरह के बोझ से दबे हुए हैं, ऐसा क्या है जिससे हम थक जाते हैं? ऐसा कौन बोझ है जिसे प्रभु अपने ऊपर ले लेंगे, और हमारा बोझ हल्का कर देंगे? वह बोझ हमारे पाप हैं जो हमें दबा देते हैं, और इस बोझ से सिर्फ ईश्वर ही हमें मुक्त कर सकते हैं। ईश्वर मुफ़्त में ही हमें हमारे बोझ से मुक्त करना चाहते हैं, हमारे बोझ के बदले में वह हमें अपना जुआ दे देना चाहते हैं। जुआ की क्या खासियत है? आखिर जुआ क्या और कैसा होता है?
सामान्यतः एक जुआ में दो बैल जोते जाते हैं, ताकि वे मिलकर हल को खींच सकें। जो भी वजन या बोझ है, वे दोनों मिलकर खींचते हैं। हमारे जीवन में भी बहुत सारे बोझ और वजन हैं, जिसे हम खींचते रहते हैं। हमारे जीवन के बहुत से उतार-चढ़ाव हैं, जिनका सामना हम अकेले ही करते हैं। जब हम अपने जीवन के इस संघर्ष में अकेले पड़ जाते हैं, तो हम हम कमजोर पड़ सकते हैं, जीवन की जंग हार सकते हैं। ऐसा होता भी है, अक्सर लोग इतने निराश हो जाते हैं कि अपना जीवन ही नष्ट कर लेते हैं। वहीं दूसरी ओर अगर जीवन के उन्हीं संघर्षों में अगर ईश्वर हमारे साथ है, तो हम कभी जीवन की जंग हार सकते हैं? जिनके साथ ईश्वर होता है, उनकी हमेशा जीत ही होती है। आगमन का यह समय हमें यही आशा प्रदान करता है कि हमारे जीवन के सुख-दुख में हमारा ईश्वर हमारे साथ है, और ईश्वर के साथ होने से हमारी हर बात में जीत ही होगी।
✍ -फ़ादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर धर्मप्रान्त)
Today we reflect upon some of the most consoling and comforting words from New Testament. Jesus says, “Come to me all who labour and are heavy laden, and I will give you rest.” What is it that makes us heavily laden? What is our burden that only God can remove? It is our sins that press us down, God alone can forgive us our sins. God offers to take away that burden and free us forever. God not only offers us to liberate but offers his yoke which is easy and light. What is the speciality of a yoke?
Normally a yoke binds two oxen together while in the plough so that they can pull the burden together. There is sharing of the load. We all have the burdens and loads of our life, including the ups and down of everyday affairs. We face numerous difficulties and challenges. When we face them on our own, then we loose the battle. Many people give up and quit life because it is too much and too difficult to pull on. But when we face the same difficulties and challenges with God on our side, we keep winning, and become victorious. What difficulty or challenge is there, that we cannot overcome with God’s help? The season of advent gives us a hope that God is there with us in our daily lives, and with God all things are possible.
✍ -Fr. Johnson B. Maria (Gwalior Diocese)
तनावों और संघर्षों के बीच दुनिया हमें आराम पाने के लिए कई तरीके प्रदान करती है। हम आराम और सांत्वना के लिए विभिन्न लोगों, अभ्यासों और उपचारों की ओर मुड़ते हैं। आज के सुसमाचार-पाठ के द्वारा हमें यह समझाया जाता है कि हमें वास्तविक आराम प्रभु ईश्वर ही दे सकते हैं। प्रभु येसु थके-माँदे और बोझ से दबे हुए लोगों को अपने पास बुलाते हैं ताकि वे सब सच्चा आराम पा सकें। वे हमें दिलासा देते और आराम कराते हैं। वास्तविक और स्थायी आराम और सांत्वना प्रभु की ओर से आती है। और जो ईश्वर से आराम पाते हैं, वे दूसरों को दिलासा देने में सक्षम हैं। संत पौलुस कहते हैं, "धन्य है ईश्वर, हमारे प्रभु ईसा मसीह का पिता, परमदयालु पिता और हर प्रकार की सान्त्वना का ईश्वर। वह सारी दुःख तकलीफ़ में हम को सान्त्वना देता रहता है, जिसमें ईश्वर की ओर से हमें जो सान्त्वना मिलती है, उसके द्वारा हम दूसरों को भी, उनकी हर प्रकार की तकलीफ में सान्त्वना देने के लिए समर्थ हो जायें” (2कुरिन्थियों 1: 3-4)। नबी इसायाह के माध्य्म से प्रभु हम से वादा करते हैं, "जिस तरह माँ अपने पुत्र को दिलासा देती है, उसी तरह मैं तुम्हें सान्त्वना दूँगा। तुम्हें येरूसालेम से दिलासा मिलेगा।" (इसायाह 66:13)। हमारी प्रार्थना का समय प्रभु येसु से आराम पाने का समय है जो कहते हैं, "धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं! उन्हें सान्त्वना मिलेगी।" (मत्ती 5: 5)
✍ - फादर फ्रांसिस स्करिया
The world offers many ways to relax and to find comfort in the midst of our tensions and struggles. We turn to different people and various exercises and therapies for comfort and consolation. Through the passage of the Gospel, presented for our reflection in the Liturgy today the Lord tells us that it is God who should be comforting us. Jesus asks all who are overburdened to come to him. He assures us comfort and rest with him. Real and lasting comfort and consolation come from God. And those who are comforted by God in turn become capable of comforting others. St. Paul says, “Blessed be the God and Father of our Lord Jesus Christ, the Father of mercies and the God of all consolation, who consoles us in all our affliction, so that we may be able to console those who are in any affliction with the consolation with which we ourselves are consoled by God.” (2Cor 1:3-4). Through Prophet Isaiah he promises, “As a mother comforts her child, so I will comfort you” (Is 66:13). Our time of prayer is a time to find comfort in Jesus who says, “Blessed are those who mourn, for they will be comforted” (Mt 5:4)
✍ -Fr. Francis Scaria