1) मैंने फिर देखा- मेमना सियोन पर्वत पर खड़ा है। उसके साथ एक लाख चैवालीस हजार व्यक्ति हैं, जिनके माथे पर उसका नाम और उसके पिता का नाम अंकित है।
2) मैंने तेजी से बहती हुई नदियों के निनाद और घोर मेघगर्जन की-सी आवाज स्वर्ग से आती हुई सुनी। मैं जो आवाज सुन रहा था, वह वीणा बजाने वालों की-सी आवाज थी।
3) वे सिंहासन और चार प्राणियों एवं वयोवृद्धों के सामने एक नया गीत गा रहे थे। उन एक लाख चैवालीस हजार व्यक्तियों के सिवा, जिन को पृथ्वी पर से खरीद लिया गया था, और कोई वह गीत नहीं सीख सकता था।
4) ये वे लोग हैं, जो स्त्रियों के संसर्ग से दूषित नहीं हुए हैं, ये कुँवारे हैं। जहाँ कहीं भी मेमना जाता है, ये उसके साथ चलते हैं। ईश्वर और मेमने के लिए प्रथम फल के रूप में इन्हें मनुष्यों में से खरीदा गया है।
5) इनके मुख में झूठ नहीं पाया गयाः ये अनिन्द्य हैं।
1) ईसा ने आँखें ऊपर उठा कर देखा कि धनी लोग ख़ज़ाने में अपना दान डाल रहे हैं।
2) उन्होंने एक कंगाल विधवा को भी दो अधेले डालते हुए देखा
3) और कहा, "मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ-इस कंगाल विधवा ने उन सबों से अधिक डाला है।
4) उन्होंने तो अपनी समृद्धि से दान दिया, परन्तु इसने तंगी में रहते हुए भी जीविका के लिए अपने पास जो कुछ था, वह सब दे डाला।"
आज हम एक कंगाल विधवा की उदारता पर मनन-चिंतन करते हैं। हम जानते हैं कि उस जमाने में विधवाओं और अनाथों का कोई सहारा नहीं था। आज-कल हालत बहुत बदल गए हैं। आज-कल हमारे आस-पास अनेकों अनाथ आश्रम एवं वृद्धा आश्रम हैं, साथ ही अनेक सामाजिक संस्थाएं उनकी देख-भाल करने के लिए लगी हुई हैं। लेकिन विधवा के पास जो भी था उसने उसे भी प्रभु के लिए दान दे दिया। इसके द्वारा वह पूरा भरोसा प्रभु पर प्रकट करती है। यह न केवल उसकी उदारता को दर्शाता है, बल्कि प्रभु पर उसके दृढ़ भरोसे को भी दर्शाता है। भले ही दुनिया हमारी उदारता और विश्वास को पहचान नहीं पाए लेकिन प्रभु हमारे हृदय के अंतरतम को जानता है।
✍फ़ादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर धर्मप्रान्त)Today, we reflect on the boundless generosity of a poor widow. We know that in those times, widows and orphans had no one to rely on. Times have changed significantly since then. Nowadays, we see numerous orphanages and old-age homes around us, along with many social organizations and NGOs dedicated to their care. Yet, the widow gave whatever little she had as an offering to the Lord. Through this, she expressed her complete trust in God. This act not only reflects her boundless generosity but also her steadfast faith in the Lord. Even if the world fails to recognize our generosity and faith, the Lord knows the deepest aspects of our hearts. If we are generous, God also will be generous with us.
✍ -Fr. Johnson B. Maria(Gwalior Diocese)
सूक्ति ग्रंथ 15ः3 में हम पढ़ते हैं, ‘‘प्रभु की ऑंखें सब कुछ देखती हैं। वह भले-बुरे, दोनों पर दृष्टि दौड़ाता है।’’ प्रभु हम सब को देखता है, हमारे सभी कार्यो को, हमारे मन में चल रहें विचारों को, हमारी नियत को; ऐसा कुछ भी नहीं है जो प्रभु की दृष्टि से छिपी हुई है। हमारी छोटी सी छोटी बात हो या छोटा से छोटा कार्य सब पर उसकी दृष्टि बनी हुई है। और जो भी कार्य हम करते है और किस उद्देश्य से करते हैं सब ईश्वर जानता है। भले ही इस संसार में अरबों लोग हों परन्तु प्रभु की दृष्टि प्रत्येक मनुष्य पर बनी रहती है।
इसी चीज़ को हम आज के सुसमाचार में पाते है, जहॉं बहुत सारे लोग धनी से लेकर गरीब लोग मंदिर में अपना दान डाल रहें थे। किसी ने भी उस कंगाल विधवा पर नजर नहीं डाली होगी परंतु प्रभु येसु ने उस विधवा और उसके कार्य को देखा जिसने दो अधेले दान में डाला तथा उसके इस कार्य को सराहा क्योकि उस ने सबों से अधिक डाला, बाकियों ने तो अपनी समृद्धि से दान दिया, परंतु उसने तंगी में रहते हुए भी जीविका के लिए अपने पास जो कुछ था, वह सब दे डाला। इस से हमें यह बात पता चलती हैं कि हमारे छोटे से छोटे भले कार्य को भी प्रभु देखते है। अक्सर संसार में लोग दूसरो को दिखाने के लिए या दूसरों की प्रंशसा पाने के लिए अच्छे कार्य करते हैं परंतु प्रभु का वचन कहता हैं, ‘‘जब तुम दान देते हो, तो तुम्हारा बायॉं हाथ यह न जानने पाये कि तुम्हारा दायॉं हाथ क्या कर रहा है। तुम्हारा दान गुप्त रहे और तुम्हारा पिता, जो सब कुछ देखता है, तुम्हे पुरस्कार देगा।’’ (मत्ती 6ः3-4) जब हम भले कार्य करते हैं और अगर संसार उसको नहीं देखता या उनकी प्रंशसा नहीं करता तो हमें निराश नहीं होना चाहिए क्योकि जिस पिता कोे देखना था उसने तो देख लिया और वह हमें पुरस्कार देगा।
येसु ने उस विधवा के कार्य को इसलिए सराहा क्योंकि उसने तंगी में रहते हुए भी जीविका के लिए अपने पास जो कुछ था, वह सब दे डाला। यहॉं पर हमें ‘सब दे डालना’ का मतलब सही तरीके से या गहराई से समझने की आवश्यकता है, इसका मतलब यह कतई नहीं है कि हमें अपना सारा धन दान में देकर कंगाल बन जाना हैं, परंतु इसका मतलब यह है कि हमारा सब कुछ प्रभु की इच्छा को समर्पित होना चाहिए अर्थात् प्रभु को सब धन सम्पत्ति का मालिक बनाना। धन का उपयोग प्रभु जैसा चाहते है उस प्रकार करना। धन का उपयोग मेरी ईच्छा, मेरी अभिलाषा या मेरे उपभोग के लिए नहीं परंतु प्रभु जैसा चाहते है चाहे वह मेरी जरूरत के लिए हो या दूसरे कार्य के लिए उसके अनुसार ही उस धन का उपयोग करना। अगर प्रभु चाहता है कि किसी को कुछ रूपये द्वारा मदद करना या इतना रूपये दान देना या इतना रूपये अपने लिए खर्च करना या और कुछ भी तो उसी अनुसार उस धन का उपयोग करना ही ‘प्रभु को सब डालना’ का मतलब है।
आईये आज के वचनों द्वारा हम प्रभु को अपने सब चीज़ो का स्वामि बनाये। आमेन!
✍ - फादर डेन्नीस तिग्गा (भोपाल महाधर्मप्रान्त)
In Proverbs 15:3 we read, “The eyes of the Lord are in every place, keeping watch on the evil and the good.” God watches everything, our every works, thoughts running in our minds, our intentions; there is nothing which is hidden from his eyes. Whether it is minor talks or minor works, his eyes is on everything. And whatever work we do and with what intention, God knows everything. Even if there are millions of people living in this world but God eyes is on each and every individual.
This we understand in today’s Gospel, where many people from rich to poor were putting their offerings in the treasury. Nobody might have noticed the poor widow but Jesus noticed the widow and her work that she put in treasury two small copper coins, for which Jesus appreciated her act because she has put in more than all of the others; others have contributed out of their abundance, but she out of her poverty has put in all she had to live on. From this we come to know that our even smallest works are noticed by the Lord. Usually in this world people do work in order to show others or to get praise from others but the word of God says, “when you give alms, do not let your left hand know what your right hand is doing, so that your alms may be done is secret; and your Father who sees in secret will reward you” (Mt 6:3-4). We should not be discouraged even if our good work is not noticed or appreciated by anyone because the One who has to see has already seen and he will reward us.
Jesus appreciated the act of widow because out of her poverty she has put in all she had to live on. Here we have to understand the meaning of the phrase ‘put in all’ in correct and deeper sense. ‘Put in all’ does not mean that we have to give all the wealth in alms and become a beggar but it means that we have to surrender everything to God’s will, in other words to make God the owner of our wealth; to use the wealth as God wants. To use wealth not for my will, my desire or my consumption but to use them as God wants for my need and for any other purposes or needs. If God wants to help someone by giving them some amount or to use this much amount for oneself or any other thing, then doing it accordingly; this is the meaning of ‘putting in all.’
Through today’s words let’s make Jesus the owner of everything we have. Amen!
✍ -Fr. Dennis Tigga (Bhopal Archdiocese)
सूक्ति ग्रंथ 15:3 में हम पढ़ते हैं, ‘‘प्रभु की ऑंखें सब कुछ देखती हैं। वह भले-बुरे, दोनों पर दृष्टि दौड़ाता है।’’ प्रभु हम सब को देखता है, हमारे सभी कार्यो को, हमारे मन में चल रहें विचारों को, हमारी नियत को; ऐसा कुछ भी नहीं है जो प्रभु की दृष्टि से छिपी हुई है। हमारी छोटी सी छोटी बात हो या छोटा से छोटा कार्य सब पर उसकी दृष्टि बनी हुई है। और जो भी कार्य हम करते है और किस उद्देश्य से करते हैं सब ईश्वर जानता है। भले ही इस संसार में अरबों लोग हों परन्तु प्रभु की दृष्टि प्रत्येक मनुष्य पर बनी रहती है।
इसी चीज़ को हम आज के सुसमाचार में पाते है, जहॉं बहुत सारे लोग धनी से लेकर गरीब लोग मंदिर में अपना दान डाल रहें थे। किसी ने भी उस कंगाल विधवा पर नजर नहीं डाली होगी परंतु प्रभु येसु ने उस विधवा और उसके कार्य को देखा जिसने दो अधेले दान में डाला तथा उसके इस कार्य को सराहा क्योकि उस ने सबों से अधिक डाला, बाकियों ने तो अपनी समृद्धि से दान दिया, परंतु उसने तंगी में रहते हुए भी जीविका के लिए अपने पास जो कुछ था, वह सब दे डाला। इस से हमें यह बात पता चलती हैं कि हमारे छोटे से छोटे भले कार्य को भी प्रभु देखते है। अक्सर संसार में लोग दूसरो को दिखाने के लिए या दूसरों की प्रंशसा पाने के लिए अच्छे कार्य करते हैं परंतु प्रभु का वचन कहता हैं, ‘‘जब तुम दान देते हो, तो तुम्हारा बायॉं हाथ यह न जानने पाये कि तुम्हारा दायॉं हाथ क्या कर रहा है। तुम्हारा दान गुप्त रहे और तुम्हारा पिता, जो सब कुछ देखता है, तुम्हे पुरस्कार देगा।’’ (मत्ती 6ः3-4) जब हम भले कार्य करते हैं और अगर संसार उसको नहीं देखता या उनकी प्रंशसा नहीं करता तो हमें निराश नहीं होना चाहिए क्योकि जिस पिता कोे देखना था उसने तो देख लिया और वह हमें पुरस्कार देगा।
येसु ने उस विधवा के कार्य को इसलिए सराहा क्योंकि उसने तंगी में रहते हुए भी जीविका के लिए अपने पास जो कुछ था, वह सब दे डाला। यहॉं पर हमें ‘सब दे डालना’ का मतलब सही तरीके से या गहराई से समझने की आवश्यकता है, इसका मतलब यह कतई नहीं है कि हमें अपना सारा धन दान में देकर कंगाल बन जाना हैं, परंतु इसका मतलब यह है कि हमारा सब कुछ प्रभु की इच्छा को समर्पित होना चाहिए अर्थात् प्रभु को सब धन सम्पत्ति का मालिक बनाना। धन का उपयोग प्रभु जैसा चाहते है उस प्रकार करना। धन का उपयोग मेरी ईच्छा, मेरी अभिलाषा या मेरे उपभोग के लिए नहीं परंतु प्रभु जैसा चाहते है चाहे वह मेरी जरूरत के लिए हो या दूसरे कार्य के लिए उसके अनुसार ही उस धन का उपयोग करना। अगर प्रभु चाहता है कि किसी को कुछ रूपये द्वारा मदद करना या इतना रूपये दान देना या इतना रूपये अपने लिए खर्च करना या और कुछ भी तो उसी अनुसार उस धन का उपयोग करना ही ‘प्रभु को सब डालना’ का मतलब है।
आईये आज के वचनों द्वारा हम प्रभु को अपने सब चीज़ो का स्वामि बनाये। आमेन!
✍ - फादर डेन्नीस तिग्गा
In Proverbs 15:3 we read, “The eyes of the Lord are in every place, keeping watch on the evil and the good.” God watches everything, our every works, thoughts running in our minds, our intentions; there is nothing which is hidden from his eyes. Whether it is minor talks or minor works, his eyes is on everything. And whatever work we do and with what intention, God knows everything. Even if there are millions of people living in this world but God eyes is on each and every individual.
This we understand in today’s Gospel, where many people from rich to poor were putting their offerings in the treasury. Nobody might have noticed the poor widow but Jesus noticed the widow and her work that she put in treasury two small copper coins, for which Jesus appreciated her act because she has put in more than all of the others; others have contributed out of their abundance, but she out of her poverty has put in all she had to live on. From this we come to know that our even smallest works are noticed by the Lord. Usually in this world people do work in order to show others or to get praise from others but the word of God says, “when you give alms, do not let your left hand know what your right hand is doing, so that your alms may be done is secret; and your Father who sees in secret will reward you” (Mt 6:3-4). We should not be discouraged even if our good work is not noticed or appreciated by anyone because the One who has to see has already seen and he will reward us.
Jesus appreciated the act of widow because out of her poverty she has put in all she had to live on. Here we have to understand the meaning of the phrase ‘put in all’ in correct and deeper sense. ‘Put in all’ does not mean that we have to give all the wealth in alms and become a beggar but it means that we have to surrender everything to God’s will, in other words to make God the owner of our wealth; to use the wealth as God wants. To use wealth not for my will, my desire or my consumption but to use them as God wants for my need and for any other purposes or needs. If God wants to help someone by giving them some amount or to use this much amount for oneself or any other thing, then doing it accordingly; this is the meaning of ‘putting in all.’
Through today’s words let’s make Jesus the owner of everything we have. Amen!
✍ -Fr. Dennis Tigga