4) मुझे यह देख कर बड़ा आनन्द हुआ कि आपकी कुछ सन्तानें सत्य के मार्ग पर चलती हैं, जैसा कि हमें पिता की ओर से आदेश मिला है।
5) अब, भद्रे! मेरा आप से एक निवेदन है। मैं आप को कोई नया आदेश नहीं, बल्कि वही आदेश दे रहा हूँ, जो हमें प्रारम्भ से प्राप्त है- हम एक दूसरे को प्यार करें।
6) और प्यार का अर्थ यह है कि हम उसकी आज्ञाओं के मार्ग पर चलते रहें। जो आदेश आप को प्रारम्भ से प्राप्त है, वह यह है कि आप को प्रेम के मार्ग पर चलना चाहिए।
7) बहुत-से भटकाने वाले संसार में फैल गये हैं। वे यह नहीं मानते कि ईसा मसीह सचमुच मनुष्य बन गये थे। यह भटकाने वाले और मसीह-विरोधी का लक्षण है।
8) आप लोग सावधान रहें, जिससे आप अपने परिश्रम का फल न खो बैठें, बल्कि अपना पूरा पुरस्कार प्राप्त करें।
9) जो मसीह की शिक्षा की सीमा के अन्दर नहीं रहता, बल्कि उस से आगे बढ़ता है, उसे ईश्वर प्राप्त नहीं है। जो शिक्षा की सीमा के अन्दर रहता है, उसे पिता और पुत्र, दोनों प्राप्त हैं।
26) "जो नूह के दिनों में हुआ था, वही मानव पुत्र के दिनों में भी होगा।
27) नूह के जहाज़ पर चढ़ने के दिन तक लोग खाते-पीते और शादी-ब्याह करते रहे। तब जलप्रलय आया और उसने सब को नष्ट कर दिया।
28) लोट के दिनों में भी यही हुआ था। लोग खाते-पीते, लेन-देन करते, पेड़ लगाते और घर बनाते रहे;
29) परन्तु जिस दिन लोट ने सोदोम छोड़ा, ईश्वर ने आकाश से आग और गंधक बरसायी और सब-के-सब नष्ट हो गये।
30) मानव पुत्र के प्रकट होने के दिन वैसा ही होगा।
31) "उस दिन जो छत पर हो और उसका सामान घर में हो, वह उसे ले जाने नीचे न उतरे और जो खेत में हो, वह भी घर न लौटे।
32) लोट की पत्नी को याद करो।
33) जो अपना जीवन सुरक्षित रखने का प्रयत्न करेगा, वह उसे खो देगा, और जो उसे खो देगा, वह उसे सुरक्षित रखेगा।
34) "मैं तुम से कहता हूँ, उस रात दो एक खाट पर होंगे-एक उठा लिया जायेगा और दूसरा छोड़ दिया जायेगा।
35) दो स्त्रियाँ साथ-साथ चक्की पीसती होंगी-एक उठा ली जायेगी और दूसरी छोड़ दी जायेगी।"
36) "मैं तुम से कहता हूँ, दो खेत में होंगे-एक उठा लिया जायेगा और दूसरा छोड़ दिया जायेगा।
37) इस पर उन्होंने ईसा से पूछा, "प्र्रभु! यह कहाँ होगा?" उन्होंने उत्तर दिया, "जहाँ लाश होगी, वहाँ गीध भी इकट्ठे हो जायेंगे"।
जब हम कहीं यात्रा पर जाते हैं तो बहुत सारी तैयारी करते हैं। और जब हम परदेश में या अपने घर से बाहर रहते हैं तो हम जानते हैं कि वह हमारा घर नहीं है और हमें कभी तो उस स्थान को छोड़ना पड़ेगा। लेकिन इस सिद्धांत को हम अपने आध्यात्मिक जीवन में भूल जाते हैं। हम इस दुनिया को ही अपना अनंत निवास समझ लेते हैं। जब पाप करते हैं तो सोचते हैं अभी तो बहुत समय है, आराम से पश्चाताप कर लेंगे। लेकिन प्रभु येसु हमें याद दिलाते हैं कि चूंकि हमें यह निश्चित नहीं मालूम कि कब हमें अपने स्वर्गीय पिता के सामने उपस्थित होना पड़ेगा, इसलिए हमें हमेशा तैयार रहना है। अपने मन और दिल को साफ रखना उस तैयारी का अहम हिस्सा है।
✍फ़ादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर धर्मप्रान्त)When we travel somewhere, we make many preparations for the journey. And when we are in a foreign land or away from home, we know that this is not our permanent home, and at some point, we will have to leave that place. However, we often forget this principle in our spiritual life. We begin to think of this world as our permanent residence. When we sin, we think there's plenty of time left, and we can always repent later. But Lord Jesus reminds us that, since we do not know when we will have to stand before our Heavenly Father, we must always be prepared. Keeping our minds and hearts clean and sinless is essential part of that preparation.
✍ -Fr. Johnson B. Maria(Gwalior Diocese)
प्रभु येसु आज के सुसमाचार में दो घटनाओं का उदाहरण देते हुए उसकी समानता मानव पुत्र के दिन से करते है। इन दो घटनाओं में दो समानता मिलती है। एक तो किस दिन वह प्रलय या आग और गंधरस आने वाला है किसी को ज्ञात नहीं था दूसरा जो लोग वह समय आने तक खाते पीते और अपने जीवन में मग्न थे उन सबका सर्वनाश हो जाता है। नूह के समय एवं लोट के समय की घटनाओं का उदाहरण देते हुए प्रभु येसु कहते हैं, ‘‘मानव पुत्र के प्रकट होने के दिन भी वैसा ही होगा।‘‘ अर्थात् वह दिन कब आयेगा हमें मालूम नहीं होगा तथा जो उस समय तक खाते-पीते, अपने जीवन में मग्न रहते तथा जो सोचते कि ऐसा कुछ नहीं होगा इसलिए जीवन में मौज मस्ती कर के जीयो उन सबका वही हाल होगा जो उन दो घटनाओं में हुआ।
हम इस जीवन में इतने मग्न हो जाते है कि हम सोचते है यही असली जीवन है इसलिए हम इस जीवन को सुरक्षित करने के लिए हर सम्भव प्रयास करते हैं। परंतु जो कोई आने वाले जीवन के लिए इस जीवन को खो देता है वह उसे सुरक्षित पायेगा। अपने जीवन को खोने का तात्पर्य है कू्रस उठाकर प्रभु के पीछे हो लेना। तथा प्रभु के पीछे हो लेने में जितना भी दुःख तकलीफ, अत्याचार सामने आता है उसको स्वीकार करना। प्रभु के पीछे बहुत लोग हो लेते हैं परंतु जब इस कारण संकट, परेशानियॉं आती है तो अपने आप को बचाने के लिए बहुत से लोग पीछे हट जाते हैं।
इस संसार में कई लोग है जो साथ साथ में रहते है परंतु जब समय आयेगा तो कुछ लोग ही चुन लिये जायेंगे हम एक साथ खेलते हों, काम करते हों, साथ रहते हो परंतु जो अपने जीवन में प्रभु के आगमन की तैयारी हेतु जीवन बिताता है वहीं चुन लिया जायेगा और बाकी का सर्वनाश हो जायेगा। हम प्रार्थना करें कि उस आने वाले दिन के लिए अपने आप को तैयार पायें। आमेन!
✍ - फादर डेन्नीस तिग्गा (भोपाल महाधर्मप्रान्त)
Lord Jesus in today’s gospel giving the example of two events shows the similarity to the coming of Son of Man. In the two incidents two things were similar. First that when the destruction will take place nobody was knowing the date and time. Secondly, the people who were eating and drinking and were immersed in their life till that day came, all were destroyed. Giving the example of Noah’s time and Lot’s time Lord Jesus says, “It will be like that on the day that the Son of Man is revealed.” Which means to say when the Son of Man will come we will not know and till the Son of Man comes those who were eating and drinking, immersed in their life and were thinking that this will not happen so enjoy the life, same thing will happen to them happened in the two events.
We are so immersed in this world that we think this is the real life and that’s why we try to secure this life in all possible ways. But one who loses this life for the life to come will gain it. To lose one’s life means to take us the cross and follow Jesus and accepting whatever difficulty, sorrows, pain, persecutions comes in following Jesus. Many follow Jesus but when difficulties and troubles start coming then to save themselves they stop following.
In this world many live together but when the time will come then only some will be chosen. We may play together, work together, live together but one who prepare his life for the second coming of Jesus he/she only will be chosen and will be saved and rest will be destroyed. Let’s pray that we all may find ourselves ready and worthy when the time comes. Amen!
✍ -Fr. Dennis Tigga (Bhopal Archdiocese)
प्रभु येसु आज के सुसमाचार में दो घटनाओं का उदाहरण देते हुए उसकी समानता मानव पुत्र के दिन से करते है। इन दो घटनाओं में दो समानता मिलती है। एक तो किस दिन वह प्रलय या आग और गंधरस आने वाला है किसी को ज्ञात नहीं था दूसरा जो लोग वह समय आने तक खाते पीते और अपने जीवन में मग्न थे उन सबका सर्वनाश हो जाता है। नूह के समय एवं लोट के समय की घटनाओं का उदाहरण देते हुए प्रभु येसु कहते हैं, ‘‘मानव पुत्र के प्रकट होने के दिन भी वैसा ही होगा।‘‘ अर्थात् वह दिन कब आयेगा हमें मालूम नहीं होगा तथा जो उस समय तक खाते-पीते, अपने जीवन में मग्न रहते तथा जो सोचते कि ऐसा कुछ नहीं होगा इसलिए जीवन में मौज मस्ती कर के जीयो उन सबका वही हाल होगा जो उन दो घटनाओं में हुआ।
हम इस जीवन में इतने मग्न हो जाते है कि हम सोचते है यही असली जीवन है इसलिए हम इस जीवन को सुरक्षित करने के लिए हर सम्भव प्रयास करते हैं। परंतु जो कोई आने वाले जीवन के लिए इस जीवन को खो देता है वह उसे सुरक्षित पायेगा। अपने जीवन को खोने का तात्पर्य है कू्रस उठाकर प्रभु के पीछे हो लेना। तथा प्रभु के पीछे हो लेने में जितना भी दुःख तकलीफ, अत्याचार सामने आता है उसको स्वीकार करना। प्रभु के पीछे बहुत लोग हो लेते हैं परंतु जब इस कारण संकट, परेशानियॉं आती है तो अपने आप को बचाने के लिए बहुत से लोग पीछे हट जाते हैं।
इस संसार में कई लोग है जो साथ साथ में रहते है परंतु जब समय आयेगा तो कुछ लोग ही चुन लिये जायेंगे हम एक साथ खेलते हों, काम करते हों, साथ रहते हो परंतु जो अपने जीवन में प्रभु के आगमन की तैयारी हेतु जीवन बिताता है वहीं चुन लिया जायेगा और बाकी का सर्वनाश हो जायेगा। हम प्रार्थना करें कि उस आने वाले दिन के लिए अपने आप को तैयार पायें। आमेन!
✍ - फादर डेन्नीस तिग्गा
Lord Jesus in today’s gospel giving the example of two events shows the similarity to the coming of Son of Man. In the two incidents two things were similar. First that when the destruction will take place nobody was knowing the date and time. Secondly, the people who were eating and drinking and were immersed in their life till that day came, all were destroyed. Giving the example of Noah’s time and Lot’s time Lord Jesus says, “It will be like that on the day that the Son of Man is revealed.” Which means to say when the Son of Man will come we will not know and till the Son of Man comes those who were eating and drinking, immersed in their life and were thinking that this will not happen so enjoy the life, same thing will happen to them happened in the two events.
We are so immersed in this world that we think this is the real life and that’s why we try to secure this life in all possible ways. But one who loses this life for the life to come will gain it. To lose one’s life means to take us the cross and follow Jesus and accepting whatever difficulty, sorrows, pain, persecutions comes in following Jesus. Many follow Jesus but when difficulties and troubles start coming then to save themselves they stop following.
In this world many live together but when the time will come then only some will be chosen. We may play together, work together, live together but one who prepare his life for the second coming of Jesus he/she only will be chosen and will be saved and rest will be destroyed. Let’s pray that we all may find ourselves ready and worthy when the time comes. Amen!
✍ -Fr. Dennis Tigga