अक्टूबर 23, 2024, बुधवार

वर्ष का उन्तीसवाँ सामान्य सप्ताह

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📒 पहला पाठ : एफ़ेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 3:2-12

2) आप लोगों ने अवश्य सुना होगा कि ईश्वर ने आप लोगों की भलाई के लिए मुझे अपनी कृपा का सेवा-कार्य सौंपा है।

3) उसने मुझ पर वह रहस्य प्रकट किया है, जिसका मैं संक्षिप्त विवरण ऊपर दे चुका हूँ।

4) उसे पढ़ कर आप लोग जान सकते हैं कि मैं मसीह का रहस्य समझता हूँ।

5) वह रहस्य पिछली पीढि़यों में मनुष्य को नहीं बताया गया था और अब आत्मा के द्वारा उसके पवित्र प्रेरितों और नबियों का प्रकट किया गया है।

6) वह रहस्य यह है कि सुसमाचार के द्वारा यहूदियों के साथ गैर-यहूदी एक ही विरासत के अधिकारी हैं, एक ही शरीर के अंग हैं और ईसा मसीह-विषयक प्रतिज्ञा के सहभागी हैं।

7) ईश्वर ने अपने सामर्थ्य के अधिकार से मुझे यह कृपा प्रदान की कि मैं उस सुसमाचार का सेवक बनूँ।

8) मुझे, जो सतों में सब से छोटा हूँ, यह वरदान मिला है कि मैं गैर-यहूदियों को मसीह की अपार कृपानिधि का सुसमाचार सुनाऊँ

9) और मुक्ति-विधान का वह रहस्य पूर्ण रूप से प्रकट करूँ, जिसे समस्त विश्व के सृष्टिकर्ता ने अब तक गुप्त रखा था।

10) इस तरह, कलीसिया के माध्यम से स्वर्ग के दूत ईश्वर की बहुविध प्रज्ञा का ज्ञान प्राप्त करेंगे।

11) ईश्वर ने अनन्त काल से जो उद्देश्य अपने मन में रखा, उसने उसे हमारे प्रभु ईसा मसीह द्वारा पूरा किया।

12) हम मसीह में विश्वास करते हैं और इस कारण हम पूरे भरोसे के साथ निर्भय हो कर ईश्वर के पास जाते हैं।

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस का सुसमाचार 12:39-48

39) यह अच्छी तरह समझ लो-यदि घर के स्वामी को मालूम होता कि चोर किस घड़ी आयेगा, तो वह अपने घर में सेंध लगने नहीं देता।

40) तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी तुम उसके आने की नहीं सोचते, उसी घड़ी मानव पुत्र आयेगा।’’

41) पेत्रुस ने उन से कहा, ’’प्रभु! क्या आप यह दृष्टान्त हमारे लिए कहते हैं या सबों के लिए?’’

42) प्रभु ने कहा, ’’कौन ऐसा ईमानदार और बुद्धिमान् कारिन्दा है, जिसे उसका स्वामी अपने नौकर-चाकरों पर नियुक्त करेगा ताकि वह समय पर उन्हें रसद बाँटा करे?

43) धन्य हैं वह सेवक, जिसका स्वामी आने पर उसे ऐसा करता हुआ पायेगा!

44) मैं तुम से यह कहता हूँ, वह उसे अपनी सारी सम्पत्ति पर नियुक्त करेगा।

45) परन्तु यदि वह सेवक अपने मन में कहे, ’मेरा स्वामी आने में देर करता है’ और वह दासदासियों को पीटने, खाने-पीने और नशेबाजी करने लगे,

46) तो उस सेवक का स्वामी ऐसे दिन आयेगा, जब वह उसकी प्रतीक्षा नहीं कर रहा होगा और ऐसी घड़ी जिसे वह जान नहीं पायेगा। तब स्वामी उसे कोड़े लगवायेगा और विश्वासघातियों का दण्ड देगा।

47) ’’अपने स्वामी की इच्छा जान कर भी जिस सेवक ने कुछ तैयार नहीं किया और न उसकी इच्छा के अनुसार काम किया, वह बहुत मार खायेगा।

48) जिसने अनजाने ही मार खाने का काम किया, वह थोड़ी मार खायेगा। जिसे बहुत दिया गया है, उस से बहुत माँगा जायेगा और जिसे बहुत सौंपा गया है, उस से अधिक माँगा जायेगा।

📚 मनन-चिंतन

आज के सुसमाचार पाठ में, येसु एक बुद्धिमान और ईमानदार कारिन्दा के बारे में एक दृष्टांत साझा करते हैं। यह दृष्टांत हमें जिम्मेदारी बारे में महत्वपूर्ण सबक सिखाती है और यह बताती है कि हमें ईश्वर द्वारा सौंपी गई चीजों का उपयोग कैसे करना चाहिए।

बुद्धिमान प्रबंधक वह होता है जो अपने मालिक के न होने पर भी घर का ध्यान रखता है। वह सुनिश्चित करता है कि सब कुछ सही ढंग से चले और उसके देखभाल में लोग अच्छे से रहें। यह हमारे जीवन के लिए एक उदाहरण है। हम सभी की जिम्मेदारियाँ हैं- चाहे वह काम पर हो, परिवार में या समुदाय में। हम सभी कारिन्दा या प्रबंधकों की तरह हैं, और इन जिम्मेदारियों को कैसे निभाते हैं, यह ईश्वर के लिए महत्वपूर्ण है।

हम अपने दैनिक जीवन पर मनन करें। हम अपने काम के बारे में सोच सकते हैं, जहां हमें समय पर आना पड़ता है, अपनी पूरी मेहनत करनी पड़ती हैं, और अपने सहकर्मियों का समर्थन करना पड़ता हैं। लेकिन एक अच्छे प्रबंधक का होना सिर्फ काम पूर्ण करने तक ही सीमित नहीं है, परंतु इससे ऊपर है। यह इस बारे में भी है कि हम अपने परिवार और दोस्तों के साथ कैसे व्यवहार करते हैं। क्या हम दयावान और सहायक हैं? क्या हम उनकी बातें सुनने के लिए समय निकालते हैं जिन्हें हमारी मदद की जरूरत होती हैं? जिम्मेदार होना मतलब अपने चारों ओर के लोगों की देखभाल करना और अपनी संसाधनों -जैसे कि हमारा समय और ऊर्जा-का सही उपयोग करना है।

येसु हमें यह भी याद दिलाते हैं कि हमारे हर एक व्यवहार का परिणाम होता हैं। यदि हम निष्टावान और जिम्मेदार हैं, तो हमें इसका पुरस्कार मिलेगा। यह हमें अपने दैनिक जीवन में अच्छे निर्णय लेने के लिए प्रेरित कर सकता है। इसके विपरीत, यदि हम अपनी जिम्मेदारियों को नजरअंदाज करते हैं या स्वार्थी तरीके से व्यवहार करते हैं, तो हमें आगे चलकर कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

एक और महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि हमें जिम्मेदारी भरा कार्य करने के लिए ‘‘सही क्षण’’ का इंतजार करने की जरूरत नहीं हैं। कभी-कभी, हम सोचते हैं कि जब हमारे पास ज्यादा समय या साधन होंगे, तब हम अच्छे काम शुरू करेंगे। लेकिन येसु हमें सिखाते हैं कि हर एक छोटे-छोटे कार्य भी मायने रखते हैं- हर दयालुता का काम, हर धैर्य का क्षण, और दूसरों की मदद करने का हर प्रयास महत्वपूर्ण होता है।

इसलिए, जब हम इस पाठ के बारे में सोचते हैं, तो आइये हम खुद से पूछेंः हम अपने जीवन का प्रबंधन कैसे कर रहे हैं? क्या हम अपनी जिम्मेदारियों में निष्टावान हैं? क्या हम अपनी क्षमताओं का उपयोग दूसरों की सेवा के लिए कर रहे हैं? अपने कार्यों के प्रति जागरूक होकर और अपना सर्वश्रेष्ट देने की कोशिश करके, हम अपने विश्वास को व्यावहारिक तरीकों से जी सकते हैं। आइए हम हर चीज में बुद्धिमान और निष्टावान प्रबंधक बनने की प्रतिज्ञा करें!

फादर डेनिस तिग्गा (भोपाल महाधर्मप्रान्त)

📚 REFLECTION


Jesus in today’s gospel shares a parable about a wise and faithful manager. This parable teaches us important lessons about responsibility and how we use what God has entrusted to us.

The wise manager is someone who takes care of the household while the master is away. He makes sure everything runs smoothly and that the people in his care are well looked after. This reflects how we should act in our own lives. Each of us has responsibilities—whether it’s at work, in our families, or in our communities. We are like managers, and how we handle these responsibilities matters to God.

Let’s reflect on our daily lives. We might think of our jobs, where we need to show up on time, do our best work, and support our colleagues. But being a good manager goes beyond work. It’s also about how we treat our family and friends. Are we kind and supportive? Do we take time to listen to those who need us?

Being responsible means caring for those around us and using our resources wisely, like our time and energy.

Jesus also reminds us that there are consequences for how we act. If we are faithful and responsible, we will be rewarded. This can inspire us to make good choices in our daily lives. However, if we neglect our responsibilities or act selfishly, we may face difficulties down the road.

Another important point is that we should not wait for the “perfect moment” to act responsibly. Sometimes, we may feel overwhelmed and think we’ll start doing good when we have more time or resources. But Jesus teaches us that even small actions matter. Every act of kindness, every moment of patience, and every effort to help others counts.

So, as we think about this passage, let’s ask ourselves: How are we managing our lives? Are we being faithful in our responsibilities? Are we using our gifts to serve others? By being aware of our actions and striving to do our best, we can live out our faith in practical ways. Let us commit to being wise and faithful managers in everything we do!

-Fr. Dennis Tigga (Bhopal Archdiocese)

📚 मनन-चिंतन - 2

ईश्वर ने हमें कई वरदान एवं गुण दिए हैं। हम उस नौकर के समान हैं जिसके स्वामी ने उसे कुछ ना कुछ ज़िम्मेदारी सौंपी है। हम में से कुछ को एक शिक्षक के रूप में दूसरों की सेवा करने की ज़िम्मेदारी सौंपी है, कुछ को डॉक्टर के रूप में मानव सेवा की ज़िम्मेदारी, किसी को ड्राइवर के रूप में, नर्स के रूप में, पुरोहित के रूप में, धर्म बहन के रूप में, इत्यादि। जो भी गुण और विशेषताएँ हमारी योग्यता के अनुसार प्रभु ने हमें दिए हैं, उन सब का हिसाब हमसे माँगा जाएगा। यदि हम अपनी ज़िम्मेदारी को वफ़ादारी और ईमानदारी के साथ पूरा करते हैं तो हमारा प्रभु हमें पुरस्कृत करेगा, लेकिन अगर हम अपनी ज़िम्मेदारी को अच्छी तरह से पूरा नहीं किए हैं तो हो सकता है प्रभु उसी के अनुसार हमारा न्याय करेगा और हमें दंड भी देगा।

हम सभी को एक न एक दिन अपने स्वामी का सामना करना है, लेकिन कब करना है वह दिन और वह घड़ी कोई नहीं जानता, और इसीलिए शायद हम उस घड़ी के लिए तैयारी भी नहीं करते। हम सोचते हैं कि अभी तो हमारे पास बहुत समय है। यदि मैं कुछ ग़लत करता हूँ, या अपना जीवन ग़लत ढंग से जीता हूँ, और यह सोचता हूँ कि प्रभु दयालु है इसलिए में अंत में माफ़ी माँग लूँगा, और प्रभु माफ़ कर देगा। लेकिन वह अंत समय कब आएगा? इसलिए प्रभु याद दिलाते हैं कि हमें हर समय तैयार रहना है, अपनी ज़िम्मेदारियों और और अपने जीवन का हिसाब देने के लिए। ईश्वर करे हम सभी वफ़ादार और ईमानदार सेवक बनें।

- फ़ादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर धर्मप्रान्त)


📚 REFLECTION

God has given us many talents. Each one of us is like a servant who is entrusted by his master with the responsibility. Some of us are entrusted with a responsibility to serve humanity as teacher, some have the responsibility to serve as doctor, as a driver, as nurse, a priest or a nun and so on. We are all accountable to God for the gifts which he has given to us according to our ability. If we execute our responsibilities sincerely and faithfully then our master will reward us appropriately, but if we have not done our work faithfully and sincerely then we will be judged according

We all will face our master one day and none of us knows the exact time and hour and therefore we don't prepare and are not alert. We think that we have lots of time. If I am doing something wrong or living inappropriate life, I usually think that I will change myself before the last moment and be saved; but when is that last moment? Therefore Jesus reminds us today, to be alert and be prepared to be accountable for our responsibility entrusted to us. Let us be faithful and sincere servants of our Lord.

-Fr. Johnson B. Maria (Gwalior Diocese)

📚 मनन-चिंतन-3

ईश्वर हमसे प्यार करता है। इसलिए उसने येसु मसीह के माध्यम से हमें अपना ज्ञान प्रदान किया है। दिव्य आशीर्वाद का अनुभव करने के लिए हम येसु मसीह में ईश्वर की अनंत योजना का हिस्सा हैं। इसलिए हम पूरे विश्वास और भरोसे के साथ ईश्वर के पास जाने के आत्मविश्वास रखते हैं।

यह हमें आज अनुवाक्य में भजनहार के साथ प्रार्थना करने के लिए प्रेरित करता है, "तुम आनंदित होकर मुक्ति के स्रोत में जल भरोगे"। सचमुच, ईश्वर मेरा उद्धारकर्ता है, मैं उन पर भरोसा रखता हूँ, मुझे कोई भय नहीं होगा।

ज़िम्मेदारी विश्वसनीयता के बारे में कल के सुसमाचार की चर्चा जारी रखते हुए यीशु कहते हैं, जब किसी व्यक्ति को बहुत कुछ दिया है, तो उस व्यक्ति से बहुत बड़ी उम्मीद की जाएगी। इसका मतलब है, ईश्वर का आशीर्वाद जितना बड़ा होगा, दूसरों के प्रति जिम्मेदारी भी उतनी ही बड़ी होगी। ईश्वर हमसे उदारता से प्यार करते हैं ताकि हम दूसरों के प्रति उदार हो सकें, स्वार्थी नहीं।

अपने जीवन के अनुग्रहों को गिनें और देखें कि ईश्वर आपसे कितना प्यार करते हैं। अपने आप से पूछें, "क्या मैं विश्वसनीय या अविश्वसनीय, मेहनती या आलसी, उदार या स्वार्थी हूं? आइए हम प्रार्थना करें कि हम अपने जीवन में आभारी और उदार बने रहें।

- फादर जोली जोन (इन्दौर धर्मप्रांत)


📚 REFLECTION

God loves us. Therefore he has made known his wisdom to us through Jesus Christ. And we are part of God’s plan in Jesus Christ to experience the divine blessings. Therefore we are bold enough to approach God in complete confidence, through our faith in him.

This is what prompts us to pray with the psalmist in the Response, “With joy you will draw water from the wells of salvation”. Truly, God is my salvation, I trust, I shall not fear.

Continuing with yesterday’s gospel about responsibility Jesus says, when a person has had a great deal given to him/her, a great deal will be expected of that person. That means, the greater the blessings of God, the greater the responsibility towards others. God loves us generously so that we can be generous towards others, not selfish.

Count your blessings and see how much God loves you. Ask yourself’ “Am I reliable or unreliable, hardworking or lazy, generous or selfish? Let us ask for the grace to be grateful and generous.

-Fr. Jolly John (Indore Diocese)