1) नासमझ गलातियों! किसने आप लोगों पर जादू डाला है? आप लोगों को तो सुस्पष्ट रूप से यह दिखलाया गया कि ईसा मसीह क्रूस पर आरोपित किये गये थे।
2) मैं आप लोगों से इतना ही जानना चाहता हूँ - आप को संहिता के कर्मकाण्ड के कारण आत्मा का वरदान मिला या सुसमाचार के सन्देश पर विश्वास करने के कारण?
3) क्या आप लोग इतने नासमझ हैं कि आपने जो कार्य आत्मा द्वारा प्रारम्भ किया, उसे अब शरीर द्वारा पूर्ण करना चाहते हैं?
4) क्या आप लोगों को व्यर्थ ही इतने वरदान प्राप्त हुए? मुझे ऐसा विश्वास नहीं है।
5) जब ईश्वर आप लोगों को आत्मा का वरदान देता है और आपके बीच चमत्कार दिखाता है, तो क्या वह संहिता के कर्मकाण्ड के कारण ऐसा करता है या इसलिए कि आप सुसमाचार के सन्देश पर विश्वास करते है?
5) फिर ईसा ने उन से कहा, ’’मान लो कि तुम में कोई आधी रात को अपने किसी मित्र के पास जा कर कहे, ’दोस्त, मुझे तीन रोटियाँ उधार दो,
6) क्योंकि मेरा एक मित्र सफ़र में मेरे यहाँ पहुँचा है और उसे खिलाने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है’
7) और वह भीतर से उत्तर दे, ’मुझे तंग न करो। अब तो द्वार बन्द हो चुका है। मेरे बाल-बच्चे और मैं, हम सब बिस्तर पर हैं। मैं उठ कर तुम को नहीं दे सकता।’
8) मैं तुम से कहता हूँ-वह मित्रता के नाते भले ही उठ कर उसे कुछ न दे, किन्तु उसके आग्रह के कारण वह उठेगा और उसकी आवश्यकता पूरी कर देगा।
9) ’’मैं तुम से कहता हूँ-माँगो और तुम्हें दिया जायेगा; ढूँढ़ो और तुम्हें मिल जायेगा; खटखटाओ और तुम्हारे लिए खोला जायेगा।
10) क्योंकि जो माँगता है, उसे दिया जाता है; जो ढूँढ़ता है, उसे मिल जाता है और जो खटखटाता है, उसके लिए खोला जाता है।
11) ’’यदि तुम्हारा पुत्र तुम से रोटी माँगे, तो तुम में ऐसा कौन है, जो उसे पत्थर देगा? अथवा मछली माँगे, तो मछली के बदले उसे साँप देगा?
12) अथवा अण्डा माँगे, तो उसे बिच्छू देगा?
13) बुरे होने पर भी यदि तुम लोग अपने बच्चों को सहज ही अच्छी चीज़ें देते हो, तो तुम्हारा स्वर्गिक पिता माँगने वालों को पवित्र आत्मा क्यों नहीं देगा?’’
लूकस 11ः5-13 से आज के सुसमाचार में, येसु हमें प्रार्थना में निरंतरता के महत्व के बारे में सिखाते हैं। वह एक ऐसे आदमी की कहानी साझा करते हैं जो आधी रात को अपने दोस्त के घर जाता है और एक मेहमान को खिलाने के लिए भोजन मांगता है। सबसे पहले तो उसका दोस्त उसकी मदद नहीं करना चाहता है क्योंकि देर हो चुकी थी, लेकिन अंततः, वह उठता है और उस आदमी को उसकी दृढ़ता के कारण वह देता है जो उसे चाहिए।
येसु हमें प्रार्थना करते रहने, माँगते रहने और ईश्वर हमारी सुनता है इस पर भरोसा करते रहने के लिए प्रोत्साहित करते है। यह पाठ हमें याद दिलाता है कि ईश्वर चाहता है कि हम अपनी जरूरतों को लेकर उसके पास आएं, केवल एक बार नहीं, बल्कि बारम्बार।
येसु अपने बच्चों को अच्छे उपहार देने वाले माता-पिता के उदाहरण का उपयोग करते हैं। यदि मानव माता-पिता, जो अपूर्ण हैं, जानते हैं कि अपने बच्चों को अच्छी चीजें कैसे देनी हैं, तो हमारा स्वर्गीय पिता उनसे माँगने वालों को कितना अधिक पवित्र आत्मा देगा? (लूकस 11ः13) ईश्वर, जो प्रेम में परिपूर्ण है, हमें वह देने के लिए तैयार है जिसकी हमें आवश्यकता है, विशेष रूप से पवित्र आत्मा के माध्यम से उसकी उपस्थिति और मार्गदर्शन।
हमारे लिए यहां पर यह संदेश स्पष्ट है कि ईश्वर चाहता है कि हम प्रार्थना में निरंतर लगे रहें, इस विश्वास के साथ कि वह उन चीजों को प्रदान करेगा जो हमारे लिए सर्वोत्तम है। कभी-कभी, उत्तर तुरंत नहीं मिलेगा, लेकिन हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। ईश्वर हमेशा हमारी सुनता है और वह सही समय पर हमें उचित आशीष प्रदान करता है।
जब हम आज के पाठ पर विचार करते हैं, आइए हम अपने आप से पूछें कि क्या हम प्रार्थना में दृढ़ हैं, या हम बहुत आसानी से हार मान लेते हैं? आइए याद रखें कि ईश्वर एक प्रेमी पिता है जो हमें अच्छी चीजें देना चाहता है, और वह हमें विश्वास के साथ माँगते, खोजते और दस्तक देते रहने के लिए आमंत्रित करता है।
✍फादर डेनिस तिग्गा (भोपाल महाधर्मप्रान्त)
In today’s Gospel from Luke 11:5-13, Jesus teaches us about the importance of persistent prayer. He shares a story about a man who goes to his friend’s house at midnight, asking for bread to feed a guest. At first, the friend doesn’t want to help because it’s late, but eventually, he gets up and gives the man what he needs because of his persistence.
Jesus encourages us to keep praying, keep asking, and keep trusting that God hears us. This passage reminds us that God wants us to come to Him with our needs, not just once, but persistently.
Jesus uses the example of a parent giving good gifts to their children. If human parents, who are imperfect, know how to give good things to their children, how much more will our Heavenly Father give the Holy Spirit to those who ask Him? (Luke 11:13). God, who is perfect in love, is ready to give us what we need, especially His presence and guidance through the Holy Spirit.
The message here is clear: God wants us to be persistent in prayer, trusting that He will provide what is best for us. Sometimes, the answer may not come right away, but we should not lose heart. God always hears us, and His timing is perfect.
As we reflect on this passage, let’s ask ourselves: Are we persistent in prayer, or do we give up too easily? Let’s remember that God is a loving Father who wants to give us good things, and He invites us to keep asking, seeking, and knocking with faith.
✍ -Fr. Dennis Tigga (Bhopal Archdiocese)
आज की दुनिया में कितने ऐसे लोग हैं जो तरह-तरह की परेशानियों से नहीं घिरे हैं, चिंताओं से नहीं घिरे हैं? कभी-कभी जीवन में इतनी निराशा आ जाती है कि कुछ समझ नहीं आता कि क्या करें। और इसलिए कई बार लोग कुछ अप्रत्याशित कदम उठा लेते हैं। कुछ लोग अपना जीवन इसलिए बर्बाद कर लेते हैं क्योंकि वे इस बात से अनजान हैं कि कोई तो है जो उनकी परेशानियों को सुनने के लिए तैयार बैठा है, उनकी हर समस्या का हल उन्हें प्रदान करने के लिए तैयार है। जब ज़िंदगी में सारे दरवाज़े बंद हो जाएँ, तब भी वह हमारा स्वर्गीय पिता हमारे लिए नया दरवाज़ा खोल देता है। हमें बस सच्चे मन से उसकी ओर मुड़ने की ज़रूरत है, वह हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर सदैव तत्पर है।
आज प्रभु येसु हमसे वादा करते हैं कि हम पिता से जो भी माँगेंगे, वह हमें ज़रूर प्रदान करेगा। प्रभु येसु हमें प्रार्थना की शक्ति का अनुभव करने का आह्वान करते हैं। प्रार्थना हमारे जीवन को पूर्ण रूप से बदल सकती है। जब हम प्रार्थना में स्वर्गिक पिता से कुछ माँगते हैं, तो हमें ध्यान सिर्फ़ अपनी ही ज़रूरतों पर केंद्रित नहीं करना है बल्कि दूसरों की ज़रूरतों के लिए भी प्रार्थना करनी है। जब हम दूसरों के लिए प्रार्थना करते हैं या उनकी ओर से पिता से कुछ माँगते हैं तो स्वर्गीय पिता बहुत खुश होते हैं। प्रभु येसु भी उस अपाहिज के मित्रों के विश्वास को देख कर ख़ुश होते हैं और उस व्यक्ति के पापों को क्षमा कर उसे चंगाई प्रदान करते हैं (मारकुस २:१-१२)। इसी तरह से दूसरों के लिए निवेदन करने से पिता हमारी प्रार्थना ज़रूर सुनेंगे।
✍ - फ़ादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर धर्मप्रान्त)
How many are there in the world today who are not surrounded by difficulties and worries? Sometimes we come across so many disparate moments that we do not find any way out. As a result many people give up and take unexpected step in life. Many people give up and loose their life because they are ignorant of the fact that there is someone who is ready to listen to them, who is ready to liberate them from their worries and problems. When all the doors seem to be closed, our heavenly Father opens a new door for us. We just need to turn towards him with open heart and he is there to listen to our prayer and grant us whatever we ask him.
Today Jesus assures us that whatever we ask our heavenly father, he will give us. Jesus invites us to experience the power of prayer in our lives. Prayer can change our life completely. When we pray and ask something to our heavenly, our focus should not be on our needs alone but also we must pray for others. God delights in our prayer for others. Jesus feels happy to see the faith of the friends of the handicapped who was lowered from the roof. Because of their asking, Jesus heals the crippled (cf Mark 2:1-12). Heavenly Father also feels happy when we pray and ask for others.
✍ -Fr. Johnson B. Maria (Gwalior Diocese)
ईश्वर हमसे प्यार करता है। कलीसिया को प्रभु येसु का सबसे बड़ा उपहार पवित्र आत्मा है। आज का पहला पाठ (गलाती 3: 1-5) में संत पौलुस हमें सिखाता है कि सुसमाचार पर विश्वास करने से हमें पवित्र आत्मा प्राप्त होते हैं। और आज के सुसमाचार में येसु कहते हैं कि स्वर्गीय पिता उन लोगों को पवित्र आत्मा देंगे जो उनसे मांगते हैं।
येसु कहते हैं, “मांगो, और तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढो और तुम पाओगे; खटखटाओ, और तुम्हारे लिए खोला जाएगा।” ईश्वर हमसे प्यार करता है। इसलिए वह चाहता है कि हमारी ज़रूरतें पूरी हों। वह चाहता है कि हमें अपनी खोज के उत्तर मिलें। वह चाहते हैं कि हमारे लिए नए अवसर खुल जायें। ईश्वर उन लोगों की प्रार्थनाओं का जवाब देता है जो उसे विश्वास के साथ मांगते हैं। प्रभु येसु कहता है कि माँगने वालों को पवित्र आत्मा देने के लिए हमारे पिता ईश्वर तैयार है। इसलिए हम विश्वास के साथ पिता ईश्वर से प्रार्थना करें की वह हमें पवित्र आत्मा प्रदान करें।
क्या मैं मेरी ज़रूरतों में प्रार्थना में ईश्वर के पास जाता हूँ? क्या मुझे विश्वास है कि ईश्वर मेरी प्रार्थनाओं का जवाब देंगे? क्या मैं साधारण, सांसारिक चीजों से संतुष्ट हूं या मैं वास्तव में पवित्र आत्मा की इच्छा रखता हूं? मांगो, ढूंढो, खटखटाओ - ईश्वर आपकी प्रार्थनाओं का जवाब देंगे। आमीन।
✍ - फादर जोली जोन (इन्दौर धर्मप्रांत)
God loves us. The greatest gift of Jesus to the Church is the Holy Spirit. The first reading from Galatians chapter 3: 1-5 says that we receive the Holy Spirit by believing in the gospel. And Jesus says in today’s gospel that the heavenly Father will give the Holy Spirit to those who ask him.
Jesus says, “Ask, and it will be given to you; search, and you will find; knock, and the door will be opened to you”. God loves us. Therefore he wants us to have our needs fulfilled. He wants that we find the answers to our search. He wants that new opportunities be opened for us. God answers the prayers of those who ask him. And the greatest gift that Jesus wants us to have is the Holy Spirit, whom the Father is ready to give to those who ask him.
In my needs do I turn to God in prayer? Do I believe that God will answer my prayers? Am I satisfied with the ordinary, mundane things or do I really desire the Holy Spirit? Ask, seek, knock – God will answer your prayers.
✍ -Fr. Jolly John (Indore Diocese)