अगस्त 17, 2024, शनिवार

वर्ष का उन्नीसवाँ सामान्य सप्ताह

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📒पहला पाठ : एज़ेकिएल का ग्रन्थ 18:1-10,13b,30-32

1) प्रभु की वाणी मुझे यह कहते हुए सुनाई दी,

2) “तुम लोग इस्राएल देश के विषय में यह कहावत क्यों दोहराते हो- बाप-दादों ने खट्टे अंगूर खाये और बच्चों के दाँत खुरदरे हो गये?

3) प्रभु-ईश्वर यह कहता है- अपने अस्तित्व की शपथ! कोई भी इस्राएली यह कहावत फिर नहीं दोहरायेगा!

4) सभी आत्माएँ मेरी ही हैं। पिता की आत्मा मेरी है और पुत्र की आत्मा भी। जो व्यक्ति पाप करता है, वही मरेगा।

5) “यदि कोई मनुय धार्मिक है और संहिता तथा न्याय के अनुसार आचरण करता है;

6) यदि वह पहाड़ी पूजास्थानों में भोजन नहीं करता और इस्राएली प्रजा की देवमूर्तियों की ओर आँख उठा कर नहीं देखता; यदि वह परायी स्त्री का शील भंग नहीं करता और ऋतुमती स्त्री के पास नहीं जाता;

7) यदि वह किसी पर अत्याचार नहीं करता, अपने कर्जदार को उधार लौटाता और किसी का धन नहीं चुराता; यदि वह भूखों को भोजन और नंगों को कपड़े देता;

8) यदि वह ब्याज ले कर उधार नहीं देता, सूदखोरी अथवा अन्याय नहीं करता और दो पक्षों का उचित न्याय करता है;

9) यदि वह मेरे विधान के अनुसार आचरण करता और मेरे नियमों का निष्ठापूर्वक पालन करता है, तो ऐसा धार्मिक मनुय जीवित रहेगा- यह प्रभु-ईश्वर की वाणी है।

10) “किन्तु यदि उस से ऐसा पुत्र उत्पन्न हो, जो डाकू और हत्यारा हो जाये, जो स्वयं भी इन में से कोई अपराध करे;

13) वह अपने कुकर्मों के कारण अवश्य मर जायेगा और उसका रक्त उसी के सिर पड़ेगा।

30) “प्रभु-ईश्वर यह कहता है- इस्राएल के घराने! मैं हर एक का उसके कर्मों के अनुसार न्याय करूँगा। तुम मेरे पास लौट कर अपने सब पापों को त्याग दो। कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारे अपराधों को कारण तुम्हारा विनाश हो जाये।

31) अपने पुराने पापों का भार फेंक दो। एक नया हृदय और एक नया मनोभाव धारण करो। प्रभु-ईश्वर यह कहता है-इस्राएलियों! तुम क्यों मरना चाहते हो?

32) मैं किसी भी मनुय की मृत्यु से प्रसन्न नहीं होता। इसलिए तुम मेरे पास लौट कर जीते रहो।“

📙 सुसमाचार : सन्त मत्ती का सुसमाचार 19:13-15

13) उस समय लोग ईसा के पास बच्चों को लाते थे, जिससे वे उन पर हाथ रख कर प्रार्थना करें। शिष्य लोगों को डाँटते थे,

14) परन्तु ईसा ने कहा, ’’बच्चों को आने दो और उन्हें मेरे पास आने से मत रोको, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन-जैसे लोगों का है’’

। 15) और वह बच्चों पर हाथ रख कर वहाँ से चले गये।

📚 मनन-चिंतन

प्रभु येसु ने स्वर्गराज्य के बारे में शिक्षा कई उदाहरणों द्वारा लोगों को प्रदान की। कभी उन्होंने स्वर्ग राज्य की तुलना राई के दाने से की, तो कभी एक बहुमूल्य मोती से। प्रभु येसु ने सरल उदाहरणों द्वारा स्वर्गराज्य की शिक्षा लोगों को प्रदान की। येसु चाहते थे के वे सही मायनों में स्वर्गराज्य का अर्थ समझ सकें। सुसमाचार में शिष्य बच्चों को येसु के पास आने से रोक रहे थे, परंतु येसु उन्हें अपने पास बुलाकर एक महत्वपूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं। येसु उनसे कहते हैं कि स्वर्ग राज्य के उत्तराधिकारी तो ये नन्हे मुन्ने बच्चे ही हैं। येसु कहते हैं कि स्वर्ग राज्य में बच्चों का प्रवेश करना आसान है, एवं स्वर्गराज्य में वे लोग ही प्रवेश कर सकते हैं जिनका हृदय छोटे बच्चों जैसा है। प्रभु येसु नन्हे बालकों को उनके पास आने से नहीं रोकते हैं वे उन्हें अपने पास आने देते हैं। येसु उन्हें प्यार करते हैं एवं उन्हें विशेष ध्यान देते हैं। वे लोगों से आह्वान करते हैं कि उन्हें तुच्छ न समझें। यह इस बात को दर्शाता है कि अगर हमें स्वर्गराज्य में प्रवेश करना है तो हमें भी नन्हे बच्चों जैसा बनना पड़ेगा। प्रभु येसु शारीरिक रूप से छोटे बच्चों जैसे बनने के लिए नहीं कह रहे हैं। वे हमें हमारे हृदय को बच्चों के हृदय की तरह साफ और निर्मल बनाने हेतु आह्वान कर रहे हैं। प्रभु येसु हमें बच्चों की तरह निष्कपट जीवन बिताने हेतु कह रहे हैं ताकि हम भी स्वर्गराज्य के उतराधिकारी बन सकें।

ब्रदर रोशन डामोर (झाबुआ धर्मप्रान्त)

📚 REFLECTION


Lord Jesus taught people about the kingdom of heaven through many examples. Sometimes he compared the kingdom of heaven to a mustard seed and to a precious pearl. Lord Jesus taught people about the kingdom of heaven through simple examples. Jesus wanted them to understand the true meaning of the kingdom of heaven. In the Gospel, the disciples were stopping children from coming to Jesus, but Jesus called them to himself and gave them an important lesson. Jesus told them that these little children are the heirs of the kingdom of heaven. Jesus said that it is easy for children to enter the kingdom of heaven, and only those people can enter the kingdom of heaven whose heart is like that of little children. Lord Jesus does not stop little children from coming to him, he allows them to come to him. Jesus loves them and pays special attention to them. He appeals to people not to consider them insignificant. This shows that if we want to enter the kingdom of heaven, then we too will have to become like little children. Lord Jesus is not asking us to become like small children physically. He is calling us to make our hearts as clean and pure as the hearts of children. Lord Jesus is asking us live a child-like, honest life so that we too can become heirs of the kingdom of heaven.

-Bro. Roshan Damor (Jhabua Diocese)

📚 मनन-चिंतन -2

कल का सुसमाचार विवाह के बारे में था और तलाक पर कड़ा रुख प्रकट किया गया है। आज येसु कहते हैं कि जो उसके पास आते हैं उन्हें एक छोटे बच्चे के रूप में आना चाहिए। वह कुछ विशेषगुणों की जिक्र कर रहे हैं जो बच्चों को वयस्कों से अलग करती हैं। सरलता और खुलापन, पूर्वधारणा से मुक्ति, परिवर्तन के लिए तत्परता और अनुकूलन बच्चों के कुछ गुण हैं। एक व्यक्ति को येसु के पास आने के लिए ये सभी गुण आवश्यक हैं। केवल वे लोग जिनमें बच्चे के गुण होते हैं, वे सुसमाचार के संदेश को उसकी पूर्णता में सुनने के लिए तैयार होते हैं। छोटे बच्चों की तरह बनने के लिए हृदय परिवर्तन की आवश्यकता होती है। हृदय का ऐसा परिवर्तन हमारे जीने के तरीके को बदल देगा और हमें प्रेम का मार्ग सिखा देगा।

- फादर संजय कुजूर एस.वी.डी.


📚 REFLECTION

Yesterday’s gospel was about marriage and takes a hard stand on divorce. Today Jesus says that all who come to Him must come as a little child. He is referring to a few of the special characteristics that separate children from adults. The simplicity and openness, the freedom from prejudice, the readiness for change and adaptation are few qualities of children. Those are the requirements for a person to come to Jesus. Only those who have the qualities of the child are ready to hear the message of the Gospel in its fullness. To become like little children requires a change of heart. Such a change of heart will transform the way we live and teach us the way of love.

-Fr. Snjay Kujur SVD