जुलाई 31, 2024, बुधवार

वर्ष का सत्रहवाँ सामान्य सप्ताह

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📒 पहला पाठ : यिरमियाह का ग्रन्थ 15:10,16-21

10) हाय! माता! आपने मुझे क्यों जन्म दिया? धिक्कार मुझे, क्योंकि सारा देश मुझ से लड़ता-झगड़ता है। मैं न तो किसी को उधार देता और न किसी से उधार लेता हूँ, फिर भी सब मुझे कोसते हैं।

16) तेरी वाणी मुझे प्राप्त हुई और मैं उसे तुरंत निगल गया। वह मरे लिए आनंद और उल्लास का विषय थी; क्योंकि तूने मुझे अपनाया विश्वमण्डल के प्रभु-ईश्वर!

17) मैं मनोरंजन करने वालों के साथ बैठ कर आनन्द नहीं मनाता। मैं तुझ से आविष्ट हो कर एकांत में जीवन बिताता रहा; क्योंकि तूने मुझ में अपना क्रोध भर दिया था।

18) मेरी पीड़ा का अंत क्यों नही होता? मेरा घाव क्यों नहीं भरता? तू मेरे लिए उस अविश्वसनीय नदी के सदृश है, जिस में सदा पानी नहीं रहता।

19) इस पर प्रभु ने यह उत्तर दिया, “यदि तुम अपने शब्द वापस लोगे, तो मैं तुम्हें स्वीकार करूँगा और तुम फिर मेरी सेवा करोगे। यदि तुम निरर्थक भाषा नहीं, बल्कि उपयुक्त भाषा का प्रयोग करोगे, तो फिर मेरे प्रवक्ता बनोगे। ये लोग फिर तुम्हारे पास आयेंगे; तुम को इनके पास नहीं जाना होगा।

20) मैं तुम को उस प्रजा के लिए काँसे की अजेय दीवार बनाऊँगा। वे तुम पर आक्रमण करेंगे, किन्तु हमारे विरुद्ध कुछ नहीं कर पायेंगे; क्योंकि मैं तुम्हारे साथ रह कर तुम्हारी सहायता और रक्षा करूँगा।“ यह प्रभु की वाणी है।

21) “मैं तुम को दुष्टों के हाथ से, उग्र लोगों के पंजे से छुड़ाऊँगा।“

📒 सुसमाचार : सन्त मत्ती का सुसमाचार 13:44-46

44) ’’स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए ख़ज़ाने के सदृश है, जिसे कोई मनुष्य पाता है और दुबारा छिपा देता है। तब वह उमंग में जाता और सब कुछ बेच कर उस खेत को ख़रीद लेता है।

45) ’’फिर, स्वर्ग का राज्य उत्तम मोती खोजने वाले व्यापारी के सदृश है।

46) एक बहुमूल्य मोती मिल जाने पर वह जाता और अपना सब कुछ बेच कर उस मोती को मोल ले लेता है।

📚 मनन-चिंतन

इस संसार का धन क्षणभंगुर है और अस्थायी है हम इसे अपने जीवन पथ के साथ कहीं छोड़ देंगे। चाहे हम इसे पसंद करें या न करें हमें इस दुनिया में जो कुछ भी है उसे छोड़ना होगा। तो अनंत में क्या रहेगा? वह जो हमेशा हमारे लिए रहेगा वह ईश्वर है; जो हमें स्वर्ग में ले जाएगा। सुसमाचार में, उस व्यक्ति ने जीवन का सच्चा खजाना पाया जो ईश्वर के करीब है; उसने उसे पाने के लिए सब कुछ त्याग दिया। वही व्यापारी के साथ भी जब उसने अपने जीवन का सच्चा मोती पाया जो कि ईश्वर है, तो उसने अपनी संपत्ति में सब कुछ बेच दिया ताकि वह सबसे बड़ा मोती जो कि ईश्वर है, उसे प्राप्त कर सके। ऐसा अनेक संतों ने किया भी है; उन्होंने सिर्फ येसु को पाने के लिए सब कुछ त्याग दिया। आप अपने जीवन में प्रभु को पाने के लिए क्या देने को तैयार हैं?

- फादर अल्फ्रेड डिसूजा (भोपाल महाधर्मप्रान्त)


📚 REFLECTION

The riches of this world are all passing and temporary we will leave it all somewhere along the path of our lives. Whether we like it or not we have to leave everything that we have in this world. So who will remain without end? The one that will forever be there for us is God; the one that shall bring us to heaven is God. In our gospel, the person found the true treasure of life that is God; he gave up everything just to have Him. The same also with the merchant when he found the true pearl of his life that is God he sold everything in his possessions so that he could possess the greatest pearl that is God. Many saints have done this too; they gave up everything just to have Jesus. What are you willing to give up to have the Lord in your life?

-Fr. Alfred D’Souza (Bhopal Archdiocese)

📚 मनन-चिंतन - 2

बहुमूल्य मोती

जब हम ईश्वर के राज्य की खोज करते हैं तो हमें सबसे बड़ा खजाना प्राप्त होता है- स्वयं ईश्वर। इस अतुलनीय खजाने को प्राप्त करने के लिए हमारे पास जो कुछ भी है उसे बेचने का मतलब कई चीजों से हो सकता हैं- हमारे दोस्त, संपत्ति, नौकरी, हमारी ‘‘जीवन शैली’’ और विशेष रूप से हम खाली समय कैसे व्यतीत करते है। जिस चीज पर हम दिल लगाते है वह हमारा सबसे बडा खजाना है। हमारे पास चुनने के लिए विकल्प है। येसु का कहने का यह अर्थ नहीं कि, सबकुछ बेच दो लेकिन आपके जीवन की क्या प्राथमिकता है। यदि तुम ईश्वर के राज्य के हो तो तुम्हारे पास सबसे बड़ा खजाना है। ये खजाना केवल उसे प्राप्त होता है जो ईश्वर पर भरोसा करते हैं।

- फादर अल्फ्रेड डिसूजा


📚 REFLECTION

The Pearl of Great Price

When we discover the kingdom of God we receive the greatest possible treasure – the Lord himself. Selling all that we have to obtain this incomparable treasure could mean many things – our friends, possessions, job, our “style of life,” and what we do with our free time. Treasure has a special connection to the heart, the place of desire and longing, the place of will and focus. The thing on which we set our heart is our highest treasure. When we discover that we can enter God’s kingdom. We have a choice to make, just as the man in the field did. We can see the treasure and remain unaffected. Or we can see God’s kingdom, full of peace, love, forgiveness, freedom, and joy, and create a desire for them. Jesus is not saying that one must go out and sell everything. He is saying that you should be willing to. He is saying that NOTHING is as valuable as the new life. You should not love anything or anyone more than God Himself. If you belong to the kingdom, you have the greatest treasure! This treasure is freely given by God, the King, to everyone who trusts in Him.

-Fr. Alfred D’Souza