7) धर्मी का मार्ग समतल है। तू धर्मी का पथ बराबर करता है।
8) प्रभु! हम भी तेरे नियमों के मार्ग पर चलते हुए तुझ पर भरोसा रखते हैं। हम तेरे नाम की स्तुति करना चाहते हैं।
9) मैं रात को तेरे लिए तरसता हूँ। मैं अपनी सारी आत्मा से तुझे खोजता रहता हूँ। जब पृथ्वी पर तेरे नियमों का पालन होता है, तब उसके निवासियों को पता चलता है कि न्याय क्या है।
12) प्रभु! तू ही हमें शान्ति प्रदान करता और हमारे सभी कार्यों में हमें सफलता दिलाता है।
16) प्रभु! तेरी प्रजा संकट में तेरी शरण आती है। जब तू उसे दण्ड देता है, तो वह तेरी दुहाई देती है।
17) प्रभु! हम तेरे सामने उस गर्भवती स्त्री के सदृश थे, जो प्रसव के समय तड़पती है और अपनी पीड़ा में चिल्लाती है।
18) हम गर्भवति की तरह पीड़ा से तड़पते थे, किन्तु हमने वायु प्रसव की। हमने देश का उद्वार नहीं किया और पृथ्वी पर नेय निवासियों का जन्म नहीं हुआ।
19) किन्तु तेरे मृतक फिर जीवित होंगे, उनके शरीर फिर खड़े हो जायेंगे। तुम, जो मिट्टी में सो रहे हो, जाग कर आनन्द के गीत गाओगे; क्योंकि तेरी ओस ज्योतिर्मय है और पृथ्वी मृतकों को पुनर्जीवित कर देगी।
28) ’’थके-माँदे और बोझ से दबे हुए लोगो! तुम सभी मेरे पास आओ। मैं तुम्हें विश्राम दूँगा।
29) मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझ से सीखो। मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूँ। इस तरह तुम अपनी आत्मा के लिए शान्ति पाओगे,
30) क्योंकि मेरा जूआ सहज है और मेरा बोझ हल्का।’’
सुसमाचार में येसु हमें पूर्ण प्रमाण निमंत्रण देता है। हम इस आमंत्रण का क्या करने जा रहे हैं? बेशक, हमें अपना जीवन येसु के लिए स्वीकार करना और खोलना है। अगर हम येसु को स्वीकार नहीं करेंगे और अपने जीवन में से येसु को बाहर रखना जारी रखेंगे तो हम इस दुनिया के गुलाम बने रहेंगे। और जब कोई व्यक्ति इस दुनिया का गुलाम होता है तो उसके मन में शांति नहीं होती है और वह हमेशा के लिए इस दुनिया की चिंताओं के बोझ तले दबा रहता है। क्या आप येसु के पास जाएंगे और उन्हें आपके जीवन के बोझ को उठाने में मदद करने देंगे?
✍ - फादर अल्फ्रेड डिसूजा (भोपाल महाधर्मप्रान्त)
In our gospel for today Jesus gives us a full proof invitation. What are we going to do with this invitation? Of course, we have to accept and open our life to Jesus. If we would not accept and continue to keep out Jesus in our life we would continue to be enslaved by this world. And when a person is a slave of this world he/she has no peace of mind and will be forever be burdened by the worries of this world. Will you go to Jesus and allow Him to help you carry your life’s burdens?
✍ -Fr. Alfred D’Souza (Bhopal Archdiocese)
अपना बोझ हल्का करना
यह हमारे प्रभु को हमारे दैनिक बोझ को हलका करने, हमारी चिंताओं, तनावों और उन सभी चीजों को दूर करने का एक सौम्य निमंत्रण हैं जो हमें हमारे दैनिक जीवन में परेशान करते हैं। यह प्रेम और दया का निमंत्रण है। हमारे मनन्-चिंतन के लिए तीन बिन्दु -
*निश्चित रूप से यह येसु को निमंत्रण है- हमें व्यक्तिगत रूप से ईश्वर के पास आने की अनुमति हैं, उसके और हमारे बीच कोई बाधा भी नहीं है।
*यह येसु का मार्ग है- ईश्वर आपको चाहता हैं, वास्तव में, वह आपको इतना चाहता है कि, येसु ने इसे साबित करने के लिए क्रूस पर अपनी जान दे दी।
*ईश्वर हमें बताता है कि, किसे आराम की जरूरत हैं- यह वे हैं जो श्रम करते और बोझ से दबे हैं।
हम जो कुछ भी करें या कहें उन सबका आधार येसु होना चाहिये।
✍ - फादर अल्फ्रेड डिसूजा
Laying Down Your Burdens
It’s a gentle invitation to let our Lord lighten our daily burdens, relieve our worries, our stress, our concerns and all that weighs us down. It’s an invitation of love and mercy. Three points to reflect on - Precisely it is the invitation to Jesus - We are allowed to come to God personally; there is nothing between Him and us. Secondly it is the pathway of Jesus - God wants you, in fact, He wants you so much that Jesus died on the Cross just to prove it. Jesus didn’t have to come to this earth and die, but God’s love is so great, and He wanted us so much that He chose to send His Son Jesus. God lets us know who needs rest: it is those who labour and are burdened, but what does that mean? In this context, those who labour are those who are striving to do it all on their own and failing. In all that we do or say, let Jesus be the center.
✍ -Fr. Alfred D’Souza
मानव जीवन में हम जीवन की जटिलताओं, शारीरिक चंचलता, भावनात्मक हृदयाघात और पापों के परिणामों के कारण थकावट महसूस करते हैं। कई बार इस तरह की थकावट हमारे विश्वास की भी परीक्षा लेती है। प्रभु येसु हमें आमंत्रित करते हैं कि हम अपने ऐसे सभी बोझों को ले कर उनके पास जायें। उनका वादा है वे हमें छुटकारा तथा विश्राम देंगे। प्रभु हमें "तनाव पर काबू पाने के पाँच तरीके" या "खुशी के तीन तरीके" या "सफलता के सात रहस्य" नहीं देते जैसा कि आज के युग के कई मनोवैज्ञानिक या विशेषज्ञ करते हैं। वे बस समाधान के रूप में स्वयं को हमें प्रदान करते हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि हम उन्हीं के द्वारा बनाये गये हैं और वे हमारे अस्तित्व के रहस्यों को भली भाँति जानते हैं। मानुषिक रीति से, हम अपनी समस्याओं में ही लीन रहना पसन्द करते हैं और परिणामस्वरूप हम उन समस्याओं और चिंताओं से ग्रस्त रहते हैं। वे हमें उन्हीं के साथ और उन्हीं में विश्राम पाने को कहते हैं। अगर हम ऐसा करने लगते हैं, तो हम अपने बोझों को पिघलते हुए देखेंगे और अपनी आत्मा में वापस लौटने वाली शांति पाएंगे।
✍ -फादर फ्रांसिस स्करिया
In human life we experience weariness due to complexities of life, bodily frailties, emotional heartbreaks and aftereffects of sins. Very often such weariness really put our faith to test. Jesus invites us go to him with all such burdens and problems. He promises us to relieve us of those burdens. Jesus does not give us tips like “five ways of overcoming tension”, or “three ways to happiness” or “seven secrets of success” as many of today’s psychologists or experts do. He simply offers himself to us as a solution. He is the solution. He is the answer. We need to remember that it was through him that we were created and he knows the secrets of our being. As human beings we have a temptation to dwell in our problems and as a result we are possessed by those problems and anxieties. He calls us to ‘rest’ in him; and then we shall find our burdens melting and peace returning to our souls.
✍ -Fr. Francis Scaria