इतवार, 07 जनवरी, 2024

प्रभु प्रकाश पर्व

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📒 पहला पाठ: इसायाह का ग्रन्थ 60:1-6

1) “उठ कर प्रकाशमान हो जा! क्योंकि तेरी ज्योति आ रही है और प्रभु-ईश्वर की महिमा तुझ पर उदित हो रही है।

2) पृथ्वी पर अँधेरा छाया हुआ है और राष्ट्रों पर घोर अन्धकार; किन्तु तुझ पर प्रभु उदित हो रहा है, तेरे ऊपर उसकी महिमा प्रकट हो रही है।

3) राष्ट्र तेरी ज्योति की ओर आ रहे हैं और राजा तेरे उदीयमान प्रकाश की ओर।

4) “चारों ओर दृष्टि दौड़ा कर देख! सब मिल कर तेरे पास आ रहे हैं। तेरे पुत्र दूर से चले आ रहे हैं; लोग तेरी पुत्रियों को गोद में उठा कर लाते हैं।

5) यह देख कर तू प्रफुल्लित हो उठेगी; तेरा हृदय आनन्द से उछलने लगेगा; क्योंकि समुद्र की सम्पत्ति और राष्ट्रों का धन तेरे पास आ जायेगा।

6) ऊँटों के झुण्ड और मिदयान तथा एफ़ा की साँड़नियाँ तुझ में उमड़ पड़ेंगी; शबा के सब लोग, प्रभु की स्तुति करते हुए, सोने और लोबान की भेंट ले आयेंगे।

📙 दूसरा पाठ : एफ़ेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 3:2-3a,5-6

2) आप लोगों ने अवश्य सुना होगा कि ईश्वर ने आप लोगों की भलाई के लिए मुझे अपनी कृपा का सेवा-कार्य सौंपा है।

3) उसने मुझ पर वह रहस्य प्रकट किया है,

5) वह रहस्य पिछली पीढि़यों में मनुष्य को नहीं बताया गया था और अब आत्मा के द्वारा उसके पवित्र प्रेरितों और नबियों का प्रकट किया गया है।

6) वह रहस्य यह है कि सुसमाचार के द्वारा यहूदियों के साथ गैर-यहूदी एक ही विरासत के अधिकारी हैं, एक ही शरीर के अंग हैं और ईसा मसीह-विषयक प्रतिज्ञा के सहभागी हैं।

📚 सुसमाचार : सन्त मत्ती 2:1-12

(1) ईसा का जन्म यहूदिया के बेथलेहेम में राजा हेरोद के समय हुआ था। इसके बाद ज्योतिषी पूर्व से येरुसालेम आये।

(2) और यह बोले, ’’ यहूदियों के नवजात राजा कहाँ हैं? हमने उनका तारा उदित होते देखा। हम उन्हें दण्डवत् करने आये हैं।’’

(3) यह सुन कर राजा हेरोद और सारा येरुसालेम घबरा गया।

(4) राजा ने सब महायाजकों और यहूदी जाति के शास्त्रियों की सभा बुला कर उन से पूछा, ’’ मसीह कहाँ जन्म लेंगें?’’

(5) उन्होंने उत्तर दिया, ’’यहूदिया के बेथलेहेम में, क्योंकि नबी ने इसके विषय में लिखा है-

(6) ’’बेथलेहेम यूदा की भूमि! तू यूदा के प्रमुख नगरों में किसी से कम नहीं है; क्योंकि तुझ में एक नेता उत्पन्न होगा, जो मेरी प्रजा इस्राइल का चरवाहा बनेगा।’’

(7) हेरोद ने बाद में ज्योतिषियों को चुपके से बुलाया और उन से पूछताछ कर यह पता कर लिया कि वह तारा ठीक किस समय उन्हें दिखाई दिया था।

(8) फिर उसने उन्हें बेथलेहेम भेजते हुए कहा, जाइए, बालक का ठीक-ठीक पता लगाइए और उसे पाने पर मुझे खबर दीजिए, जिससे मैं भी जा कर दण्डवत् करूँ।

(9) वे राजा की बात मानकर चल दिए। उन्होंने जिस तारे को उदित होते देखा था, वह उनके आगे आगे चलता रहा, और जहाँ बालक था उस जगह के ऊपर पहुँचने पर ठहर गया।

(10) वे तारा देख कर बहहुत आनन्दित हुए।

(11) घर में प्रवेश कर उन्होंने बालक को उसकी माता मरियम के साथ देखा और उसे साष्टांग प्रणाम किया। फिर अपना-अपना सन्दूक खोलकर उन्होंने उसे सोना, लोबान और गंधरस की भेट चढ़ायी।

(12) उन्हें स्वप्न में यह चेतावनी मिली के वे हेरोद के पास नहीं लौटें, इसलिए वे दूसरे रास्ते से अपने देश चले गये।

📚 मनन-चिंतन

आज, हम प्रभुप्रकाश का पर्व मना रहे हैं। सुसमाचार ज्योतिषियों की मनोरम यात्रा की पड़ताल करता है। यह घटना पाँच दृश्यों में सामने आती है, जिनमें से प्रत्येक इस असाधारण घटना के एक महत्वपूर्ण पहलू को उजागर करता है। एक विशेष तारे द्वारा निर्देशित ज्योतिषियों का आगमन, प्रत्याशा और आश्चर्य से भरी यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है। पूर्व से आने वाले ये ज्ञानी व्यक्ति सिर्फ सामान्य यात्री नहीं थे, वे खगोल विज्ञान और रहस्यमय कलाओं में विशेषज्ञ थे। जैसे ही ज्योतिषी पहुँचते हैं, राजा हेरोद की उत्सुक प्रतिक्रिया के साथ दृश्य तीन सामने आता है। हेरोद, एक नवजात राजा की खबर से परेशान होकर, इस घटना के महत्व को समझने के लिए याजकों और शास्त्रियों से सलाह लेता है। ज्योतिषियों की सच्ची पूजा और हेरोद के भ्रामक इरादों के बीच विरोधाभास! हेरोद, भक्ति का नाटक करते हुए, गुप्त रूप से नवजात राजा को खत्म करने की योजना बनाता है, जिसे उसकी सांसारिक शक्ति खोने की संभावना का खतरा होता है। चौथा दृश्य उस गहन क्षण को दर्शाता है जब ज्योतिषी बालक येसु को ढूंढते हैं। परिश्रम और जिज्ञासा से चिह्नित उनकी यात्रा, स्तुति और आराधना के कार्य में समाप्त होती है। वे नवजात राजा के दिव्य स्वभाव को स्वीकार करते हुए उन्हें बहुमूल्य उपहार चढ़ाते हैं। श्रद्धांजलि का यह कार्य भविष्य गैरयहूदियों द्वारा येसु को स्वीकारने का पूर्वाभास देता है, जैसा कि भजन 72:10-11 में बताया गया है। ज्योतिषी हमें आराधना की ईमानदारी और सच्चे राजा की तलाश के महत्व के बारे में सिखाते हैं। विश्वास की हमारी यात्रा में, क्या हम उन ज्योतिषियों की तरह हैं, जो ईमानदारी से मसीह की तलाश कर रहे हैं और प्रेम और भक्ति के अपने उपहार पेश कर रहे हैं? हेरोद के कपटपूर्ण कार्य हमें अपने जीवन में सांसारिक शक्ति के प्रलोभन और जिसे हम अपना मानते हैं उसे बनाए रखने की इच्छा की याद दिलाते हैं। क्या हम अपनी सांसारिक इच्छाओं को छोड़कर सच्चे दिल से सच्चे राजा के सामने झुकने को तैयार हैं? आइए हम ज्योतिषियों की यात्रा से प्रेरित हों। आइए हम सत्य के मेहनती खोजी बनें, एक सच्चे राजा की सच्ची आराधना करें।

- फादर पॉल राज (भोपाल महाधर्मप्रान्त)


📚 REFLECTION

Today, we celebrate the feast of Epiphany of the lord. The gospel explores the captivating journey of the Magi, the Wise Men. The story unfolds in five scenes, each revealing a crucial aspect of this extraordinary event. The arrival of the Magi, guided by a special star, signifies the beginning of a journey filled with anticipation and wonder. These Wise Men, coming from the East, were not just ordinary travellers, they were experts in astronomy and the mystical arts. As the Magi arrive, scene three unfolds with King Herod’s anxious response. Herod, troubled by the news of a newborn King, consults the priests and scribes to understand the significance of this event. The contrast between the sincere worship of the Magi and Herod’s deceptive intentions! Herod, pretending devotion, secretly plans to eliminate the newborn King, threatened by the possibility of losing his earthly power. The fourth scene captures the profound moment when the Magi find the Christ child. Their journey, marked by diligence and curiosity, culminates in the act of worship and adoration. They offer precious gifts, acknowledging the divine nature of the newborn King. This act of homage foreshadows the future worship of the Gentiles, as foretold in Psalm 72:10-11. The Magi teach us about the sincerity of worship and the importance of seeking the true King. In our journey of faith, are we like the Magi, earnestly seeking Christ and offering our gifts of love and devotion? Herod’s deceitful actions remind us of the temptations in our lives the allure of worldly power and the desire to hold on to what we perceive as ours. Are we willing to let go of our earthly desires and bow before the true King with a genuine heart? let us be inspired by the Magi’s journey. Let us be diligent seekers of the truth, offering our sincere worship to the one true King.

-Fr. Paul Raj (Bhopal Archdiocese)

📚 मनन-चिंतन-2

आज नव वर्ष २०२१ का पहला रविवार है और आज माता कलिसिया प्रभु प्रकाश का पर्व मनाती है। आज सभी राष्ट्रों के लिए प्रभु की महिमा के प्रकटीकरण का पर्व है। यह एक महान पर्व जो ईश्वर के द्वारा सभी हदों को मिटाने को दर्शाता है जो हदें हमें ईश्वर से और एक दूसरे से अलग करती हैं। ईश्वर मानवजाति के प्रति अपने प्रेम और करना को अपने पुत्र प्रभु येसु में दर्शाते हैं जिनकी प्रतिज्ञा उन्होंने सदियों पूर्व की थी। लोग मुक्तिदाता की राह देख रहे थे जो उन्हें ईश्वर की ओर ले जाए, जो ईश्वर के साथ पुनः उनका मेल-मिलाप करा दे, क्योंकि उनके पापों के कारण ईश्वर के साथ उनका सम्बन्ध टूट गया था। प्रभु येसु में पिता ईश्वर यह प्रकट करते हैं कि वही सच्चे ईश्वर हैं, एक महाप्रतापी राजा जिनके राज्य का कभी अन्त नहीं होगा। वही प्रभु हमें बचाने के लिए हमारे जैसे मनुष्य बन गए हैं, जो हमारे दुःख-दर्द, हमारे ख़ुशी और ग़मों को महसूस कर सकते हैं।

जब सारी मानवजाति ईश्वर से विमुख हो गयी थी, तो ईश्वर ने उन्हें ऐसे ही नहीं छोड़ दिया। वह उन्हें वापस लाना चाहता था, एक सच्चे ईश्वर की शरण में। इसराएल ईश्वर के चुने हुए लोग और उसकी अपनी प्रजा थी। पुराने व्यवस्थान में हम देखते हैं कि ईश्वर का सारा ध्यान इन्हीं लोगों की ओर था और ईश्वर चाहते थे कि ये लोग उसकी महिमा और सामर्थ्य का साक्ष्य सब राष्ट्रों के समक्ष दें। जब वे उसके प्रति वफ़ादार नहीं रहे और उससे दूर चले गए तो ईश्वर उन्हें वापस लाना चाहता था। उसने अनेक चिन्ह और चमत्कारों द्वारा उन्हें दिखाया कि ईश्वर उन्हें भूला नहीं है, बल्कि वह सदा उनके साथ था। वह नबियों के द्वारा उनसे बोला और एक मसीह की प्रतिज्ञा की जो ईश्वर के साथ उनका मेल कराने और उनके पापों के लिए अपने आप को क्रूस पर बलिदान कर देगा।

ईश्वर के मनुष्य बनकर हमारे बीच आने और हमें बचाने की यह घटना इतनी महान और विशेष थी, उसका प्रतिफल सिर्फ़ कुछ चुने हुए लोगों के लिए सीमित नहीं किया जा सकता था। इस महान बलिदान का पुण्यफल सभी राष्ट्रों के लिए था। इसलिए ईश्वर की दिव्य करुणा के द्वार ना केवल कुछ चुने हुए लोगों के लिए बल्कि पूरी मानवजाति के लिए खुल गए। लेकिन आज भी दुनिया में ऐसे स्थान हैं जहाँ लोग अभी भी अंधकार में हैं, वे ईश्वर के असीम प्रेम से अनजान हैं। ईश्वर अपने प्रेम को दुनिया के कोने-कोने तक पहुँचाने के लिए हमें बुलाते हैं। वह सारी मानवजाति पर अपनी करुणा और दया बरसाना चाहते हैं।

-फादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर धर्मप्रान्त)


📚 REFLECTION

Today is the first Sunday of the year 2021 and mother church celebrates the great feast of epiphany of our Lord. Today is feast of God revealing his glory to the nations. It is the feast of God breaking the boundaries that separate us from God and from each other. He reveals his love and compassion towards humanity in his son Jesus who was promised for long ages. People waited for a saviour who could lead them to God, who could befriend them to God once again, because their relationship with God had broken because of their many sins. God reveals in Jesus that he is true God, a king whose kingdom will have no end. That same God has become man like us, who experiences our pain, our sufferings and our joys and happiness.

When whole humanity had gone astray from God, he did not sit quiet. He wanted to bring them back, he wanted them to be led to the true God. Israel was God’s specially chosen and favoured people. In Old Testament we see God’s main focus was towards these people and God expected these people to make known his power and might to other nations as well. When they were not faithful to him and went astray, he tried to bring them back. He showed them through signs and symbols and extraordinary works that he had not forgotten them, he was with them always. He spoke to them through his prophets and promised them that he would send a saviour who would sacrifice himself in order to reconcile them to God again.

This event of God coming down to us and dying for us was so great, that it’s fruit could not be limited to only few chosen ones. All people should benefit from this great sacrifice. So the gates of divine mercy opened not only to the few chosen ones, but to whole humanity. But still there are many parts of the world where people are in dark, they are not aware of God’s great love towards them. He wants me and you to take his great love to the ends of the world. He is ready to lavish his grace and mercy on whole humanity.

-Fr. Johnson B.Maria (Gwalior)

मनन-चिंतन - 3

आज कलीसिया प्रभु प्रकाश का त्योहार मना रही है। यूनानी मूल भाषा में एपीफ़निया (ἐπιφάνεια, epiphaneia) का अर्थ है प्रकटीकरण। बालक येसु दुनिया के सामने प्रकट किये जाते हैं। वे न केवल नाज़रेत के यूसुफ और मरियम के परिवार के लिए आये, बल्कि सारी दुनिया और सारी मानव जाति के लिए। सारी दुनिया के प्रतिनिधि बन कर पूर्व से तीन ज्योतिषी प्रभु की खोज में आते हैं। वे कई लोगों से पूछ-ताछ कर बेथलेहेम पहुँच जाते हैं। वे चरनी में लेटे हुए बालक को उनकी माता मरियम के साथ देखते हैं और उन्हें साष्टांग प्रणाम करते हैं। फिर वे अपना-अपना सन्दूक खोल कर उन्हें सोना, लोबान और गन्धरस चढ़ाते हैं।

ज्योतिषियों ने एक तारा उदित होते देखा था। तारे आसमान में उदित होते हैं। बहुत-से लोगों ने उस तारे को देखा होगा, लेकिन मनुष्यों में समय के चिह्नों पर ध्यान देने तथा उन्हें पहचानने वाले बिरले हैं। पवित्र बाइबिल में प्रभु हमेशा विश्वासियों को सतर्क तथा जागरूक रहने का अनुदेश देते हैं। इन गुणों के सिवा कोई भी प्रभु के आगमन को पहचान नहीं पाता। इसी कारण दूसरे लोगों ने शायद इस तारे पर ध्यान नहीं दिया। संत योहन ख्रिसोस्तोम का कहना है कि यह मानना गलत है कि ज्योतिषियों ने तारे को उदित होते देख कर अपनी यात्रा शुरू की। वास्तव में जब उन्होंने यात्रा शुरू की, तब उन्हें एक तारा दिखायी देने लगा। संत का संदेश यह है कि जब हम ईश्वर की खोज में निकलते हैं, तब हमें ईश्वर स्वयं मार्ग दिखाते हैं। संत ख्रिसोस्तोम यह भी कहते हैं, “तारा कुछ समय के लिए उन्हें दिखायी नहीं देता, उनके पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं था और उन्हें यहूदियों से पूछ-ताछ करना पडता है। इस प्रकार प्रभु येसु के जन्म की घोषणा यहूदियों के बीच में होती है।“ (संत मत्ती पर प्रवचन 7)

संत मत्ती यह नही बताते हैं कि कितने ज्योतिषी आये थे। न ही वे यह बताते हैं कि उनके नाम क्या थे। मत्ती यह बताते हैं कि ज्योतिषियों ने आकर बालक येसु को सोना, लोबान और गंधरस की भेंट चढ़ायी। स्पेन की एक परम्परा के अनुसार मेलखियोर, गास्पर तथा बलथासर नाम के तीन राजा अरब देशों, पूर्वी देशों तथा अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधियों के रूप में बालक येसु से मिलने घोडे, ऊँट तथा हाथी पर आये थे। कुछ परम्पराओं के अनुसार तीन ज्ञानी येसु से मिलने आये थे। ज्योतिषी, ज्ञानी, राजा – ये सब हमें यह बताते हैं बेथलेहेम के गोशाला के सामने दुनिया की संस्कृतियों, परम्पराओं, शास्त्रों तथा ताकतों का संगम था।

दानिएल के ग्रन्थ के अध्याय 2 में हम पढ़ते हैं कि राजा नबुकदनेज़र ने स्वप्न देखे। दानिएल ने उस स्वप्न का अर्थ बताते हुए कहा कि दुनिया के राज्य नष्ट हो जायेंगे। फिर, “स्वर्ग का ईश्वर एक ऐसे राज्य की स्थापना करेगा, जो अनंत काल तक नष्ट नहीं होगा और जो दूसरे राष्ट्र के हाथ नहीं जायेगा। वह इन राज्यों को चूर-चूर कर नष्ट कर देगा और सदा बना रहेगा।“ (दानिएल 2:44) मसीह राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है (प्रकाशना 19:16)।

तारा देखने के बाद ज्योतिषियों को कई दिनों तक यात्रा करना पडती है, रास्ते में कई लोगों से पूछ-ताछ करना पडती है। तभी वे बालक येसु का दर्शन कर पाते हैं। वे बालक को साष्टांग प्रणाम करते हैं। दूसरी तरफ़ हम हेरोद को पाते हैं जो न केवल राजाओं के राजा के आधिपत्य को स्वीकार नहीं करता बल्कि उन्हें मरवा डालने की हर संभव कोशिश करता है। इस दुनिया में रहते समय कई चीज़ें, कई घटनाएं तथा कई व्यक्ति हमें ईश्वर का संकेत प्रदान करते हैं। उन संकेतों तथा चिह्नों को पहचानने के लिए हमें सतर्क और जागरूक रहना पडता है। कभी-कभी हमें दूसरों से सलाह-मशवरा लेना पडता है। मेहनत और इंतज़ार ईश्वरीय अनुभव के लिए जरूरी है।

हम भी ज्योतिषियों की तरह सतर्क और जागरूक रहें ताकि हम समय के चिह्नों को पहचान सकें, प्रभु की खोज में निकलने की हिम्मत करें। हम बेथलेहेम के तारे के समान दूसरों के लिए ईश्वरीय अनुभव प्राप्त करने के साधन या माध्यम बन सकें।

बेथलेहेम की ओर जाते समय ज्योतिषी तारा देख कर उसके मार्गदर्शन के अनुसार चल रहे थे। अपनी वापसी में पवित्र वचन कहता है कि “वे दूसरे रास्ते से अपने देश चले गये” (मत्ती 2:12)। येसु से मिलने के बाद हमारा मार्ग ही बदल जाता है, हमारे जीवन में परिवर्तन आता है। पवित्र बाइबिल में ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जिन में येसु से मुलाकात करने के बाद लोगों का मार्ग बदल जाता है। प्रभु प्रकाश का त्योहार हमें अपने पापमय पुराने मार्गों को बदल कर ईश्वर के इशारे पर चलने का आह्वान करता है। यही कृपा हम परम पिता ईश्वर से माँगे।

- फादर फ्रांसिस स्करिया