पास्का का छठवाँ सप्ताह - शनिवार



पहला पाठ : प्रेरित-चरित 18:23-28

23) पौलुस कुछ समय वहाँ रहा। तब फिर विदा हो कर उसने गलातिया और इसके बाद फ्रुगिया का भ्रमण करते हुए सब शिष्यों को ढारस बँधाया।

24) उस समय अपोल्लोस नामक यहूदी एफेसुस पहुँचा। उसका जन्म सिकन्दरिया में हुआ था। वह शक्तिशाली वक्ता और धर्मग्रन्थ का पण्डित था।

25) उसे प्रभु के मार्ग की शिक्षा मिली थी। वह उत्साह के साथा बोलता और ईसा के विषय में सही बातें सिखलाता था, यद्यपि वह केवल योहन के बपतिस्मा से परिचित था।

26) वह सभागृह में निस्संकोच बोलने लगा। प्रिसिल्ला और आक्विला उसकी शिक्षा सुनने के बाद उसे अपने साथ ले गये और उन्होंने अधिक विस्तार के साथ उसे ईश्वर का मार्ग समझाया।

27) जब अपोल्लोस ने अखै़या जाना चाहा, तो भाइयों ने उसकी सहायता की और शिष्यों के नाम पत्र दे कर निवेदन किया कि वे उसका स्वागत करें। अपोल्लोस के वहाँ पहुंचने के बाद उस से विश्वासियों को ईश्वर की कृपा से बहुत लाभ हुआ;

28) क्योंकि वह अकाट्य तर्कों से यहूदियों का खण्ड़न करता और सब के सामने धर्मग्रन्थ के आधार पर यह प्रमाणित करता था ही ईसा ही मसीह हैं।

सुसमाचार : सन्त योहन 16:23b-28

23) मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ- तुम पिता से जो कुछ माँगोगे वह तुम्हें मेरे नाम पर वही प्रदान करेगा।

24) अब तक तुमने मेरा नाम ले कर कुछ भी नहीं माँगा है। माँगो और तुम्हें मिल जायेगा, जिससे तुम्हारा आनन्द परिपूर्ण हो।

25) मैंने तुम लोगो से यह सब दृष्टांतो में कहा है। वह समय आ रहा है, जब मैं फिर तुम लेागों से दृष्टांतो में कुछ नहीं कहूँगा, बल्कि तुम्हें स्पष्ट शब्दों में पिता के विषय में बताऊँगा।

26) तुम उस दिन मेरा नाम लेकर प्रार्थना करोग। मैं नहीं कहता कि तुम्हारे लिये पिता से प्रार्थना करूँगा।

27) पिता तो स्वयं तुम्हें प्यार करता है, क्योंकि तुम मुझे प्यार करते और यह विश्वास करते हो कि मैं ईश्वर के यहाँ से आया हूँ।

28) मैं पिता के यहाँ से संसार में आया हूँ। अब मैं संसार को छोड कर पिता के पास जा रहा हूँ।’’

📚 मनन-चिंतन

पिता ईश्वर सब कुछ के सृष्टिकर्ता और सब कुछ प्रदान करने वाले हैं, प्रभु येसु पिता में एक हैं, वह हमारे लिए पृथ्वी पर आए और हमारे बीच निवास किया। उन्होंने अपनी महिमा और दैवीय वैभव को त्यागकर हमारी मानवता एवं दुःख को गले लगाया। उसके बदले में हमें प्रभु को प्यार करना है, और जब हम प्रभु येसु को प्यार करेंगे तो हमारा स्वर्गीय पिता भी हमें प्यार करेगा। स्वर्गीय पिता प्रभु येसु को प्यार करते हैं, और इसलिए उनके पुनरुत्थान के बाद उन्हें महिमान्वित करते हैं और स्वर्ग में अपने दाहिने बिठाते हैं।

प्रभु येसु ने हमें पिता ईश्वर की संतानें बना दिया है, तो क्यों प्रभु हमें प्यार नहीं करेंगे और जो माँगेगे वह प्रदान नहीं करेंगे। प्रभु येसु को अब हमारे लिए नहीं माँगना है, हम स्वयं पिता ईश्वर से माँग सकते हैं। पहले प्रभु येसु को हमारा मध्यस्थ बनना था क्योंकि हमारे पापों के कारण हम पिता से अलग थे, लेकिन अब प्रभु येसु ने हमारे पापों की क्षमा के लिए खुद को क़ुर्बान किया है और पिता ईश्वर से हमारा मेल करा दिया है। अब पिता हमारी सुनेगा क्योंकि हम प्रभु येसु को सदा प्यार करते हैं। आमेन ।

- फादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर धर्मप्रान्त)


📚 REFLECTION

God the Father is the creator and giver of everything. Jesus is one with the Father, he came down and lived among us. He left his glory and divinity and accepted our misery and humanity, because he loved us. In return we have to love him, and when we love love Jesus, his heavenly father will love us. Heavenly Father loves Jesus and so he glorified him again after his resurrection and granted him the place to sit at his right hand.

Jesus has made us God’s children, then wouldn’t God love us and grant us whatever we ask him? Jesus doesn’t have to mediate now. Earlier he had to, because we were separated from the father because of our sins. But now Jesus has become the means of forgiveness and reconciliation, therefore we ourselves can ask the Father, it is because we love Jesus.

-Fr. Johnson B.Maria (Gwalior)


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Praise the Lord!